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प्रेषिका : सिमरन सोधी
पिछ्ले भाग में आपने मेरी पहली चुदाई का घटनाक्रम पढ़ा।
अब आगे-
कुछ साल बाद मैंने बीएससी में अड्मिशन लिया और पवन के पापा की ट्रांसफर अहमदाबाद हुई और वो सब चले गए। मैं पवन से चुदती थी तो मेरी फिगर बहुत सुडौल हो गई थी। इसलिए कोलेज के पहले ही दिन से लड़के मेरे दीवाने हो गए थे। लड़के कभी सिटी बजाते तो कभी मेरे ऊपर कमेन्ट करते कभी धक्के मारते, छेड़ते थे। मगर मैं ध्यान नहीं देती थी।
एक बार कुछ लड़कों से इस बात पर झगड़ा हुआ। वो लड़के मुझसे सीनियर थे। तभी एक अकबर खान नाम का लड़का आया और उसने मुझे बचाया। अकबर ने उन लड़कों को वार्निंग दी कि कभी किसी लड़की को छेड़ना नहीं और लड़कियों का आदर करना। मैं अकबर पर फ़िदा हो गई। अकबर बीएससी फाईनल में पढता था। वो दिल्ली का रहने वाला था, काफी हेंडसम था। उसका बदन अच्छा था, वो बोक्स़र था।
जल्द ही हमारी दोस्ती हो गई। हम कोलेज के बाहर भी एक दूसरे को मिलते थे। हमारी दोस्ती को एक महीना भी नहीं हुआ था कि अकबर ने मुझे प्रपोज किया। मुझे वो अच्छा लगा इसलिए मैंने भी हाँ कर दी। हम रोज मिलते, एक दूसरे का हाथ पकड़ते, बाहों में लेते और अकेले में किस्सिंग भी करते।
वो मुझे अपने साथ बाइक पर बहुत घुमाता था। एक बार हम बाइक पर बहुत दूर चले गए और बारिश शुरू हो गई। हम भीग गए और मुझे बहुत ठण्ड लग रही थी। फिर वो मुझे अपने कमरे में ले गया जो थोड़ी ही दूर था। मैं ठण्ड से कांप रही थी।
उसने मुझे कहा- गीले कपड़ों की वजह से ठण्ड लग रही है, कपड़े निकाल दो।
और उसने मुझे उसका टी-शर्ट और बरमूडा पहनने को दी। मैं कपड़े बदलने बाथरूम चली गई और वो हमारे लिए कॉफ़ी बनाने लगा। हम दोनों ने कॉफ़ी पी और फिर से हमारी किस्सिंग चालू हो गई। उसका शरीर काफी हॉट था, मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। वो मेरी आँखों में देख रहा था जैसे मुझे चोदने की परमिशन मांग रहा हो और मैं भी उसकी आँखों में मुस्कुरा कर देख रही थी। फिर हम दोनों ने एक दूसरे के कपड़े उतार दिए।
मैंने देखा उसका लंड हाय रे ….मेरे अंदाज से बहुत लम्बा था, 8 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा था। उसने मेरी चूत और चूचों को खूब चाटा और मैंने भी उसके लंड को बहुत चूसा। वो झड़ गया और मैं उसके लंड से निकले वीर्य को पी गई और उसके लंड को चूसती रही। फिर उसने मेरी चूत में अपना सुपारा डाला, आधे घंटे तक मुझे राजधानी एक्सप्रेस की तरह चोदा और उसका पानी मेरी चूत में बरसा दिया।
फिर वो मेरे ऊपर ही 15-20 मिनट पड़ा रहा और हम दोनों एक दूसरे के होटों को चूमते रहे। फिर उसने अपने लंड को मेरी गांड में डाल कर मेरी गांड मारी।
फ़िर मैं घर चली गई और मैंने गर्भ ना होने के लिए गोली ली।
उस दिन से हमें जब भी मौका मिला हम चुदाई का मजा लेते रहे। उसके फाईनल इयर की एक्जाम ख़त्म हुई और वो मुझे छोड़ कर हमेशा के लिए दिल्ली चला गया। मैं अकेली रह गई।
पर ज्यादा देर नहीं !
उसके बाद मुझे कौन मिला। वो अगले भाग में !
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