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प्रेषक : अविनाश पटेल
मेरा नाम अविनाश है, अहमदाबाद गुजरात में रहता हूँ, अंतर्वासना पर में कहानियाँ पिछले 2 साल से पढ़ता हूँ।
आज मैं अपनी पहली कहानी लिख रहा हूँ।
मैं जब इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था तो मैं हॉस्टल में रहने गया, मेरे सारे दोस्त वहीं पर रहते थे। मैं थोड़ा स्मार्ट हूँ।
हम सब दोस्त एक बार रात को बाहर गए। हम खाना खाने के बाद थोड़ी लॉंग ड्राईव पर निकले और रास्ते में रुके, वहाँ पहले से कुछ लड़कियाँ खड़ी थी, वो हमारे जैसे ही एक ग्रुप में थी।
रात के करीब 2 बजे होगे, हमें थोड़ा अजीब लगा। थोड़ी देर के बाद एक लड़की से मेरी आँख मिल गई, वो बार-बार मुझे देखे जा रही थी। मैंने भी उसे देखना चालू किया।
फिर मेरे दोस्तों ने कहा- चलो, बहुत देर हो चुकी है, हॉस्टल चलते हैं।
पर मेरा जाने का बिल्कुल मन नहीं था, मैंने थोड़ा रुकने को कहा। रात के तीन बजे थे, उनमें से कुछ लड़कियाँ जा चुकी थी, मेरे दोस्त उनके पीछे लाइन मारने चले गए। यहाँ मेरे दो दोस्त और 4 लड़कियाँ थी। उनमें से वही लड़की आई और मुझसे बोली- क्या कबसे मुझे देख रहे हो?
मैं बोला- नहीं, मैं नहीं देख रहा, तुम ही देख रही हो सामने से !
वो कुछ न बोली और कहा- एक सिगरेट पिला दो, वो दुकान बन्द हो गई है।
मैंने कहा- मैं नहीं पीता सिगरेट।
तब मेरे एक दोस्त ने सिगरेट दी, फिर वो सिगरेट पीते-पीते हमसे बात करने लगी और बातों ही बातों में मुझसे बोली- तुम्हारा लण्ड कितना बड़ा है?
मैं तो उसे देखता ही रह गया कि यह क्या बोल रही है। फ़िर मैंने सोचा कि यही वक्त है उससे बात करने का !
मैंने कहा- साढ़े सात इंच ! उसका क्या करना है तुझे?
तो वो बोली- चोदना चाहोगे मुझे?
मैंने कहा- क्यों नहीं !
तो वो अपनी गाड़ी लेकर आई, होंडा सिविक थी, और मुझ से बोली- बैठ जाओ !
और अपनी सहेलियों को बोली- कल मिलेंगे।
मैं कुछ सोचे बिना ही बैठ गया। रास्ते में उसने मेरे लण्ड पर हाथ रखा, बोली- तैयार है न?
मैंने कहा- हाँ तैयार है।
थोड़ी देर के बाद उसका घर आ गया।
मैंने पूछा- घर पर?
तो उसने बताया- मेरे मॉम-डैड बरोदा में काम से गए हैं।
हम जैसे ही घर में गए तो मैंने देखा कि वहाँ पर तीन-चार नौकर थे।
उसने उन्हें बताया- ये पापा के गेस्ट हैं, जाकर खाने के लिए कुछ बनाओ !
मैंने मना किया- मुझे नहीं खाना, में खाना खाकर ही आया हूँ।
थोड़ी देर हम नीचे हाल में ही बैठे, फिर उसने कहा- चलो ऊपर ! सब सो गए लगते हैं।
और हम ऊपर गए, उसने मुझे कहा- तुम बैठो, मैं नहा कर आती हूँ।
और वो नहाने चली गई। मैं उसके कमरे को देखने लगा। थोड़ी देर बाद वो नहा कर आई, उसने सिर्फ़ तौलिया ही लपेटा था। मुझसे बोली- तुम भी नहा लो, फ्रेश हो जाओगे।
मैं भी नहाने चला गया। जैसे ही मैं नहा कर बाहर निकला, वो काली ब्रा और पेंटी पहने हुए मेरे सामने खड़ी थी।
मैं तो देखता ही रह गया। मैं उसके पास गया, क्या स्तन थे बड़े बड़े ! मैंने उनको दबाना चालू किया तो वो बोली- मजा आ रहा है।
और मेरा तौलिया खींच दिया उसने, मेरे लण्ड को पकड़ लिया, वो मेरे लण्ड को हिलाने लगी। मैंने उसकी ब्रा खोली और उसके स्तन पर टूट पड़ा और वो मेरे को बोले जा रही थी- प्लीज़ जोर से करो ! आज इनको इतना दबाओ कि पूरी जिन्दगी मुझे याद रहे।
थोड़ी देर बाद मैंने उसको बेड पर लेटा दिया और उसके होठों को चूसने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी।
हमने करीब 15 मिनट तक लिप-टू-लिप चुम्बन किया। बाद में मैंने उसकी पेंटी उतार दी। पूरी पेंटी गीली हो चुकी थी और उसकी बुर पूरी साफ थी, एक भी बाल नहीं था। मैंने उसे पूछा- रोज बाल साफ़ करती हो क्या?
तो उसने बताया- नहीं अभी ही किए हैं नहाने के समय पर !
फिर मैंने उसे बोला- मेरा लंड मुँह में लो ना !
उसने माना किया पर मेरे जोर देने पर थोड़ा सा लंड मुँह में लिया और फिर बाहर निकल डाला।
मैंने कहा- लो ना !
तो उसने बताया- मुझे अच्छा नहीं लग रहा ! तुम्हें क्या होता है मुँह में लेने से?
तो मैंने बताया- जब मैं तुम्हारी बुर पर करूँगा तब देखना !
फिर उसने कहा- करो ना ! मुझे देखना है।
और मैं टूट पड़ा उसपर और पूरी जीभ उसकी चूत में घुसेड़ दी तो वो चिल्लाने लगी- ऐसा मत करो, मुझे कुछ हो रहा है।
वो झड़ गई थी, फिर उसने बोला- मेरी बुर में कुछ हो रहा है, अपना लंड डाल दो !
मेरा भी लंड खड़ा था, मैंने उसकी बुर के ऊपर रख दिया और थोड़ा धक्का लगाया, थोड़ा लंड अन्दर चला गया।
यारो क्या मजा था कि मैं कह नहीं सकता। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉंम पर पढ़ रहे हैं।
फिर मैंने थोड़ा और डाला तो उसने मुझे कहा- दर्द हो रहा है, अन्दर मत डालो, थोड़ी देर रुको।
पर तब मैं कहाँ सुनने वाला था, मैंने धक्के चालू रखे। वो नीचे से कूल्हे उछाल कर मेरा साथ दे रही थी।
थोडी देर बाद वो बोली- रुको, मैं तुम्हारे ऊपर आना चाहती हूँ।
वो मेरे ऊपर आ गई और मेरा लंड अपनी बुर में ले लिया।
और वो क्या हिल रही थी कि मानो मेरा अभी निकल जायेगा, और उसके स्तन क्या हिल रहे थे।
फिर मैंने उसके स्तनों से खेलना चालू किया तो वो और भी जोश में आ गई और अपनी बुर में और अन्दर मेरा लण्ड लेने लगी। वो फिर झड़ गई थी।
मैंने उससे कहा- मेरा निकलने वाला है, अन्दर निकालूँ?
तो वो बोली- नहीं यार, उसे तो मैं अपने मुँह में लेकर तुम्हें मजा दूँगी।
उसने नीचे उतर कर मेरा लण्ड मुँह में ले लिया, मैं तो देखता ही रह गया, मैंने कहा- तुम्हें तो अच्छा नहीं लगता था?
वो कुछ नहीं बोली, बस लंड को चूसने लगी, पूरे का पूरा लंड अन्दर लेने लगी पर मेरा पानी निकल ही नहीं रहा था।
उसके मुँह में लेते ही मुझे बहुत मजा आने लगा, फिर वो मेरा लंड हिलाने लगी और मैंने उसके मुँह में ही धार छोड़ दी।
उसका पूरा मुँह मेरे वीर्य से भर गया था, उसने थोड़ा निगल लिया और थोड़ा बाहर निकाल दिया और मुझे देख कर हंसने लगी, बोली- तुमने आज मुझे जन्नत की सैर करा दी।
फिर हमने अपने आप को साफ किया और बेड पर बैठ गए। उसने कुछ नहीं पहना था, उसके स्तन मेरे चूसने और दबाने से लाल हो गए थे।
सुबह के छः बज रहे थे, मैंने कहा- तुम्हारे मॉम-डैड आ जाएँगे, मैं चलता हूँ।
तो उसने बताया- आज तो नहीं आने वाले, कल आएँगे।
फिर हमने ऐसे ही थोड़ी बातें की और मैंने बातों ही बातों में उससे कहा- तुम्हारी गांड भी बहुत अच्छी है।
तो उसने पूछा- क्या तुम मेरी गांड मारोगे?
मैंने कहा- क्यों नहीं मारूँगा।
फिर मेरे कुछ बोलने से पहले ही उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। मेरे लंड को खड़ा होने में टाइम नहीं लगा।
मैंने बोला- तुम घोड़ी बन जाओ।
वो बन गई, मैंने उसकी गांड में लंड डाल दिया। उसके मुँह से जोर की चीख निकल गई।
मैं बोला- क्या हुआ?
वो बोली- तुमने मेरी गांड फाड़ दी।
फिर वो रोने लगी, मैंने उसे शांत करते हुए कहा- थोड़ा दर्द होगा फिर मजा आयेगा।
वो मान गई, मैंने थोड़ा तेल लंड पर लगा लिया, फिर उसकी गांड में डाल दिया। थोड़ी देर के बाद मेरा पूरा लंड अन्दर चला गया। फिर
उसे भी मजा आने लगा और फिर एक बार मेरा माल निकलने वाला था, उसने बोला- मेरी गांड में ही निकाल दो।
मैंने सारा वीर्य अन्दर निकाल दिया।
फिर हम बिस्तर पर सो गए, पता ही नहीं चला।
मेरे दोस्त का फ़ोन आया- कॉलेज नहीं जाना? आज फाइल जमा करनी है।
मैंने उसको बताया तो वो बोली- मैं तैयार हो जाती हूँ, फिर निकलते हैं,
बाद में उसने मेरे को काफ़ी रुपये दिए तो मैं बोला- क्यों? क्या मैं कॉल बॉय हूँ?
तो वो बोली- नहीं, बस तुम रख लो।
और बस ऐसे ही चलता गया। अब उसकी सारी सहेलियाँ मुझसे अपनी बुर मरवाती हैं और मुझे पैसा भी देती हैं।
मैंने अपने कुछ दोस्तों को भी यह लाभ दिलाया।
आप सबको मेरी पहली कहानी कैसी लगी, जरूर बताना।
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