पेरिस में कामशास्त्र की क्लास-2

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प्रेषक : विक्की कुमार

आज हम दोनों का मन भरा नहीं था। जैसे ही चुदाई का एक दौर पूरा होता, तो कुछ देर बाद थकान मिटाने के बाद जैसे ही नार्मल होते, क्रिस्टीना मेरे लिंग महाराज को सहला कर अपने मुँह में लेती, वह फिर खड़ा हो जाता, इसके बाद हम फिर शुरु हो जाते।

हर बार नई स्टाइल ट्राय करने की कोशिश करते। क्रिस्टीना ने वह कामशास्त्र की किताब भी निकाल ली थी जो मैंने उसे दिल्ली में दी थी। अब हम चुन चुन कर आसन बना कर चुदाई कर रहे थे। अनवरत सात घंटे तक हम एक दूसरे के जिस्म को टटोलते रहे। शायद हम दोनों का शरीर बहुत लम्बे समय से भूखा था, उसे शांत करना जरूरी था।

फिर अंत में जब हम दोनों का थकान के मारे दम निकल गया व लगा कि अब शरीर में ओर ताकत नहीं बची है, तो फिर घड़ी की ओर देखा तो पता चला कि शाम के दस बज गये हैं। उस समय भी खिड़की में से धूप आ रही थी। गर्मियों में यूरोप में सूरज देर रात तक आसमान में रहता है, जबकी वहीं सर्दियों में शाम के चार बजे ही दिन अस्त हो जाता है।

किसी तरह हमने कुछ खाया। क्रिस्टीना ने पहले से मेरे लिये वेजेटेरियन खाना अरेंज कर रखा था। सिर्फ गर्म कर खाना था। मैंने उससे कहा कि वह चाहे तो नान-वेज खाना खा सकती है, पर उसका कहना था कि वह नान-वेज वैसे भी कम ही खाती है और जब तक मैं उसके साथ हूँ वह सिर्फ वेजेटेरियन ही खायेगी।

खाना खाने के बाद तो हम दोनों थक कर चूर हो चले थे, बदन का पोर-पोर दुख रहा था, अतः हम एक दूसरे की बाहों में कब सो गये पता ही नहीं चला।

अगले दिन सुबह लगभग आठ बजे दोनों की नींद लगभग एक साथ खुली। पहले तो इच्छा ही नहीं हुई कि एक दूसरे की बाहों से अलग हों, पर फ्रेश होने के लिये तो उठना ही था। फिर बिस्तर से उठते समय हमने तय किया था कि हम दोनों आज कोई कपड़ा नहीं पहनेंगे – पूरे दिन निर्वस्त्र रहेंगे, कोई फोन अटेंड नहीं करेंगे।

नाश्ता करने के बाद मैंने क्रिस्टीना को बताया कि कल की अनवरत काम क्रीड़ा के कारण मुझे बहुत थकान हो रही है, व नहाने का मन नहीं हो रहा है।

तो उसने कहा कि तुम चिन्ता मत करो। इस थकान का इलाज मेरे पास है।

अब उसने अलमारी से एक तेल की बोतल निकाली व मुझे एक चटाई पर लेट जाने को कहा। फिर उसने मेरे शरीर के प्रत्येक हिस्से की लगभग आधे घंटे तक मसाज की, मैं अपने आप को ताजा तरीन महसूस करने लगा। उसने बताया कि एक बौद्ध साधु से उसने एक हर्बल मालिश का तेल बनाने व उपयोग की विधि सीखी थी, जो बाडी मसाज के साथ ही हाथ-पैर, बदन दर्द, घुटनों का दर्द, जोड़ों का दर्द इत्यादि में बहुत उपयोगी है। पर मसाज करते समय जब भी वह अपने नाजुक हाथ मेरी जननेन्द्रियों के आस पास भी लाती तो मारे उत्तेजना के मेरे लिंग महाराज खड़े होकर उसे सलामी देने लगते।

मेरी यह हालत देखकर उसने कहा- थोड़ा सा धीरज रखो।

पर मैंने कहा- लंड है कि मानता नहीं।

तो उसने कहा- मैं अभी इसका इलाज कर देती हूँ।

फिर उसने एक सादा हेयर आयल निकाला व मेरे लिंग महाराज व अंडकोषों पर लगा दिया तो मैंने कहा- यहाँ भी वही मसाज आयल लगा दो ना?

तो उसने मना कर दिया- नहीं, वह बहुत तेल आयल है, ऐसी नाजुक जगह पर उसका उपयोग नहीं हो सकता, जलन होने लग जायेगी। फिर आहिस्ता-आहिस्ता मेरे लिंग को सहलाना शुरु कर दिया तो थोड़ी देर में वह तो बिल्कुल कड़क हो गया, वह समझ गई कि अब पानी छुट सकता है तो उसने तेजी से कुछ झटके दिये और जो पिचकारी छुटी की सामने से उसके कलश जैसे वक्ष व पेट भीग गये, और फिर मेरे भी लिंग महाराज शांत होकर विश्राम अवस्था में चले गये।

उसके बाद उसने मेरे पूरे शरीर की मसाज इस ढंग से की कि मेरी सारी थकान दूर हो गई और मैं अपने आपको चुस्त महसूस करने लगा।

तो अब मेरा भी कर्तव्य बनता था कि मैं भी उसकी भी थकान दूर करूँ क्योंकि वह बेचारी भी कल पूरी दोपहर से शाम तक मेरे साथ पलंग पर कुश्ती लड़ रही थी, तो वह भी मेरे ही समान ही थक गई होगी।

फिर ऊपर से उसने अभी मेरी मसाज करने से हुई थकान भी तो उस पर हावी हो रही होगी। पर समस्या यह थी कि मैंने इसके पहले कभी किसी की मसाज नहीं की थी।

तो उसने कहा- चिन्ता मत करो, मैं तुम्हें एक स्त्री के पूरे शरीर की मसाज कैसे होती है, यह तुम्हें सिखाऊँगी।

अब वह चटाई पर लेट गई, मैंने उसके बताये अनुसार उसके शरीर की मसाज शुरु की।

सबसे पहले हर्बल आयल अपने हाथों में लेकर मेने उसके एक पैर की तली पर लगाया व फिर उसकी मालिश की, फिर उसके बाद उसके पैर की अंगुलियों पर, फिर उसके बाद पैरों के जाईंट के निचले हिस्से की मालिश की व फिर उसके बाद टांगों के ऊपर के हिस्से को जो उसकी मुनिया के नजदीक तक पहले आहिस्ता आहिस्ता व फिर तेजी से रगड़ा की वह लाल हो गये। क्रिस्टीना वैसे बहुत गौरी चमड़ी की थी, व फिर ऊपर से मेरे हाथों की जोरदार मसाज तो, वह तो बिल्कुल ही लाल सुर्ख हो गई। पर मैंने ध्यान रखा कि मेरा हाथ उसके योनि प्रदेश को नहीं छुये क्योंकि उसी ने बताया था कि मसाज आईल बहुत स्ट्रांग है, व उससे जलन हो सकती है।

हालांकि जैसे ही मेरा हाथ उसके योनि प्रदेश तक जाता तो वह मारे उत्तेजना के तड़फने लगती। फिर उसी प्रकार उसके दूसरे पैर की भी मसाज की। इसके बाद नम्बर आया उसके हथेलियों का व फिर हाथों का, फिर उसकी पीठ का, गर्दन। फिर उसने खोपड़ी की चम्पी करना सिखाई। उसने मसाज तब तक कराई जब तक तेल उसके पूरे शरीर ने सोख नहीं लिया।

अब वह पीठ के बल पर लेट गई और उसके पेट की मसाज व अंत में वह जगह आ ही गई जिस पर हाथ फिराने के लिये मैं पिछले पौन घंटे से इन्तजार कर रहा था। नारी शरीर का सबसे खूबसूरत भाग, उसके स्तन। भगवान ने स्तन भी क्या चीज बनाई। दुनिया के किसी भी फल को देखकर मुँह में पानी आये ना आये, पर स्तन-फल को देखकर तो नब्बे साल का बुड्ढा भी अपने मुँह से लार टपकाने लगे। किसी तीन दिन के भूखे आदमी के सामने दो विकल्प रख दो कि या तो वह भरपेट हापुस आम चूस ले या फिर स्तन।

तो मेरा दावा है सौ में से निन्णायवे मर्द एक दिन और भउ?खा रहना पसंद कर लेगें, कि खाना तो चलो आज नहीं कल मिल ही जायेगा पर आज तो स्त्री स्तन को ही चूस कर अपने तन की आग को शांत कर लें।

अरे, वैसे भी मनुष्य को विज्ञान की भाषा में स्तनपायी जीव कहते हैं। पट्ठा आदमजाद, अपने पैदा होते ही सबसे पहले स्तन को ही अपने मुँह में लेता है। अब रही बात बचे हुए एक प्रतिशत मनुष्यों कि, जो स्तनों के बदले में हापुस आम चुसना पसंद करेंगे, वे शायद मर्द ही नहीं होंगे या फिर “गे” नामक प्रजाति के जीव होंगे।

क्रिस्टीना ने मुझे उरोजों को सही शेप में रखने व साईज बढ़ाने के लिये उस हर्बल आयल से मसाज करने की विधि बताई। उसके दोनों 34 इन्ची साईज के कठोर स्तनों की मसाज करते समय जो परम आनन्द मुझे प्राप्त हुआ, उसे किन्हीं शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता।

मैंने उससे वादा किया कि जब तक हम दोनों साथ है, मैं प्रतिदिन तुम्हारी मसाज किया करूँगा और ऐसा मैंने किया भी।

अब मैं लगभग एक घंटे तक मालिश करने के बाद थक चुका था, वहीं क्रिस्टीना अपने आपको तरो-ताजा महसूस करने लगी तो उसने कहा कि अब मैं तुम्हारी मसाज का सेकंड पार्ट भी कर दूँ।

तब मैंने कहा कि अरे अभी थोड़ी देर पहले ही तो तुमने मेरे पूरे शरीर की मसाज की है, अब क्या बाकी रह गया, तो उसने कहा मुस्कुराते हुए कहा- तुम देखते जाओ।

अब उसने स्वयं के पेट व पयोधरों पर ढेर सारा तेल मला व फिर मुझे पेट के दम पर उल्टे लेटने हो कहा। मैं मारे उत्सुकता के उल्टा लेट गया, अब मैंने देखा कि क्रिस्टीना ने ढेर सारा तेल मेरी पीठ व टांगों पर उड़ेल दिया। फिर मुझे मेरी पीठ पर दो नुकीली व मुलायम व कठोरता का संगम लिये वस्तु के चुभने का आभास हुआ। वह दोनों वस्तुएं मेरी पूरी पीठ पर दबाव बनाती हुई मसाज करने लगी। एक अद्वितीय मादक स्पर्श, तब मुझे समझ में आया कि क्रिस्टीना इस बार अपने हाथों के बजाय अपने दोनों स्तनों से मेरे बाडी मसाज कर रही है।

मैं मारे उत्तेजना के अपना होश खोने लगा। उसने जो ढेर सारा तेल उड़ेला था उसी का नतीजा था कि उसके दोनों स्तन बड़ी तेजी से मेरी पीठ पर फिसलते कर घर्षण करते हुए मसाज कर पा रहे थे। फिर उसने मेरी दोनों टांगों पर भी इसी तरह से मसाज की। फिर वह अपने स्तनों से मेरी गांड की मसाज कर मुझे उद्वेलित करने लगी। फिर वह मेरी गांड के छेद में तेल डाल कर अपने एक निप्पल को घुसड़ने की अधूरी कोशिश करने लग गई। मुझे लगा कि शायद यह आज अपने स्तनों से मेरी गांड मारने पूरी कोशिश कर कर ही दम लेगी।

मैंने सोचा भी नहीं था कि कोई लड़की मुझे इस प्रकार भी पागल कर सकती है। मैं एक स्ट्रेट आदमी, मैं यह कल्पना भी नहीं कर सकता कि कोई मेरी गांड को टच भी करे किन्तु आज क्रिस्टीना की यह असफल कोशिश भी मुझे आनन्द दे रही थी। यह अब मारे उत्तेजना के मेरे लिंग महाराज बिल्कुल खड़े हो गये अब मेरे लिये पेट के दम पर उल्टा लेट पाना असम्भव होने लग गया।

तो मैंने करवट बदल कर अपनी पीठ के बल पर लेट गया। अब हम दोनों के चेहरे आमने सामने थे। उस वक्त वह ग्रीक कथाओं में वर्णीत काम की देवी “एफ्रोडाईट” या रोमन देवी “विनस” की तरह लग रही थी। फिर उसने मेरी उसे बाहों में जकड़ने की कोशिश को असफल करते हुआ कुछ देर और चुपचाप लेटने को कहा। अब उसने ढेर सारा तेल मेरे पेट पर डाल दिया व अपने स्तनों से मेरी पेट की मालिश शुरु कर दी।

मुझे उसके स्तनों के दबाव से बिल्कुल मसाज का अनुभव हो रहा था। फिर उसने मेरे माथे, गाल, नाक व सिर की भी मालिश की।

अंत में उसने मेरे लिंग महाराज व अंडकोष पर भी तेल मलकर उसने अपने स्तनों से उनकी मालिश शुरु कर दी। एक हाहाकारी अनुभव, जिसने मेरे सोचने-समझने की शक्ती हर ली। उस वक्त मुझे भगवान याद आने लगे। मैंने सोचा कि चलो यह भी जरुरी है कि इस सुख के क्षणों में भी भगवान को याद कर लिया जाये क्योंकि नहीं तो कबीर दास जी फिर शिकायत करेंगे की, “दुख में सुमिरण सब करे, सुख में करे ना कोय। जो सुख में सुमिरण करे तो, देख काहे को होए।”

मेरे आस्तिक मन ने कहा, कि चलो अभी परम आनन्द की इस घड़ी में अगर मैं भगवान को याद कर लेता हूँ तो शायद भगवान मुझ गरीब पर रहम कर जिन्दगी भर इसी तरह की कृपा बरसाते रहेंगे।

फिर मसाज के दौरान ही उत्तेजीत होकर मैंने उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया। उसने भी छुटने का असफल नाटक व फिर मेरी बाहों में चली आई, व फिर शुरु हुआ चुदाई का एक दौर, जिसके बारे मे आप लोगों को बताने लायक कुछ नहीं था। वह बिल्कुल वैसा ही था जैसे आप लोग किया करते हैं।

कहानी जारी रहेगी।

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प्रकाशित : 23 अप्रैल 2013

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