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प्रेषक : राजवीर
सूरज उठा और कपड़े पहने और चला गया। दोनों बहनें भी उठी, कपड़े पहने, बिस्तर धोया, साफ़ किया और बाते करने लगी- साले को एक दिन में ही दो कच्ची सील तोड़ने का मौका मिल गया !
पिंकी ने कहा- चलो, एक बात तो है ! घर की बात घर में रही, कहीं बाहर जाने की जरुरत नहीं पड़ी और मजा भी मिल गया।
रिंकी ने कहा- हाँ, वो तो है।
तब से दोनों ने ठान लिया कि जहाँ मौका मिले वहाँ मजा ले लेंगी।
रिंकी के बारहवीं होने तक दोनों ने सूरज के लण्ड से मौज की और किसी को पता भी नहीं चला। बारहवीं के बाद रिंकी अपने मामा के घर चली गई, वहाँ कॉलेज में दाखिला ले लिया। वहाँ उसके मामा-मामी और उनका एक बेटा विवेक जिसकी उम्र 22 साल थी। यहाँ पिंकी अकेली रह गई और बारहवीं की पढ़ाई करने लगी। सूरज भी और कहीं चला गया था।
तो बात आती है पहले पिंकी की। रात को बस उंगली करती और सो जाती। कभी कभार पेन या मोमबत्ती से काम चलाती।
एक दिन पिंकी पानी पीने के उठी तो देखा उसका भाई महेश अपने मम्मी पापा के कमरे के आगे खड़ा अपना लण्ड सहला रहा है।
पिंकी अच्छा मौका देख कर बाहर गई और महेश से पूछा- क्या कर रहे हो?
वो घबरा सा गया और लण्ड कच्छे में डाल लिया।
पिंकी ने भी देखा तो उसके पापा उसकी अम्मी की गाण्ड में लण्ड डाल कर आगे-पीछे कर रहे है। यह देख पिंकी को भी मजा आने लगा। महेश उसके पीछे ही खड़ा था। पिंकी ने कच्छे के ऊपर से ही उसका लण्ड पकड़ लिया और दबाने लगी।
महेश बस पिंकी को देखता रह गया, महेश ने भी पिंकी के मम्मे उसके टॉप के ऊपर से पकड़ लिए और दबाने लगा। पिंकी सिसकारियाँ लेने लगी तो महेश उसे उठा कर अपने कमरे में ले गया और दरवाज़ा बंद करके सीधा उसके होंठ चूसने लगा और मम्मे दबाने लगा। पिंकी भी उसका पूरा साथ दे रही थी।
महेश ने उसका टॉप उतार दिया और उसके नंगे मम्मों को चूसने लगा।
पिंकी सिसकारियाँ ले रही थी और कह रही थी- चूस और चूस ! काट ले मेरे मम्मे।
फ़िर महेश ने पिंकी की पैंटी उतार दी और चूत चाटने लगा। पिंकी की चूत पानी छोड़ने लगी। वो उठी और महेश का लण्ड कच्छे से निकाल लिया और चूसने लगी, वो कभी लण्ड तो कभी गोलियाँ भी चूस रही थी।
तब पिंकी से रहा नहीं जा रहा था तो महेश से उसने कहा- अब और नहीं सहा जाता, चोद दो मुझे !
उसने अपना लण्ड उसकी चूत पर रखा और एक धक्का दिया तो एक ही धक्के में पूरा लण्ड अन्दर चला गया।
महेश हैरान था कि इसकी चूत की सील टूटी कैसे?
उसने पूछ ही लिया तो पिंकी ने कहा- बस उंगली से या मोमबत्ती से करती थी।
तो महेश ने कहा- रिंकी ने तो नहीं तोड़ दी जब तुम दोनों एक साथ करती थी?
तो पिंकी ने कहा- तुम हमें देखते थे?
तो महेश ने कहा- हाँ, देखता था।
पिंकी कहने लगी- तभी रात को कमरे में आकर हमारे साथ वो सब करते थे।
महेश भी हैरान- तो क्या तुम जाग रही होती थी उस वक्त?
तो पिंकी ने कहा- हाँ भाई, हम जाग रही होती थी और मजे ले रही होती थी।
और महेश का जोश और बढ़ गया और वो तेज तेज धक्के लगाने लगा। पन्द्रह मिनट चोदने के बाद दोनों लुढ़क कर लेट गए। कुछ देर आराम करने के बाद महेश पिंकी की चूची चूसने लगा और कहा- पिंकी, गाण्ड भी मारने दे।
तो पिंकी ने कहा- जब चूत नहीं छोड़ी तो गाण्ड भी मार लो।
पिंकी महेश का लण्ड खड़ा करने लगी और फिर महेश ने पिंकी की गाण्ड पर थोड़ा थूक लगाया और थोड़ा अपने लण्ड पर और एक धक्का दिया और दो धक्कों में ही उसकी गाण्ड में महेश का लण्ड उतर गया।
अब महेश ने आगे-पीछे करना शुरू किया।
पिंकी ने थोड़ी देर बाद कहा- अब तुम लेट जाओ, मैं ऊपर चढ़ कर गाण्ड में लूँगी।
तो महेश नीचे लेट गया और पिंकी ऊपर से उसका लण्ड गाण्ड में ले लिया और ऊपर-नीचे होने लगी। कुछ देर बाद पिंकी और महेश दोनों झर गए और आराम से लेट गए।
महेश ने कहा- क्यों पिंकी, मजा आया न?
पिंकी ने कहा- भाई, तुमने अपनी बहन को चोद दिया।
तो महेश ने कहा- अरे यार, थोड़ी देर के भूल जा कि हम भाई-बहन हैं बस तू एक लड़की है और मैं एक लड़का ! और फिर क्या तू यह नहीं चाहती थी? तुझे मजा नहीं आया?
तो पिंकी शरमा गई और महेश के गले से लग गई। फिर दोनों रात को रोज चुदाई का खेल खेलने लगे।महेश ने पिंकी को कई बार अपने दोस्त से चुदवाया और कभी कभार दोनों एक साथ चोदते थे।
तो यह तो हो गई पिंकी की दास्तान !
और अगली कहानी में रिंकी ने अपने मामा के घर क्या करती थी और कैसे करती थी।
कहानी जारी रहेगी।
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