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हेलो दोस्तो, मैं बहुत दिनों से अंतरवासना डॉट कॉम पर प्रकाशित हुई कहानियाँ पढ़ कर मुठ मार रहा हूँ।
अब मैंने सोचा के क्यूँ ना मैं भी अपनी आपबीती आप लोगों के साथ शेयर करूँ।
बात उन दिनों की हैं जब मैं कंप्यूटर इंजिनियरिंग का डिप्लोमा कर रहा था, मैं सेकेंड ईयर के एग्जाम देकर दिल्ली एक सेंटर पर कोचिंग लेने के लिए गया। मैं वहाँ अपनी मौसी जी के घर रहने लगा।
मेरी मौसी का नाम रेणु है, मेरी मौसी मौसा जी के साथ 3 सालों से वहाँ रह रही थी, मौसा और मौसी जी की बिल्कुल नहीं बनती थी।
मेरी मौसी का शादी से पहले किसी और के साथ चक्कर था पर अब मौसी जी शादी के बाद बिल्कुल भी खुश नहीं थी।
मैं आपको बता दूँ कि मेरी मौसी एक बहुत मस्त शरीर की मलिका है। एक दिन जब मैं कोचिंग सेंटर से आया तो मौसी जी रसोई में रो रही थी।
मैं समझ गया आज फिर इनका मौसा जी से झगड़ा हुआ है।
मौसा जी 4-5 दिनों के लिए बाहर गये थे। अब हम घर में एकदम अकेले थे।
मैंने शाम को मौसी जी के साथ घर का थोड़ा काम करवाया और फिर रात का खाना खाकर टीवी देखने लगे। मैंने मौसी जी को कहा- मैं अब सोने जा रहा हूँ।
मौसी जी ने कहा- जाते हुए टीवी बंद करते जाना।
मैं टीवी बंद करके अपने कमरे में आकर सो गया।
रात को मुझे पास के कमरे से किसी के रोने की आवाज़ आई।
मैंने जाकर देखा तो मौसी जी रो रही थी।
मैंने उनसे पूछा- आप क्यूँ रो रही हैं?
तो उन्होंने बताया- मैं तुम्हारे मौसाजी के साथ बिल्कुल खुश नहीं हूँ, वो मुझे बिल्कुल भी प्यार नहीं करते।
मैंने उनके आँसू साफ़ किए और उन्हें थोड़ी दिलासा दिलाई।
वो मेरे कंधे पर अपना सिर रख कर बैठ गई। मैं उस रात उन्हीं के पास सो गया।
रात को करीब 2 बजे मेरी आँख खुली, मैंने महसूस किया कि मौसी जी का हाथ मेरे लण्ड के ऊपर है।
मैंने झट से मौसी जी का हाथ पकड़ कर हटा दिया और भाग कर अपने कमरे में चला गया।
जब मैं अपने कमरे में लेटा हुआ था तो मुझे वो सब ही याद आ रहा था जो मौसी जी के कमरे में हुआ।
अब मुझे भी लग रहा था कि मुझे वहाँ से भागना नहीं चाहिए था।
मैं भी अब मौसी जी के साथ सेक्स करना चाहता था। मैंने मुठ मारी और सो गया।
सुबह मौसी जी ने मुझे उठाया, वो हाथ में कॉफ़ी लिए खड़ी थी।
उन्होंने मुझे कॉफ़ी दी और कहा- बेटा सैंडी, मैं कल रात के लिए तुमसे माफी मांगती हूँ। मैं क्या करूँ, मुझे बहुत दिनों से तुम्हारे मौसा जी का प्यार नहीं मिला है।
मैंने मौसी जी को कहा- कोई बात नहीं मौसी जी, आप टेन्शन मत लो, मैं कल रात के बारे में किसी से नहीं कहूँगा।
मैंने उन्हें अभी तक यह नहीं बताया था कि अब मैं खुद भी उनके रूप का कायल हो चुका हूँ।
मौसी जी ने कहा- तुम जल्दी से नहा लो, मैं नाश्ता बना देती हूँ। फिर तुम सेंटर चले जाना।
पर मुझे तो आज मौसी की चुदाई करनी थी, मैंने मौसी को कहा- आज मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं है, मैं आज सेंटर नहीं जा रहा।
मौसी जी ने नाश्ते के बाद मुझे कहा- सैंडी बेटा, मैं तुम्हारी मालिश कर देती हूँ, तुम्हारा सिर दर्द ठीक हो जाएगा।
मौसी जी तेल लेकर बेड पर बैठ गई और मैं उनकी दोनों टाँगों के बीच में ज़मीन पर बैठ गया, मौसी जी मालिश करने लगी पर मेरे दिमाग़ में अभी भी रात वाली बात थी, मैंने धीरे से मौसी जी की सलवार में अपना हाथ नीचे से डाल लिया और सलवार थोड़ी सी ऊपर कर दी।
मौसी ने कहा- सैंडी, ये क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- जो कल रात आप कर रही थी।
मौसी ने कहा- फिर कल रात क्यूँ भाग गये थे?
मैंने कहा- वो मेरी ग़लती थी कि मैं इस हूर की परी को छोड़ कर भाग गया, आज मैं आपकी सारी प्यास बुझा दूँगा।
मौसी ने कहा- फ़िर देर किस बात की है।
इतना सुनते ही मैं मौसी के कबूतरों को पकड़ कर मसलने लगा।
मौसी ने भी मुझे अपने आगोश में समा लिया।
वाह ! क्या मज़ा आ रहा था।
फिर मौसी बेड पे लेट गई और बोली- आ जा मेरे राजा, बुझा दे मेरी सारी प्यास !
मैंने भी देर नहीं की और सीधा मौसी के ऊपर लेट गया।
मौसी बोली- पहले मेरी चूत चाट कर इसका सारा रस आज निकाल दे !
मैंने उसी वक़्त 69 की पोज़िशन ली और मौसी की चूत चाटने में लग गया।
मौसी भी मेरा लंड ऐसे चूस रही थी जैसे खा ही जाएँगी। 15 मिनट तक यही चला, इस बीच हम दोनों एक बार झड़ गये थे, हमने एक दूसरे का सारा रस पी लिया था, ऐसा लग रहा था मानो अमृत पी लिया हो।
मैंने फिर से उनके स्तन चूसने शुरू किए, वो थोड़ी देर में फिर चुदने के लिए तैयार ही चुकी थी।
फिर आई बारी चूत में अपना लौड़ा डालने की, मैंने पहले एक हल्का सा धक्का मारा, मेरा लंड थोड़ा सा अंदर चला गया।
मौसी के मुँह से सिसकारियाँ निकालने लगी, मौसी बोली- अब इसको पूरा डाल दे, जल्दी कर, वरना मैं तड़पती रहूँगी।
मैंने दो धक्के और मारे और लंड पूरा अंदर घुसा दिया।
मौसी के मुँह से चीख निकल गई, मैंने अपने होंठ उनके होंठों पे रखे और ज़ोर ज़ोर से चोदना शुरू किया
अब मौसी के मुँह से चीख नहीं निकल रही थी और हम दोनों ही चुदाई का पूरा मज़ा ले रहे थे।
मौसी ने कहा- और ज़ोर से सैंडी, वो तेरा बहन का लौड़ा मौसा तो कुछ करता नहीं, तू ही मेरी प्यास बुझा दे मेरे राजा।
मैंने उसके चूचे पकड़े और ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा।
मौसी दो बार झड़ चुकी थी, मैंने कहा- मैं भी झड़ने वाला हूँ, कहाँ निकालूँ? मौसी ने कहा- अंदर ही निकाल दे और कर दे मेरी चूत को हरी भरी !
मैंने अंदर ही झाड़ दिया और हम एक साथ लेट गये।
मैं 3 महीने तक वहाँ रहा और इन 3 महीनो में मैंने मौसी को बहुत बार चोदा।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी, प्लीज़ मुझे मेल करें। [email protected]
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