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मेरा नाम तनिषा है, मैं यहाँ अपनी कहानी पहली बार बताने जा रही हूँ, यह मेरी सच्ची कहानी है।
मैं दिखने में बहुत सुन्दर और अच्छी बदनाकृति वाली लड़की हूँ, मेरे साथ पढ़ने वाली सारी लड़कियाँ मेरे बदन को देखकर जलती हैं और लड़के मुझे करिश्मा कपूर कह कर बुलाते हैं पर मैंने किसी को अपने करीब आने का या शरारत करने का कोई मौका नहीं दिया था। एक साल पहले की बात है जब बारिश का मौसम चल रहा था और मैं कोलेज के पहले साल में पढ़ रही थी, लड़के लड़कियाँ साथ में एक ही क्लास में पढ़ते थे। उस दिन इतनी बारिश हो रही थी कि मेरे घर से कोलेज का रास्ता बन्द हो गया था तो पापा मुझे लेने आ नहीं पाये, उन्होंने मुझे फ़ोन किया कि जैसे ही बारिश कम होगी और रास्ता साफ होगा तो वो लेने आयेंगे, तब तक इंतजार करूँ।
क्योंकि पापा जानते थे हमारे कोलेज में एक वेटिंगरूम है।
मैंने कहा- मैं यहाँ इंतजार करुँगी।
पर हाय रे किस्मत ! बारिश बढ़ती ही चली गई और रास्ता और भी खराब होने लगा और मेरा डर भी बढ़ने लगा कि न जाने क्या होगा/
उतने में ही हमारे कोलेज का एक लड़का जिसका नाम सूरज है, वो भी आया, उसकी भी परेशानी थी कि उसका घर भी बहुत दूर था और उसका बाइक स्टार्ट नहीं हो रहा था।
इतने में फिर से पापा का फोन आया, बोले- रास्ता ख़ुलने में और वक्त लगेगा।
मैंने कहा- कोई बात नहीं !
पर पापा बहुत चिंतित थे, उन्होंने कहा- तू अकेली वहाँ घबरा तो नहीं रही है ना?
मैंने उनकी चिंता कम करने के लिए झूठ बोल दिया, मैंने कहा- नहीं, यहाँ एक और लड़की भी है, जिसके पापा उसे लेने नहीं आ पाये, उसका घर नजदीक ही है, आप चिंता न करें। अगर रास्ता न खुला तो मैं उनके घर चली जाऊँगी।
यह सुनते ही पापा ने चैन की सांस ली।
ये सब बातें सूरज गौर से सुन रहा था। अचानक मेरा ध्यान उसकी और गया, वो कुछ सोच रहा था, वो कुछ सोचे उससे पहले मैंने ही बता दिया- पापा बहुत चिंतित थे तो मैंने झूठ बोला !
वो बोला- कोई बात नहीं, ऐसा तो चलता रहता है।
फिर उसने कहा- यह बारिश तो रुकने वाली नहीं है, यहाँ नजदीक में एक दुकान है वह जाकर हम खाना खाते हैं, वो बन्द हो गई तो हमें सारी रात भूखा रहना होगा।
मैंने कहा- कोई बात नहीं, चलो चलते हैं।
वेटिंगरूम में एक छाता था, हम उसे लेकर बाहर निकले, छाता छोटा था तो हमें काफी जुड़ कर चलना पड़ रहा था, उसका और मेरा हाथ, कंधे से कंधा छू रहे थे। और वो तो जानबूझ कर चलने के बहाने अपनी कोहनी से मेरे वक्ष को छू रहा था। दुकान नजदीक थी इसलिए मैंने कुछ कहा नहीं !
हम वहाँ पहुँचे, खाना खाया, फिर वहाँ से वापस वेटिंग रूम जाने के लिए छाता लेकर बाहर निकले तो वो फिर से वही शरारत करने लगा। छाता छोटा था और उसके साथ चलना मेरी मज़बूरी थी।
इतने में न जाने कहाँ से तेज हवा आई और हमारा छाता पूरी तरह से टूट गया और हम भीगने लगे। हम लोगों ने तेजी से दौड़ना चालू किया फिर भी कॉलेज पहुँचने तक हम पूरी तरह से भीग गये।
उस दिन मैंने स्कर्ट और शर्ट पहन रखी थी, पूरा भीगने के कारण मेरी शर्ट मेरे वक्ष से चिपक गई और मेरी चूचियों की पूरी गोलाई दिखने लगी। सूरज मेरे वक्ष को घूर-घूर कर देख रहा था। मैं अपने बालों से पानी निचोड़ने में लगी थी, मेरा ध्यान उस पर गया, मैंने पूछा- क्या देख रहे हो?
उसने कहा- कुछ नहीं ! मैं देख रहा हूँ कि तुम और मैं पूरी तरह से भीग गए हैं और यहाँ कपड़े बदलने के लिए भी कुछ नहीं ! तो क्या होगा पूरी रात?
बोलते बोलते वो तो अपनी शर्ट निकाल रहा था। मेरा ध्यान उसकी चौड़ी छाती पर गया, बिना शर्ट के वो काफी हैंडसम लग रहा था।
उसने मुझे देखते हुए देख लिया और बोला- तुम क्या देख रही हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं, तुम तो अपनी शर्ट सुखा लोगे, मैं क्या करूँ?
वो शरारत करते हुए बोला- तुम भी निकाल कर सुखा लो, इसमें क्या परेशानी है? यहाँ हमा दोनों के अलावा कोई भी नहीं है।
मैंने कहा- यही तो परेशानी है !
वो मुस्कुराया और बोला- तो जैसा तुम ठीक समझो, वैसा करो ! मैं तो अपनी पैंट भी सुखाने वाला हूँ।
और वो पैंट उतारने लगा।
मैंने गुस्से से कहा- हे ! क्या कर रहे हो तुम? एक लड़की के सामने नंगे हो रहे हो? तुम्हें शर्म नहीं आ रही है?
जवाब में वो बोला- नहीं आ रही है क्योंकि मैं नंगा नहीं हुआ हूँ, मैंने चड्डी तो पहनी है।
और वो हंसने लगा। मुझे उसके रवैये से और भी गुस्सा आया, वो अभी भी मेरे मस्त चूचों को एक नजर से देख रहा था। अचानक मेरी नजर उसकी अन्डरवीयर पर गई, उसने लक्स की वीशेप वाली अन्डरवीयर पहनी थी जो उसके लण्ड पर कसी हुई थी जिसकी वजह से उसके लण्ड की मोटाई साफ साफ नजर आ रही थी।
नजर फ़िरा ली और अपनी भीगी हुई शर्ट को निचोड़ने में लग गई पर पहनी हुई शर्ट कहाँ ठीक से निचोड़ी जाने वाली थी। उस दौरान मेरे शर्ट का ऊपर का एक बटन टूट गया और मेरी आधी ब्रा तक दिखने लगी क्योंकि मेरे चूचे बहुत बड़े और ब्रा थोड़ी छोटी थी। मुझे बहुत शर्म आने लगी, मैंने अपने वक्ष पर हाथ रख दिए और सूरज से बोली- यहाँ मत देख, मुझे शर्म आ रही है।
वो भी बहुत बड़ा हाजिर जवाबी लड़का था, वो तुरंत बोला- जब मैंने पैंट निकाली और तू मेरी अण्डरवीयर को देख रही थी, तब मैंने तो नहीं कहा कि मत देख मुझे, फिर तू क्यूँ मुझे बोल रही है कि मुझे क्या देखना चाहिए और क्या नहीं देखना चाहिए !
मेरे पास उसके सवाल का कोई जवाब नहीं था, मैं चुप हो गई तो उसने बड़े प्रेक्टिकल तरीके से मुझे समझाते हुए कहा- तनिषा, देख, तेरे पूरे कपड़े गीले हो चुके हैं, तू कुछ भी कर ले ये पहने हुए तो सूखने वाले नहीं हैं, ब्रा-पेंटी पहने रख और शर्ट-स्कर्ट को सुखा दे, 2-3 घंटे में सूख जायेंगे, फिर पहन लेना।
मैं कुछ सोचने लगी और बोली- लेकिन…
उसने मेरी बात काट दी और बीच में ही बोला- देख, जब तू स्विमिंग करने जाती है बीच पर तो वहाँ तो स्विमिंग सूट ही पहनती है जबकि वहाँ तो बहुत सारे लोग होते हैं, फिर यहाँ क्यूँ शरमा रही है? यहाँ भी तूने ब्रा-पेंटी तो पहन ही रखी है, फिर क्या परेशानी है?
मैंने भी सोचा कि सारी रात भीगने से तो अच्छा है कि कुछ देर कल लिए कपड़े उतार कर सुखा दिए जायें और मैंने वेटिंग रूम दरवाजा अन्दर से बन्द कर लिया। वो समझ गया कि मैंने उसकी बात मान ली है, और कोई चारा भी नहीं था इस वक्त !
फिर मैं अपने हाथों से ही अपनी शर्ट के बाकी बटन खोलने लगी। सारे बटन खुल चुके थे, और मेरी चूचियाँ भी अच्छी तरह से उसे दिखने लगी थी। मैंने शर्ट निकाल दी वो मेरे गोरे बदन को और भी घूर कर देखने लगा आज!
पहली बार कोई लड़का मुझे इस हालत में देख रहा था, उसके मुख से निकल गया- वाह !
मुझे सुन कर अच्छा लगा, मैं मन ही मन अपनी खूबसूरती पर नाज कर रही थी। फिर मैंने अपनी स्कर्ट की तरफ अपने हाथ बढ़ाये और उसे भी निकाल दिया। अब मैं सिर्फ ब्रा और छोटी सी पेंटी में थी, मेरी भीगी हुई छाती और सेक्सी टाँगों को वो देखता ही रह गया। अब मैंने उसकी तरफ देखा तो उसके नीचे का भाग पहले से अधिक फूल गया उसका लण्ड और भी मोटा हो गया।
मैंने उसकी आँखों में देखा, वो भी मेरी पेंटी को देख रहा था।
मैंने उसे बोला- अब देख लिया तो नज़र हटाओ !
उसने मेरी तरफ देखा और बोला- मैंने कई सेक्सी फिल्में देखी हैं पर मैंने कभी इतनी खूबसूरत फिगर वाली लड़की को नहीं देखा। सच बोल रहा हूँ, हाय रे ! बनाने वाले ने क्या बनाया है तुझे !
मैं अपनी तारीफ सुन कर खुश हो रही थी और उसने देखा कि हल्की सी हंसी मेरे चेहरे पर दिख रही थी। वो मौके का फायदा उठाते हुए बोला- काश, कुछ और भी देखने को मिल जाता ! तो आज स्वर्ग का आनंद मिल जाता !
मैं जानती थी कि उसका इशारा मेरी ब्रा और पेंटी पर था फिर भी मेंने अनजान बन कर शरारत करने के लिए पूछा- और क्या देखना है तुझे?
वो कुछ नहीं बोला और मेरी तरफ आगे बढ़ने लगा। मैं घबरा गई कि यह मैंने क्या बोल दिया।
मैं कुछ बोलती, उससे पहले उसने मेरे वक्ष पर अपने हाथ रख दिए और बोला- इन्हें देखना चाहता हूँ जान !
अगले भाग में समाप्त !
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कहानी का अगला भाग: बारिश की एक रात-2
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