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भाभी सेक्स कहानी का पिछला भाग: मेरी भाभी सेक्स की पाठशाला-1
अब मेरे सामने एक अलग ही नजारा था। जो मैंने संगीता का नजारा देखा था उससे हटकर नजारा भाभी का था भाभी की जांघें एकदम भरी हुई थी।
फिर भाभी ने मुझे अपना हाथ पकड़ कर अपने ब्लाउज के बटन खुलवाए। ब्लाउज के बटन खोलने के बाद उनका ब्लाउज मैंने उतार के अलग कर दिया. भाभी मेरे सामने लाल ब्रा और रेड पेंटी में थी।
अब बारी भाभी की थी।
मैं लोअर टी शर्ट में था तो भाभी ने सबसे पहले मेरी टी-शर्ट उतारी और उसके बाद लोअर उतार दिया।
भाभी मेरे पास आ गई और मुझे कस कर जकड़ लिया अपनी बांहों में … मैंने भी उनको कसकर जकड़ लिया. वे मेरे कान को चूमती तो जवाब में मैं भी उनके कानों को चूम रहा था।
वे मेरे पेट पर हाथ फेरती तो मैं भी उनके पेट पर हाथ फेरता जा रहा था। वे जैसे जैसे करती जा रही थी, वैसे वैसे मैं भी उनका अनुसरण करता जा रहा था। फर्क सिर्फ इतना था कि मैंने अपने तन पर कुछ नहीं पहना था और उन्होंने अपने तन पर ब्रा और पेंटी पहन रखी थी।
फिर भाभी मुझसे अलग हुई और बोली- रुको 1 मिनट! और भाभी ने अपने पलंग पर बिछी हुई चादर हटाकर दूसरी चादर बिछाई।
भाभी बोली- सचिन पेट के बल लेट जाओ। मैं बोला- पेट के बल क्यों? भाभी बोली- आज मैं तेरी मसाज करूंगी और मसाज करना सिखा दूंगी कि मसाज कैसे करते हैं. मसाज करने के बाद सेक्स करने में बहुत मजा आता है।
मैं बोला- पर मुझे तो मसाज करना आता ही नहीं! भाभी बोली- मैंने तुम से बोला ना कि तुम्हें मैं सब कुछ सिखा दूंगी। अब ज्यादा बातें मत करो और चुपचाप लेट जाओ।
मैं पेट के बल लेट गया। भाभी अब मेरे नितंबों पर अपने नितंब रख कर बैठ गयी और अपने हाथ से मेरी पीठ में तेल लगाकर मसाज करने लगी।
दोस्तो, क्या बताऊं … जब भाभी के हाथ मेरी पीठ पर घूम रहे थे, तब मुझे ऐसा आनंद आ रहा था जिसको मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता। इस आनंद को वही समझ सकते हैं जिन कपल ने अपनी पार्टनर से मसाज ली हो। ना कि किसी मसाज पार्लर में जाकर।
फिर भाभी मेरी जांघों पर बैठकर कुछ तेल मेरे नितंबों पर डालकर मसाज करने लगी।
कभी वे अपने हाथों से मेरे कूल्हों को दबाती, कभी धीमी धीमी अपने मुट्ठी से मेरे नितंबों में मारती. फिर एक उंगली मेरे दोनों नितंबों के बीच से होते हुए मेरे नीचे तक ले जाती और ऊपर नीचे करती. ऐसा आनंद आता जो मैं बयां नहीं कर सकता. मैं चुपचाप पड़े आंखें बंद करें इस आनंद का मजा लेता रहा।
फिर वे मेरे पेट कमर और नितंब की मसाज करने के बाद भाभी मेरी जान घर पर मसाज देती रही।
15 मिनट मसाज करने के बाद भाभी ने मुझसे बोला- अब पीठ के बल लेट जाओ। मैं उनकी बात मानते हुए पीठ के बल लेट गया. भाभी मेरी बायीं ओर आकर अपने हाथों में तेल लेकर मेरी छाती पर मलने लगी।
वे धीरे-धीरे मेरी छाती पर काफी देर तक मसाज करती रही. और फिर मेरी नाभि तक आई, नाभि में उंगली करती रही। उसके बाद उन्होंने मेरे जांघों पर और पैरों पर मसाज की. लेकिन मेरे लिंग को छुआ भी नहीं.
जांघों पर मसाज करने के बाद उन्होंने मेरे पैरों को फैलाने के लिए बोला। मैंने अपने पैर फैला दिए। भाभी मेरे दोनों पैरों के बीच में आकर मेरे लिंग पर मसाज करने लगी। अपने हाथों में तेल लेकर उन्होंने मेरे लिंग पर लगाया और अपने दोनों हाथों से बारी-बारी से ऊपर करती रही। मेरे लंड को ऊपर खींचती रही।
ऐसा काफी देर तक करने के बाद मेरा लिंग खड़ा हो गया। मैं उन्हें मसाज करते हुए देख रहा था. वे बड़ी तन्मयता से मेरे लिंग की मसाज करने में लगी हुई थी।
फिर मेरी नजर उनकी नजर से मिली तो वे भी मुझे देख कर मुस्कुरा दी। उन्होंने एक आंख मार कर इशारा किया और अपने होंठों पर जीभ फेरी. मैं उनका इशारा समझ गया कि वह मेरे लिंग को मुंह में लेना चाहती हैं। मैं भी मुस्कुरा दिया.
भाभी ने मेरे लिंग को अपने मुंह में ले लिया और अपने मुंह से मसाज देना चालू कर दिया। फिर भाभी मेरा लिंग मुंह में से निकाल कर बोली- इसे मुख मैथुन कहते हैं. और फिर से अपने मुंह में मेरा लिंग ले लिया और जितना हो सके उतनी अंदर तक ले रही थी।
क्योंकि पहली बार मेरा लिंग का मुखमैथुन हो रहा था तो मैंने उनके सर को पकड़ कर अपने लिंग पर दबाना चालू किया और अपनी कमर उठाने लगा. भाभी समझ गई कि मेरा पानी निकलने वाला है। तो उन्होंने अपने मुंह से लिंग निकाल दिया और बोली- तेरा पानी निकलने वाला है। अब मैं उसको पियूंगी. और फिर से अपने मुंह में अब मेरा लिंग लेकर आगे पीछे करने लगी.
कुछ देर बाद मैंने पूरा पानी भाभी के मुंह में छोड़ दिया। भाभी उसको पूरा पी गई. मुझे कुछ अजीब सा लगा लेकिन उन्होंने मुझे समझाया कि यह सब चलता है सेक्स में. जब तक ऐसा नहीं हो, सेक्स का मजा नहीं आता। मैं कुछ नहीं बोला।
अब मेरा लिंग छोटा हो गया. उन्होंने मेरे लिंग को पास पड़े हुए कपड़े से साफ किया और उठ कर खड़ी हो गई बोली- चल अब तेरी बारी … अब तू मेरे जिस्म की मालिश करेगा।
जब मैं खड़ा हुआ और अपने आपको लाइट में देखा तो मेरा पूरा बदन तेल की मालिश की वजह से चमक रहा था।
मेरे खड़े होते ही भाभी पलंग पर पेट के बल लेट गई और बोली- चल शुरू हो जा। मैं बोला- नहीं, पहले आप पीठ के बल लेट जाओ, मैं आपका पूरा जिस्म देखना चाहता हूं। और भाभी हंसती हुई पेट के बल से पीठ के बल लेट गई।
अब दोस्तो, मैं यहां पर भाभी के जिस्म का आपको वर्णन कर रहा हूं। आप बस कल्पना करें।
भाभी के रंग को गोरा नहीं कहा जा सकता तो काला भी नहीं कहा जा सकता था। भाभी के बिखरे हुए बाल हैं जो उन्होंने एक साइड पलंग पर बिछा दिए। उनके माथे पर लाल बिंदी, उनकी नाक में नथनी, गले में मंगलसूत्र, कानों में कुंडल. कविता भाभी लाल रंग की ब्रा पहने हुए हैं। जिसमें उनके दोनों बड़े बड़े स्तन छिपे हुए हैं। स्तन उनके इतने बड़े कि मेरे दोनों हाथों में ना आए।
नीचे आते ही उनकी नाभि जो अंदर को दबी हुई हैं 1 इंच तो गहरी होगी ही. उनकी नाभि के नीचे यानि कि कमर में उन्होंने एक पतली सी चांदी की चेन पहन रखी है।
और नीचे आते ही उन्होंने जो पैंटी पहन रखी थी वह जालीदार हैं जिसमें उनकी चूत साफ-साफ दिख रही है जो खुल और बंद हो रही है। मोटी मोटी उनकी जांघें जिन पर हाथ रखने को मेरा दिल मचल रहा है।
और नीचे पैरों में उन्होंने पायल पहनी हुई थी और अंगूठे के बगल की उंगलियों में उन्होंने बिछिया पहन रखी हैं।
मैं भाभी की गांड पर अपनी गांड रख कर बैठ गया। उनकी गांड पर बैठते ही मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं किसी बहुत ही मुलायम गद्दी पर बैठा हुआ हूं।
अपने दोनों हाथों में तेल लेकर मैं भाभी के कंधों पर मालिश करने लगा। पर बीच में उनकी ब्रा आ रही थी मालिश करने में। जो उन्होंने पीछे हाथ करके उसके हुक को खोल के उतार दी।
मेरा मन उनके दूध देखने को बेचैन हो रहा था। वह मेरी बेचैनी देखकर मुस्कुराई और बोली- थोड़ा सबर कर … वे भी मिल जाएंगे तुझे। मैं भी हंस दिया।
फिर मैं उनकी पीठ पर अच्छे से मालिश करता रहा और धीरे-धीरे नीचे आया. जिस तरह उन्होंने मेरी मालिश की थी, उसी तरह मैं भी उनकी मालिश करता रहा.
पीठ और कमर की मालिश हो जाने के बाद मैं उनकी जांघों की और पैरों की मालिश करने लगा। पैरों की मालिश खत्म हो जाने के बाद में वापस उनके दायीं ओर आकर बैठा।
मैं- भाभी, अपनी चड्डी उतार दो। कविता भाभी हंसती हुई बोली- तू ही उतार ले मेरी पेंटी. और उसे चड्डी नहीं बोलते हैं, पेटी बोलते हैं। मैंने कहा- ठीक है, आप की पैंटी में ही उतार देता हूं.
मैंने अपने दोनों हाथों की दोनों उंगलियां भाभी की चड्डी में सॉरी पेंटी के अंदर की और धीरे-धीरे उसे उतारने लगा. भाभी ने भी अपनी कमर थोड़ी ऊपर कर दी जिससे मुझे उसकी पैंटी उतारने में दिक्कत नहीं हुई और मैंने उसकी पैंटी निकाल दी।
अब भाभी मेरे सामने पेट के बल लेटी हुई थी पूरी नंगी. लेकिन मुझे उनकी अभी तक ना चूत ही सही से दर्शन हुए थे और ना ही उनके दूध के! उनका डैशबोर्ड अभी तक मैंने देखा नहीं था।
मैं आप एक और बात बता देता हूं। अभी तक हम जिस तेल से मालिश कर रहे थे वह तेल जैतून का तेल था जो मालिश करने में सबसे अच्छा होता है।
भाभी की पैंटी उतारने के बाद उनके दोनों पैर फैला दिए। मैं उनके दोनों पैरों के बीच में आकर बैठ गया और एक हाथ में तेल लेकर दोनों नितंबों पर तेल लगाया और शीशी का ढक्कन बंद करके भाभी की नंगी जाँघों के जोड़ यानि गांड और चूत से चिपका कर रख दिया। जैसे ही मैंने शीशी भाभी की चूत से चिपकाई, उनके मुंह से एक लंबी आअह निकली।
मैं भाभी के नितम्बों की मालिश करने लगा थोड़ा सा तेल लेकर मैंने उनकी गांड की बीच की दरार में थोड़ा सा तेल लगा कर उनकी गांड की दरार के बीच में ऊपर नीचे करने लगा जिससे हाथ दाएं बाएं चढ़ाने लगे पर मुंह से कुछ नहीं बोल रही थी। थोड़ी देर मसाज करने के बाद वह बोली- रुको. और वे पलट गई। मैं खड़ा होकर उनको देखने लगा।
दोस्तो, आप लोग यहां पर थोड़ी देर के लिए कल्पना करो, जो मैं बोल रहा हूं, उसे फील करो।
कविता भाभी मेरे सामने बिस्तर पर पैर फैलाए एकदम नंगी लेटी हुई। वे मुझे देख रही हैं और मैं उनको! भाभी ने अपने हाथ की एक उंगली अपनी चूत पर फेरी और मुझे देख कर मुस्कुराने लगी.
मैंने उनका इशारा समझा कि वे मुझे चोदने के लिए बोल रही हैं। तो मैं अपना लंड पकड़कर उनकी चूत के पास आया और टच किया। उन्होंने बोला- अभी नहीं राजा, अभी तो पूरी मालिश बाकी है। और वे हंसने लगी।
मैं हाथों में तेल लेकर उनकी जाँघों पर बैठा और उनके दूधों की मालिश करने लगा। फिर उनकी पेट की मालिश और नाभि की मालिश के बाद मैंने उनकी जांघों की मालिश की। और फिर धीरे-धीरे उनके पैरों की मालिश करने लगा.
अब बारी भाभी की चूत की मालिश करने की है।
मैं उनके पैरों के बीच में आकर थोड़ा सा तेल हाथों में लेकर उनकी चूत के आजू-बाजू मसाज करने लगा. और फिर कुछ ही देर के बाद एक उंगली उनकी चूत में डाल कर तेजी से अंदर-बाहर करने लगा। मुझे पता नहीं था लेकिन मेरे हाथ खुद ब खुद यह सब कर रहे थे क्योंकि मैंने ऐसा पहले कभी नहीं किया था।
और कुछ देर बाद भाभी की चूत ने पानी छोड़ दिया। भाभी अपने हाथ से मेरा सर चूत पर दबाने लगी लेकिन मैंने उनकी चूत चाटने से मना कर दिया।
इस पर भाभी बोली- कोई बात नहीं, अभी तेरा पहली पहली बार है इसलिए थोड़ी सी घिन आ रही होगी तुझे. बाद में धीरे धीरे चूत चाटना भी सीख जाएगा तू और फिर तू बिना चूत चाटे भी नहीं रह सकता।
कविता भाभी की मसाज पूरी होने के बाद वह बिस्तर से उठी और नंगी बाथरूम में चली गई.
कुछ देर बाद भाभी अपनी योनि साफ करके आई और मुझे बिस्तर पर लिटा दिया. भाभी मेरे ऊपर चढ़कर मेरे ऊपर लेट गई और अपने शरीर को मेरे शरीर से रगड़ने लगी. हमारे शरीर में तेल पहले से ही लगा हुआ था।
कविता भाभी बोली- इसे ‘बॉडी टू बॉडी मसाज’ कहा जाता है सचिन! और उनकी आवाज में अलग ही नशा था
भाभी की छाती मेरी छाती से रगड़ खा रही थी। उनका पेट मेरे पेट से रगड़ खा रहा था और वह अपनी चूत से मेरे लंड पर किस रही थी। कभी मेरे गालों को किस करती तो मेरे हाथों अपने हाथों में फंसाकर जोर से दबाती।
भाभी अचानक उठकर मेरे ऊपर बैठ गई और थोड़ा ऊंचा हो कर अपने हाथ से लंड अपनी चूत पर सेट किया और एकदम से लंड पर बैठ गई. मेरे मुंह से दर्द भरी आवाज निकली और भाभी के मुंह से भी हलकी सी चीख निकल गयी!
कविता भाभी मेरे लंड पर कूदते हुए मुझसे कह रही थी- हां सचिन, कब से मैं तुझसे चोदना चाहती थी। आज आया है तू मेरी चूत के नीचे. तेरा बहुत-बहुत शुक्रिया संगीता। तेरी वजह से सचिन आज मेरी चूत के नीचे लेटा हुआ है। आज मैं तुझको इतना चोदूंगी … इतना चोदूँगी कि तेरी गांड फट जाएगी। और ना जाने क्या-क्या वह बोलती रही।
फिर वो मेरे ऊपर से उतर कर घोड़ी बन गई और मुझसे बोली- सचिन, चोद अपनी घोड़ी को घोड़ा बन के! भाभी के पीछे से अपना लंड मैंने भाभी की चूत में डाला और उन्हें चोदने लगा।
कुछ देर इसी पोजीशन में चुदाई के बाद कविता भाभी पीठ के बल अपनी टांगें चौड़ी करके लेट गई। और मैं उनका इशारा समझ गया।
मैं उनके टांगों के बीच में आया और उन्होंने अपने दोनों पैर मेरे कंधे पर रख दिए और मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत मुंह पर रख लिया. मैंने पूरी ताकत से झटका दिया, मेरा पूरा का पूरा लंड भाभी की चूत में आवाज करते हुए चला गया.
भाभी अब तक शायद एक बार झड़ चुकी थी। भाभी ने मुझे स्पीड से चोदने को बोला- जितनी ताकत है तेरे अंदर … पूरी ताकत लगा कर मुझे चोद सचिन। मैं पूरी ताकत से कविता भाभी को चोद रहा था कि अचानक मेरे लंड ने पिचकारी कविता भाभी की चूत में छोड़ दी। साथ में भाभी भी आवाज करते हुए झड़ गई.
मैं भाभी के ऊपर गिर गया. उन्होंने मुझे अपनी छाती से लगा लिया. एक हाथ से कविता भाभी मेरी पीठ को सहला रही थी और दूसरे हाथ से मेरे सिर को। मैं उनके ऊपर पड़ा रहा और मैं उन्हीं के ऊपर सो गया. मुझे नहीं पता मेरा लंड उसकी चूत से कब निकला।
मैं सोता रहा जब मेरी नींद खुली। तो रात के 11:30 बज रहे थे। मैं अभी भी कविता भाभी के ऊपर ही सो रहा था। उन्होंने मुझे अपने ऊपर से नहीं हटाया।
पर मैं उनके ऊपर से उतर के उनके बाजू में लेट गया और फिर हम दोनों नंगे बदन एक दूसरे से चिपक कर सो गए। इसके आगे की कहानी फिर कभी।
दोस्तो, अभी कहानी खत्म नहीं हुई है। इसके आगे की कहानी अगले पार्ट में लिखूंगा। आपको मेरी कहानी कैसी लगी? [email protected]
कहानी का अगला भाग: मेरी भाभी सेक्स की पाठशाला-3
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