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विनोद बोला- हाँ! आज मैं कोशिश करूँगा कि तुमको चरम तक पहुँचा दूँ! और एक बार और हम सेक्स करने लगे।
विनोद ने आज जादू करने का मन बना लिया था, उसने मुझे दोबारा मुझे उत्तेजित कर दिया, मेरी चूत को मसल कर रख दिया और अपनी जबान से मेरी चूत साफ करने लगा मुझे मजा आने लगा! मैं पागल हो गई।
मैंने कहा- विनोद, क्या करने का इरादा है आज? काफी मजा आ रहा है।
विनोद- यार सुरभि, मुझे पता है कि कई दिनों से मैंने तुम्हारे साथ ठीक से सेक्स नहीं किया है, तो तुमको मैं अच्छे से मजा देना चाहता हूँ!
मैं- विनोद मैं ऐसे ही तुम्हारे साथ सेक्स करके काफी अच्छा महसूस करती हूँ, तुम चिंता न करो।
विनोद- नहीं सुरभि, मुझे पता है मेरी जान, तुम कहती नहीं हो तो क्या हुआ, पर मुझे लगने लगा है कि मैं तुम्हारे साथ ठीक से सेक्स नहीं करता हूँ, तुम जिद न करो और किसी के साथ सेक्स कर लो मेरी जान! चलो ऐसा करो, सुनील के साथ कर लो! वो भी कुंवारा है, उसका भी काम हो जायेगा और तुम्हारा भी! तुम कहो तो मैं बात करूँ उससे?
मैंने कहा- नहीं मुझे नहीं करना किसी के साथ कोई सेक्स-वैक्स!
पर जब विनोद खुद ऐसा कह रहे हों तो मेरे अंदर से एक अलग सी गुदगुदी होनी ही थी, मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मैं विनोद के सामने ही सुनील से सेक्स कर रही हूँ और जैसा मैंने भगवान से माँगा था कि काश विनोद मुझे इजाजत दे दे खुद के सामने सुनील के साथ सेक्स करने का!बस मैं ऊपरी तौर पर मना करती रही, दिखावा करती रही कि विनोद को ऐसा लगे कि मैं अच्छी औरत हूँ।
खैर इन सब बातों के साथ-साथ विनोद ने तक मुझे काफी हद तक चरम तक पहुँचा ही दिया था, एक तो वो जुबान से मेरी चूत को मजा दे रहा था और ऐसी बात करके मुझे और ज्यादा रोमांचित कर रहा था। मैं उसकी इस बात की दीवानी हो रही थी, मुझे नशा सा छा रहा था।
मैंने विनोद को कहा- विनोद, मैं झड़ रही हूँ शायद!
और उसने हूँ कहा और मेरी चूत में जबान और अंदर तक डाल दी, वो मेरा सारा रस पी गया।
अब बारी मेरी थी, मैंने उसके लिंग को अपने मुँह में ले लिया और बहुत मन से अन्दर-बाहर करने लगी। वो आह उह्ह करने लगा।
मैंने कहा- विनोद, क्या ऐसा करना अच्छा होगा? सुनील भैया क्या समझेंगे? वो क्या सोचेंगे हमारे बारे में?
मैंने जानबूझ करके नाटक किया।
विनोद- कुछ नहीं! वो मरता है तुम पर! मुझे कई बार ऐसा लगा उसकी हरकतों से! कई बार उसके मुँह से निकल भी गया है कि भाभी बहुत सुंदर हैं। एक बार मैंने कहा कि क्या इरादा है सुनील? तो वो झेंप सा गया था!
मैंने कहा- अच्छा फिर क्या बोला वो…?
अचानक विनोद के फोन की घंटी बजी, उसने फोन उठाया, मैं उसका लिंग मुँह में लेकर आगे पीछे कर रही थी, वो मस्त हो रहा था, उसने फोन उठाया।
मैंने पूछा- किसका फोन है?
विनोद- हाँ सुनील, क्या बात है…?
‘कुछ नहीं, बहुत दिनों बाद आया हूँ तो मजे कर रहा हूँ!’
‘आह, धीरे करो!’ वो मुझ से बोला- निकल जायेगा तुम्हारे मुँह में!
मैंने धीरे से कहा- क्या बात करते हो? तुम सुनील के सामने?
खैर सुनील सारा माजरा समझ गया और फोन काट दिया यह कह कर कि- बाद में बात करते हैं। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मैं विनोद से लड़ने लगी- क्या करते हैं आप भी? सुनील भैया क्या समझेंगे?
विनोद- कुछ नहीं यार! सब करते हैं, हम भी कर रहे थे, उसमें कौन सी बड़ी बात है? चलो मैं तुमको एक बात बता दूँ, मुझे 10 दिनों के लिए मुंबई जाना होगा। सॉरी यार, पर अगर मैं आते तुमको ही यह सब नहीं बता सकता था, नहीं तो तुम नाराज हो जाती।
मैं अपना काम कर रही थी, मतलब मुँह से उसके लिंग को चूसने का काम!
विनोद चरम पर आ गया था मेरे सर को पकड़ कर जोर जोर से हिलाने लगा और जोर जोर से आह उह्ह करने लगा। मैं समझ गई कि अब वो झड़ने वाला है, मैंने भी अपनी गति बढ़ा दी।
उसने अपना सारा पानी मेरे मुँह में निकाल दिया, मैं सारा पानी गटक गई, मुझे आज बहुत अच्छा लगा था, मेरे दिमाग में आगे होने वाली बात चलने लगी थी कि कल सुनील-सुशील दोनों के साथ सेक्स करने को मिलेगा! बस यही सब सोच सोच कर मेरा हाल बुरा हो रहा था।
विनोद- जान, आज मजा आ गया! तुमने बहुत अच्छे से मुख मैथुन किया है, इससे पहले ऐसा मजा कभी नहीं आया था।
मैंने कहा- इससे पहले तुमने भी कहाँ इतनी अच्छी बात की थी?
ऐसे ही बात करते करते हम सो गए बिना कपड़ों के! विनोद को सुबह जल्दी जाना था, उसने मुझे बस इतना ही कहा- अपना ख्याल रखना!
और वो दरवाजा लॉक करके चला गया। मैं देर तक सोती रही।
सुबह उठ कर फ्रेश होकर जैसे ही बाहर आई…
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