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प्रेषिका : मेघना सिंह
मुझे उत्तेजना की वजह से पेशाब जाने की इच्छा होने लगी, मैं बोली- जीजू, पेशाब लगा है।
जीजू बोले- अब तुम्हारी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी है। तुम चाहे न मानो, लेकिन तुम्हारी चूत चुदने को तैयार है।
मैं गिड़गिड़ाई- नहीं जीजू ! तकलीफ़ हो जायेगी मुझे !
मैं उनसे छूटने की कोशिश करने लगी।
जीजू बोले- देख मेघना, अब तुम्हें बिना चोदे तो मैं छोड़ूँगा नहीं।
मैं रुआँसी हो गई। अनजाने डर से मेरी आँखों में आँसू आ गये।
मैं बोली- जीजू, पेशाब तो कर आने दो?
जीजू बोले- चल, मैं करवा कर लाता हूँ।
उन्होंने मुझे गोद में उठा लिया और…
टॉयलेट में ले गये।
मैं टॉयलेट में स्कर्ट को टाँगों में दबाये खड़ी जीजू के हटने का इन्तजार कर रही थी।
जीजू बोले- बैठ ! कर पेशाब।
मैं नहीं बैठी। मैं सिर झुकाये खड़ी रही।
जीजू बोले- मेघना बैठ ना ! मैंने अभी तक तुम्हारी दीदी को भी पेशाब करते नहीं देखा है। तुम्हारी चड्डी तो मैंने ही उतारी है। अब तो तुम्हें पेशाब करते हुए देखूँगा।
मैं न चाहते हुए भी बैठ गई।
जीजू दरवाजे पर ही खड़े रहे, बोले- कर पेशाब।
वो मेरी चूत की ओर देख रहे थे और मैंने पेशाब की धार छोड़ दी।
मैं उठी और जीजू मुझे बाँहों में भर कर कमरे में ले आये। कमरे में आते ही उन्होंने मेरी स्कर्ट के हुक खोल दिये और स्कर्ट नीचे गिर गई।
मैं अब पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी।
जीजू ने मुझे उठाकर बिस्तर पर पटक दिया, मेरी टाँगों को ऊपर उठाकर मेरे सामने बैठ गए।
फिर मुझसे ही मेरी चूत का वर्णन करने लगे।
मेरी चूत के होठों को पकड़कर बताया- ये तुम्हारी चूत के होंठ हैं।
फिर चूत को अपनी उँगली और अँगूठे से फैलाकर बताया- यह तुम्हारी भगनासा है !
और हल्का सा सहला दिया।
मुझसे बरदाश्त न हुआ, मैं दोहरी हो गई, मेरी सिसकारी निकल गई।
फिर उन्होंने मेरी चूत का बड़ी बारीकी से निरीक्षण किया। फिर अपने कपड़े भी उतार दिये।
मुझे अपने लण्ड को दिखाते हुए बोले- देख, यह लण्ड है। यही चूत फाड़ने का औजार है।
फिर उन्होंने लण्ड की खाल को ऊपर खींच दिया, बोले- चूत में घुसने के बाद यह ऐसा हो जाता है। ऐसे भी घुस सकता है चूत में। अब मैं इसे तुम्हारी चूत में घुसाऊँगा।
जीजू मेरे ऊपर ऐसे आ गये कि उनका लण्ड मेरे मुँह पर और उनका सिर मेरी चूत पर था।
उन्होंने जब मेरी चूत चाटना शुरू किया तो मेरी आह निकल गई। जीजू ने अपना लण्ड मेरे मुँह में डाल दिया और लण्ड को गले तक पहुँचा दिया।
उस समय मुझे पहली बार अहसास हुआ कि लण्ड कितना लंबा और सख्त होता है।
जीजू जल्दी ही असली काम पर आ गये। उन्होंने मेरी टाँगें ऊपर को मोड़ दीं। मेरी चूत के दोंनों होंठ खुल गये।
जीजू ने लण्ड को मेरी चूत पर रख दिया।
डर के मारे मुझे चूत पर लण्ड टिकते ही दर्द महसूस होने लगा।
मुझे लगा कि जीजू ने ठोक दिया लण्ड मेरी चूत में। मेरे मुँह से निकला- आ…।
जीजू बोले- अभी तो मैंने कुछ भी नहीं किया।
मैं बोली- जीजू, मुझे डर लग रहा है।
दीदी की हालत तो मैं पहले ही देख चुकी थी।
अब जीजू ने लण्ड को मेरी चूत में घुसाना शुरू किया तो मेरी चूत में लगने लगी।
मैं जीजू को रोकते हुए बोली- आ… जीजू, लग रही है। जीजू मर जाऊँगी… आआ… आ… जीजू प्लीज ! मर जाऊँगी…मैं !
अभी तक जीजू लण्ड का चूत पर दबाव बढ़ा रहे थे। मेरी आँखों में आँसू छ्लक आये थे। तभी लण्ड फिसलकर मेरी भगनासा को रगड़ते हुए मेरे पेट की ओर आ गया।
डर के मारे मुझे पता नहीं था कि लण्ड कहाँ गया। मेरी आह निकली।
जीजू बोले- अरे वैसे ही, अभी घुसा ही कहाँ है?
मैं बोली- जीजू मुझे बहुत डर लग रहा है।
जीजू बोले- इसमें डरना काहे का, बस लण्ड तुम्हारी चूत को फाड़ेगा और तुम्हारे पेट में घुस जायेगा।
जीजू ने ऐसे कहा जैसे कुछ भी नहीं होने वाला।
जीजू ने फिर लण्ड को मेरी चूत के छेद पर रखा और लण्ड को मेरी चूत में घुसाना शुरू कर दिया।
मेरी चूत में फिर से लगने लगी।
मैं जीजू को रोकते हुए बोली- आ…आ… जीजू, लग रही है। जीजू, लग रही है, मर जाऊँगी… आआ… आ…
और जीजू ने थोड़ा रुककर एक जोर का धक्का मारा।
मेरी चीख निकली- आआआआ… आआ…।
मेरी चूत की झिल्ली फट गई, खून निकल आया था। लण्ड करीब दो इंच अन्दर मेरी चूत में घुस कर फँस चुका था।
मुझे ऐसा महसूस हो रहा था मानो कोई मेरी चूत को चाकू से काट रहा हो। मैं रोने लगी थी- आआआ… आ… जीजू… बहुत जोर से लग रही है।
जीजू के लण्ड का बीच का मोटा हिस्सा अभी और घुसना बाकी था।
जीजू ने धीईई…रे से लण्ड को थोओओ…ड़ा-सा बाहर निकालकर बड़ी बेरहमी से एक और धक्का मारा।
मैं मर गई और भी जोर से चीखी- आआआआ… आआ… और रोने लगी।
लण्ड सबसे मोटे हिस्से तक मेरी चूत में घुस गया था।
जीजू बोले- मेघना, यह तो शुरूआत है। असली चुदाई तो अब होगी।
उन्होंने फिर से लण्ड को थोड़ा-सा बाहर निकालकर बड़ी बेरहमी से धक्का मारा। अब पूरा लण्ड मेरी चूत में घुसकर मेरे पेट में समा गया।
जीजू ने भी पूरा जोर लगाकर जितना गहरा घुसा सकते थे उससे भी ज्यादा घुसा दिया। उनका लण्ड मेरे पेट में कहाँ तक घुस गया? पता नहीं। पेट के अन्दर 7 इंच बाप रे।
उसके बाद तो जीजू ने धक्कों की झड़ी लगा दी। चार पाँच धक्के ऐसे मारे कि जीजू पूरे लण्ड को बाहर खींचते और वापस मेरी चूत में ठोक देते।
मैं हर धक्के पर रोती- आआआआ… आआ… आआआआ… आआ… आआआआ… आआ…
फिर उन्होंने लण्ड बाहर निकाल लिया। मेरी टाँगें सीधी कीं।
अब मेरी चूत के दोनों होठ आपस में मिल गये। चूत मात्र एक दरार जैसी दिखने लगी और जीजू आ गये फिर से अपनी औकात पर।
वो मेरे ऊपर बैठ गये। उन्होंने लण्ड को मेरी चूत की दरार पर रखा और बड़ी बेरहमी के साथ एक ही धक्के में घुसाते चले गये।
मेरी तो जान ही निकल गई, मैं बिलबिलाने लगी।
जीजू लण्ड को चूत में पूरी ताकत से तब तक दबाते रहे जब तक पूरा लण्ड मेरे पेट में नहीं समा गया।
मेरी चूत का बुरा हाल था। उन्होंने बिना रुके कई धक्के लगा डाले। मैं रोती रही।
फिर उन्होंने लण्ड बाहर निकाल लिया।
मैं जानती थी कि थोड़ा रुककर फिर से लण्ड मेरी चूत में ठोक देंगे। उनके इस शौक के बारे में दीदी ने बताया था।
वही हुआ।
उन्होंने अपना लण्ड एक ही झटके में पूरा का पूरा चूत के रास्ते मेरे पेट में घुसा दिया। मैं रोने के सिवा कुछ न कर सकी।
मैं हर धक्के पर रोती रही। वो मुझे चोदते रहे।
काफी देर चुदने के बाद मुझे अपने अन्दर से कुछ निकलता महसूस हुआ।
उस क्षण को मैं बर्दाश्त न कर सकी और कसकर जीजू से लिपट गई। आ…ह… जीजू… अब बअ…अ…स।
उस समय जीजू नहीं रुके। वो धक्के मारते रहे।
कुछ सेकण्डों में मैं निढाल हो गई। पता नही मैं सो गई थी या बेहोश हो गई थी? मुझे तो यह भी याद नहीं कि जीजू उसके बाद भी मुझे चोदते रहे या नहीं? इतना याद है कि जब होश आय तो मेरी चूत में दर्द हो रहा था। जीजू पास ही नंगे बैठे थे।
मैं उठने लगी तो जीजू ने मुझे उठने नहीं दिया, बोले- अभी कहाँ जा रही हो? तुम तो झड़ गईं मुझे भी तो झड़ने दो।
यह कहकर जीजू फिर से मेरे ऊपर सवार हो गये।
मैंने विनती की- जीजू अब नहीं, अब मैं मर जाऊँगी।
लेकिन वो नहीं माने, उनके मेरी चूत में लण्ड घुसाने से पहले ही मैं रोने लगी।
जीजू को रहम नहीं आया। उन्होंने मेरी दुखती चूत पर लण्ड रखकर धीरे-धीरे घुसाना शुरू किया और फिर अचानक एक झटके में पूरा लण्ड घुसा दिया।
मैं रो रही थी, वो मुझे चोद रहे थे। और फिर चोदते-चोदते मुझे उनका लण्ड और भी कठोर होता महसूस हुआ। और फिर उनके मुँह से आह निकली एक आखरी धक्के में लण्ड पूरी ताकत से मेरी चूत
में समाता चला गया और उनके लण्ड से कुछ गर्म-गर्म निकलता
महसूस हुआ।
कुछ देर में 7 इंच लम्बा और डेढ़ इंच मोटा लण्ड मुलायम और छोटा सा रह गया। उसके बाद जीजू ने मुझे कई बार चोदा और मैं चुदाई के बारे में सब कुछ जान गई।
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