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प्रेषक : धर्मेश पडियार
हेलो दोस्तो, मैं विकास, सूरत गुजरात का रहने वाला हूँ, अन्तर्वासना का बहुत समय से पाठक हूँ, मुझे भी लगा कि मुझे भी कुछ लिखना चाहिए ताकि मैं भी आप सभी पाठको कों मेरे साथ घटी घटनाओं में शामिल कर सकूँ।
यह मेरी सच्ची कहानी है।
बात उस समय की है जब मैं 20 साल का था और मैं कॉलेज के तीसरे साल में पढ़ता था।
मेरे घर के बिल्कुल सामने एक आंटी रहती थी लगभग 30 साल की होगी, उनका नाम था दिव्या आंटी ! अभी नए नए ही भाड़े से रहने के लिए आये थे और हमारा घर सामने होने की वजह से हम सब लोग काफी घुलमिल गए थे। उनके पति जो किसी कम्पनी में मार्केटिंग मैनेजर थे और महीने में 15 दिन तो बाहर ही रहते थे। उनकी एक बेटी है जो हॉस्टल में रह कर पढ़ती है।
बात उस दिन की है जब मेरे घरवाले सभी कहीं हमारे रिश्तेदारी में जा रहे थे पर मेरी परीक्षा की वजह से मम्मी के जाने में रूकावट आ रही थी पर आंटी को इस बारे में पता चला तो उन्होंने मेरी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली और मम्मी भी अब जाने की तैयारी में जुट गई। पर जाते जाते वो मेरे लिए काफी खाने पीने का सामान रख कर मुझे समझाने लगी कि सामने वाली दिव्या आंटी तुम्हारे लिए सारा खाना बना देगी और उनको बुला लेना, वो बर्तन आदि भी धो देगी, तुम बस पढ़ाई करना, बाकी काम में व्यस्त मत हो जाना।और आखिर दो दिन के बाद मेरे घर वाले सब जाने के लिए निकलने लगे तो दिव्या आंटी को धन्यवाद कहा और निकल गए।
अब घर में बचा मैं अकेला, मैंने किताब निकाली और पढ़ने बैठ गया।
रात को करीब नौ बजे मेरे दरवाजे पे घंटी बजी, मैंने दरवाजा खोला तो सामने दिव्या आंटी खड़ी थी, वो मुझे खाने के लिए बुलाने आई थी, मैं उनके घर चला गया।
मैं जाकर सोफे पर बैठा और टी.वी. देख रहा था। तभी आँटी ने मेरे सामने सैंटर टेबल पर खाना परोसा, खाना परोसते वक्त वो ठीक मेरे सामने आकर झुकी, तभी मैंने पहली बार उनके बड़े बड़े बूब्स देखे, क्योंकि वो मेरे सामने झुकी हुई थी। पर तब मेरे मन में उनके लिए कोई बुरा ख्याल नहीं आया और हम दोनों ने खाना खाया और मैं अपने घर आकर सोने चला गया।
रात को जब मैं सोने की कोशिश कर रहा था, तभी मुझे आंटी का ख्याल आया, उनके बड़े बड़े बूब्स जैसे मेरे सामने आ गए और जैसे मैं उन्हें दबा रहा हूँ, ऐसा ख्याल आने पर मैंने उस दिन आंटी के नाम की मुठ मारी और फिर नहा कर सो गया।
दूसरे दिन सुबह तो मैं जल्दी उठ कर लायब्रेरी चला गया और रात को करीब आठ बजे लौटा तो आंटी आई और मेरे लिए चाय बना कर दी। मैंने चाय पी और कहा- मैं थोड़ी देर के बाद खाना खाने आ जाऊँगा।
आंटी चली गई। मैं थोड़ी देर आराम करने के बाद आंटी के घर गया तो आंटी ने कहा- सुबह तुम चाबी देकर नहीं गए थे तो तुम्हारे कपड़े कैसे धोती? अभी तुम एक काम करना, मैं भी अकेली ही हूँ, तो तुम यहीं पर ही सो जाना ताकि मुझे दो जगह पर सफाई न करनी पड़े और तुम्हें भी कोई दिक्कत नहीं होगी।
मैंने कहा- ठीक है आंटी !
फिर हम दोनों ने खाना खाया और सोने की तैयारी करने लगे।
तभी आंटी ने कहा- विकास तुम मेरे कमरे में ही सो जाना, वहाँ ऐ.सी. है तो तुम्हें गर्मी भी नहीं लगेगी और जब दिल करे तब तक पढ़ाई करना और फिर लाइट बंद करके सो जाना !
मैंने कहा- ठीक है आंटी, आप सो जाओ ! और वो कपड़े बदल कर सो गई,
वो मेरी और पीठ करके सोई थी तो मैंने देखा कि आंटी ने क्या ड्रेस पहनी था, ओह मेरा तो लण्ड जैसे फनफ़नाने लगा। उन्होंने हल्के गुलाबी रंग की नाईटी पहनी थी और वो इतनी झीनी थी कि मुझे रोशनी में उनके कूल्हे और उनकी काली ब्रा-पेंटी साफ साफ दिखाई दे रही थी।
यह देख कर ही मेरा लंड मानो पैंट से बाहर आने को बेताब हो गया और मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था तो मैंने बत्ती बुझाई और पैंट में हाथ डाल कर लन्ड हिलाने लगा और आंटी के चूतड़ों को घूरने लगा। दोस्तो, सही कहूँ तो मेरे हालात ही कुछ ऐसे थे कि मैं खुद को रोक नहीं पा रहा था, पर कुछ कर भी तो नहीं सकता था तो मैं पलंग पर ही लेट कर चादर सर के ऊपर तक लेकर आंटी के नाम की मुठ मारने लगा और मुझे तो पता ही नहीं चला कि कब आंटी नींद से जग गई और मेरे हिलते बदन को देख रही हैं।
मेरा लण्ड 6″ लम्बा और 2″ मोटा है। जब मेरा पानी निकल गया तो मैंने सर से चादर हटाई और आंटी को मुझे घूरते देख मेरा चेहरा जैसे लाल हो गया और मेरी गाण्ड फटने लगी कि विकास, आज तो तू गया ! और मैं खुद को कोसने लगा।
मुझे खुद पर इतनी शर्म आई कि मैं तुरन्त अपने घर आ गया।
दोस्तो, मेरी कहानी आपको कैसी लगी, मुझे मेल जरुर करिएगा !
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