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अन्तर्वासना के पाठकों को दिल्ली की दीपिका का नमस्कार। मेरी अब तक लिखी हुई कहानी में आपने पढ़ा कि मेरे मॉम व डैड के बाहर जाने के बाद खाली घर में मेरा हाल में दोस्त बना अभि आया और मुझे बिकनी में देखने के बहाने मेरी सील तोड़ कर चुदाई कर गया। इससे चुदाई के लालच में मैंने इसे दूसरे दिन अपने बर्थ डे का बहाना करके फिर घर आने को कहा। अब इससे आगे की बात:
मैं मॉम डैड की घर से गैर मौजूदगी का पूरा लाभ लेना चाहती थी, इस कारण ही मैंने अभि को दूसरे दिन भी निचोड़ने का मन बना लिया। अभि को भेजने के बाद आज बहुत दिनों बाद मस्त नींद आई।
दूसरे दिन सुबह कामवाली बाई व रसोईए को लगाकर घर को पूरा ठीक कराया ताकि अभि के सामने यहाँ मेरे जन्मदिन का माहौल लगे। चुदाई के लिए मेरी बैचेनी का आलम यह था कि घर की सफाई के दौरान ही मैंने अभि को फोन लगाकर उसके आने के बारे में पूछा।
हाँ, यह ध्यान रखा कि मुझसे सैक्स की कोई बात ना निकले ताकि उसे यह ना लगे कि मैं भी चुदवाने को इच्छुक हूँ।
फोन पर अभि बोला- मुझे अभी भी वह सब एक सपना ही लग रहा है। आपसे मैंने वह पा लिया जो कभी जिंदगी में भी नहीं सोचा था कि ऐसे शरीर को चोदना तो दूर हाथ भी लगा पाऊँगा।
मैं बोली- अरे वो सब बातें छोड़, और बत कि शाम को कितने बजे आ रहा है? यह मेरा पहला जन्म दिन है, जिसमें अकेले तू ही मुझे विश करने यहाँ मेरे पास मौजूद रहेगा।
अभि बोला- तुम ऐसा कभी मत सोचना कि तुम्हारा मम्मी-पापा के अलावा और कोई नहीं है, मैं हूँ ना आज तुम्हारे जन्मदिन में सात रंग भरने के लिए। और तुम यह सोच रही होगी कि तुम्हारे मॉम डैड नहीं हैं इसलिए तुम्हारा जन्मदिन बोर हो जाएगा, पर नहीं, मैं अपने मम्मी पापा को लेकर तुम्हारे बर्थडे पर आज शाम को तुम्हारे घर आ रहा हूँ।
यह सुनकर मैं घबरा गई कि यह बेवकूफ अपने माँ-बाप को लेकर आएगा, सब खा पीकर निकल लेगें, फिर मेरी चूत वैसे ही प्यासी रह जाएगी। इसलिए मैंने तुरंत उसे मना किया- अरे, ऐसी गलती मत करना ! अभी मॉम डैड नहीं हैं ना। मेरे नौकर उन्हें यह बता देंगे, सो मम्मी पापा को मत लाना।
वह बोला- जब मैं आऊँगा, तब नहीं बताएंगे क्या?
मैं बोली- तू मेरे बराबरी का है, सो मेरे दोस्त आए, इसलिए कुछ कहेंगे नहीं। पर मम्मी पापा बड़े हैं ना इसलिए कह देंगे।
अभि बोला- तो फिर ठीक है, मैं अपने दोस्तों को ही लेकर आ जाऊँगा।
मैं बोली- अरे, उन सबको रहने दे ना, तू अकेले ही आना।
अभि बोला- नहीं यार, तुम्हारे बर्थडे के बारे में मुझे पता हो, और जश्न ना हो, यह हो ही नहीं सकता।
मैंने अपना सर पकड़ लिया कि यह बेवकूफ जन्मदिन पर हो-हल्ला और पार्टी करना ही जानता है। जो जन्मदिन के नाम से इसे चुदवाने बुलवा रही है, उसके बारे में नहीं सोचता।
मैं उसे बहुत देर तक यह समझाने का प्रयास करती रही, पर वह नहीं माना। मेरी परेशानी यह थी कि मैं इसे यह नहीं बता सकती थी कि अपने जन्मदिन होने का बहाना तो मैंने सिर्फ़ अपनी चुदाई के लिए बनाया था। यदि सही में मेरा बर्थडे रहता तो मेरे मॉम-डैड मुझे छोड़कर जाते ही नहीं, और मेरे घर में वैसे ही जमघट लगा रहता। पर अब अपनी चुदाई की लिए जो झूठ बोल चुकी थी, तो अब उसे ही असलियत बनकर चलाना है।
आखिर मैंने उसे किसी तरह मना लिया कि वह मेरे घर में ज्यादा लोगों को लेकर वह नहीं आएगा। पर अभि मेरा जन्मदिन यूं ही सीधे-सादे न करके अपने बहुत खास दो दोस्तों को साथ लाने की जिद पर अड़ा ही रहा, साथ ही विशेष केक वह ही लाएगा, यह भी बताया।
उससे हारकर मैंने सोचा कि चलो केक काटकर ही अपनी पहली चुदाई का जश्न मना लेती हूँ, मौका मिला तो रात को चुदा भी लूँगी, नहीं तो इसे बाद में देखा जाएगा।
यह बोलकर मैं अपनी नौअकरानी को और क्या काम करना है, यह बताती रही। शाम ढलते ही नौकरानी अपने घर चली जाती थी और रसोइया किचन के सब काम निपटाने के बाद हमारे कैंपस में ही बने क्वार्टर में रहता था।
रसोईए से मैंने कहा- मेरे एक दोस्त के किसी रिश्तेदार की मौत हो गई है इसलिए मैंने उसे अपने ही घर में केक लेकर बुला लिया है, वो अपना बर्थडे यहीं मनाएगा। उसके साथ मेरे दो दोस्त और रहेंगे बस। इसलिए आप आज चार लोगों का खाना बना लेना।
रसोईया हाँ बोलकर अपने काम में लग गया।
शाम करीब 7 बजे अभि अपने दो दोस्तों के साथ आया। मैंने इनका स्वागत किया।
अभि ने मुझसे इनका परिचय कराया। एक का नाम राहुल और दूसरे का साहिल था। दिखने में साहिल अभि की ही तरह का था, यानि खुला रंग और ऊँचा कद पर राहुल इन दोनों से कद में छोटा था, इसका रंग भी उन दोनों की तुलना में थोड़ा दबा हुआ था, इसका चेहरा बहुत कुछ एक फिल्मी कलाकार रघुवीर यादव से मिलता जुलता था।
अभि ने अपने साथ लाया केक व गिफ्ट मुझे दिया, साहिल व राहुल भी गिफ्ट लाए थे। इन्हें लेने के बाद मैंने रसोईए को आवाज दी। उसने वहाँ मेज वगैरा लाकर रखा, व कुछ स्नेक्स भी रखकर गया।
कुछ देर में केक काटने की औपचारिकता पूरी करने के बाद मैंने खाना लगाने को कहा। पर बहुत ऐतराज और मेरे मनाने के बाद उन लोगों ने खाना खाया। इस बीच हम लोगों में सामान्य बातें ही होती रही।
हाँ टेबल पर रखे खाने को लेते समय अभि मेरे पीछे था, तब उसने मेरे चूतड़ों को अपनी मुट्ठी से पकड़ लिया। मुझे उसकी यह शरारत ठीक तो लगी, पर ये दोनों यह ना देखें इस कारण मैं उससे छूटकर जल्दी से अलग हुई।
खाना खाते समय अभि ने बताया कि साहिल की गर्लफ्रेंड अब उससे शादी ना करने की जिद पकड़ ली है क्योंकि उसके घरवालों को किसी दूसरी जाति के लड़के के साथ उसकी दोस्ती अच्छी नहीं लग रही, और अब वे लड़की को अकेले कहीं जाने भी नहीं दे रहे।
साहिल ने अपनी गर्लफ्रेड से मुझे दोस्ती कर फिर उन दोनों के मेल मिलाप कराने कहा।
मैं ‘देखूंगी’ बोलकर बात को बदलने लगी कि राहुल भी अपनी समस्या के लिए मुझसे सहायता मांगने लगा, कि इस भरी जवानी में कोई भी लड़की उसे अब तक घास नहीं डाली है और उसकी जवानी का यह समय बिना किसी लड़की के अकेला ही बीता जा रहा है।
मैं इसे भी ‘कोई मिलेगी तो आपको बताऊँगी’ बोलकर टालने लगी।
अब मैं अभि को बोली- तुम तो ठीक हो ना, या आपकी भी कोई समस्या हैं तो बताइए।
साहिल और राहुल भी उससे अपने दिल की बात करने की जिद करने लगे।
अभि बोला- मेरी हालत भी इन लोगों से कुछ अलग नहीं थी। मेरी हालत तो इतनी खराब थी कि कई बार मैं आत्महत्या के लिए भी सोच चुका था। पर कल का दिन मेरे जीवन में ऐसा बदलाव लाया कि अब मुझे अपनी जिंदगी से प्यार हो गया है।
साहिल ने पूछा- ऐसा क्या हुआ जादू हुआ है कल?
अभि उठकर मेरे पास आया, और मेरे हाथ को अपने हाथ में लेकर बोला- कल मेरे हाथों में जादू की दीपिका लग गई, जिसका साथ पाकर मैं सारी जिंदगी के लिए उसका गुलाम हो गया।
मैं भी शर्मीली सी हंसी हंसकर उसकी बात को टालने लगी पर राहुल ने कहा- यार अभि, मैं जान रहा हूं कि तुम दोनों की दोस्ती हुए काफी समय हो गया है, फिर दीपिका ने कल कौन सा जादू किया तुम पर कि तुम अब उन पर जान तक देने को तैयार हो गए हो? अभि खुद को बहुत तीसमार खान बनते हुए मुझसे पूछा- बता दूँ दीपिका?
मेरे सामने इस समय शरम से चेहरा छुपाने के अतिरिक्त कोई उपाय नहीं बचा था, सो मैं गरदन झुकाए बैठी रही, और वह बेवकूफ
मेरी श्र्म को मेरी सहमति समझकर अपने उन दोस्तों को बताया- कल मैं और दीपिका एक हो गए हैं।
साहिल ने पूछा- एक हो गए हैं मतलब?
राहुल बोला- अबे सब कोई जो शादी के बाद करते हैं, वह इन दोनो ने कल कर लिया है।
साहिल बोला- यानि?
अभि बोला- कल हम लोग एक दूसरे में समा गए। अब तेरी भाषा में बोलूँ तो कल हम लोगों ने चुदाई कर ली है। एक दूसरे को जमकर चोदा है। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
उसके यह बोलते ही दोनों उछल पड़े। राहुल मेरे पास आ गया और बोला- दीपिका, यह तो कुछ भी बोलता रहता हैं। तुम हमें सच बताओ कि क्या कल सही में तुम लोगों ने चुदाई की है?
मेरी हालत तो ऐसी थी मानो यह केक काटने वाली छुरी उठाकर खुद को मार लूँ। शर्म के कारण मेरा पूरा शरीर मानो अकड़ गया हो। जुबान में ताला लटका था। अभि मेरे पास आया और मेरे कंधे को दबाते हुए बोला- ओह सॉरी दीपिका, मुझे यह नहीं बोलना था, पर अभी बात निकली और तुम सामने थी इसलिए यह मेरे मुँह से निकल गया। मुझे यह नहीं बोलना था।
मैं महसूस कर रही थी कि उसका हाथ मेरे कंधे से नीचे सरक रहा था। इधर मेरे दिमाग में अब यह बात आ रही थी कि हो ना हो अभि ने अपने दोस्तों को मेरी चुदाई करवाने ही लाया हो। यह मुझ पर इंप्रेशन जमाने के लिए खुद शरीफ बन रहा हैं पर तीनों पहले ही सब तय कर चुके हैं। मन में यह ख्याल आने के बाद मैंने सोचा- यह भी क्या बुरा है। तीन लौड़े एक साथ लेने में और मजा आएगा।
किन्तु इन्हें पहले ही कुछ बोलना मुझे ठीक नहीं लगा। इसलिए मैं वैसे ही सिर झुकाए बैठी रही। उधर अभि मुझे इस नाजुक दौर में सांत्वना देने का ढोंग करते हुए मेरे वक्ष पर अपने हाथ फेर रहा था।
अब साहिल मेरे पास पहुँचा और बहुत नाटकीय तरीके में अपने हाथ जोड़कर कहा- दीपिका, हम लोगों को इस बात का एहसास नहीं है कि इस मौके पर हमें हमें तुमसे कैसे बात करनी चाहिए, क्या कहना चाहिए जिससे तुम्हें अच्छा लगे और तुम हमें माफ दें। इसलिए तुम एक अच्छे दोस्त की तरह हमारी माँ, हमारी बहन बनकर हमें माफ करो और इस महान दिन को इन्जाय करो।
यह बोलकर वह मेरे दूसरी तरफ के कंधे पर अपना हाथ रख दिया।
राहुल भी आकर मेरे एकदम सामने खड़ा हो गया और कहा- हमारी बात मान लीजिए दीपिका, हम तीनों की ओर से मैं तुम्हारे पैर छूकर माफी मांगता हूँ, हमें माफ कर दो।
यह बोलकर वह मेरे पैर के पास आकर बैठ गया, और मेरे पैर पड़ने के बहाने पैर के पंजे अपने हाथ में लेकर सहलाने लगा।
मुझे अहसास हो गया कि ये साले तीनों पहले से ही आज मुझ पर चढ़ने की योजना बनाकर आए हैं, अब मेरी बारी थी, मैं बोली- चलो कोई बात नहीं। अब आप लोग रिलैक्स हो जाइए। साहिल व अभि मेरे पास से हटकर पूछे- हां बोलो। आपकी आवाज से ही हमें राहत मिली हैं। पर राहुल अब तक मेरा पैर नहीं छोड़ा था।
मैंने महसूस किया कि उसका हाथ ऊपर बढ़ते हुए मेरे घुटनों तक पहुँच गया हैं, मैं राहुल से बोली- आपको मैंने माफ कर दिया है, यह
बोलने के लिए मुझे कोई और शब्द तलाशना पड़ेगा क्या?
अभि ने राहुल को पीछे सरकाया।
साहिल बोला- तो तुमने हम लोगों को माफ कर दिया ना?
मैं मुस्कुराते हुए बोली- आप लोगों ने ऐसी कोई बात ही नहीं की, जिसके लिए आपको माफी मांगनी पड़े।
अभि बोला- थैंक्स गॉड, मैं बहुत टेंशन में आ गया था। पर अब मुझे ठीक लग रहा है।
मैं उसकी ओर देखकर सोचने लगी कि कमबख्त अपना टेंशन खत्म करने के लिए ही मेरा उरोज सहला रहा था क्या? वैसे सही बोलूँ तो इन तीनों ने अपने हाथों से मेरे शरीर को सहलाकर मेरी पूसी में लौड़े की मांग को बढ़ा दिया था। पर अब उन्हें चोदने के लिए कैसे कहूँ यह सोच ही रही थी कि राहुल बोला- तुमने हमें सही में माफ कर दिया ना?
मैं बोली- हाँ बाबा !
कहानी जारी रहेगी।
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