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अगले दिन सुबह 7 बजे मेरे कमरे का दरवाजा बजा, मैंने जब उठ कर दरवाजा खोला तो देखा कि आयशा चाय ले कर आई हुई थी. पहली बार आयशा को देख कर मेरे दिल में कुछ अजीब सा हुआ क्योंकि जिस आयशा को मैं अब तक बच्ची समझता था उसका शरीर भी अपनी उम्र के हिसाब से बड़ा था. मेरे दिमाग में ज्योति का वो ब्रा-पेंटी और आयशा का नाईटी वाला रूप घूमने लगा और मैंने सामने खड़ी आयशा को बाहों में ले लिया वो चिल्ला पड़ी, जिसे सुन कर ज्योति भागती हुई आ गई.
मैं डर के मारे कांपने लगा और आयशा के मुँह पर हाथ रखने लगा. लेकिन शायद आयशा कि चीख की वजह से ज्योति को यह याद नहीं रहा कि उसने ब्रा-पेंटी के अलावा और कुछ नहीं पहना है. ज्योति के आते ही आयशा चुप हो गई और..
इधर-उधर देखने लगी, मैं भी दूसरी तरफ देखने लगा और ज्योति वापिस अपने कमरे में मुड़ गई.
ज्योति में जाते ही मैं आयशा से तरह तरह से माफ़ी मांगने लगा. आयशा ने मुझसे बात भी नहीं की.
कुछ देर बाद जब ज्योति वापिस आई तो उसने पूछा- क्या हुआ था?
तो आयशा ने कहा कि वो कॉकरोच देख कर डर गई थी. फिर आयशा और ज्योति दोनों ही कमरे से चले गए और करीब 8 बजे आयशा स्कूल के लिए निकल गई और ज्योति अपने कमरे में थी. मैं भी योगी के कमरे में आकर गाने सुनने लगा.
कुछ देर के बाद ज्योति योगी के कमरे में आई और बोली- आज मैं कॉलेज से कुछ देर से वापिस आऊँगी!
पूछने पर उसने बताया कि करीब 11 बजे तक आएगी क्योंकि उसके एक दोस्त का जन्मदिन है और कॉलेज से सीधा ही डिस्को निकल जायेंगे.
यह सुन कर मैं भी कुछ नहीं कह सकता था क्योंकि ज्योति वैसे भी मुझसे दो साल बड़ी थी. घर पर रहने के लिए मैंने भी अपने कॉलेज से छुट्टी ले ली.
दोपहर को दो बजे जब आयशा घर पर वापिस आई तो मैं उससे बात नहीं कर पा रहा था और मैं खाना लगा कर योगी के कमरे में चला गया.
कुछ देर के बाद आयशा ने दरवाजा खटकाया. जब मैंने दरवाजा खोला तो देखा कि आयशा दरवाजे पर खड़ी है और उसने साड़ी पहनी हुई थी. उसे ऐसे देख कर मैं हैरान रह गया क्योंकि उस साड़ी वो एक युवती की बजाय बिल्कुल औरत लग रही थी और मेरा तो दिल कर रहा था कि अभी उसके साथ सुहागरात मना लूँ.
लेकिन वो दोबारा ना चिल्ला दे इस बात का डर भी लग रहा था.
मगर उसके इस रूप को देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया था जो चाह कर भी नहीं बैठ रहा था. जैसे ही आयशा अंदर घुसी मैंने आयशा को पकड़ लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए मगर इस बार आयशा ने बिल्कुल भी विरोध नहीं किया और मेरा साथ देने लगी.
उसके बाद मैंने भी कोई जल्दी ना करते हुए आराम से उसकी साड़ी उतारी और उसको ब्लाऊज़-पेटीकोट में कर दिया.
आयशा पहली बार सेक्स कर रही थी शायद इसलिए वो बहुत रोमांचित थी.
मैंने ब्रा-पेंटी को छोड़कर उसके सारे कपड़े उतार दिए और अपने भी कपड़े उतार कर फेंक दिए और अंडरवीयर में हो गया, और फिर उसकी ब्रा के ऊपर ही अपना मुँह रख दिया और उसकी ब्रा चाटने लगा ताकि उसको अच्छा लगे और फिर अपने दोनों हाथो से उसके दोनों चूचे पकड़ लिए.
आयशा का आकार 32 के करीब था, कुंवारी चूत का क्या मजा होता है यह तो हम सभी जानते हैं जिस कारण से मैं भी काफी रोमांचित था. कुछ देर तक ऊपर से दबाने के बाद मैंने उसकी ब्रा खोल दी और आजाद चूचों को चूसने लगा. पहली बार कोई उसके चूचे चूस रहा था इसलिए वो मचल गई और दूर जाकर खड़ी हो गई.
मैंने भी जाकर उसे अपनी बाहों में पकड़ लिया और दोबारा से उसके चूचे चूसने लगा. फिर मैंने धीरे से उसकी पेंटी उतार दी और उसे बिस्तर पर लिटा दिया और फिर मैंने जैसे ही उसकी चूत पर अपना मुँह रखा वो सिसकारियाँ लेने लगी और रुकने के लिए बोलने लगी.
लेकिन मैं रुका नहीं और चूसता रहा.
उसकी चूत चूसने के बाद मैंने भी अपनी अंडरवियर हटा दिया और अपना लण्ड आयशा के मुँह में डालने लगा मगर उसने चूसने से मना कर दिया.
मेरे जबरदस्ती करने पर वो मान गई और चूसने लगी. काफी देर तक चूसने के बाद वो थक कर बिस्तर पर लेट गई और मैंने उसकी टांगें ऊपर की तो उसने पूछा- भैया अब क्या करोगे?
भैया शब्द सुन कर मुझे स्वाति की याद आ गई और मैं हंस दिया और धीरे से अपना लण्ड आयशा कि चूत में पेल दिया. कुंवारी चूत होने की वजह से लण्ड अंदर घुस ही नहीं पाया. आयशा दर्द के मारे चिल्ला उठी.
फिर मैं उठा और बाथरूम में से तेल की बोतल ले आया और थोड़ा सा तेल अपने लण्ड और थोडा सा उसकी चूत में डाल दिया ताकि लण्ड आसानी से अंदर घुस जाए और उसके बाद मैं अपना लण्ड झटके से अंदर घुसाने लगा मगर झटके की वजह से आयशा फिर से चिल्ला उठी और मना करने लगी लेकिन मैं तेज-तेज झटके मारता रहा. लगभग पन्द्रह मिनट तक उसकी चूत मारने के बाद जब मेरा पानी निकलने वाला था मैंने अपना लण्ड बाहर निकल लिया और वापिस आयशा के मुँह की तरफ कर दिया. इस बार उसने चूसने से मना नहीं किया और मेरे लण्ड का सारा पानी पी गई.
फिर हम दोनों बिस्तर पर लेट गए और लेटे-लेटे एक दूसरे को चूमने लगे.
कुछ देर के बाद हम बाथरूम में गए और एक दूसरे को साफ़ करने लगे मगर आयशा ने फिर मेरा लण्ड पकड़ लिया और वहीं चूसने लगी. मैंने उसे अपनी बाहों में उठाया और कमरे में आ गया और फिर से उसकी चूत मारने लगा. इस बार मैंने अपना मोबाइल निकाला और हमारे सेक्स की वीडियो बना ली ताकि आयशा आगे कभी अपनी चुदवाने से मना ना करे!
अपनी चूत मरवाने के बाद आयशा थक कर बिस्तर पर उल्टी लेट गई, मैं उठा और तेल की बोतल से उसकी गाण्ड में तेल टपका दिया. एक तेज झटके से अपना लण्ड आयशा की गाण्ड में गाड़ दिया.
वो सहन नहीं कर पाई और दर्द के मारे बिस्तर की चादर फाड़ दी.
उसके बाद धीरे धीरे मैंने अपना पूरा लण्ड उसकी गाण्ड में घुसा दिया और हम दोनों फिर से बिस्तर पर लेट गए.
हम शाम के छः बजे तक लेटे रहे और फिर उठ कर खाना खाया और ज्योति के आने का इंतज़ार करने लगे.
चूत मरवाने के कारण आयशा को काफी दर्द हो रहा था इसलिए आयशा रात को जल्दी से 9 बजे ही सो गई और मैं ज्योति के आने का इन्तजार करने लगा.
रात को करीब 11 बजे दरवाजे की घण्टी बजी और जब मैंने दरवाजा खोला तो देखा कि ज्योति नशे में थी और उसके साथ एक लड़का खड़ा था. मैंने उस लड़के का नाम पूछा तो उसने बताया कि उसका नाम अनिल है. मैंने उसको अंदर आने के लिए कहा. फिर हम दोनों ने सहारा देकर ज्योति को बिस्तर पर लिटा दिया.
रात ज्यादा होने के कारण मैंने अनिल को रात वहीं पर रुकने के लिए कहा तो वो मान गया और मैं और अनिल योगी के कमरे में आकर सो गए.
मैंने सुबह जल्दी का अलार्म लगा दिया और सुबह 5 बजे ही उठ गया.
कहानी जारी रहेगी! [email protected]
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