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दोस्तो, मैं राहुल फिर से हाजिर हूं अपनी एक पाठिका की सेक्सी कहानी के साथ। इस पाठिका ने मेरी पिछली कहानियों चाची ने चुदाई करवा के मर्द बनाया और चाची ने रबड़ी लगा कर चूत चाटना सिखाया को काफी पसंद किया.
कहानी को पढ़ने के बाद इस पाठिका ने मेरे पास ई-मेल किया. उन्होंने अनुरोध किया कि मैं उनके लिए एक कहानी लिखूं. इसलिए मैं उनके द्वारा बताई गयी कहानी को उन्हीं के द्वारा ही पेश कर रहा हूं.
अब आज की कहानी आप सुधा के शब्दों में ही पढ़ेंगे. कहानी का मजा लीजिये!
हाय दोस्तो! मेरे प्यार लंड धारियो, मैं अपनी कहानी को लेकर गारंटी के साथ कह सकती हूं कि आपको ये कहानी पढ़कर इतना मजा आयेगा कि सब मर्दों का लंड अकड़ जायेगा और आप मुठ मारने लगेंगे.
तो आपका ज्यादा समय न लेकर मैं कहानी बताती हूं. मेरा नाम सुधा है और मैं बिहार के पटना शहर में रहती हूं. मेरी उम्र 38 वर्ष हो चुकी है. मेरा फिगर 36-32-36 का है. मेरी रसीली चूची और मोटी गांड को देख कर किसी बूढ़े का मन भी मुझे चोदने के लिए कर जायेगा.
मैं एक चुदक्कड़ महिला हूं और प्रतिदिन अन्तर्वासना की कहानियां पढ़ कर अपनी चूत में उंगली करती रहती हूं. मैं अपनी चूत को मसलते हुए इतनी चुदासी हो जाती हूं कि मन करने लगता है कि मेरे बदन में जितने भी छेद हैं उन सब में मैं लंड डलवा लूं.
मुझे वाइल्ड सेक्स करना बहुत पसंद है. इसी से जुड़ी है मेरी आज की कहानी जो लगभग 11 या 12 महीने पुरानी है. इस कहानी में मैं बताऊंगी कि कैसे मैंने एक गैर मर्द से चुदाई करवाई. उसने मुझे जंगलियों की तरह चोदा और मेरी चूत और गांड को चोद कर फाड़ ही दिया.
उसका आदमी का नाम रमेश था. वो मेरी ही कॉलोनी में रहता था. वो थोड़ा टपोरी टाइप था, या फिर यूं कहें कि गुंडा टाइप का इन्सान था. मेरे पति तो बाहर रहते हैं और मैं एक इज्जतदार घर की बहू हूं. घर में पैसे की कोई कमी नहीं है फिर भी मेरा मन रमेश से चूत चुदाई करवाने के लिए करने लगा था. रमेश का दारू का धंधा है और वो ऐसे ही काम किया करता है, गुंडे टाइप वाले.
एक दिन की बात है कि मैं अपनी गली की बगल वाली गली से गुजर रही थी. वो गली काफी सुनसान सी रहती है.
जब मैं वहां से गुजर रही थी तो मेरी नजर रमेश पर गयी. वो वहां पर गली में पेशाब कर रहा था. मैं तो पहले ही उसकी ओर आकर्षित थी तो मेरी नजर सीधी उसकी टांगों के बीच में उसके लंड पर गयी.
मैंने उस दिन पहली बार उसका लंड देखा. उसका लंड करीब 3.5 इंच मोटा और लगभग 8 इंच लम्बा था. देखने में ऐसा लग रहा था जैसे उसकी जांघों के बीच में पैंट के अंदर से कोई पाइप बाहर आया हुआ है.
उसका सांड जैसा लौड़ा देख कर मेरा तो दिमाग खराब हो गया. मेरी चूत में चुदास मच गयी. इतना मोटा और लम्बा लंड तो मैंने पोर्न सेक्स मूवी में भी नहीं देखा था.
वो हरामी भी मेरी ओर देखने लगा. जब उसको पता लगा कि मैं उसी की ओर आ रही हूं तो वो थोड़ा सा मेरी ओर ही घूम गया और अपना लंड मुझे दिखाने लगा. मेरी नजर भी उसके लंड से हट नहीं रही थी.
मैं कई महीनों से चुदी भी नहीं थी इसलिए रमेश के लंड को देखते ही मेरे अंदर चुदास जाग गयी. उसका लंड देख कर मेरी और मेरी चूत की हालत खराब हो गयी. मैं किसी तरह से वहां से गुजरी और सीधे घर जाकर अपने बाथरूम में गयी.
रमेश के लंड के सीन को याद करके मैंने अपनी सलवार उतार दी और अपनी चूत को रगड़ने लगी. रमेश के लंड को सोच कर मैंने चूत में उंगली करना शुरू कर दिया. मैं अपनी चूत में उसी के नाम को सोच कर उंगली कर रही थी. उससे चुदने का बहुत मन हो गया था मेरा अब.
वो मादरचोद भी मुझे चोदना चाहता था. मुझे भाभी बुलाता था. वो मेरे से 6 साल छोटा था. उस दिन की घटना के बाद से वो मेरे बेटे से करीब होने लगा. मैं जानती थी कि वो मुझे चोदने के लिए मेरे बेटे से करीबी बढ़ा रहा है.
मेरा बेटा घर आकर उसकी बातें करता तो मेरी चूत गीली होने लगती थी. एक बार वो मेरे घर की छत पर आ गया. वहां पर मेरी ब्रा और पैंटी सूख रही थी. मेरे पति भी घर में ही थे. उसने फिर भी मेरी ब्रा और पैंटी को मेरे सामने उठाया और सूंघ कर उसको अपनी जेब में डाल लिया और चला गया.
मैं ये सब देख रही थी लेकिन कुछ कर भी नहीं पाई.
मैंने अपने बेटे से कहा कि रमेश अंकल से मेरी बात करवाये. मैंने अपने बेटे को अपना नम्बर लिख कर दे दिया जो मेरे पति को नहीं पता था और बेटे से कहा कि रमेश अंकल को मेरे पास फोन करने के लिए कहना.
मेरे बेटे ने वैसा ही किया. एक दिन के बाद रमेश का फोन आया. मैंने गुस्से में कहा- तू मेरी ब्रा और पैंटी क्यों लेकर गया है? तुम्हें शर्म नहीं आती है क्या? मुझे मेरी ब्रा और पैंटी वापस करके जाना.
वो बोला- हाय … कब आऊं भाभी जी? मैंने कहा- कल आ जाना. वो पूछने लगा- कितने बजे? मैंने कहा- दोपहर में आना.
मैंने उसको दोपहर का टाइम जानबूझ कर दिया था. मुझे पता था कि उस वक्त मेरे घर में कोई नहीं होता था और मैं घर में अकेली होती थी. उससे बात होने के बाद मैंने रात में सोते हुए दो बार चूत में उंगली की.
अगले दिन मैं दोपहर होने का इंतजार कर रही थी. दोपहर हुई और मेरे घर की बेल बजी. मैंने गेट खोला और रमेश को दरवाजे पर खड़ा हुआ पाया. उसका लंड उसकी पैंट में पहले से ही अलग से नजर आ रहा था. ऐसा लग रहा था कि वो वहीं पर मुझे पकड़ कर चोद देगा.
मैंने उसको अंदर आने के लिए कहा. जैसे मैंने दरवाजा बंद किया तो वो पीछे से मुझ पर पागलों की तरह टूट पड़ा. कुछ देर तो मैंने झूठा विरोध किया लेकिन वो सांड के जैसा ताकतवर था. मुझे मजा आ रहा था और फिर मैंने विरोध करना छोड़ दिया.
अब मैं भी उसका पूरा साथ देने लगी. वो मेरे होंठों को चूस रहा था. मैं भी उसके होंठों को रस लेकर पी रही थी. उसने मेरी दोनों बड़ी बड़ी चूचियों को मसलना और दबाना शुरू कर दिया. कभी मेरी गांड को दबा रहा था तो बहनचोद कभी मेरी चूचियों को जोर से दबा देता था. मैं एकदम से चुदासी हो गयी थी.
उसके चूमने और चाटने से मेरी चूत दो मिनट में ही गीली होना शुरू हो गयी थी. वो जानवरों की तरह मेरी गांड और चूचियों को दबा रहा था. फिर वो वहशी से स्वर में बोला- साली रंडी, तुझे तेरी ब्रा और पैंटी चाहिए थी न? रुक अभी देता हूं तेरी ब्रा और पैंटी.
उसने तुरंत मेरे ब्लाउज को दोनों हाथों से खींच कर फाड़ दिया. उसने मेरी चूचियों को मेरी ब्रा से खींच कर बाहर कर लिया और उनको पीने लगा. मैं पागलों की तरह उसके सिर के बालों को मस्ती में सहलाने लगी.
वो मेरी चूचियों को अपनी गर्म जीभ से चूस और चाट रहा था. मेरे निप्पल पर जब उसकी जीभ लगती तो मैं उसका सिर जोर से अपनी चूचियों पर दबा देती थी.
फिर उसने मेरी साड़ी को उतार दिया और मेरे पेटीकोट को खोल दिया. मैं अब ब्रा और पैंटी में थी लेकिन मेरी ब्रा मेरी चूचियों से नीचे फंसी हुई थी. मेरी दोनों चूचियों बाहर आकर झूल रही थीं.
रमेश ने मुझे अपनी गोद में उठाया और मुझे बेड पर ले जाकर पटक दिया. उसने मेरी पैंटी को खींच कर उतार दिया और सीधा मेरी चूत में जीभ देकर चाटने और चूसने लगा. मेरी चूत तो पहले से ही गीली हो चुकी थी.
मेरी चूत को चाटते हुए वो बोला- मादरचोद साली, तेरी चुदाई तो मैं बहुत दिनों से करना चाह रहा था. आज जाकर मुझे तेरी चूत चोदने का मौका मिला है. मैं जानता था कि तू बहुत बड़ी चुदक्कड़ है. तेरी हरकतें देख कर ही मेरा लंड खड़ा हो जाता था. आज तेरी इस मस्त गांड को भी मैं चोद दूंगा कुतिया साली.
मैंने सिसकारते हुए कहा- आह्ह … आई याह … आराम से करो, अब तो मैं तुम्हारी ही हूं. मैंने कभी गांड नहीं मरवाई है. मुझे डर लगता है. वो बोला- तब तो और अच्छी बात है, आज मुझे एक कुंवारी गांड की चुदाई करने का मौका मिलेगा. तेरी कुंवारी गांड को चोद कर इसका उद्घाटन मैं ही करूंगा मेरी रानी.
ये बोल कर रमेश ने मेरी चूत में उंगली करना शुरू कर दिया. मैं तड़पने लगी. मैंने अपनी ब्रा को उतार कर अपनी चूचियों को भी आजाद कर लिया. फिर उसने मेरी गांड को चाटना शुरू कर दिया. मैं एकदम से मदहोश होने लगी. एक तरफ वो मेरी चूत में उंगली कर रहा था और साथ ही मेरी गांड को भी चाट रहा था.
मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ और पांच मिनट में ही मेरी चूत से पानी निकल गया. फिर उसने मुझे घुटनों के बल किया और अपनी पैंट को खोल दिया. पैंट को खोल कर उसने अपना 3.5 इंच मोटा और 8 इंच लम्बा लौड़ा बाहर निकाला और सीधा मेरे मुंह में घुसेड़ दिया.
उसका लंड मेरे मुंह में समा नहीं रहा था. मेरी सांस रुकने लगी लेकिन उसका मोटा और रस भरा लंड चूसने में मजा भी आ रहा था. उसने थोड़ी देर तो मुझे लंड चूसने दिया अपनी मर्जी से ही, उसके बाद उसने मेरे सिर को पकड़ कर अपने लंड को मेरे गले तक घुसेड़ते हुए मेरे मुंह को चोदना शुरू कर दिया.
दो-तीन मिनट तक लंड चुसवाने के बाद उसने मुझे बेड पर पीछे पटका और मेरी गांड को उठा कर अपने लंड के सामने कर लिया. वो बोला- साली, तेरी चुदाई की शुरूआत मैं तेरी गांड चोद कर ही करूंगा.
मैं डर गयी कि इतना लम्बा और मोटा लंड मेरी गांड के छोटे से छेद में कैसे जायेगा! तभी रमेश ने अपनी जेब से मेरी ब्रा और पैंटी को निकाला और मेरे मुंह में ठूंस दिया.
उसने मेरे दोनों हाथों को मेरी पीठ पर ले जाकर पीछे पकड़ लिया. अपने एक हाथ से उसने मेरे हाथों को जकड़ा हुआ था दूसरे हाथ से वो मेरी टांगों को चौड़ी करने लगा. उसके बाद उसने मेरी गांड के छेद पर थूक मला.
रमेश के सख्त हाथ मेरी गांड के छेद की मालिश कर रहे थे. मुझे मजा आने लगा लेकिन तुरंत ही उसने अपने मोटे लंड का सुपारा मेरी गांड के छेद पर रख दिया. वो अपने लंड को अंदर धकेलने लगा तो मेरी जान निकलने लगी.
बहुत दर्द हो रहा था. एक इंच भर भी लंड गांड में नहीं गया था कि मेरी आंखों से आंसू निकलने लगे. दर्द के मारे मेरी आवाज भी बाहर नहीं निकल रही थी. मगर वो रुकने वाला नहीं था. वो वहशी की तरह मेरी गांड में लंड को घुसेड़ने की कोशिश कर रहा था.
उसने जोर से एक झटका मारा और 2 इंच तक लंड मेरी गांड में घुस गया. मुझे लगा कि मैं बेहोश हो जाऊंगी. फिर उसने दोबारा से लंड को थोड़ा बाहर खींचा और पूरा बाहर किये बिना जोर से एक धक्का लगा दिया. उसका आधा लंड मेरी गांड को चीरता हुआ अंदर घुस गया.
मुझे गाली देते हुए उसने फिर से जोर लगाया और लंड को और अंदर धकेलने लगा. मेरे मुंह से बस गूं-गूं .. गूं-गूं की आवाज ही आ रही थी. मेरे मुंह में मेरी ब्रा और पैंटी फंसी हुई थी.
फिर उसने मेरे हाथों को छोड़ दिया और मेरे चूतड़ों को पकड़ कर मेरी गांड की चुदाई करने लगा. अपने लंड को अंदर बाहर करने की कोशिश करने लगा. उसका लंड मेरी गांड फंस कर सरक रहा था. मेरी आंखों से आंसू नहीं रुक रहे थे. मगर उसके लंड को लेकर एक मजा भी आ रहा था दर्द में चुदने का.
मेरी गांड की चुदाई शुरू हो गयी थी और वो मेरे चूतड़ों पर जोर से चांटा लगाते हुए मुझे चोदने लगा. कुछ ही देर में मुझे गांड चुदवाने में मजा आने लगा.
मैं भी मस्ती में कहने लगी- आह्ह … चोद साले … आज मुझे मत छोड़ना. फाड़ दे मेरे छेद को. ऐसे ही चोदता रह … आह्ह … आह्ह … चोद कुत्ते, मैं तेरी रंडी हूं. मुझे अपनी रखैल बना कर चोद.
वो बोला- हां साली रंडी, तेरी गांड में बहुत आग है. तेरी गांड है भी बहुत ज्यादा टाइट. इतनी टाइट गांड मुझे आज तक नहीं मिली. आज मैं तेरे इस छेद को खोल कर रख दूंगा.
रमेश जोर जोर से अपने लंड को मेरी गांड में पेलने लगा. मैं भी आह्ह … ओह्ह … आई … याह … करके चुदने का मजा ले रही थी. वो भी हांफते हुए मुझे चोद रहा था और आह्ह … उफ्फ करके सिसकारी ले रहा था.
तभी मेरी चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया. जब उसने देखा कि मेरी चूत से पानी गिर रहा है तो उसने मेरी गांड को और तेजी से फाड़ना शुरू कर दिया. ऐसा लग रहा था जैसे मेरी गांड के चिथड़े हो रहे हैं. मगर मैं फिर भी चुदती रही.
फिर उसने मेरे बालों को पकड़ कर पीछे खींच लिया और बोला- साली रंडी, तू तो ढीली हो गयी लेकिन मेरा अभी होना बाकी है. ये बोल कर वो जोर जोर से गांड चुदाई करने लगा.
थोडी़ देर में वो सिसकारने लगा- आह्ह .. आ रहा हूं रंडी… आह्ह आ गया बस! उसके धक्के और तेज हो गये. थोड़े ही अंतराल के बाद वो मेरे ऊपर लेट गया. उसने मेरी चूचियों को जोर से मसलते हुए मेरी गांड में अपना माल गिरा डाला.
जब उसका माल पूरा मेरी गांड में निकल गया तो उसने अपने मोबाइल से मेरी गांड की फोटो खींच ली. उसने मेरी गांड के छेद की फोटो खींच कर मुझे दिखाया. मेरी गांड पूरी लाल हो गयी थी. मेरी गांड का छेद 3 इंच तक चौड़ा हो गया था.
फोटो में मेरी गांड के छेद से सफेद वीर्य निकलता हुआ साफ दिख रहा था. वीर्य के साथ खून भी मिला हुआ था. मेरी गांड फट गयी थी. उसके बाद वो मेरे पास ही पड़ा रहा. मेरी गांड में दर्द हो रहा था लेकिन एक मजा भी था.
पांच मिनट के बाद उसने मेरी चूचियों को फिर से मसलना शुरू कर दिया. कुछ ही देर में मेरी चूत फिर से चुदासी होने लगी. उसने मेरे मुंह में लंड दे दिया और चुसवाने लगा. उसके 4 इंची सोये हुए लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी.
दो-तीन मिनट में ही उसका लंड मेरे मुंह में फिर से आठ इंच का हो गया. उसने मुझे बेड पर पटक लिया और पीठ के बल लिटा कर मेरी टांगों को चौड़ी कर लिया. उसने मेरी चूत पर थूका और अपने लंड को मेरी चूत में पेल दिया.
पहले ही धक्के में मेरी जान निकल गयी. मगर तभी उसने दूसरा धक्का मार दिया और आधा लंड चूत में घुसेड़ दिया. तीसरे धक्के में उसका लंड केवल इंच भर बाहर रह गया था.
उसने मेरे होंठों को चूसते हुए मेरी चूत में धक्के लगाने शुरू कर दिये. पांच मिनट के अंदर ही मेरी चूत में लंड का जोश भरने लगा और मैं गांड को उछाल उछाल कर चुदवाने लगी.
रमेश ने 20 मिनट तक मेरी चूत चोदी और मैं इस दौरान तीन बार झड़ी. उसका लंड इतना मोटा और लम्बा था कि मेरी चूत में अंदर मेरी बच्चेदानी तक टक्कर मार रहा था. उसके लंड से चुद कर मेरी प्यास शांत हो गयी थी. मगर मैं बहुत थक गयी थी. फिर उसने अपने कपड़े पहने और मेरी ब्रा और पैंटी को मेरे मुंह पर मार कर चला गया.
मैं चुदाई के नशे में नंगी पड़ी रही और दो घंटे के बाद उठी. उसके कुछ देर के बाद मेरा बेटा आ गया. मुझसे चला भी नहीं जा रहा था लेकिन मैंने किसी तरह खुद को संभाला हुआ था.
रमेश के लंड से चुद कर मुझे बहुत मजा आया. इतने महीने की प्यास को उसने बहुत मस्ती से चोद कर बुझा दिया. उसके बाद मैं कई बार उससे चुदी. कभी रात में तो कभी उसके ही घर में. कई महीनों तक मेरी चूत मारने के बाद फिर उसने मुझे छोड़ दिया. उसके लंड के बारे में सोच कर आज भी मेरी चूत गीली हो जाती है. ये थी मेरी कहानी.
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