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प्रेषक : हैरी बवेजा
मेरा नाम हैरी है, उम्र 28 साल है, जालंधर का रहने वाला हूँ। यह मेरी सच्ची कहानी है कि मैंने कैसे अपनी साली की चुदाई की।
बात उन दिनों की है जब मैं अपनी पत्नी की मामी के घर पटना गया था। उनकी एक लड़की है वो मुझसे बहुत बातें और मजाक करती थी। उसका नाम है सुप्रिया।
तब उसकी उम्र 18 साल की थी, नई नई जवान हो रही थी। वैसे वो बहुत ही सेक्सी थी, मस्त फिगर थी 30-32-30, उसकी चूचियाँ मस्त छोटे छोटे अनारों की तरह थी।
वैसे मेरे मन में उसके लिए कोई गलत भावना नहीं थी पर एक रात जब मैं सो गया तो वो मेरे ही पास में आकर सो गई। जब मैंने रात को करवट बदली तो देखा कि वो मेरे साथ सो रही है। यह देख कर मैं हैरान हो गया।
उसके बाद मुझे नीद नहीं आ रही थी। फिर मैंने धीरे से उसकी चूची पर हाथ रख दिया। क्या मस्त चूची थी उसकी ! एकदम गोल-गोल !
उसे छू कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया और मैंने फिर धीरे-धीरे उसकी कमीज़ के अन्दर हाथ डालना चालू किया तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहने लगी- नींद नहीं आ रही है क्या?
मैंने कहा- नहीं !
मैं बार-बार उसकी कमीज के अन्दर हाथ डालता और वो हटा देती।
सारी रात ऐसा ही हुआ। मैंने उसे सारी रात परेशान किया और उसने मुझे !
उसने मुझे सिर्फ उसकी चूचियाँ ही दबाने दी और बीच बीच में मैं उसको चूमता भी रहा। और कोई चारा भी नहीं था मेरे पास क्योंकि उसकी माता जी हमारे बिस्तर से कुछ दूरी पर ही सोई हुई थी इसलिए मैं उस रात कुछ ज्यादा नहीं कर पाया, बस उसकी चूची और चुम्मी से ही मुझे गुजारा करना पड़ा।
कुछ दिनों बाद मैं वापस अपने घर आने वाला था तो उसने कहा- मैं भी दीदी से मिलने आपके साथ घर जाना चाहती हूँ !
मैंने कहा- अपनी मम्मी से पूछ लो ! शायद वो मना करें !
पर उसकी मम्मी ने मना नहीं किया जाने के लिए !
मेरी तो जैसे लाटरी लग गई और मैं और वो चलने की तैयारी करने लगे।
अगले दिन हम ट्रेन से पटना से जालंधर आने लगे। हमारी एक ही बर्थ कन्फर्म हुई थी और एक वेटिंग थी।
दिन जैसे-तैसे गुजर गया, जब रात हुई तो हम दोनों एक ही बर्थ पर लेट गए। ऊपर वाली बर्थ थी हमारी !
अब रात को चैन कहाँ थी दिल में?
उसके बदन की नजदीकी से उसे छूने, कुछ कर गुजरने की कामना उछालें मार रही थी।
हम दोनों साथ-साथ तो लेटे हुए थे ही, मैं उसकी चूचियाँ दबाने लगा और धीरे-धीरे उसकी चूत तक अपना हाथ ले गया। उसने कोई आपत्ति नहीं की।
थोड़ी ही देर में उसकी सलवार गीली गीली सी लगने लगी थी, उसकी चूत से पानी निकल रहा था, वो भी पूरी गर्म ही गई थी चुदवाने के लिए पर क्या करते, ट्रेन में कैसे चुदाई कर सकता था मैं !
अगले दिन हम जालंधर पहुँच गए।
मेरी पत्नी अपनी बहन से मिल कर बहुत खुश हुई और सारा दिन उससे बातें करती रही, रात को भी मुझे घर में चुदाई करने का कोई भी मौका नहीं मिला।
मुझे एक योजना सूझी, मैंने सुप्रिया को बोला- चलो, कहीं घूमने चलते हैं।
सुप्रिया तैयार हो गई।
मैंने पूछा- कहाँ जाने का मन है?
सुप्रिया बोली- जीजाजी, शिमला का बहुत नाम सुना है, शिमला घूमने की इच्छा है। कितनी दूर होगा?
मैंने कहा- काफ़ी दूर है। बस से चलते हैं।
मैंने अपने पत्नी से कहा- तुम भी चलो !
पर उसने कहा- नहीं ! आप दोनों चले जाओ, मैं नहीं जाऊँगी।
फिर मैं और सुप्रिया मोटर-साइकिल से चल दिए। सुप्रिया मेरी पीछे मेरी कमर पकड़े बैठी थी, उसकी चूचियाँ मेरी पीठ पर गड़ रही थी, मुझे बहुत मजा आ रहा था !
फिर मैंने मोटर-साइकिल स्टैंड में जमा करा दी और बस से शिमला चले गए। बस में भी हम मस्ती करते जा रहे थे। शिमला पहुँच कर हमने एक कमरा बुक करवाया और शाम को घूमने चले गए।
फिर रात को खाना खाने के बाद हम कमरे में आ गए।
आज इतने दिनों बाद सुप्रिया को पेलने की मेरी मनोकामना पूरी होती दिख रही थी।
सुप्रिया ने कहा- जीजाजी, आप थक गए होंगे, दीजिये आपके पैर दबा दूँ।मैंने कहा- नहीं, रहने दो ! तुम भी तो थक गई होगी।
सुप्रिया मुस्कुरा दी और वो मेरे पैर दबाने लगी।
सुप्रिया ने कहा- जीजाजी, पैंट उतार दो, दबाने में दिक्कत हो रही है।
मैंने कहा- तुम ही उतार दो।
मैंने अपनी पैंट खोल दी और सुप्रिया ने उसे खीच कर मेरे पैरों से जुदा कर दिया।
अब मैं सिर्फ अंडरवीयर में था, सुप्रिया मेरी टाँगें दबा रही थी और मेरा लण्ड अंडरवीयर में एकदम तना खड़ा था।
सुप्रिया बार-बार जानबूझ कर पैर दबाते दबाते मेरे लण्ड को छू लेती जिससे मेरा लण्ड और फर्राटे मारने लगता और वो मुस्कुरा देती।
तब मैंने कहा- चलो छोड़ो ! सो जाओ।
और हम दोनों सोने लगे। उसने मेरी कमर पर अपनी टाँग रख दी और मुझसे लिपट कर सोने लगी।
मैंने कहा- यह क्या कर रही हो?
उसने कहा- जीजाजी, मैं तो ऐसे ही सोती हूँ ! अपने घर में भी और दीदी को भी ऐसे ही पकड़ कर सोती हूँ !
मैंने कहा- ठीक है !
फिर मैं धीरे-धीरे उसके चूचे दबाने लगा, वो कुछ नहीं बोल रही थी, उसे भी अच्छा लग रहा था।
उसने कहा- सो जाओ जीजा जी !
मैंने कहा- अब नींद किसे आएगी मेरी साली जी !
और मैं जोर-जोर से उसकी चूचियाँ दबाने लगा। वो धीरे-धीरे गर्म होने लगी थी। मैंने उसकी कमीज़ उतार दी और अब वो मेरी सामने सिर्फ ब्रा में थी।
कहानी जारी रहेगी।
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