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जैसा साक्षी ने कहा था कि लौड़े को पूरा घुसेड़ना था। जबकि मैं उसे तकलीफ ना हो, इसलिए उसकी पहली चुदाई ज्यादा वहशी तरीके से नहीं की। पर अब जब उसने जमकर चुदने के लिए सहमति दे दी है तो फिर यदि अब उसे जमकर नहीं चोदा तो मैं ही उससे चूतिया कहा जाऊँगा।
अभी मैं साक्षी के साथ जमकर सैक्स करने की तैयारी में हूँ। इससे पहले मैंने उसे चोदा तो जरूर, पर लण्ड घुसाते समय इस बात का ख्याल रखा कि उसकी नई चूत में लण्ड घुसने का दर्द ना हो। पर मेरी इस भावना की उसने कद्र नहीं की, बल्कि इस बात को चुनौतीपूर्ण तरीके से कही कि जितने अंदर और जैसे चोद सकते हो चोद देना। यहाँ तक की बात आप पढ़ चुके हैं, अब जानिए उससे आगे की बात।
मैं नंगा हो चुका था, पर साक्षी को कपड़े उतारते समय ही मैंने पकड़ा, उसकी ब्रा उतारी और मैं उसकी बगल को चाटने लगा। गुदगुदी लगने के लिए शरीर के सबसे संवेदनशील इस क्षेत्र को जीभ से रगड़कर चाटने के बावजूद साक्षी जरा भी नहीं उछली, इससे मुझे आश्चर्य हुआ। पर किसी के भी अंडर आर्म्स का टेस्ट लेना मेरे लिए नया अनुभव था। सो मैं भी उसकी बगल को चूसने चाटने में व्यस्त हो गया। जैसा कि मैं पहले भी बता चुका हूँ, साक्षी के शरीर में बाल बहुत नरमाई लिए हुए होंगे, हालांकि अभी उसके शरीर के बाल साफ थे, पर लग ऐसा रहा था मानो यहाँ बाल कभी हुए ही ना हों। इस नरमाई को चाटने का अलग ही मजा है। मैंने सोचा कि यह किससे बाल साफ करती है, यह साक्षी से पूछूँगा, फिर स्नेहा को भी उसी से उसकी चूत व बगल के बाल हटाने को कहूँगा।
बगल चाटना साक्षी को भी अच्छा लग रहा था, वह अपने हाथ ऊपर उठाए हुए थी, उत्तेजना के कारण उसकी आँखें बंद थी। इसे अच्छे से चूसने-चाटने के बाद मैं अपनी जीभ बगल से रगड़कर स्तन पर लाया और एक निप्पल पर टिक गया। उसके स्तन का मज़ा एक नए तरीके से लेने के मूड में आकर मैंने निप्पल पर तो जीभ घुमाना जारी रखा। साथ ही अपने दोनों हाथ से स्तन को समेटकर प्रेस करने लगा।
यह योजना कारगर रही, साक्षी कुछ ही देर में दूसरा स्तन अपने हाथों से पकड़कर दबाने लगी। उसकी बेताबी देखकर मैंने एक तरफ के स्तन को छोड़, दूसरे तरफ के स्तन को ऐसा ही किया। स्तन और बगल को अच्छे से चाटने के बाद अब मैं अपनी जीभ इसके पेट से होते हुए नाभि, और फिर चूत पर आया। चूत के ऊपरी हिस्से को चूसने के बाद उसकी फली को मुँह में लेकर खींचा और जीभ जितनी अंदर जा सकती थी, करके आगे पीछे किया।
मेरे इस चूमने-चाटने के दौरान साक्षी के मुँह से गालियाँ ही निकलती रही- अबे मादरजात, जीभ से ही चोदेगा क्या भोसड़ी के? अपना लौड़ा क्या अपनी गाण्ड में घुसेड़ लिया हैं आदि आदि।
कुछ देर बाद उसके मुँह से इन सब बातों के बदले गालियों भरी सिसकारी निकलने लगी। उसकी चूत से भी रज निकलना शुरू हो गया। लिहाजा अब मैं चूत से मुँह हटाकर उसके होंठ पर लाया, होंठों को अपने मुँह में दबाकर लौड़े को उसकी चूत में लगाया और एक तगड़ा झटका मारा।
वह इससे उछल गई। पहली बार में ही करीब आधा लौड़ा भीतर हो गया। इससे वह मेरे सीने में हाथ रखकर पीछे करने लगी यह कहते हुए- फट गई रे मेरी चूत।
पर अब मैं रूका नहीं और उसके मुँह में ही अपना मुँह अड़ाकर फिर झटके देने जारी रखा। कुछ ही देर में मेरा लौड़ा उसकी चूत में पूरा अंदर समा गया। इससे कुछ देर तड़पने के बाद वह मस्त हुई और नीचे से झटके लगाने लगी।
कुछ ही देर में उसने झटके देने की अपनी स्पीड बढ़ाई और फिर मुझसे चिपक गई। कुछ ही देर में मैंने भी उसकी चूत में ही अपना माल छोड़ दिया। हम दोनों यूं ही चिपक कर पड़े रहे।
कुछ देर बाद वह उठी और यूरिनल की ओर बढ़ी।
उसके लौटने पर मैं भी ‘आता हूँ !’ बोलकर यूरिनल गया और पेशाब करके हाथ मुँह धोकर आया। आकर मैंने देखा साक्षी वैसे ही नंगी बैड पर थी।
मुझे देखकर बोली- चलो राजा, थोड़ी और चोदम चुदाई कर लें, क्यूंकि अंधेरा होने से पहले ही मुझे होस्टल पहुँचना पड़ेगा।
मैं बोला- तुम्हारा मूड तो बहुत जल्दी बनता है यार? बहुत खुजली है तुम्हारी चूत में तो?
वह बोली- खुजली है तो बहुत, पर अभी नहीं है। मैंने सोचा कि कहीं तुम कहीं यह बात ना सोचो कि मैं इतनी दूर से आया और मुझे जमकर चोदने को भी नहीं मिला। क्यूंकि टाइम पर मुझे हास्टल पहुँचना जरूरी है। इसलिए सोचा कि जब तक हैं और चुदाई कर लेते हैं। मैं बोला- क्या यार? मैं इतनी दूर से सिर्फ तुमसे मिलने आया। अपने मेहमान को शहर घुमाने का रिवाज नहीं है क्या आप लोगों में? वह बोली- ये सारी फारमेल्टी जानती हूँ, पर आप यहाँ कौन सा घूमने या शहर देखने आए हो? आप जिस काम से आए हो वह पूरा हो जाए बस। इसलिए मुझमें ही मेरी मां-बहन की शक्ल देखकर जी भर कर चोद लो। ताकि बाद में ना खले कि हम साथ में थे पर चुदाई कम की।
मैं बोला- साक्षी, मेरी जान, तुम्हें जितनी बार भी चोदूँगा, तुमसे दूर होकर तुम्हारी कमी खलेगी ही। और सिर्फ़ मेरा ही नहीं, तुम्हारे साथ जिसने भी सैक्स किया होगा, हर उसकी यह हालत रहेगी। मैं यह नहीं बोल रहा कि अब हम चुदाई नहीं करेंगे, जरूर करेंगे पर मजा ले लेकर तुम्हे चोदूँगा, तभी तो मजा आएगा ना ! लगातार सिर्फ़ चुदाई में ही लगे रहना ठीक नहीं लगेगा।
वह बोली- ठीक है, जैसी मर्जी आपकी। अब क्या करेंगे बोलो।
मैं बोला- अभी यहाँ के बाजार चलते हैं। हमारी पहली मुलाकात याद रहे, ऐसा कुछ खरीदते हैं, फिर जल्दी से लौटकर लगेंगे, एक बार फिर।
वह पलंग से उठते हुए बोली- चलिए फिर, बाजार ही घूम लें।
वह वाशरूम गई और फ्रेश होकर आई। लौटकर कपड़े पहने, खुद को आईने में देखकर वह संतुष्ट होने तक संवरती रही। मैंने भी कंघी करके पैन्ट शर्ट पहना।
साक्षी बोली- ठीक दिख रही हूँ ना?
मैं बोला- अब ठीक नहीं, बहुत सुंदर दिख रही हो।
दोनों तैयार होकर रूम बंद करके बाहर आए। होटल के बाहर ही हमें टैक्सी मिल गई। साक्षी ने उसे बताया कि राजपुर रोड पर सिल्वर सिटी माल चलना है।
रास्ते में उसने मुझे बताया कि वहाँ अच्छा व ब्रांडेड माल मिलता है। रास्ते में वह मुझे देहरादून के विशेष स्थानों के बारे में भी बताती रही।
पहुँचकर मैंने उससे कहा- क्या लेना है बताओ, ताकि उसी दुकान में घुसा जाए।
वह अपने लिए कुछ भी लेने से मना करती रही, पर मेरी जिद से हारकर बोली- कुछ भी जो आपको पसंद आए, वह ले लीजिए। आखिरकार मैंने उसके लिए एक ब्रा-पैन्टी का सेट व उसकी पसंद का एक जीन्स व टीशर्ट लिया। इसके अलावा यहाँ से हमने स्नेहा के लिए भी एक साड़ी खरीदी।
खरीददारी के बाद साक्षी ने मुझे वहाँ का मार्केट घुमाया, साथ ही हमने वहाँ पकौड़ी व गुपचुप भी खाए।
मैं बोला- चलो अब, चलकर चोदना भी है, फिर तुम्हें हॉस्टल भी जाना है, 5 बजने ही वाले हैं।
हम लोगों ने टैक्सी पकड़ी और होटल पहुँचे। रूम में पहुँचकर साक्षी मुझसे लिपट गई और बोली- कल इसी ड्रेस को पहनकर आऊँगी मैं ! मेरी सभी सहेलियाँ सोच में पड़ जाएँगी कि मैं अभी घर भी नहीं गई फिर नई ड्रेस कहाँ से आ गई मेरे पास।
मैं बोला- तो क्या बोलोगी?
वह बोली- बोल दूँगी कि मेरे पापा के फ्रेंड ने दी है।
मुझे उस पर बहुत प्यार आ रहा था, मैंने उसे अपनी बाजूओं में जकड़ा और उसके होंठ से अपने होंठ चिपकाकर किस किया। साथ ही कुर्ता उतारने के लिए हुक खोलने लगा, पर वह बोली- इसे रहने दे ना यार। सलवार उतार देती हूँ, इसे अभी ऊपर से ही प्यार कर लेना। यह बोलकर उसने सलवार का नाड़ा खोलकर सलवार और पैन्टी को उतारकर वहीं मेज पर डाल दी। नीचे से नंगी होने के बाद उसने मेरे होंठों से अपने होंठ जोड़ दिए। साथ ही उसके हाथ मेरे लौड़े को सहलाने लगे।
लण्ड तन गया था, उसने मेरे पैन्ट की चेन को सरकाया, मैंने अपनी पैन्ट व अंडरवियर उतारकर वहीं डल दिया। मैं उसके स्तन सहला रहा था।
अब मैंने अपनी गोद में उठाया और बैड पर लाकर लिटा दिया। पलंग पर आते ही उसने मेरे लण्ड को पकड़ अपना मुँह उस पर लगा दिया। उसके मुँह में मेरे लण्ड का सुपाड़ा भी पूरा नहीं आ रहा था। तो उसने इसे अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया।
मुझे ऐसे खाली रहने से बेचैनी लग रही थी, इसलिए मैं घूमकर उसकी चूत पर आ गया।
अब हम 69 की पोजिशन में थे। उसकी चूत को चाटते हुए अपना जल्दी ना गिरे, इसका उपाय भी करना था। अब मेरा टारगेट उसे अधिक उत्तेजित करना था, ताकि उसका जल्दी गिरे। तो मैं हाथ से उसकी चूत की फली को सहलाना और चूत के छेद में जितना अधिक अंदर हो सके जीभ पहुँचाने लगा। उसकी चूत से रज बहने लगा था, यह भीगी थी, कुछ मेरे थूक से और बहुत कुछ उसके रज से।
पर अब साक्षी ने मेरे लण्ड से अपना मुँह हटाया और बोली- वहाँ अब जीभ नहीं, लण्ड घुसेड़ भोसड़ी के।
मैं भी घूमा और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उसने मेरे लौड़े को अपनी चूत पर रखा, मैंने झटका दिया। अब उसके मुँह से उह… आह… फ़ाड़ डालो साली को, जैसी आवाजें निकलने लगी। पर साक्षी के साथ मैंने यह ध्यान किया कि अभी थोड़ी देर पहले ही उसकी चूत में मेरा पूरा लण्ड घुसा था, इसके बावजूद अब फिर लौड़े को अंदर जाने में दिक्कत हो रही थी। क्या किया उसने इतनी जल्दी जो चूत फिर से टाइट हो गई?
जिज्ञासा तो हुई, पर बाद में पूछूँगा यह सोचकर रह गया। मैं उठा व अपने शेविंग किट में से वैसलीन निकाल कर अपने लौड़े के अलावा उसकी चूत में भी लगाई ताकि अब मेरा लौड़ा आसानी से उसकी चूत में जाए।
वैसलीन लगाने के बाद अब मैंने उसके बाल पकड़कर होंठों को अपने होंठों की गिरफ्त में लिया, उसके लबों व मुँह पर अपनी जीभ व मुँह की छाप छोड़ने के साथ ही मैंने अपने लौड़े को उसकी चूत पर रखा और भीतर की ओर दबाव बढ़ाया। लण्ड व चूत में चिकनाई लगी होने के कारण लण्ड भीतर आराम से गया।
लौड़े के भीतर जाते समय तक साक्षी थोड़ा छटपटाई पर फिर वैसा ही उछलकर साथ देने लगी।
चुदाई का यह दौर भी ज्यादा देर तक नहीं चला, जल्दी ही दोनों का माल गिर गया। काम निपटते ही वह खड़ी हुई और सलवार पहनकर जाने के लिए तैयार हो गई।
मैं भी तैयार हुआ और उसे नीचे तक छोड़ने गया। वहाँ टैक्सी वाला था नहीं। वह बोली- कुछ ही दूरी पर टैक्सी स्टैंड है, वहाँ से मिल जाएगी।
हम टैक्सी स्टैंड की ओर बढ़ चले। रास्ते में उसने पूछा- आपने तो बहुतों के साथ सैक्स किया है, पर सही बोलना, मेरे साथ सैक्स में कैसा लगा आपको?
मैं बोला- बहुत अच्छा लगा। पूरी बात बताने लगा, तो फिर यह रात भी कम पड़ेगी। सो इसे दो लाईन में समेट रहा हूँ, डिटेल इससे ही समझ लेना,
साक्षी की… ब्रा खुली तो शकालका बूमबूम, पैन्टी खुली तो खुल जा सिमसिम !
अंदर डाला तो क्या मस्ती क्या धूम, बाहर निकाला तो ठण्डा-ठण्डा, कूल कूल !!
वह हंसी और बोली- टाइम पास के लिए ये भी बढ़िया है।
मैं बोला- हाँ टाइम ही तो पास करना है। अच्छा, मुझे तुमसे दो बातें जाननी हैं, मुझे आशा है कि इनका जवाब मुझे सही-सही मिल जाएगा।
वह बोली- हाँ, पूछिए ना !
मैं बोला- पहली बात यह कि तुम अपनी चूत और अंडर आर्म्स के बाल किससे साफ करती हो?
वह हंसी फिर बोली- यहाँ के बालों पर मैंने कभी ब्लेड नहीं चलाया, हेयर रिमूवर क्रीम भी कभी मजबूरी में ही लगाई है।
मैं चौंका- फिर साफ किससे करती हो?
वह बोली- मैं वैक्सिंग करती हूँ यहाँ।
मैं चौंका- चूत और बगल के बाल को भी वैक्सिंग से ही निकालती हो?
वह बोली- हाँ, मैंने बताया ना, कि वहाँ के बाल कड़े हो जाएँ, ऐसा कुछ करती ही नहीं हूँ मैं।
मैं बोला- वाह गजब है, पहले सोचा था कि स्नेहा को भी ऐसे ही बाल साफ करने को कहूँगा, ताकि तुम्हारे जैसा मजा उसमें भी मिले। पर वैक्सिंग उससे करवाऊँगा तो उसकी चमड़ी ही निकल जाएगी।
वह हंसने लगी, बोली- यहाँ के बाल नरम रहें इसके लिए आप स्नेहाजी से मेरी बात करा देना। मैं उन्हें आइडिया दे दूँगी जिससे बाल बहुत नर्म आएंगे।
मैं बोला- ठीक है।
वह बोली- और दूसरी बात कौन सी है?
मैं बोला- यह तुम्हारी चूत से संबधित है। मैंने आज तुम्हारी चूत में तीन बार लण्ड डाला, और पहले भी तुम बढ़िया लौड़ों से भी चुदा चुकी हो, फिर क्या कारण हैं थोड़ी देर पहले ही तुम्हारी चूत जिस लण्ड को पूरा ले चुकी होती है उसे दुबारा वहीं घुसाने में फिर परेशानी होती है।
वह बोली- अबे चूत मारी के, अब चोद चुका है ना उसको, फिर उसकी जासूसी क्यों कर रहा है?
मैं बोला- ओह्हो… सीधे से बता ना कि चूत को टाइट करने के लिए तू क्या करती है, यदि दवाई खाती है तो उसका भी नाम बता ताकि मैं इसे अपनी दोस्तों को दे सकूँ।
साक्षी बोली- चोद लिया है भोसड़ी के, फिर भी चूत के चक्कर में ही पड़ा हुआ है।
मैं बोला- अबे यह कोई नया चक्कर नहीं है बहनचोद। पुराने दोस्तों के लिए ही जान रहा हूँ ताकि वो खुश रहें।
वह बोली- मैंने पहले ही बोला था ना कि मेडीसिन की क्लास में भी मैं इस चक्कर में ही लगी रहती कि चूत को टाइट रखने का जुगाड़ तो ढ़ूंढ ही लूँ। सो इस पर बहुत ध्यान लगाकर रखती, पर कोई बढ़िया मेडीसिन इसके लिए नहीं हैं। आखिरकार क्लास के काफी लेक्चर सुनने और टीचर्स की एडवाइस पर मुझे इसकी दवाई मिल गई, जो असर डालती ही है कोई रिएक्शन भी नहीं करती है।
मैं बोला- हाँ, नाम तो बताओ दवाई का।
वह बोली- ऐसे फोकट में ही?
मैं बोला- चल ना मादरचोद, मांग ले फीस जो मांगनी है।
वह बोली- मांगू ना पक्का? गाण्ड तो नहीं फटेगी तेरी?
मैं बोला- अब हजार बार तेरी चूत को चोदूं भोसड़ी की, यहाँ पूरा का पूरा मैं मेरा बैग, पर्स, क्रेडिट कार्ड सब है चूतमारी की, जो बोलेगी वो दूँगा बोल क्या मांगती है।
साक्षी बोली- आ गया ना पटरी पर गाण्डू। चल पहले शर्त रखती हूँ फिर दवाई बताऊंगी।
मैं बोला- हाँ बता !
वह बोली- मेरी एक सहेली है, मंजू नाम है उसका, कल वह मेरे साथ होगी, तो तुझे हम दोनों को चोदना होगा।
मैं बोला- अबे, यह तू फीस ले रही है या इनाम दे रही है?
वह बोली- नहीं यार, तुझे मैं शरम के कारण कुछ बोल नहीं पाई। यह मेरी बहुत अच्छी सहेली है, अभी तक किसी से भी चुदवाया नहीं है उसने ! उसे भी मजा लेना है, सो कल मेरे साथ ही आएगी तो हमारी हेल्प कर देना इसमें यार प्लीज।
मैं बोला- यार, तू पहले ऐसे ही बोली होती तब भी हम सैक्स साथ में ही कर लेते, वो कोई बड़ी बात थोड़ी ना है।
वह बोली- थैंक्स यार ! हाँ, अब तेरी दोस्तों की चूत टाइट रखने का आइडिया दे रही हूँ।
वह आगे कुछ बोलती, इससे पहले ही हमारे पास से एक टैक्सी निकली। साक्षी ने टैक्सी वाले को जोर से आवाज दी।
गाड़ी रूकी और वह दौड़ पड़ी, उसके पीछे मैं भी भागा। टैक्सी के पास पहुँचकर इसने ड्राइवर से बात की और टैक्सी में बैठ गई।
मेरे पास पहुँचते तक ड्राइवर गाड़ी की स्पीड बढ़ाने लगा।
तभी साक्षी चिल्लाई- सुबह हम करीब 11 बजे आएँगे। बाकी बात तब ही करेंगे।
मैंने उसे टा टा किया, और वापस चल पड़ा अपनी होटल की ओर।
साक्षी के साथ जमकर चल रही रंगरेलियों के इस दौर में कल उसकी सहेली मंजू भी जुड़ जाएगी, यह सोचकर मैं खुशी-खुशी अपनी होटल पहुँचा और रूम में ही बैठकर टीवी देखने लगा।
कहानी के अगले भाग में बताऊँगा आगे का किस्सा। कहानी का यह भाग कैसा लगा, कृपया बताएँ ! [email protected]
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