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प्रेषक : संजय शर्मा, दिल्ली
अगली रात को मेरे कहने पर भाभी ने अपना ब्लाउज खोला और अपने चूचे मेरे हाथों में दे दिए। क्या मस्त नर्म नर्म चूचे थे मानो स्पंज की गेंदें मेरे हाथो में हो।
मैंने उनके स्तनों को खूब मसला और चूसा। नीचे मैं उनकी चूत में उंगली भी कर रहा था। अब मेरी इच्छा उनको चोदने की थी पर क्योंकि उसमें खतरा था तो हम लोग चुदाई नहीं कर पा रहे थे।
1-2 बार हम लोगों ने हिम्मत भी की और मैंने अपना लण्ड उनकी चूत में डाला पर यह काम पूरा नहीं हो पाया।
मैंने उनसे कहा- मैं उनको पूरा नंगा करके चोदना चाहता हूँ !
तो वो बोली- चाहती तो मैं भी हूँ पर अभी नहीं कर सकते। हम लोगों को सही मौके का इंतजार करना पड़ेगा।
हम लोगों का यह चूसने और रगड़ने का सिलसिला करीब महीने भर तक चलता रहा।
लगभग एक महीने बाद एक दिन दोपहर में जब मैं ऑफिस में था तभी भाभी का कॉल मेरे फ़ोन पर आया, उन्होंने कहा- जल्दी घर आ जाओ, कल की छुट्टी लेकर।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो वो बोली- घर आ जाओ, बताती हूँ।
मुझे अजीब सा डर लग रहा था, पता नहीं क्या हुआ होगा।
मैं तुरंत घर पंहुचा और बेल बजाई तो भाभी ने दरवाजा खोला। मैंने तुरंत ही पूछा- क्या हुआ?
उन्होंने मुझे पकड़ कर अंदर कर लिया और दरवाजा बंद कर दिया। फिर वो पलट कर मेरे गले लग गई और मेरे होठों को चूमने लगी। मैंने भी उनके होठों को चूमा पर मुझे ध्यान आया कि चाचा चाची घर पर ही होंगे तो मैंने भाभी को अपने से अलग किया और पूछा- मुझे इतनी जल्दी क्यों बुलाया?
तो भाभी मुस्कुराते हुए बोली- अभी अचानक इनके मामा की तबियत बहुत खराब हो गई तो सबको वहाँ जाना पड़ा और वो कल शाम तक वापस आयेंगे। तो मैंने सोचा कि क्यों ना इस मौके का फायदा उठाया जाए तो मैंने तुमको कॉल करके जल्दी बुलाया और कल की छुट्टी लेने को बोला।
मेरे खाने की व्यवस्था के कारण भाभी नहीं गई।
मैंने ख़ुशी से भाभी को गले लगा लिया और उनके होठों पर होंठ रख कर बोला- मेरी प्यारी चुदक्कड़ भाभी, अब अपनी चूत की खैर मनाओ।
यह कह कर मैं उनके होठों को चूमने लगा, वो भी बड़े मज़े से मेरा साथ दे रही थी। थोड़ी देर तक चूमने के बाद मैं बोला- तो क्या योजना है भाभी? कार्यक्रम शुरु किया जाये?
तो वो बोली- थोड़ा इंतज़ार करो, मैं बेटे को सुला दूँ, फिर तो हम लोगों को सिर्फ चुदाई का खेल खेलना है।
मैंने कहा- चलो ठीक है।
यह कह कर भाभी अपने कमरे में चली गई और मैं अपने कपड़े बदलने आ गया।
थोड़ी देर में जब मैं भाभी के कमरे में गया तो देखा भाभी करवट लेकर अपने बेटे को सुला रही हैं, पीछे से उनके नितम्ब बहुत मस्त लग रहे थे तो मैं भी उनके पीछे लेट गया और उनके नितम्ब सहलाने और दबाने लगा।
भाभी बोली- थोड़ा रुक जाओ !
तो मैंने कहा- भाभी, इतने दिनों की प्यास है, कैसे रुक जाऊँ?
यह सुन कर वो मुस्कुराई। मैं पीछे से भाभी की साड़ी ऊपर करके उनकी जांघों को सहलाने लगा, फिर मैंने पीछे से उनकी साड़ी उनके नितम्बों के ऊपर तक उठा दी। उन्होंने चड्डी नहीं पहनी थी और मैंने पहली बार दिन की रोशनी में उनके नितम्ब देखे थे, वो बहुत चिकने और मस्त थे, गोल गोल उभरे हुए।
मैं उनको सहलाने लगा, फिर मैंने उनके नितम्बों को थोड़ा चौड़ा किया तो मुझे उनकी गाण्ड का छेद दिखने लगा। वो भूरा सा छोटा सा छेद बहुत मस्त लग रहा था। मैंने अपनी उंगली उनके गाण्ड के छेद में डाल दी तो भाभी थोड़ा सा कसमसाई और मैं धीरे-धीरे उनकी गाण्ड के छेद में उंगली अन्दर-बाहर करने लगा।
फिर मैं पीछे से ही उनकी जांघों के बीच में से उनकी चूत पर उंगली फ़िराने लगा। मेरी उंगली उनकी चूत के अंदर जा रही थी। उन्होंने भी अपनी टाँगें थोड़ी चौड़ी कर ली ताकि मैं आराम से उनकी चूत को सहला सकूँ।
फिर मैंने अपना पजामा नीचे करके अपना लण्ड निकाला और उनकी गाण्ड के छेद पर लगाने लगा। मैं थोड़ी देर तक यही सब करता रहा और उनको पीछे से चूमता रहा।
जब भाभी का बेटा सो गया तो भाभी मेरी तरफ पलटी और मेरे होंठों पर होंठ रख कर बोली- अब बोलो, बड़ी जल्दी पड़ी थी ना तुमको?
मैंने उनको अपनी बाहों में ले लिया और हमारे होंठ एक दूसरे से उलझ गए। मैं कभी उनके मुँह में जीभ डालता कभी वो मेरे मुँह में। मैं उनके होंठों को संतरे की फ़ांकों की तरह चूस रहा था। बहुत रसीले होंठ है मेरी भाभी के।
मेरे हाथ कभी उनके चूचों को मसलते तो कभी उनकी जांघों को। अब तक मैंने आगे से भी उनकी साड़ी उठा दी थी। मेरा हाथ उनकी चूत को मसल रहा था और वो इससे मस्त हो रही थी। मुझे पता चल रहा था कि भाभी की चूत बिल्कुल चिकनी है आज भी।
मैंने भाभी से पूछा तो वो बोली- तुमको फ़ोन करके मैंने सबसे पहले अपनी चूत को शेव किया था तुम्हारे लिए !
तो मैं बोला- तो मुझे उस जन्नत के दरवाजे के दर्शन तो करने दो !
भाभी बोली- अब तो यह दरवाजा तुम्हारे लिए ही खुला है जो मर्ज़ी हो वो करो।
इतना सुन कर मैं नीचे की तरफ सरका और मुँह उनकी चूत के पास ले गया। आज पहली बार मैं उनकी चूत को रोशनी में देख रहा था। गुलाब की पंखुडियों की तरह की दो फांकें, एकदम फूली हुई। एकदम मस्त फुद्दी थी उनकी किसी मस्त माल की तरह।
मैंने अपनी उंगली से उनको थोड़ा चौड़ा किया तो बीच में लाल रंग का उनकी चूत का छेद मानो सुबह के सूरज की रोशनी हो। मैंने पूरी सांस लेकर उनकी चूत की खुशबू ली और उनकी टाँगें उठा कर अपने कंधों पर रख ली ताकि उनकी चूत थोड़ी और चौड़ी हो जाये।
फिर बिना इंतज़ार किये अपनी जीभ उनकी चूत में डाल दी। मैंने उनकी चूत को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। मैंने भाभी की तरफ देखा वो आँखें बंद करके पूरे मज़ा ले रही थी।
उन्होंने आँखें बंद करके मेरा सर अपने हाथों में पकड़ रखा था और मेरे मुँह को अपनी चूत की तरफ दबा रही थी। उनकी चूत से थोड़ा थोड़ा पानी निकलने लगा था। मेरे हाथ उनके वक्ष पर थे और मैं उनको दबा रहा था।
थोड़ी देर तक उनकी चूत चूसने के बाद मैं उनके ऊपर बैठ गया और उनके ब्लाउज के बटन खोलने लगा। जब मैंने उनके बटन खोल कर उनके को ब्लाउज हटाया तो उनके गोरे गोरे भारी स्तन मेरे सामने थे। उन्होंने काले रंग की पारदर्शी ब्रा पहन रखी थी जिसमें से उनके चुचूक नज़र आ रहे थे।
मैंने उनके कंधों से ब्रा के स्ट्रप नीचे कर दिए जिससे उनके स्तन बाहर उछल पड़े। मैंने उनके नंगे चूचों को हाथ में लेकर खूब दबाया। बहुत नरम मुलायम चूचे थे उनके।
मैंने उनके चुचूकों को खूब मसला फिर सर नीचे करके मुँह में लेकर चूसने लगा।
थोड़ी देर में भाभी ने मुझे नीचे लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ कर मुझे चूमने लगी। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था क्योंकि उनके खुले हुए स्तन मेरे शरीर को जगह जगह छू रहे थे। फिर वो नीचे की तरफ उतरी और मेरा पजामा पूरा उतार दिया और मेरे लण्ड से खेलने लगी। उन्होंने मेरे लण्ड को चाटा और फिर मुँह में लेकर चूसने लगी।
वैसे तो हम लोग यह काम रोज ही करते थे पर आज की बात ही कुछ और थी क्योंकि आज तक हमने एक दूसरे के गुप्तांगों को रोशनी में सही से नहीं देखा था और दूसरा यह कि रोज घर में सब लोग होते थे तो हर वक़्त किसी के आने का डर लगा रहता तो हम लोग पूरे मज़े नहीं ले पाते थे।
पर आज हम आज़ाद थे अपना सेक्स की भूख का नंगा नाच करने को। भाभी मेरे लण्ड को लॉलीपोप की तरह चाट और चूस रही थी। मेरा लण्ड उनके मुँह में अंदर-बाहर हो रहा था। बहुत मज़ा आ रहा था मुझे। मैं सिर्फ लिख सकता हूँ पर क्या मज़ा था आप लोग प्लीज सोच कर देखिये।
जब भाभी मेरा लण्ड चूस रही तो मैंने अपनी टीशर्ट उतार दी और मैं पूरा नंगा था, अब बारी थी अपनी गोरी चिकनी भाभी के बचे हुए कपड़े उतार कर उनको नंगा करने की।
मैंने भाभी को पकड़ कर खड़ा कर दिया और बिल्कुल द्रोपदी के चीरहरण की तरह उनकी साड़ी खींचनी शुरु कर दी।
भाभी भी गोल गोल घूम के अपनी साड़ी उतरवा रही थी।
अब उनके पेटीकोट की बारी थी जो उनके शरीर के पूरे दर्शन करने में बीच में आ रहा था। मैं उनके पास गया और उनका नाड़ा खोल कर पेटीकोट थोड़ा चौड़ा कर दिया और जैसे ही मैंने पेटीकोट छोड़ा वो नीचे गिर गया।
अब मेरी इतने दिनों की इच्छा पूरी हो गई थी औत भाभी भी मेरे सामने बिल्कुल नंगी एक रंडी की तरह खड़ी थी। मैं उनके शरीर को देख रहा था। गुलाबी होंठ, तने हुए स्तन, फूली हुई चूत और पीछे गोल गोल तरबूज जैसे नितम्ब।
आज मुझे भाभी के तीनों छेदों में अपना लण्ड डालना था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।
भाभी मुझसे लिपट गई और बोली- अब रहा नहीं जा रहा ! मेरी चूत का रिबन काट दो।
मैंने भाभी को पंलग पर लिटाया और उनके ऊपर बैठ कर उनकी चूत पर अपन लण्ड रखा और भाभी को बोला- भाभी, मस्त चुदाई मुबारक हो !
वो भी बोली- तुमको भी ! बहुत इंतज़ार के बाद यह मौका मिला है तो शुरु करो।
इतना सुन कर मैंने एक झटका मारा तो मेरा टोपा उनकी चूत के छेद में घुस गया।मस्ती से भाभी के मुँह से भी आहा उह्ह की आवाजें निकलने लगी। मेरे अगले झटके से भाभी की चूत में मेरा पूरा लण्ड घुस गया। भाभी खूब चुदी हुई थी तो मुझे लण्ड डालने में कोई परेशानी नहीं हुई पर इतनी चुदाई के बाद भी उनकी चूत कसी हुई थी। मैं अपना लण्ड उनकी चूत में अंदर-बाहर करने लगा। वो भी अपनी गाण्ड उचका-उचका के मेरा साथ दे रही थी, मैं साथ में उनके स्तन दबा रहा था और होंठ चूस रहा था।
थोड़ी देर में ही हम लोगों का पानी निकलने लगा तो पूरे कमरे में पच पच की आवाजें आने लगी। भाभी चिल्ला रही थी- चोदो राजा चोदो, अपनी भाभी को अपनी पत्नी, अपनी रखैल की तरह चोदो और मेरी सारी तम्मना पूरी कर दो।
मैं भी उनको चोदते चोदते बोल रहा था- भाभी, बहुत दिनों से तुम्हारी मारना चाहता था पर मौका नहीं मिल पा रहा था तो आज मैं तुमको नहीं छोड़ूंगा, तेरी पूरी तरह से मार लूंगा आज। मेरी रानी आज तू मेरी माल है और मैं अपने माल को आसानी से नहीं छोड़ता।
भाभी बोली- मेरे राजा, तुम चोदो, छोड़ने की बात क्यों करते हो? आज तो मैं ही तुमको नहीं छोड़ूँगी।
करीब 25 मिनट बाद हम दोनों ने अपना पानी छोड़ दिया। मैंने अपना सारा रस उनकी चूत में ही निकाल दिया। मैं उनके ऊपर ही लेट कर सो गया।
फिर हम दोनों उठे क्योंकि उनके बेटे के उठने का समय हो गया था, मन तो नहीं कर रहा था पर मज़बूरी थी।
फिर रात को भाभी ने सेक्सी मेक्सी पहनी बिल्कुल पारदर्शी, और हमने सेक्स के मज़े लिए।
अगली दिन सुबह जब उनका बेटा स्कूल चला गया तो वो मेरे पास आई। मैं तब तक सो रहा था, बिल्कुल नंगा। उन्होंने मुझे चादर उढ़ा दी थी। वो मेरे ऊपर चढ़ कर बैठ गई और मेरा लण्ड पकड़ के अपनी चूत पर लगा के जोर से बैठी तो मेरा लण्ड उनकी चूत में उतर गया।
वो मेरे ऊपर बैठी बैठी उचक रही थी और मैं नीचे मज़ा ले रहा था।
उस दिन हम लोगों ने दिन भर सेक्स किया, बिना समय ख़राब किये। हम लोग अपना पानी छोड़ते और थोड़ी देर में फिर तैयार हो जाते और चुदाई करते। मैंने भाभी को घोड़ी बना कर भी चोदा, उनको उल्टा लिटा कर उनकी चूत मारी।
दिन में हम लोगों ने कैमरा लगा कर उसको टीवी से जोड़ दिया तो हम लोगों की लाइव चुदाई हम लोग टीवी पर भी देखते जा रहे थे, बिल्कुल ब्लू फ़िल्म की तरह लग रही थी। शाम तक हम लोगों का यही कार्यक्रम चला। जब शाम को भाई का कॉल आया कि वो भोपाल पहुच गए हैं तब हमने अपनी एक फ़ाइनल चुदाई की और नहाने चले गए और तैयार होकर बैठ गए।
जब तक उन लोगों ने दरवाजे की घंटी नहीं बजा दी हम लोग एक दूसरे से चिपके हुए थे और जो कुछ कर सकते थे वो कर रहे थे।
मैं उनकी चूत में उंगली कर रहा था वो मेरा लण्ड चूस लेती थी। बैठे बैठे भी हम लोगों ने चुदाई की। वो मेरी गोदी में बैठ के मेरा लण्ड अपनी चूत में डलवा कर उचक रही थी और साथ में ही उनके स्तन भी उछाले मार रहे थे। मस्त दृश्य था वो भी।
आप खुद ही सोचो आपकी गोदी में बैठ कर कोई लड़की अपनी चूत मरवाए और उसके चूचे भी ऊपर-नीचे उछल रहे हो तो कैसा लगेगा आपको।
उस दिन के बाद जब भी हम लोगों को मौका मिलता हम चुदाई करते। मैं भोपाल करीब 6 महीने रहा और भाभी की चुदाई की। उसके बाद भी भाभी मुझे घरवालों का कार्यक्रम बता देती और जब उन लोगों को बाहर जाना होता तो मैं पहुँच जाता और उनके जाने के बाद हम अपनी यादें ताज़ा करते चुदाई करके !
पर ये मौके कम ही मिले तो आज भी अपनी भाभी और उनकी सोनपरी जैसी चूत को याद करता हूँ।
इस दो दिन की चुदाई में मैंने भाभी को साथ नहाते समय भी चोदा और तभी उनकी गाण्ड मारी। पर वो मेरी अगली कहानी में बताऊँगा क्योंकि वो अपने में एक अलग अनुभव है।
यह कहानी आपको कैसी लगी, कृपया जरूर बताइएगा। मुझे आपके प्रोत्साहन की जरुरत है तो मेल जरूर करें।
आपका संजय
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