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प्रेम गुरु और नीरू बेन को प्राप्त संदेशों पर आधारित
प्रेषिका : स्लिम सीमा
मुझे आते देख कर वह जल्दी से खड़ा हो गया और मुझे बाहों में भर कर नीचे पटकने लगा।
“ओह.. रूको.. मैं नाइटी तो उतार दूँ ?”
मैंने अपनी नाइटी निकाल फैंकी। वह तो पहले से ही नंग-धड़ंग था, उसने झट से मुझे अपनी बाहों में भर लिया। वो मेरे मम्मों को चूसने लगा और अपना एक हाथ मेरी लाडो पर फिराने लगा। मैं अभी उसका लण्ड अपनी लाडो में लेने के मूड में नहीं थी।
आप हैरान हो रहे हैं ना ?
ओह.. मैं अपनी लाडो को एक बार जमकर चुसवाना चाहती थी ! आपको तो पता ही होगा कि खूबसूरत और सेक्सी औरत की चूत का रस बहुत मीठा होता है, एक बार उसका स्वाद चख लिया जाए तो बार बार उसे चूसने-चाटने का मन करता है। मैं उसे इस रस से परिचित करवाना चाहती थी।
मैंने उसे कहा,”अबे मादरचोद क्या मम्मे ही चूसता रहेगा या कुछ और भी चूसेगा?”
“होर की चूसणा ऐ जी?”
“मेरी फुद्दी क्या तेरा बाप चूसेगा?”
“ओह…?”
मैंने कहीं पढ़ा था कि जब औरत मर्द को गाली देती है या सेक्सी (चुड़दकड़) बातें करती है तो मर्द ज़्यादा भड़कता है और फिर वो जोश में आकर चुदाई बहुत ही तसल्लीबक्श करता है।
अब उसने मेरे मम्मों को चूसना छोड़ दिया और मेरी जांघों के बीच आकर मेरी चूत की फांकों को मुँह में भर कर चूसने लगा।
मैंने अपनी जांघें चौड़ी कर दी और अपना ख़ज़ाना पूरा खोल दिया।
उसका जोश तो अब देखने लायक था ! मैं तो चाहती थी कि वो मेरी चूत की उभरी फांकों को पूरा मुँह में भर कर ज़ोर ज़ोर से चूसे ! हालाँकि लौंडा नौसीखिया ही था पर कमाल की चुसाई कर रहा था। कभी अपनी जीभ अंदर डालता, कभी चुस्की लगता कभी अंदरूनी फांकों (लीबिया) को होंठों से पकड़ कर दबाता तो मेरी सीत्कार ही निकल जाती।
उसने एक हाथ बढ़ा कर मेरे चूचों को पकड़ लिया उन्हें दबाने लगा। मैंने अपने पैर उठा कर अपनी जांघें उसके गले पर लपेट ली तो उसने अपने दूसरे हाथ से मेरे नितंबों को सहलाना चालू कर दिया। जैसे ही उसकी अंगुली मेरी गाण्ड के छेद से टकराई, मैंने उस छेद को अंदर सिकोड़ा तो उसकी अंगुली पर उस छल्ले का दबाव महसूस हुआ। मैंने 3-4 बार फिर उसका संकोचन किया। दर असल मैं उसे ललचाना चाहती थी।
बीच बीच में वो मेरे किशमिश के दाने (मदनमणि) को भी दाँतों से दबा देता था। मैं तो उस समय जैसे सातवें आसमान पर थी। 8-10 मिनट की लंबी चुसाई के बाद मुझे लगा कि मैं झरने वाली हूँ तो मैंने कस कर उसका सिर अपनी चूत पर दबा लिया।
“मेरे राजा ! और ज़ोर से.. आ… रूको मत.. ……..”
और फिर मेरी लाडो ने प्रेम रस बहा दिया वो मस्त हुआ उसे पीता चला गया।
अब मुझसे और बर्दाश्त नहीं हो रहा था, शायद उसका भी गला और मुँह दुखने लगा था। वो चूत छोड़ कर मेरे ऊपर आ गया। अब मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठों को चूमने लगी, अपना एक हाथ नीचे करके उसके लण्ड को अपनी मुट्ठी में पकड़ कर दबाने लगी। वो तो अब झटके ही खाने लगा था। मैंने उसे अपनी चूत की फांकों के बीच रगड़ना चालू कर दिया।
वो धक्के लगाने लगा था। मुझे लगा यह अभी अनाड़ी ही है, मैं कुछ देर उसे तड़फ़ाना चाहती थी पर मेरी लाडो कहाँ मानने वाली थी ! इस विशाल लण्ड ने पता नहीं मेरी कितनी रातों की नींद हराम की थी।
अचानक उसके लण्ड का सुपारा मेरी लाडो के कोमल छेद पर आया तो उसी समय उसने एक ज़ोर का धक्का लगाया, आधा लण्ड चूत में समा गया। एक तो धक्का इतना जबरदस्त था और लण्ड इतना मोटा था की मेरी ना चाहते हुए भी हल्की चीख निकल गई। मुझे लगा कोई मूसल मेरी लाडो रानी में चला गया है।
आज दो महीने के बाद फिर मेरी लाडो हरी-भरी हो गई थी। अब उसने 2-3 धक्के और लगा दिए, पूरा लण्ड अंदर चला गया। मुझे तो लगा यह मेरे हलक़ तक आ जाएगा।
अब वो धक्के भी लगा रहा था और साथ साथ मेरे मम्मों को भी मसलता और होंठों को भी चूसता जा रहा था। मैं आँखें बंद किए अनोखे आनन्द में डूबी जा रही थी !
काश यह वक़्त रुक जाए और यह चुदाई अविरत ऐसे ही चलती जाए !
“मेरी जान… मेरे मिट्ठू.. आ….. बहुत मज़ा आ रहा है और ज़ोर से.. आ…”
“ले मेरी रानी… और ले…” अब तो उसे पूरा जोश आ गया था. वा कस कस कर धक्के लगाने लगा।
मेरी लाडो से रस निकल कर मेरी फूलकुमारी (गाण्ड) को भिगोने लगा था. हालाँकि उसका लण्ड बहुत मोटा था पर मेरा मन करने लगा था कि एक बार इस मोटे लण्ड से महारानी की सेवा भी करवा लूँ !
मैंने अपने पैर ऊपर उठा दिए और अपना एक हाथ उसके नितंबों पर फिराना चालू कर दिया। अब मैंने उसकी गाण्ड का छेद टटोला और अपनी एक अंगुली उसकी गाण्ड में डालने लगी।
“ओह… भरजाई जी की कर्दे ओ?”
दरअसल मैं उसका ध्यान अपनी गाण्ड की ओर ले जाना चाहती थी, अब उसने भी अपना एक हाथ मेरे नितंबों की खाई में फिराना चालू कर दिया। मेरी फूल कुमारी तो पहले से ही गीली थी, उसने भी अपनी अंगुली मेरी फूलकुमारी के छेद पर रगड़नी चालू कर दी।
“भरजाई जी कद्दे तुस्सी एस छेद दा मज़ा लिता ज्या नई?”
“हाई रब्बा… कीहो जी गॅलाँ करदा ए..?”
“सॅच्ची ! बोत मज़ा आएगा.. एक वारी करवा लओ !”
“ना.. बाबा.. तुम्हारा बहुत मोटा है… मैं तो मर जावाँगी !”
“मेरी सोह्नियो ! कुछ नी हुन्दा !”
“पर धीरे धीरे करना प्लीज़..!”
अब वो मेरे ऊपर हट गया तो मैं झट से चौपाया बन गई। अब वो मेरे पीछे आ गया और पहले तो उसने मेरे कूल्हों को चूमा और फिर उन पर थपकी सी लगाई जैसे किसी घोड़ी की सवारी करने से पहले लगाई जाती है।
मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा था, मेरी महारानी तो कब की उसके मोटे लण्ड को अंदर लेने के लिए तरस रही थी। मैं डर भी रही थी पर मेरे मन में गुदगुदी और रोमांच दोनो हो रहे थे।
उसने मेरी फूलकुमारी के छेद पर एक करारा सा चुंबन लिया तो मेरी तो सीत्कार ही निकल गई। उसने पास पड़ी मेज पर रखी क्रीम की डब्बी उठाई और पहले तो मेरी फूल कुमारी के छल्ले पर लगाई और फिर अपने लण्ड पर ढेर सारी क्रीम लगा ली और फिर उसने अपना लण्ड मेरी फूल कुमारी के छेद पर लगा दिया।
अंजाने भय और कौतुक से मेरे सारे शरीर में झुरझुरी सी दौड़ गई।
मैंने अपनी फूलकुमारी के छेद को ढीला छोड़ दिया और अपनी आँखें बंद कर ली।
“जस्सी .. प्लीज़ धीरे धीरे करना… मुझे बहुत डर लग रहा है ..!”
“भरजाई जी ! तुस्सी चिंता ना करो जी… मैं पता नहीं कितने दिनों से तुम्हारे इस गदराए बदन और मटकती गाण्ड को देख कर मुट्ठ मार रहा था। आज इस नाज़ुक छेद में अपना लण्ड डाल कर तुम्हें भी धन्य कर दूँगा मेरी बिल्लो रानी !”
अब उसने मेरी कमर पकड़ ली और एक धक्का लगाया। मशरूम जैसे आकार का सुपारा एक ही घस्से में अंदर चला गया, मेरी चीख निकल गई।
“अबे… साले…! मादर चोद.. ओह.. मर गई ईईईईईईईई !”
मुझे लगा जैसे कोई मूसल मेरी फूलकुमारी के अंदर चला गया है, मुझे लगा ज़रूर मेरी फूलकुमारी का छेद बुरी तरह छिल गया है और उसमें जलन और चुनमुनाहट सी भी महसूस होने लगी थी। मुझे तो लगा कि यह फट ही गई है। मैं उसे परे हटाना चाहती थी पर उसने एक ज़ोर का धक्का और लगा दिया।
“मेरी जान….!”
मैं दर्द के मारे कसमसाने लगी थी पर वो मेरी कमर पकड़े रहा और 2-3 धक्के और लगा दिए।
मैं तो बिलबिलाती ही रह गई !
आधा लण्ड अंदर चला गया था। उसने मुझे कस कर पकड़े रखा।
“ओह… जस्सी बहुत दर्द हो रहा है.. ओह.. भेनचोद छोड़ ! बाहर निकाल … मैं मार जावाँगी… उईईईईईईई !”
दर्द के मारे मेरा पूरा बदन ऐंठने लगा था, ऐसा लग रहा था जैसे कोई गर्म लोहे की सलाख मेरी गाण्ड में डाल दी हो।
कहानी अगले भाग में जारी रहेगी।
आपकी नीरू बेन (प्रेम गुरु की मैना)
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