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प्रेषक : नवीन सिंह
भाभी भी बोली- क्या बात कर रहे हो रचित तुम?
वो बोला- यार, अब नाटक मत करो, तुम दोनों को पता है कि क्या हो रहा है और तुम्हें एक दूसरे में रुचि भी है तो फिर क्यों समय ख़राब करते हो?
और मेरा हाथ पकड़ कर भाभी के वक्ष पर रख दिया, खुद उठ कर उधर दूसरी तरफ चला गया। अब हम दोनों के बीच में भाभी थी, एक चूची रचित दबा रहा था और एक मैं दबा रहा था।
वो बोला- अब ऐसे मजा नहीं आ रहा है !
और वो भाभी को नंगा करने लगा, मैंने भी उसका सहयोग किया।
अब मेरा भी लिंग खड़ा हो गया था, आखिर दूसरी औरत का मजा लेने का मौका और वो भी उसके पति के सामने ऐसा अनुभव तो बड़ा रोमांचक होता है।
मेरे सामने अब भाभी पूरी नंगी थी, मुझे बहुत मजा आ रहा था। रचित खुद काफी रोमांचित हो रहा था, मुझे सब कुछ सपने जैसा लग रहा था। मैं और जोश से भाभी के स्तन दबा रहा था और उनको मुँह में लेकर चूसता भी जा रहा था।
भाभी बहुत उत्तेजित हो गई, वो कहने लगी- अब नहीं सहा जाता है अब आ भी जाओ नवीन भैया ! एक बार दर्शन तो करा दो अपने लिंग के !
मैंने जल्द ही अपने सारे कपड़े उतार दिए। भाभी मेरा लिंग देख कर काफी उत्तेजित हो गई और उसे मुँह में ले लिया।
रचित बोला- अरे यह क्या? मेरा लेने में तो नाटक करती है और इसका बड़े मजे से? क्या बात है यार?
“अरे, तुम नहीं जानते, नवीन भैया के लिंग की कहानी तुमने सुना सुना कर मुझे बहुत परेशान का रखा था, आज जब मेरे सामने खुद आ गया है तो यह तो क्या, मैं इसको चोदूंगी। मैं तुम्हारे साथ भी करुँगी, पहले मेहमान का तो स्वागत कर लूँ।”
“हाँ-हाँ ! क्यों नहीं यार ! मैं तो मजाक कर रहा था।” रचित बोला।
और भाभी ने इस कदर मेरे लण्ड के साथ खेल किया कि मैं ज्यादा देर तक मैदान में नहीं टिक सका और मैं बोला- भाभी, मैं झड़ने वाला हूँ, हटा लो अपना मुँह !
भाभी कुछ नहीं बोली और करती रही।
मैं बोला- अब नहीं रुका जाता है भाभी ! आह…
रचित बोला- यार हो जाने दे, उसको यह सब बहुत अच्छा लगता है। मेरे साथ भी कभी कभी ऐसा ही करती है यह !
मैं भाभी के मुँह में झड़ गया। भाभी ने मेरा सारा वीर्य अंदर उतार लिया और बोली- बहुत अच्छा है नवीन भैया का तो ! मजा आया ! आज बहुत मजा आया ! आओ अब तुम्हारा भी चूसती हूँ !
और भाभी ने रचित का मुँह में लेकर एक दो बार ही किया था कि रचित भाभी के मुँह में ढेर हो गया। भाभी ने उसका भी वीर्य अंदर गटक लिया।
भाभी मेरे लिंग को देख रही थी- यार रचित, कितना बढ़िया है ना नवीन भैया का लिंग?
रचित बोला- तुम तो मना कर रही थी? तो कैसे देख पाती इसका यह रूप> तब हम फिर सेक्सी मूवी देखने में लग गए, फिर से मेरा कड़क हो गया।
भाभी ने मेरा लिंग अपने हाथ में लिया हुआ था तो उनको अहसास हो गया- रचित देखो, तुम तो अभी तक ऐसे ही पड़े हो, नवीन भैया तो फिर से तैयार हो गए हैं।
और इतना बोल कर उसने फिर से मेरे लिंग को मुँह में ले लिया, मैंने उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया।
वो बोली- अब इसका नम्बर है क्या?
मैंने कहा- हाँ भाभी, अब चूत का मजा लेने दो !
मैं अब खुल चुका था !
मैंने भाभी को लिटाया और अंदर डाल दिया।
भाभी बोली- वाह, क्या अच्छा है तुम्हारा लिंग, दर्द भी नहीं हुआ और कितना प्यारा अहसास हो रहा है। इनका तो मुझे ज्यादा अच्छा नहीं लगता। रचित, बुरा मत मानना पर अब मैं कभी कभी नवीन भैया के साथ सेक्स करुँगी।
रचित बोला- मेरे जान मैं तो यही चाहता हूँ कि तुम रोज ही मेरे सामने इसके साथ सेक्स करो और मैं तुम दोनों को ऐसे ही देखता रहूँ ! मुझे तुम्हारी ख़ुशी चाहिए मेरी जान !
अब मैंने थोड़ी गति बढ़ा दी तो भाभी बोली- क्या बात है भैया, कहीं जाना है क्या? थोड़ी देर तक तो रुको, अंदर होने का मजा तो लेने दो !
अब रचित ने भी हाथ से हिला कर खड़ा कर लिया था वो भी अब जोश मे आ गया था। उसने अपना लंड भाभी के मुँह में डाल दिया और बोल- यार बबिता, मेरा बरसों का सपना था कि तुम ऐसे मेरे सामने दूसरे से चुदो और मैं बस ऐसे मजा करूँ तुम्हारे मुँह में डाल कर !
भाभी बोली- क्यों नवीन भैया, एक बात बोलूँ? अगर तुम बुरा न मानो तो !
मैंने कहा- बोलो भाभी, मैं तुम्हारी बात का कैसे बुरा मान सकता हूँ? वैसे एक सच बताऊँ भाभी, मैं सुजाता को चोद चोद कर बोर हो चुका था ! जैसे मेरा तुम्हारे सामने थोड़ी देर में दो बार खड़ा हो गया न, ऐसे मेरा कभी सुजाता के सामने नहीं होता है।
बीच में बात काट कर रचित बोला- अरे क्या बात करता है यार नवीन? सुजाता भाभी का क्या बदन है यार ! क्या चीज है यार वो ! आई लव हर !
भाभी बीच में बात काट कर बोली- यार नवीन भैया, क्यों न हम चारों साथ में सेक्स करें? ये तुम्हारी बीवी को और तुम मुझे ! कितना मजा आएगा।
मैं घबरा गया, मैंने कहा- यार रचित, सुजाता नहीं मानेगी। मुझे नहीं लगता कि वो मानेगी।
“अरे, तुम चिंता मत करो !” भाभी बोली,”मैं उसको मना लूंगी ! मैं जानती हूँ कि वो कितना पसंद करती है इनके लण्ड को !”
मैंने कहा- मतलब?
तो भाभी बोली- जैसे तुम दोनों दोस्त आपस मे बात करते हो, कोई बात नहीं छुपाते हो, ऐसे ही हम दोनों भी तो सहेलियाँ हैं न, तो हम भी तुम्हारे लंड के बारे में बात करते हैं और मैं तुम्हारे लण्ड की बात सुनती थी, दो-दो बार, एक तो सुजाता से और एक इनके मुँह से ! तो मेरा क्या हाल होता था आप जान ही सकते हैं। मुझे आपका लण्ड इतना प्यारा लगा कि कभी मुँह से न निकालूँ और जब भी तुम्हारा वीर्य निकले तो उसको अपने मुँह में ले लूँ बस ! और मैंने सुजाता की भी ऐसे ही तड़प देखी है। अगर तुमको यकीन न हो तो आज बात करके देखना, वो ज्यादा न-नुकर नहीं करेगी और इनके लंड के बारे में बात करने लगेगी।
“वैसे भाभी, मैंने भी बात की हुई है रचित के लण्ड के बारे में ! बात तो वो बहुत ही ध्यान से सुनती है और आगे कुछ पूछती भी है पर मुझे कभी ऐसा नहीं लगा कि वो इससे चुदना चाहती है।” मैंने बताया।
कहानी जारी रहेगी।
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