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प्रेषिका : श्रद्धा वैद्य
प्रिय पाठको, यह मेरी सच्ची कहानी है, दस साल पुरानी बात है, मैं अमरावती में रहती थी, पापा और ममा नौकरी करते थे। मैं उनकी अकेली लाडली बेटी थी।
वे दफ़्तर चले जाते और मैं स्कूल ! शाम को हम घर आते, हमारा घर काफी बड़ा था इसलिये पापा ने सोचा कोई किरायेदार रख लेते हैं।
दो तीन दिन में ही एक युगल घर देखने के लिये आए, रेखा चाची और दिनेश चाचा… दोनों बहुत अच्छे थे, चाची की उम्र लगभग 25 थी और चाचा की लगभग 27 साल होगी। उनकी कोई संतान नहीं थी और वो मुझे बेटी जैसा ही समझते थे।
वे मुझे बहुत अच्छे लगते थे, चाची तो मुझे बस दूसरी माँ लगती क्योंकि जब भी ममा मुझे डाँटती तो वो मुझे लेकर अपने घर जाती, मेरी पसंद की चोकलेट और गुलाबजामुन देती। चाचा भी मुझे बहुत प्यार करते, कभी नहीं डाँटते !
लेकिन अचानक एक शाम को फोन आया कि भोपाल में मेरे सगे चाचा अनिल एक दुर्घटना के शिकार हो गए हैं। योगिता चाची वहाँ अकेली हैं, पापा और ममा को जाना ही था, पर मेरा आखरी पेपर दो दिन बाद था, ममा और पापा परेशान थे, जाना जरुरी था और मुझे अकेला कैसे छोड़ें !
तभी रेखा चाची और दिनेश चाचा वहाँ आये और बोले- चिंता की कोई बात नहीं, हम श्रद्धा को सम्भाल लेंगे।
ममा पापा का टेन्शन कम हो गया। मैं बहुत खुश थी क्योंकि मुझे चाचा-चाची पापा–ममा से भी ज्यादा पसंद थे।
पापा-ममा आठ दस दिन के लिये चले गये।
मेरा आखरी पेपर था, चाची ने कहा- आज ठीक से लिखना, आखरी पेपर है। घर आने के बाद हम आईसक्रीम खाने जायेंगे और मैं तुम्हारे लिये गुलाबजामुन भी बनाऊँगी।
चाचा मुझे स्कूल छोड़ने गए और लेने के लिये भी आये। घर में चाची ने गुलाबजामुन बनाये थे, मैंने कई गुलाबजामुन खाये।
दोपहर में मैं चाची के पास लेटी तो चाची ने पूछा- पेपर कैसा रहा?
मैंने कहा- बहुत बढ़िया !
तभी चाची ने कहा- यह तो सिर्फ कागजी परीक्षा थी, तुम्हें जीवन की परीक्षा के बारे में पता है?
मैंने कहा- नहीं !
चाची ने कहा- ममा ने तुम्हें कुछ नहीं बताया?
मैंने कहा- नही !फिर चाची ने कहा- माहवारी के बारे में कुछ बताया?
मैंने कहा- हर महीने में मुझे बहुत तकलीफ होती है, लेकीन ममा ने इसके लिये कुछ भी नहीं बताया।
चाची ने कहा- तुम्हारी ममा बहुत व्यस्त रहती हैं, उन्हें पता ही नहीं कि बेटी कब जवान हो गई? लड़की को जीवन में बहुत सारी कठिन परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है जो अगर पता न हो तो पूरे जीवन में बहुत तकलीफ उठानी पड़ती है। अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें इसके बारे में आने वाले एक हफ़्ते में सब कुछ सिखा दूंगी और कोई फ़ीस भी नही लूँगी।
कुछ नया सिखने को मिलेगा, सोच कर मैं झट से मान गई।
फिर हम सो गये।
शाम को चाचा घर आये, चाची ने मुझे सब सिखाने की बात कही। मैंने भी चाचा को कहा- हाँ ! आप दोनों मुझे सिखा दें।
उन्होंने कहा- तुम अपने पापा और ममा को इसके बारे में कुछ नहीं बताओगी।
मैं मान गई। शाम को पाँच बजे चाची मुझे बाज़ार ले गई, वहाँ उन्होंने मेरे लिये शॉपिंग की पर ऐसी शॉपिंग ममा ने कभी नहीं की थी !चाची ने मेरे लिये काले रंग की सुंदर ब्रा और पैंटी खरीदी, वीट क्रीम और कुछ सौंदर्य प्रसाधन खरीदे। मुझे मेरी पसंद की ढेर सारी चोकलेट भी खरीद कर दी। मैं खुश थी।
छः बजे हम घर पहुँचे। बाहर धूप के कारण घर आकर चाची ने मुझे नहलाया और शरीर की सफाई के बारे में बहुत कुछ सिखाया। शाम सात बजे उन्होंने मुझे कहा- आगे जाकर मुझे लड़की के सारे काम सीखने पड़ेंगे।
नई ब्रा और पेंटी पहन कर मुझे थोड़ा अटपटा लग रहा था क्योंकि मैंने पहले कभी ब्रा पहनी ही नहीं थी और योनि के बाल साफ करने से थोड़ी खुजली भी हो रही थी। पर चाची ने वहाँ क्रीम लगाई।
तब लगभग साढ़े सात बजे चाची ने कहा- आज मैं तुम्हें जीवन का सबसे बड़ा पाठ सिखाऊँगी।
बाद में उन्होंने मेरी सुंदर तैयारी की, उनके शादी के खूबसूरत फोटो दिखाये और कहा- आज मैं तुम्हें दुल्हन बनाऊँगी।
मैं भी मान गई।
उन्होंने कहा- हम तुम्हारी विडियो भी बनाएँगे और तुम्हारी ममा को सरप्राइज देंगे।
बाद में उन्होंने मुझे उनका शादी का जोड़ा पहनाया, मेरी फोटो भी खींची, मुझे नजर ना लगे इसलिये काला तिल गाल पर लगाया।
मुझे मजा आ रहा था। बाद में चाची ने मुझे कहा- शादी पहली रात यानि ‘सुहागरात’ सबसे प्यारी होती है। हर लड़की इस रात के लिये तड़पती है। जिंदगी का सबसे बड़ा सुख इस दिन ही प्राप्त होता है।
उन्होंने मुझे कहा- क्या तुम वो आनन्द लेना चाहोगी? इसमें थोड़ा दर्द होता है पर मजा भी बहुत आता है। मैंने तो यह मजा तुम्हारी उम्र में ही कई बार चखा था और आज भी हर रात चख रही हूँ।
मैंने तुरंत हाँ कर दी। सुहागरात में कुवारी दुल्हन किस तरह बैठती है, कैसे अपने पति को बादाम का दूध पिलाती है, फिर कैसे शर्माती है, ये सब बताया और यह भी कहा- आज इसका प्रैक्टीकल भी तुम से करवाऊँगी।
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था।
फ़िर उन्होंने कमरा सजाया, कमरे में इत्तर छिड़का। शादी के जोड़े में मुझे बड़ी गर्मी लग रही थी लेकिन मैं चुप रही क्योंकि मुझे कुछ नया सीखना था।
बाद में उन्होंने मुझे बेडरूम में पलंग पर घूंघट लेकर बिठाया।
थोडी देर में वहाँ चाचा आ गये, उन्होंने भी उनके शादी के कपड़े पहने थे। आज वो बहुत ही अलग लग रहे थे। तभी सुंदर नाइटी में उनके साथ कैमरा लेकर चाची भी पहुँची और मुझे बोली- यह तुम्हारी पहली सुहागरात है अपने पति (चाचा) और गुरु (चाची) के पैर छुओ।
मैं कपड़े सम्भाल कर पलंग से नीचे उतरी और चाचा के पैर छुए।
उन्होंने मुझे मुँह दिखाई के तौर पर 500 रुपये दिये। मैं खुश हो गई, फ़िर मैंने चाची के पैर छुए। उन्होंने आशीर्वाद दिया- ऐसी रात तुम्हारी जिंदगी में हर रोज आये !
और चुपके से मेरी चुम्मी ली और मेरे हाथ में तीन गोलियाँ देकर कहा- यह छोटी गोली तुम्हें बड़ी सहायता करेगी, इसे दूध के साथ ले लो और दूसरी गोली तुम्हें उत्तेजना प्रदान करेगी, तीसरी गोली तुम्हें दर्द नहीं होने देगी।
चाची की दी हुई गोलियाँ मैंने बिना कुछ कहे दूध के साथ ले ली और पलंग पर घूंघट लेकर बैठ गई।
चाचा जी ने फिर मुझे प्यार से सहलाया मेरे बदन में मानो बिजली दौड़ गई। चाची जी ने सामने कैमरा लगा दिया। घूंघट के कारण कुछ दिख नहीं रहा था। चाचा चाची बात कर रहे थे, हंस रहे थे- फ़ूल सी गुड़िया है धीरे करना, वैसे मैंने गर्भ निरोधक गोली और पेन किलर भी दे दी है।
चाचा ने अपने कपड़े उतार दिये और वो अंडर वियर में आ गये। धीरे से उन्होंने मेरा घूँघट खोला और उनके मुँह से शब्द निकल पड़े- बहुत सुंदर !
मैं सहम गई और आंखें बंद कर ली। उन्होंने मुझे बड़े प्यार से चूमा। पहले मेरे गालों को बाद में माथे को ! मेरी बिंदी हटा दी, कान के बूंदे और गले का मंगल सूत्र भी निकाल कर रख दिया।
उसके बाद उन्होंने चाची को मेरी नथ निकालने को कहा। वे हंसी और बड़े प्यार से नथ निकाल दी।
धीरे धीरे वो मेरे पूरे बदन को छू रहे थे, मुझे गुदगुदी हो रही थी।
फ़िर उन्होंने मुझे खड़ा किया और मेरा घागरा खोल दिया। घागरा भारी होने से नीचे चला गया। मैंने पकड़ने की कोशिश की पर चाची ने मेरे हाथ पकड़ लिये।
फ़िर उन्होंने मेरे पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और मैं थोड़ी चिल्लाई।
पर चाची ने कहा- चुप रहो, विडियो बन रहा है।
अब मैं केवल ब्रा और पेंटी में खड़ी थी और मैने मेरा मुँह हाथ से ढक लिया। मुझे लज्जा आ रही थी पर गोली की वजह से उत्तेजना भी हो रही थी।
चाचा ने मुझे बाहों में भर लिया और जोर से दबाया। उससे मेरे चुचूक उनके सीने से रगड़ गये। चाची रसोई से बाऊल में गुलाबजामुन लाये और एक गुलाब जामुन मेरे मुँह में दे दिया। चाचा ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और एक झटके में मेरी पेंटी निकाल फेंकी।
मैं डर गई।
तभी चाची ने और एक गुलाबजामुन मुँह में खिलाते हुए मेरी ब्रा निकाल फेंकी। अब चाचा मेरी चूत को चाट रहे थे और चाची मेरे चुचूक चूस रही थी।
चाची कह रही थी- ऐसा ही होता है सुहागरात में ! चुप रहो और मजे लो।
चाचा की जीभ मेरी योनि में जाती तो मैं मजे से तड़प उठती। अब चाचा ने मेरे दोनों पैर ऊपर उठाये और चाची ने गुलाबजामुन का रस मेरी योनि में डाल दिया।
बहुत गुदगुदी हुई। फिर चाचा ने अपनी जीभ से वो रस चाट चाट कर चूस लिया। बाद में चाची ने दो गुलाबजामुन मेरी कड़क चूचियों में फंसा दिये और चाचा ने वो पूरी उत्तेजना से चूस कर खाये। इसमें मेरे चुचूक पर उनके दांत भी गड़ गये।
चाची ने कहा- गोली खाई है तो दर्द कम होगा।
अब चाची ने मुझे नीचे उतार कर बैठने को कहा और चाचा पलंग पर बैठ गये।
अब उन्होंने कहा- आज मैं तुम्हे लिंग चूसना सिखाती हूँ। और उन्होंने चाचाजी का लिंग अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी। उन्होंने मुझे वैसा ही करने को कहा पर मैंने मना कर दिया।
तब उन्होंने चाचा के लिंग पर ढेर सारा चॉकलेट लगा दिया और कहा- इसे लोलीपोप समझकर चूसो ! बड़ा मजा आयेगा।
मैं मान गई क्योंकि मुझे चोकलेट पसंद थी।
चूसते-चूसते चोकलेट का स्वाद बदल रहा था। अब वो लिंग बहुत बड़ा हो गया था और चाचा मेरे बाल पकड़ कर उसे अंदर तक मेरे गले तक डाल रहे थे। मुझे सांस लेना मुश्किल हो रहा था।
चाची मेरे चुचूक चूस रही थी।
चाचा ने कहा- मैं झड़ने वाला हूँ।
चाची ने कहा- अंदर ही झड़ जाओ।
और जोर से कुछ मलाई जैसी चीज मेरे मुँह में भर गई, वो मेरे गले तक पहुँची। मुझे ऐसा लगा कि मैं उलटी कर दूंगी पर चाची जी ने मुझे वो उगलने नहीं दिया और कहा- यह अमृत है पगली ! गिरा मत ! पी ले !
और मेरा मुँह ऊँचा करके ढेर सारा गुलाबजामुन का रस मुँह में डाल दिया, मैंने वो रस पूरा निगल लिया।
अब चाची ने मुझे कहा- अब तुम्हारी अंतिम परीक्षा है। इसमें तुम्हे पास होना ही है, नहीं तो जिंदगी बरबाद है।
तब चाचा फिर से खड़े हुये। वो हंस रहे थे।
चाची ने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरे दोनों पैर दूर-दूर कर दिये। अब उन्होंने भी अपने कपड़े उतार दिये।
उनके वक्ष बहुत बड़े और सुडौल थे। मेरे पैर हिले नहीं इसलिये उन्होंने उनको पलंग के दोनों पैरों से पेटीकोट के नाड़े से बाँध दिए।
अब दोनों पैरों में काफी अंतर था। अब वे मेरे सर की तरफ से आई और कहा- यह अंतिम परीक्षा है ! इसे जरूर पास करना श्रद्धा !
और उन्होंने उनके और मेरे वक्ष पर ढेर सारी आईसक्रीम लगा दी और कहा- बेटी, तुम मेरे चुचूक चूसना और मैं तुम्हारे !
अब यह सिलसिला शुरू होते ही चाचाजी ने अपना लिंग मेरी योनि में धकेला, मुझे थोड़ा दर्द हुआ और मैंने चाची के चुचूक को काट लिया।
चाची ने चाचा से कहा- धीरे !
और चाची ने भी प्यार से मेरे चुचूक को काट लिया और हंसी, अब चाचा को इशारा किया और उन्होंने मेरे होंठों को अपने होंठों से चिपका दिया।
अब चाचा ने एक जोर का धक्का दिया तो उनका बड़ा लिंग मेरी योनि को चीरता हुआ अंदर चला गया।
मैं जोर से चिल्लाई पर चाची ने अपने मुँह में मेरी आवाज दबा दी। मैं दर्द से तड़प रही थी।
तभी चाची ने थोड़ी बरफ मेरे शरीर पर रखी और मेरे उरोजों को सहलाने लगी और कहा- बेटी, तुम्हें माहवारी में हर महीने जिस काँटे से तकलीफ होती थी वो काँटा चाचा ने निकाल दिया है। अब तुम्हें कभी तकलीफ नहीं होगी।
और उन्होंने मुझे चादर पर गिरा खून भी दिखाया और कहा- यही वो गंदा खून है जो हर महीने तुम्हें तकलीफ देता था। अब थोड़ा और सह लो, सब ठीक हो जायेगा।
बाद में उन्होंने चाचा के लिंग पर ढेर सारी क्रीम लगाई और कहा- इस क्रीम को तुम्हारे अन्दर लगा कर ये तुम्हारा इलाज कर देंगे, चिंता मत करो।
अब उन्होंने मुझे घोड़ी जैसा बैठने को कहा ताकि मलहम ठीक से लगे।
अब चाचा ने धीरे धीरे अपना लिंग अंदर डालना शुरू किया और मेरे नीचे लटकते स्तनों को चाची ने सहलाना शुरू रखा। अब मुझे दर्द कम लग रहा था और मजा आ रहा था।
बाद में चाचा नीचे लेट गये और चाची ने मुझे उनके लिंग पर बैठाकर ऊपर-नीचे होने को कहा।
वे कह रही थी कि आज तुम जी भर कर झूला झूल लो, कल का क्या पता?
फिर चाचा ने मुझे एक बार लिंग चूसने को कहा। इस बार मैं खुद मान गई और लोलीपोप जैसे उनका लिंग चूसने लगी, चाची प्यार से मेरे बाल सहला रही थी।
अब चाची ने कहा- यह तुम्हारी परीक्षा का अंतिम चरण है।
तब फिर एक बार चाचा ने जोर जोर से मुझे चोदना शुरू किया, अब मैं भी उनका साथ दे रही थी।
अंत में मैं थक गई और मुझे चक्कर आने लगे। तभी चाची ने मेरे मुँह पर ठण्डा पानी मार कर कहा- अंतिम परीक्षा में अगर फेल तो सब खत्म !
मैं जाग गई और जोर जोर से चिल्ला कर उनका लिंग अंदर ले रही थी। मेरे स्तन फ़ूल गये थे, मैं आवाज कर रही थी और एकदम से मैं झड़ गई, पर चाचा रुकने वाले नहीं थे, उन्होंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और चाची से कहा- मेरा निकलने वाला है ! क्या करूँ?
चाची ने कहा- अंदर छोड़ दो, मैंने गोली दे दी है।चाचा ने अपना गरम गरम वीर्य जोर से मेरे अंदर छोड़ दिया। मैं एकदम से अकड़ गई, मुझे बड़ी ही संतुष्टि मिली।
फ़िर हम सो गये।
मैं रात भर सोई। सवेरे 11 बजे मेरे नींद खुली तो देखा चाची मेरे बगल में दूध का ग्लास लेकर बैठी हैं। उन्होंने मुझे नहालाया, दूध पिलाया।
मुझे चलने में जरा दिक्कत लगी तो उन्होंने मुझे थाम लिया और कहा- पहले ऐसा ही होता है, आज शाम को हम गार्डन जायेंगे।
आज से मेरे लिये वो गुरु थी, उन्होंने मुझे बडा आनन्द दिया था। दोपहर में उन्होंने मुझे कहा- तुम्हारे लिये एक सरप्राइज है।
और उन्होंने कम्प्यूटर पर मेरी सुहागरात की विडियो लगा दी। मैं शरमा गई लेकिन हम दोनों ने वो बहुत एन्जोय की।बाद में उन्होंने मुझे कई काम की बातें बताईं जैसे सच्चा सुख कैसे प्राप्त करें, कंडोम कैसे लगायें और कई सारे सेक्स के प्रकार और आसन… दस दिनों तक चाचा चाची मुझे यह आनन्द देते रहे। फिर पापा ममा आ गये। लेकिन मैं फिर भी उनके घर जाती थी। दो साल बाद चाचा की बदली हो गई पुणे में।
आज भी मैं वो विडियो देख कर उनको याद करती हूँ।
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