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प्रेषक : आर्यन
अन्तर्वासना के सभी दोस्तों को आर्यन का प्रेम भरा नमस्कार !
दोस्तों, मेरा नाम आर्यन है, मैं यू पी का रहने वाला हूँ लेकिन काम के सिलसिले में मुम्बई, महाराष्ट्र में रहता हूँ।
मैं अन्तर्वासना की सभी कहानियाँ पढ़ चुका हूँ, आज मैं अपनी ज़िन्दगी की एक सच्ची कहानी आपके सामने पेश करने जा रहा हूँ।
यह कहानी आज से तीन साल पहले की है, उस वक्त मैं अपने शहर में ही अपना इवेन्ट-मैंनेजमैंट का बिज़नेस कर रहा था। मेरा बिज़नेस भी अच्छा चल रहा था और शहर में नाम भी था।
मेरी एक मुँहबोली बहन जिसका नाम सोनी है, जिसे मैं बहुत प्यार करता हूँ, वो मुझसे हर बात शेयर करती है, तो मेरी उसी बहन सोनी की एक बहुत ख़ास सहेली थी जिसका नाम था शुभ्रा !
मैं और शुभ्रा एक-दूसरे को काफ़ी अच्छी तरह से जानते थे क्योंकि वो काफ़ी पहले से मेरे घर आती थी मेरी बहन सोनी के साथ।
तो हुआ यूँ कि एक रोज़ सोनी ने मुझे फ़ोन किया और कहा- भैया, मुझे आपकी मदद चाहिए।
मैं– हाँ, बोलो बेटा, कैसी मदद?
सोनी- भैया, मेरी सहेली है ना शुभ्रा… उसे कालेज में आज फ़ार्म जमा करना था, पर वो जल्दी में घर पर ही भूल गई और जब फ़ार्म लेकर कालेज आये तब तक समय निकल चुका था। वो बहुत परेशान है, आपकी जान-पहचान है…प्लीज़ कुछ कीजिए।
मैं– ओके… मैं करा दूँगा… पर यह लापरवाही अच्छी नहीं… आगे से ध्यान रखना !
उसके बाद मैंने उसका काम करा दिया, मेरे लिये वो मामूली सी बात थी क्योंकि मैं खुद उस कालेज में पढ़ चुका था और पूरा स्टाफ़ मुझे जानता था।
खैर उस दिन के बाद शुभ्रा किसी न किसी बहाने से मुझसे बात किया करती थी, मुझे भी कोई फ़र्क नहीं पड़ता था क्योंकि मैं उसे जानता था।
एक दिन अचानक एक अन्जान नम्बर से मुझे फ़ोन आया, फ़ोन करने वाली एक लड़की थी…
जैसे ही मैंने फ़ोन रिसीव किया, एक प्यारी सी आवाज़ आई- हैलो, क्या मैं आर्यन से बात कर सकती हूँ?
मैंने पूछा- आप कौन हैं और आर्यन से क्या काम है?
तो वो बोली- आप आर्यन ही हैं ना?
मैंने भी कहा- हाँ !
मेरे हाँ बोलते ही उसने कहा- आर्यन, आई लव यू !
यह बोलकर उसने फ़ोन काट दिया… मैं सोचता रहा कि यह थी कौन…
दोस्तो, आप में से कई लोगों के साथ ऐसा हुआ होगा… आप तो समझ ही सकते हो कि वो अहसास कैसा होता है… उस दिन से न जाने उस नम्बर से मुझे ऐसे रोमांटिक फ़ोन और मैसेज आने शुरू हो गये और जब मैं फ़ोन करता तो स्विच आफ़ होता…
मैं परेशान हो चुका था… जिज्ञासा बढ़ चुकी थी उस लड़की से मिलने की ! सच कहूँ तो कहीं न कहीं उस अन्जान आवाज़ से प्यार हो चुका था…
मैं बेचैन सा रहने लगा…
एक रोज़ मैं अपनी बहन के घर गया और उसे सारी बात बताई…
वो ज़ोर से हंसी और बोली- लगता है, मेरे भाई को भी प्यार हो ही गया !
मैंने उसे समझाने की कोशिश की…
तब तक उसकी सहेली शुभ्रा वहाँ आ गई तो मेरी बहन ने उसे भी सारी बात बताई, पर उसने कोई रुचि नहीं दिखाई बल्कि मुझसे पूछने लगी कि मेरे दिल में क्या है।
मैंने कुछ भी नहीं कहा तो वो मुझे इस तरह देखने लगी जैसे कुछ पूछना या बताना चाह रही हो।
मुझे कुछ शक हुआ पर मैंने कुछ कहा नहीं।
एक दिन मैं ऑफ़िस में था, मेरा एक पुराना मित्र मुझसे मिलने आया तो मैंने उसे यह सारी बात बताई, तो उसने मुझसे वो नम्बर पूछा।
मैंने उसे नम्बर दिया… उसने अपने एक मित्र से उस नम्बर की डिटेल निकलवाई क्योंकि उसका मित्र उसी कम्पनी में काम करता था जिसका वो नम्बर था। डिटेल मिलते ही मुझे झटका लगा क्योंकि वो नम्बर शुभ्रा के नाम पर था।
अब सब कुछ साफ़ था… अब मेरी बारी थी… मैंने एक खेल खेला, मैंने अपनी बहन को बताया कि मेरी एक पुरानी फ़्रैंड है जिसे मैं पसन्द करता हूँ।
मेरी बहन ने बातों बातों में ये बात शुभ्रा को बता दी, यह सुनकर उसे झटका लगा और वो सीधे मेरे ऑफ़िस आ गई।
मैं अपने रूम में था, वो सीधे मेरे पास आई और मेरा कॉलर पकड़ कर बोली- कौन है वो जिसे तुम पसन्द करते हो?
मैं उसे देखता रह गया… फिर मैंने उसे बोला कि तुम्हें क्या लेना देना?
तो वो बोली- मुझे नहीं तो किसे मतलब होगा…? मैं कितने सालों से तुमसे प्यार करती हूँ और कोई और तुम्हें मुझसे छीन ले जाये?
मैं उसे देखता रह गया, कुछ देर बाद जब उसे समझ आया कि वो क्या-क्या बोल गई तो मुझसे नज़रें चुराने लगी।
मैंने अपने हाथों से उसके चेहरे को अपनी चेहरे की तरफ़ उठाया और आँख़ों में आँख़ें डालकर कहा- मैं तुम्हारे मुँह से ये सुनना चाहता था क्योंकि मैं जानता था कि वो फ़ोन तुम करती थी !
मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके गुलाबी, सुर्ख होंठों को अपने होंठों में भरकर ज़ोर से किस करने लगा…
वो मस्ती में आकर सिसकारियाँ लेने लगी…
मैंने उसके होंठों से होते हुए गालों पर, कान पर और फिर गर्दन पर चुम्बन करना चालू रखा… वो पूरी तरह मस्ती में आ चुकी थी… उसकी साँसें गहरी होती जा रही थी…
जैसे ही मैंने अपने हाथ उसकी उभरी हुई चूचियों पर रखकर उन्हें हल्के से दबाया, उसके मुँह से एक प्यारी सी आह निकली…
मैंने हल्के-हल्के दबाना चालू रखा और वो गरम होने लगी…
मैंने उसके टॉप को उतार दिया और उसे अपनी जांघों पर बैठा लिया और उसकी चूचियों से खेलना जारी रखा… फिर गोद मे बैठे-बैठे मैंने उसे सोफ़े पर लिटा दिया और अब उसकी जींस को खोला। उसने काली पैंटी पहन रखी थी। मैंने पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत पर चुम्बन किया, वो गीली हो चुकी थी, फिर मैंने दाँतों से उसकी पैंटी को खींचकर उतारा।
दोस्तो, क्या चिकनी क्लीन शेव्ड चूत थी…
मैंने तुरन्त वहाँ चूमना और चूसना चालू किया…
शुभ्रा की हालत बिन जल मछली जैसी हो गई, वो तड़पने लगी और सिसकारियाँ लेने लगी… मेरे सिर को अपनी चूत में दबाने लगी और झड़ गई…
अब वो मेरे होंठों को चूस रही थी, अचानक उसने मेरे लण्ड को पैंट के ऊपर से ही रगड़ना शुरू कर दिया…फिर मैंने भी कपड़े उतारे और सीधे मेरे छः लम्बे लण्ड को मुँह मे भरकर चूसना चालू किया…
ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई बच्चा लॉलीपाप को ज़ोर ज़ोर से चूस रहा हो…
मैं उसकी चूत और गाण्ड को सहलाता जा रहा था… तभी वो अचानक मुड़ी और बोली- आर्यन, अब नहीं सहा जाता… प्लीज़ फ़क मी… आई वान्ट टू फ़ील यू कमप्लीटली… कम ऑन…
मैंने भी उसकी बेकरारी को और न बढ़ाते हुए अपने लण्ड को उसकी चूत पर रखकर दबाया… थोड़ा सा ही गया था कि वो तड़पने लगी…
मैं उसे चूमने लगा और पूछा- ज्यादा दर्द हो रहा है?
तो उसने कहा- तुम्हें पाने की खुशी के आगे यह दर्द कुछ नहीं…
मैंने उसे किस किया और फिर एक झटके में पूरा लण्ड उसकी चूत में उतर गया।
फिर वही भावनाओं की लहर और दो जिस्मों का मिलन…
और जब मेरा आने को हुआ तो उसने कहा- अन्दर ही छोड़ दो !
तब मैंने उसे मना किया क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि कोई खतरा मोल लिया जाये और बाद में उसे तकलीफ हो…
उसने मुझे चूमा और फिर मेरा लण्ड मुँह में ही ले लिया और मैं उसके मुँह में ही झड़ गया।
वो बहुत खुश थी पर मैं परेशान कि क्या कोई मंज़िल है इस रिश्ते की…??
आज उसकी शादी हो चुकी है… वो खुश है पर मैं बेकरार… आज भी दिल कर रहा है किसी का इन्तजार… क्योंकि आज भी दिल में मौजूद है ‘कशिश प्यार की’…
दोस्तो, मेरी यह कहानी आपको कैसी लगी, मुझे बताइएगा ज़रूर !
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