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प्रेषक : साहिल
हाय दोस्तो,
यह बात तब की है जब मैं अपने ननिहाल गाँव में गया हुआ था गर्मियों की छुट्टी में ! एक दिन मैं अपने दोस्त मुकेश के घर गया था और उसी के घर में रुकने की बात थी मेरी रात को। उसके घर में तो मैं वैसे कई बार गया था पर कभी रात को रुका नहीं था, उस दिन उसने काफी जिद की थी तो मैंने रुकने का तय कर लिया था।
उस दिन शाम को उसके पिता जी रात को खेतों में चले गए थे और वहीं ट्यूबवेल के कमरे ही सोना था उन्हें, उसके घर में हम दोनों थे और उसकी मम्मी प्रियंका थी, जिन पर मैंने शुरू शुरू में ज्यादा ध्यान नहीं दिया था। पर जब मैंने उन पर थोड़ा ध्यान दिया तो मुझे वो मस्त लगी क्योंकि उनके कूल्हे बड़े बड़े और बड़े बड़े ही चुच्चे थे, जो उनके जिस्म पे कमाल के लग रहे थे। वो मेरे ननिहाल की थी तो मक़िं उन्हें मामी कहता था।
मैंने और मुकेश ने खाना खाया और फिर हम दोनों उसके कमरे में चले गए सोने के लिए।
हम दोनों लेट के बातें कर रहे थे कि उसके पिताजी ने फोन किया और उसे बुला लिया खेतों में जहाँ वो काम कर रहे थे।
वो चला गया और फिर मैं अकेला हो गया।
मैं उसके घर में यहाँ वहाँ घूमने लगा और फिर घूमते घूमते मामी के कमरे में चला गया।
मामी मुझे बोली- अरे आओ आओ ! अंदर आओ, तुम तो जबसे घर में आये हो, मुझसे एक बार भी बात नहीं की?
मैंने कहा- ऐसी कोई बात नहीं है मामी, वो क्या है कि हम आज बहुत घूमे हैं न तो पैरों में काफी दर्द हो रहा है, इसीलिए हम सोने लगे था कि मामा का फोन आया, इसीलिए मुकेश तो चला गया, मैं अकेला रह गया। अब मैं क्या करता इसीलिए यहाँ आ गया, वरना पैरों में दर्द हो रहा है, मैं आता ही नहीं।
“पैरों में दर्द हो रहा है क्या? लाओ मैं दबा देती हूँ, वैसे तुम्हारे मामा भी बोलते हैं तो मैं उनके भी दबा देती हूँ।”
“ठीक है, आप बोल रही हो तो दबा दो, पर अगर कोई देख लेगा तो?”
“अरे अब कौन आएगा इतनी रात को? आओ यहाँ पैर ऊपर कर के बैठ जाओ।”
मैं पैर ऊपर कर के बैठ गया और मामी के कहने से अपना पजामा ऊपर कर दिया और मामी मेरे पैरों में तेल लगाने लगी।
पजामा घुटने के ऊपर ही नहीं जा रहा था तो तेल लगाने में दिक्कत हो रही थी, मामी ने कहा- पजामा उतार दो, तब अच्छे से तेल लगा सकती हूँ।
मैंने कहा- मुझे अजीब सा लगेगा आपके सामने में पजामा उतारने में !
“अरे मुझसे क्या शर्माना? मैं कोई पराई हूँ?”
मैंने पजामा उतार दिया और बिस्तर में लेट गया चड्डी में, फिर मामी मेरे पैरों में तेल लगाने लग गई।
उनके हाथ पड़ते ही मेरा एकदम से तन गया और कूदियाँ मारने लग गया। मैं अपने बनियान से बार बार अपने लंड को चड्डी के ऊपर ढकने की कोशिश कर रहा था पर मामी की तेज निगाहों से नहीं बच पाया।
“अरे रात बहुत हो गई है, आज तुम यहीं सो जाओ, वैसे भी मैं अकेले नहीं सोती हूँ और आज तुम्हारे मामा भी नहीं हैं।”
“ठीक है, मैं यही सो जाऊँगा।”
उन्होंने बत्ती बंद करके छोटी वाली बत्ती जला दी, अपनी साड़ी उतार दी और ब्लाउज़ के हुक खोल लिए।
“अरे, यह आप क्या कर रही?”
“मैं रात को ऐसे ही सोती हूँ !” और मामी मेरे बाजू में लेट गई, में बीच बीच में हिल हिल कर उनके चूचो को छू देता तो वो कुछ विरोध नहीं करती।
फिर मैं बार बार छूने लग गया पर वो कुछ नहीं बोली।
मेरे अंदर अब जोश भर चुका था और मैंने अब उनके छाती पर अपना हाथ रख दिया और चूचों को पकड़ के सहलाने लगा, वो कुछ नहीं बोली पर उनके मुँह से हल्की हल्की सिसकारियाँ निकलने लगी। मुझे अब लग रहा था कि मामी मज़े ले रही हैं तो मैंने उनके ब्लाउज़ को हटा दिया और उनके चूचों को मैंने दोनों हाथों से पकड़ लिया और मसलने लगा।
उनकी सिसकारियाँ अब तेज होने लगी और फिर कुछ देर के बाद मैं उनके चूचों को मुँह में लेकर चूसने लगा।
मामी मेरे सर पे हाथ रख के अपनी छाती से मुझे कसने लग गई और मैं उनके चुच्चों को और कस कस के चूसने लगा। हम दोनों को काफी मज़ा आ रहा था, मैं बीच बीच में उनके होठों को भी चूस देता और फिर से उनके चुच्चों को चूसने लग जाता।
मैंने उठ कर उनका पेटीकोट भी उतार दिया और उनकी चूत के ऊपर हाथ फेरने लगा।
वो भी झट से मेरा लंड पकड़ कर उसे कस कस के दबाने लगी। उनके लंड दबाने से मुझे काफी मज़ा आ रहा था, वो मेरा लंड दबाए जा रही थी और मैं उनके चुच्चे दबाए जा रहा था।
मैं फिर अपना लंड उनके मुँह के पास ले गया तो मामी ने एकदम उछल कर लंड को मुँह में ले लिया और जोर जोर से चूसने लगी। करीब दस मिनट तक मामी मेरा लंड चूसती रही, फिर वो मुझे बोली- अब तुम मेरी चूत चाटो।
मैंने मना कर दिया पर उन्होंने मुझे फिर से कहा तो मैं उनकी चूत के पास मुँह ले गया और उनकी चूत को चूमने लगा।
चूमते हुए उनकी चूत से इतनी मस्त महक आई कि मैं उनकी चूत का दीवाना हो गया और उनकी चूत चाटने लगा और काटने लगा। उनकी चूत से लगातर पानी जैसा कुछ रिस रहा था और जब मैंने उनकी चूत का रस चाटा तो नमकीन नमकीन सा लग रहा था और बहुत मज़ा भी आ रहा था। मैं बीच बीच में उनकी चूत में पूरी जीभ डाल देता और वो सिमट सी जाती और मेरे सर को पकड़ के अपनी चूत में घुसाने लग जाती थी।
वो फिर मेरे बालों को नोचते हुए बोली- और मत तड़पा और डाल अपना ये गोलू मोलू सा लंड मेरी चूत में, और नहीं सह सकती मैं ! डाल मेरी चूत में।
“जल्दी कर ज्ल्दी ई !” उन्होंने अपने पैर फ़ैला दिए और लेटी रही।
मैंने अपना लंड उनकी चूत के ऊपर रख दिया और रगड़ने लगा, वो अब कस कस के सिसकारियाँ भरने लगी और अपने सर को बिस्तर पर घिसने लगी और फिर मुझे नोचते हुए बोली- और कितना तड़पायेगा रे… जल्दी कर ना ! कब से तड़पा रहा है मुझे।
अब तो मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था, मैंने छेद पे लंड सटा दिया और धक्का दे दिया।
मामी को दर्द हुआ जो उनके चेहरे से पता चल गया पर मामी ने मुँह से आवाज़ नहीं निकाली और दर्द सह गई।
मेरे लंड ने मामी की चूत को भर दिया था।
अब मैंने धक्के लगाना शुरू कर दिया और उनकी चूत मारने लगा। मैंने मामी की टांगों को अपने कन्धों पर रख दिया और उनकी कमर पकड़ के कस कस के चोदने लगा।
मामी अब कराहने लगी थी और उ… उ उई… ईई… उफ्फ़… ह्म्म्म्म हाय हाय हाय करने लग गई थी।
उनको काफी मज़ा आ रहा था और वो मुझे भी वो मज़ा दे रही थी। अब मामी ने अपनी टांगों को मेरी कमर पे बाँध दिया और मुझे अपनी तरफ कसने लग गई। वो अब पता नहीं क्या क्या बड़बड़ा रही थी, मुँह से ऊईई… उफ़ उफ़… हम्म्म्म हा… हा… ईईई और… और जोर से… और जोर से ! बहुत मज़ा आ रहा है ! ह्म्म्म… और… और… हम्म और जोर से कर… कर… कर… और जोर हम्म्म्म… क्या लंड है तेरा… मज़ा आ गया… तुम्हारे मामा का मोटा लंड भी इतना मज़ा नहीं दे पाया आज तक… ह्म्म उ उ… ऐईईए… ह्म्म…अह्ह और जोर से… और जोर से करो।
अब उन्होंने मुझे नीचे लेटा दिया और बोली- तू आराम से लेट, अब मैं तेरे ऊपर चुदूंगी।
और वो मेरे लंड को चूत पे सेट करके उछल उछल कर चुदने लगी।
मैंने उनकी मदद करनी भी शुरू कर दी और उन्हें नीचे से कस कस के धक्के देने लगा।
थोड़े देर के बाद वो बोली- मेरा काम तो होने वाला है, मैं लेट जाती हूँ, तू मुझे चोद !
वो लेट गई, मैं उनके ऊपर आ गया और उन्हें कस कस के धक्के देने लगा। वो फिर से बड़बड़ाने लग गई पर मैंने कुछ नहीं सुना और उन्हें कस कस के धक्के पे धक्के देने लगा।
वो अचानक से अपनी गांड उठा उठा कर मुझे नीचे से चूत देने लग गई और मुझे उन्होंने कस के पकड़ लिया और अपनी नाख़ून गाड़ने लगी मेरे शरीर में।
वो बोलने लगी- अब मैं झड़ने वाली हूँ !
फिर मामी ने उ उ उ उई इस सेस हाय हय्हय सिस सिस उ उ उ उ करते हुए मुझे कस के गले लगा लिया और उनकी पकड़ ढीली हो गई।
अब तो मेरी भी हालत खराब हो चुकी थी, मैं भी झड़ने वाला था, मैंने उनको कहा- मेरा भी निकलने वाला है, कहाँ निकालूँ?
वो बोली- और कहाँ निकलेगा? जहाँ लंड है, वहीं निकाल दे !
और फिर मैंने अपनी गति बढ़ा दी और कस कस के उन्हें फिर से पेलने लगा पर कुछ पल से ज्यादा टिक नहीं पाया और उनकी चूत में ही झड़ गया।
थोड़ी देर के बाद मैं उनके ऊपर ही लेट गया और सो गया।
आधी रात को उन्होंने मुझे फिर से जगाया और फिर हमने फिर से चुदाई की और फिर सो गए।
सुबह उन्होंने मुझे जल्दी उठा दिया ताकि मैं दूसरे कमरे में जा सकूँ किसी के दखने से पहले ! मैं उठ कर मुकेश के कमरे में चला गया।
फिर सुबह करीब छः बजे मुकेश और मामा दोनों आ गए। इसके बाद मुझे उनकी चूत मारने का फिर से मौका नहीं मिला।
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