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नमस्कार दोस्तों,
सबसे पहले तो मैं आप सबका धन्यवाद करता हूँ कि आप सभी को मेरी पिछली कहानी
मैं और मेरी प्यारी शिष्या
काफी पसंद आई।
साथ ही आपसे क्षमा चाहता हूँ कि मेरी अगली कहानी में इतना विलम्ब हुआ। दरअसल बीच में ज़िन्दगी कुछ ज्यादा ही व्यस्त हो गई थी, पहले तो यू एस ए का दौरा और फिर मेरा तबादला नई दिल्ली में..
इसी वजह से मैं कहानी नहीं लिख पाया।
आज कुछ फुर्सत मिली तो सोचा कि कुछ लिखा जाये।
पहले सोचा कि कोई पुरानी बात लिखूँ, फिर सोचा कि जो नया हुआ है मेरे साथ वही लिखता हूँ, पुराना फिर कभी बाद में।
तो हुआ यूँ कि फेसबुक पर सर्च करते हुए मेरी मुलाक़ात एक लड़की निशा से हुई..
उसकी प्रोफाइल पर उसकी खुद की तस्वीर लगी हुई थी और उसमें वो काफी हॉट भी लग रही थी..
वो शादीशुदा थी पर फिर भी मैंने उसे मित्रता के लिए प्रार्थना भेज दी..
2-3 दिन के बाद उसका एक संदेश आया- क्या हम एक दूसरे को जानते हैं?
मैंने कहा- नहीं जानते पर अगर आप चाहो तो जान पहचान बढ़ा सकते हैं।
उसने कहा- मैं शादीशुदा हूँ !
मैंने जवाब में कहा- जान-पहचान बनाने के लिये शादीशुदा ना होना कोई नियम तो नहीं है?
तो उसने जवाब में स्माइली बना कर भेज दी..
उसके बाद हम दोनों की चैट पर खूब बातें होने लगी..
एक दिन यूँ ही बातों बातों में निशा ने कहा- मैं घर पर बोर हो जाती हूँ, क्या तुम मेरे साथ मूवी देखने चलोगे?
मैंने जवाब में कहा- ज़रूर चलूँगा..
हमने एक दिन तय किया पहली बार मिलने का और साथ में मूवी देखने जाने का।
फिर दिए हुए समय पर हम मिले और मूवी देखने गए..
सिनेमा हाल में घुसते हुए निशा ने मेरा हाथ पकड़ लिया क्योंकि वहाँ काफी अँधेरा था। हम मूवी देखने लगे।
मूवी रोमांटिक थी..
फिल्म देखते हुए मैंने कहा- हाल का ए सी काफी तेज है.. काफी ठंडी लग रही है।
तो उसने अपनी चुन्नी मेरी ओर खिसका दी और बोली- इसमें हाथ छुपा लो थोड़ी राहत मिलेगी।
मैंने वैसा ही किया।
फिर मूवी में एक रूमानी दृश्य आया तो मैंने अपने हाथ से उसका हाथ छू लिया, उसके हाथ काफी गर्म हो रहे थे उस वक़्त।
उसने कुछ नहीं कहा तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और मूवी देखने लगे।
फिर थोड़ी देर बाद एक और वैसा ही दृश्य आया तो मैंने अपने हाथ को उसके कंधे पर रख दिया और हल्के-हल्के से उसके कंधे को सहलाने लगा।
उसने अपने सर मेरे कंधे पर रख दिया।
ऐसा लग रहा था मानो ना निशा का मन लग रहा था हाल में और ना ही मेरा।
मैंने उससे कहा- मूवी के बाद हम लंच करने चलेंगे।
तो उसने कहा- ठीक है।
फिर मैंने निशा से पूछा- अगर तुम कहो तो लंच पैक करवा के हम मेरे घर पर आराम से बैठ कर लंच करें? मेरा घर ज्यादा दूर भी नहीं है।
तो वो बोली- घर पर तुम्हारा कोई दोस्त या रूम मेट होगा !
मैंने उसको बताया- मैं अकेला ही रहता हूँ।
वो मान गई।
मूवी देख कर हम घर पहुँचे.. वहाँ मैं रसोई में जाकर खाना लगाने लगा तो वो मेरी मदद करने आ गई।
उसने काले रंग की गहरे गले की टॉप पहनी थी और नीचे हल्के आसमानी रंग की लम्बी स्कर्ट पहनी थी। उसका फिगर 34-30-34 का था। लड़कियों के मोटे मोटे मोमें और उठी हुई गाण्ड मेरी कमजोरी है। और उसके ऊपर लड़की अगर स्कर्ट मैं हो तो यह तो आग में घी डालने के बराबर है।
मेरा मन किया कि मैं उसको पीछे से ही पकड़ कर उसको चूमने लगूँ।
ख़ैर, मैंने खुद पर काबू किया और कोई भी जल्दबाजी नहीं की।
हमने साथ में खाना खाया.. मैं उसकी आँखों में और वो मेरी आँखों में देख कर कुछ कह रहे थे एक दूसरे से !
खाना खाने के बाद मैंने अपना लैपटॉप आन किया और उसमें इमरान हाश्मी के विडियो गाने चला दिए जिनको देख कर माहौल कुछ ज्यादा ही रंगीन होने लगा।
वो मेरे बगल में सट कर ही बैठी थी कि अचानक वो बोली- अब मुझे चलना चाहिए !
और यह कहकर वो उठने लगी तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और उसके कुछ कहने से पहले ही उसको झटके से अपनी ओर खींचा और वो एकदम से मेरी गोद में आ गिरी।
मैंने उसके चेहरे को अपने हाथों के बीच में लिया और उसको उसके गालों, कान और गले पर चूमने लगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
उसकी साँसें गर्म होने लगी..
फिर मैंने बिना देर किये उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और फिर हम प्रगाढ़ चुम्बन करने लगे। करीब दस मिनट तक तक हम एक दूसरे को चूमते रहे। चूमते चूमते मैंने उसकी जांघ पर हाथ रखा और धीरे धीरे अपना हाथ उसकी चूत के ऊपर रख दिया और उसको दबाने लगा। उसकी चूत काफी फूली हुई लग रही थी ऊपर से।
ऐसा करने से उसकी साँसें और तेज़ होने लगी और वो मुझे और जोर जोर से चूमने लगी..
हम दोनों की जीभ आपस में खेलने लगी !
मैंने उसकी स्कर्ट को ऊपर करते हुए उसकी पैंटी के अन्दर हाथ डाल दिया.. उसकी चूत एकदम गीली थी और उसकी झांटें भी काफी बड़ी बड़ी थी..
मुझे बड़ी झांटें पसंद नहीं तो मैंने निशा से कहा- तुम अपनी झांटें साफ़ क्यों नहीं करती हो?
वो बोली- तुम कर दो अगर तुमको पसंद नहीं तो।
मैंने कहा- ठीक है..
फिर हम दोनों बाथरूम में गए और वहाँ मैंने उसकी स्कर्ट उतार दी, उसने काले रंग की पेंटी पहनी हुई थी। मैंने उसकी पेंटी भी उतार दी, मैंने अपनी शेविंग क्रीम उसकी झांटों पर लगा दी और रेज़र से धीरे धीरे उसकी झांटें बनाने लगा..
उसके मुँह से हल्की-हल्की आह आह निकाल रही थी।
झांटें बनाने के बाद चूत एकदम से चमक गई तो मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया और उसकी चूत का चूमने और चूसने लगा।
उसको मज़ा आने लगा और वो आहें भरने लगी तो उसकी आहें सुनकर मेरा जोश बढ़ने लगा तो मैं उसे और जोर जोर से उसकी चूत को चूसने लगा और मैंने अपनी जीभ उसकी चूत मैं डाल दी तो उसकी हालत ख़राब होने लगी..
वो अपनी गाण्ड उठाने लगी और मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत पर दबाने लगी। मैं उसकी चूत चूसता रहा और थोड़ी देर मैं उसकी चूत ने अपना कामरस छोड़ दिया।
मेरा पूरा चेहरा उसके काम रस से गीला हो गया।
फिर हम दोनों कमरे में आ गए..
मेरा लण्ड नीचे कपड़े फाड़ कर बाहर आने को बेताब हो रहा था। उसने मेरी टी शर्ट और जींस उतार दी और मैंने उसकी टी शर्ट उतार दी।
निशा ने लाल रंग की ब्रा पहनी थी और उसके गोरे गोरे मोटे मोमें उसकी लाल ब्रा मैं दूध की तरह चमक रहे थे !
मैं सिर्फ अंडरवीयर में था। मैंने उसे अपनी बाहों में भरा और हम दोनों बिस्तर पर लेट गए। मैंने उसके मोटे मोटे चूचे पकड़ लिये और ब्रा के ऊपर से ही उनको दबाने लगा और निशा ने अपना हाथ मेरे अंडरवीयर में डाल कर मेरा लण्ड पकड़ लिया और उसको सहलाने और आगे पीछे करने लगी।
फिर मैंने उसकी ब्रा उतार फेंकी और उसके हल्के भूरे चुचूकों को अपने मुँह में भर लिया और जोर जोर से चुसुकने लगा..
क्या मुलायम चुचूक थे उसके।
मैं अपनी जीभ उसके चुचूकों पर रगड़ रहा था और उसके मुँह से उफ्फ्फ्फ्फ़ म्मम्म आआह्ह्ह म्म्मम्म और चुसूऊऊओ ऊऊऊ म्म्मम्म निकल रहा था।
मेरा एक हाथ उसकी एक चूची को दबा रहा था और दूसरा उसके उठे हुए चूतड़ों को।
फिर मैंने उसका दूसरा चुचूक अपने मुँह में ले लिया और पहले वाले चूचे को जोर जोर से मसलने लगा।
उस्सस उफ्फ्फ्फ़ क्या पल था वो।
उसका बदन पागल किये जा रहा था मुझे !
अब उसने मेरा अंडरवीयर उतार दिया और मेरे लण्ड को जोर जोर से आगे पीछे करने लगी।
अब मुझसे रुका नहीं गया और मैंने उससे कहा कि मेरा निकलने वाला है तो उसने कहा कि अपना माल मेरे चूचों पर गिरा दो।
मैंने अपना माल उसके वक्ष पर गिरा दिया।
हम फिर से एक दूसरे को चूमने लगे और फिर उसने मेरे लण्ड को अपने मुँह में लिया और चूसने लगी।
मैं उसके गोरे और चिकने पेट को चूम रहा था और उसकी चूत को अपनी उंगली से चोद रहा था..
दस बारह मिनट चूसने के बाद मेरा लण्ड फिर से तैयार हो गया।
वो बोली- अब नहीं रहा जा रहा है, प्लीज़ अपना लण्ड मेरी चूत में डाल कर मेरी छम्मो की प्यास बुझा दो।
मैंने अपने लण्ड उसकी चूत के मुँह पर रखा और हल्का सा उस पर रगड़ने के बाद उसकी मुनिया में दबा दिया..
मेरा टोपा अंदर था और फिर मैंने लण्ड को बाहर निकला और एक झटके में पूरा उसकी चूत में डाल दिया।
निशा की हल्की चीख निकल गई और मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
अब मेरा लण्ड और उसकी चूत आपस मैं एकदूसरे के साथ गुत्थम गुत्था हो रहे थे। उसकी चूत ज्यादा कसी हुई नहीं थी और ज्यादा ढीली भी नहीं थी..
लण्ड आराम से जा रहा था उसकी चूत के अंदर..एकदम गीली थी।
काफी मज़ा आ रहा था और उसके ऊपर से उसकी सेक्सी सेक्सी सिसकारियाँ हाय हाय स्स्स्स्स आआअ म्म्म्मम्म उफ्फ्फ्फफ और जोर से चोदो मुझे म्ममम्म आह्ह्ह्ह ह्ह्ह आआअह्ह्ह ह्ह्ह्हह्ह चोदो चोदो और करो सीईईईई, काफी दिन हो गए चुदे हुए म्म्म्मम्म म्मम्मम्मम।
पूरा कमरा उसकी सिसकारियों और पट पट की आवाजों से भरा हुआ था। करीब दस मिनट की ज़ोरदार चुदाई के बाद मेरा निकलने वाला था।
मैंने उससे पूछा- कहाँ निकालूँ?
तो वो बोली- मैं भी जाने वाली हूँ, तुम मेरे अन्दर ही छोड़ दो !
फिर लगभग एक साथ हम दोनों का निकल गया ! मैंने अपना माल उसकी चूत में ही छोड़ दिया और उसकी चूत ने मेरी एक एक बूँद निकाल ली। हम दोनों काफी थक गए और उसी हालत मैं सो गए..
दो घंटे के बाद हम उठे, साथ में नहाये। बाथरूम में एक दौर और चला चुदाई का !
फिर मैंने उसको मेट्रो स्टेशन तक छोड़ा !
अब तक सब अच्छा था पर अब परेशानी यह है कि उसके पति का तबादला हो गया है और वो जा रही है नई दिल्ली छोड़ कर।
वो जा रही है और मैं खोज में हूँ एक नई दोस्त की..
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