मेरा हंसता खेलता सुखी परिवार-5

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प्रेषक : अरविन्द

आपने मेरी कहानी के चार भाग पढ़े जिसमें मेरी कामुक बहू सोनम ने मेरे साथ यानि अपने ससुर के साथ यौन आनन्द प्राप्त करने का सजीव वर्णन फ़ोन पर अपने पति नील को किया था।

उस दिन के बाद तो मेरी बहू का मेरे प्रति व्यव्हार मित्रवत हो गया। मैंने अवसर पाकर उससे खुल कर बात की और उसे समझाया कि हमारे बीच जो हुआ सो हुआ लेकिन इससे नील और उसके रिश्ते में कोई फ़र्क नहीं पड़ना चाहिए, मैं इस बात का ख्याल रखता कि मेरे बेटे और बहू को अपने जीवन का पूरा लुत्फ़ उठाने का भरपूर समय मिले।

रविवार को मेरा बेटा नील काम से अवकाश रखता था तो मैंने रविवार बिताने की योजना ऐसे बनाई कि महीने में एक रविवार हम तीनों साथ साथ बिताएँ चाहे घर में या बाहर, महीने में एक रविवार मैं नील सोनम को घर में अकेले छोड़ कर अपना कोई बाहर का कार्यक्रम रखता ताकि उन्हें अपने घर में उन्मुक्त वातावरण मिले, वे खुल कर मनचाहे ढंग से अपनी छुट्टी का मजा लें। और कम से कम एक बार शनिवार इतवार को उन्हें कहीं बाहर घूमने जाने के लिए प्रोत्साहित करता !

इसी प्रकार मेरी समझदार बहू भी जानती थी कि उसका जीवन साथी तो नील है, उसने मेरे साथ संसर्ग के लिए कभी उत्सुकता नहीं दिखाई परन्तु वो मुझे अपने बदन के स्पर्श का आनन्द यदा कदा देती रहती थी।

उस घटना के दो-तीन दिन बाद ऐसे ही घर पर सोनम और मैं अकेले बैठे बातें कर रहे थे तो मुझे ध्यान आया कि सोनम और अनुष्का की पहले से मित्रता थी तो मैंने सोनम से पूछा- तुम्हारे और अनुष्का के संकाय तो अलग अलग हैं फ़िर तुम्हारी दोस्ती कैसे हुई?

तो उसने बताया:

सोनम के शब्दों में –

हाँ पापा, हमारे सब्जेक्ट अलग अलग थे पर सच्ची बताऊं तो मैंने नील को पाने के लिए ही अनुष्का से दोस्ती की थी।

सोनम ने आगे बताया- अनुष्का और मैं यूनिवर्सिटी के हॉस्टल की एक ही बिल्डिंग में थी तो एक बार नील अनुष्का को लेने आया था तो मेरी नजर नील पर पड़ी। मुझे पहली ही नजर में नील भा गया था, नील मुझे बहुत पसन्द आया था, वह सुन्दर-गौरा और उसका अण्डाकार चेहरा मासूमियत से भरा था। मैंने नील को पाने की ठान ली। तब तक कोई लड़का भी मेरा दोस्त नहीं था और मैं अक्षतयौवना ही थी।

अनुष्का जब लौटी तो मैंने उससे दोस्ती की पींगें बढ़ानी शुरु की। दो-तीन दिन में ही मुझे पता लग गया कि अनुष्का लेस्बो है, उसका कोई बॉयफ़्रेन्ड नहीं है। मुझे तो सेक्स का कोई भी अनुभव नहीं था। मैंने अनुष्का और उसकी रूममेट को पटा कर कुछ ऐसा चक्कर चलाया कि दो हफ़्ते में उसकी रूममेट ने मेरे साथ सीट बदल ली यानि मैं अनुष्का के साथ उसके कमरे में और वो मेरे कमरे में !

धीरे धीरे अनुष्का मुझसे खुल गई और उसने मुझे अपनी आलिया मौसी के साथ बिताये दिनों के किस्से सुनाए कि दोनों ने कैसे अपनी रातों में मस्तियां की और …. उसके बाद और लड़कियों की बातें भी बताई। मैं बड़े शौक से यह सब सुनती रही और रोमांचित होती रही। वो यह सब बताते हुए उत्तेजित हो गई पर अभी भी शायद उसे मेरे साथ कुछ करने में शर्म आ रही थी।

मुझे इन सारी बातों का कोई अनुभव नहीं था पर मन में ये सब सुन कर मुझे लगा कि इसका अनुभव कितना सुखद होगा। यह सोचते सोचते मैं जाने कब सो गई।

मेरी नींद रात को अचानक खुल गई, मुझे लगा कि मेरे बदन पर अनुष्का के हाथ स्पर्श कर रहे थे। मैं उसके हटाने ही वाली थी कि मुझे लगा कि इसमे आनन्द आ रहा है, मैं जानबूझ कर चुपचाप लेटी रही। मैं रात को सोते समय पेंटी और ब्रा नहीं पहनती हूँ इसलिए उसका हाथ जैसे मेरे नंगे बदन को सहला रहा था। उसका हाथ कपड़ों के ऊपर से ही मेरी चूचियों पर आ गया और हल्के हाथों से वो सहलाने लगी। मुझे सिरहन सी उठने लगी।

फिर उसका हाथ मेरी चूत की तरफ़ बढ़ने लगा। मैंने अपनी टांगें थोड़ी सी और चौड़ी कर दी। अब उसके हाथ मेरी चूत पर फिसलने लगे। मैं आनन्द से काम्पने लगी। उसने धीरे से उठ कर मेरे होटों का चुम्बन ले लिया। उसका हाथ मेरी चूत को सहला रहा था।

मैं कब तक सहती… मेरे बदन के रोगंटे खड़े होने लगे थे, उसने मेरी चूत को हौले हौले से दबानी चालू कर दी… आखिर मेरे मुँह से सिसकारी निकल ही पड़ी।

अनुष्का को मालूम पड़ गया कि मेरी नींद खुल गई है लेकिन मेरे चुप रहने से उसकी हिम्मत और बढ़ गई, उसने मेरा टॉप ऊपर करके मेरे उरोज दबाने चालू कर दिए।

मेरे मुंह से सीत्कार के साथ निकल पड़ा- अनुष्का… क्या कर रही है… सो जा ना…!

“नहीं सोनम… करने दे मुझे..प्लीज़… गुंजन तो कुछ करने ही नहीं देती थी और ना खुद कुछ करती थी, इसीलिए तो मैं तुझे यहाँ आने देने को राजी हुई थी।”

मेरा मन तो कर रहा था कि वो मुझे खूब दबाये क्योंकि इससे पहले मैंने ऐसा कुछ नहीं किया था। मैं भी उसे अपनी तरफ़ खींचने लगी- अनुष्का… मुझे पहले ऐसा किसी ने नहीं किया… अच्छा लग रहा है…!

“हाँ … स्वर्ग जैसा आनन्द आता है… सोनम, तू भी कुछ कर ना…”

मैं भी उससे लिपट गई, उसकी चूचियाँ दबाने लगी, उसके होंट अब मेरे होंठों से जुड़ गए, वो मेरे निचले होंट को चूस रही थी और काट भी लेती थी।

फिर उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में घुसा दी, एक अलग सा आनन्द मेरे मन में भरने लगा था, मेरी चूत पानी छोड़ने लगी थी। उसने मेरा टॉप उतार दिया, फिर मेरा ढीला सा पजामा भी उतार दिया, मैं उसे रोकती रही पर ज्यादा विरोध नही किया, मुझे भी आनन्द आने लगा था। मैं भी किसी दूसरे के सामने नंगी होने का रोमांच महसूस करना चाहती थी।

अनुष्का ने अपने कपड़े भी उतार दिए, अब हम दोनों बिल्कुल नंगी हो गई थी। मेरे मन में हलचल होने लगी थी, मेरे स्तनों की नोकें कड़ी हो गई थी।

अनुष्का बिस्तर पर लेट गई और अपनी टांगें ऊपर कर ली, बोली- सोनम, अपनी दोनों उन्गलियाँ मेरी चूत में डाल कर मुझे मस्त कर दे…

मैंने उसकी चूत में पहले एक उंगली डाली और गोल गोल घुमाने लगी। वो सिसकारियाँ भरती रही। फ़िर मैंने अपनी दो उंगलियाँ उसकी चूत में डाल दी।

अनुष्का ने अपनी एक उंगली मेरी गाण्ड के छेद पर रखी और उसे सहलाने लगी।

मैं बोल उठी- अनु ! क्या कर रही है?

वो बोली- “देखती जा ! मज़ा आ जाएगा !”

अब मेरे दोनों हाथ चलने लगे थे, एक उसकी चूत में और दूसरा उसके चूतड़ों पर ! वो बिस्तर पर तड़प रही थी, और मेरा हाल उससे भी खराब था…

मुझे भी लग रहा था कि मेरे साथ भी वो ऐसा ही करे..

मैं उसके हर अंग को मसलने लगी और अनुष्का मस्ती से सिसकारियाँ भर रही थी। कुछ वो बोली- बस अब रुक जा… अब तेरी बारी है… लेट जा… अब मैं तुझे मसलती हूँ !

अनुष्का के ऐसे कहने भर से मेरी चूत में पानी भरने लगा… पहला अनुभव बड़ा रोमांचक होता है।

मुझे बिस्तर पर लिटा कर उसने मेरे स्तनों को मसलना चालू किया … पर उसका मसलने का प्यारा अनुभव था। वो जानती थी कि मज़ा कैसे आता है।

उसने सबसे पहले मेरी चूत में थूक लगा कर उसे चिकना किया और अपनी एक उंगली धीरे से घुसा दी…बोली- तू अभी तक किसी से चुदी नहीं है ना?

फ़िर उसने धीरे धीरे अन्दर बाहर करना शुरू किया। पहले तो मुझे अजीब सा लगा… पर बाद में मीठा मीठा सा मज़ा आने लगा। अब उसने मेरी गाण्ड में भी एक उंगली घुसा दी… और मेरी गाण्ड के छेद को घुमा घुमा कर चोद रही थी। मुझे दर्द हो रहा था पर मैंने अपनी आँखें बंद कर ली।

थोड़ी ही देर में मैं आनन्द से अपनी कमर उछालने लगी, उसका हाथ तेज़ी से चलने लगा। मैं आनन्द और मस्ती से इधर उधर करवटें बदलती रही… और उसकी उंगलियों से चुदती रही।

‘अनुष्का… हाय… तू कितनी अच्छी है रे… मज़ा आ गया.. हाय…”

मैं जाने क्या क्या बोलती रही और सीत्कार भरती रही… मुझे खुद नहीं पता था… पर अब मुझे लगा कि मेरी योनि में कुछ हो रहा है शायद मैं झड़ने वाली हूँ…

“हाय… अनु… मैं गई… आऽऽऽऽ ईऽऽऽई… मैं गई… मर गई…” कहते हुए मैंने अनुष्का का हाथ पकड़ लिया… और मैं आनन्द से बेहाल हो गई…

और उसके बाद हम दोनों सो गई।

अगले दिन अनुष्का ने मुझसे पूछा- सोनम, कैसा मजा आया था रात को?

मैंने कहा- अच्छा लगा ! मैंने पहले कभी किया नहीं था तो मेरे लिए अच्छा ही होना था।

अनुष्का बोली- मेरी आलिया मौसी बहुत मजा कराती हैं। कभी मिलवाऊँगी तुझे मौसी से वैसे तो आलिया यहीं चंडीगढ़ में रहती हैं पर उनके घर मौका नहीं मिलता, इस बार नील मुझे लेने आएगा तो तू भी साथ चलना, आलिया मौसी को भी अपने साथ ले चलेंगे, खूब मस्ती करेंगे !

नील का नाम आते ही मेरी तो बाँछें खिल गई, मुझे लगा कि अनुष्का के भाई को पाने के लिए मौसी को मिलना और भी अच्छा रहेगा। मैंने तुरन्त हाँ कर दी।

हालांकि लेस्बो सेक्स के बारे में मैंने कभी सोचा भी नहीं था पर हालातों के घेरे में मैं इसमें फ़ंस गई थी। लेकिन मन में मैंने ठान लिया था कि अपनी मंजिल को पाते ही मैं इस चक्रव्यूह से निकल भागूँगी।

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इसके बाद क्या हुआ, कैसे अनुष्का ने सोनम को आलिया से मिलवाया, सोनम और नील की दोस्ती कैसे हुई, यह सब भी सोनम ने मुझे बताया पर वो सब फ़िर कभी।

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