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अगले दिन मैंने महिमा को रोहित के साथ आने को कह दिया। महिमा तुंरत तैयार हो गई। मैं समझ गई आग दोनों और लगी है।
रोहित उसे अपनी मोटर साइकिल पर बैठा कर ले आया। रोहित और महिमा को मैंने पास पास ही सोफे पर बैठाया।
मैं चाय बना कर ले आई।
मैंने देखा कि वो दोनों एक दूसरे की टांगों को स्पर्श करते हुए बैठे बात कर रहे थे। मैं मुस्कुरा उठी।
‘महिमा… रोहित तुम्हारी बहुत तारीफ कर रहा था…’
रोहित ने तुंरत ही कहा- मैम… मैं अभी आया… वो उठ कर बाहर चला गया।
महिमा ने कहा- मैम ! मुझे क्यों बुलाया है?
‘तुम्हें रोहित अच्छा लगता है?’
‘वो मेरे से कुछ बात ही नहीं करता है ज्यादा…’
‘तुम उसे पसंद करती हो?’
वो शरमा गई- मैम वो मुझे अच्छा लगता है।
‘वो भी तुम्हें चाहता है, उसी के कहने पर तुम्हें मैंने यहाँ बुलाया है, पर वो झिझकता है अपने प्यार का इज़हार करने में ! देखो अब भी उठ कर दूसरे कमरे में चला गया शरमा कर !’
‘मैंने तो उसे कई बार संकेत दिए पर वो समझ ना सका!’
‘ऐसी बात नहीं कि वो तुम्हारे इरादों से बेखबर है, वो डरता है और शरमाता भी है, वो तो कल मुझ से पढ़़ने आया तो मैंने बातों बातों में ऐसे ही पूछ लिया उससे कि कोई गर्ल फ्रेंड है या नहीं तो बहुत बार पूछने पर बताया कि तुम उसे अच्छी लगती हो तो मैंने उस से प्रोमिस किया कि मै तुम दोनों की दोस्ती करा दूंगी।’
‘तो सुनो महिमा… तुम्हे मैं एक मौका देती हूँ… वो मेरे बेड रूम में है जाकर उसे जो कहना है… कह देना…’
‘मैम… शर्म आयेगी मुझे भी ! वो लड़का हो कर भी नहीं कह सकता फ़िर मैं तो लड़की हूँ !’
‘अच्छा… तो मैं तुम्हारा काम बनती हूँ… पर इसका टैक्स देना पड़ेगा…’
‘मैम बस एक बार हमारी दोस्ती करवा दो ! फ़िर…’
‘ओके… फ़िर क्या करोगी… बता दो…?’ मैंने उसे रहस्यमयी निगाहों से देखा।
‘मैम वो… कुछ खास नहीं बस कुछ नहीं मैम…’
‘कुछ तो… ! अगर वो तुम्हें किस करे तो? तो करने दोगी?’
‘मैम… आप भी बस !’ ‘बताओ ना !’
‘मैम वो… कुछ खास नहीं बस कुछ नहीं मैम…’
‘कुछ तो… ! अगर वो तुम्हें किस करे तो? तो करने दोगी?’
‘मैम… आप भी बस !’
‘बताओ ना !’
‘हाँ !’
‘और?’
‘और क्या?’
‘हाँ… हाँ… बोलो… और भी कुछ…’
‘मैम… आपको भी मज़ा आ रहा है यह सब पूछ कर !’
‘हाँ बहुत मज़ा है इस सब में !’
‘अच्छा बताओ अगर रोहित तुम्हारे बूब्स पकड़ ले तो?’
‘मैम बस करो ! आप तो बेशरम होती जा रही हो !’
‘क्यूँ ! इसमें ऐसी क्या बात है ! क्या तुम्हारा मन नहीं करता कि कोई तुम्हें किस करे तुम्हारे शरीर को मसल दे, इस उमर में यह सब करने की इच्छा होती है, मुझे तो बहुत होती है, तुम्हें भी जरूर होती होगी, है ना?’
‘हाँ मैम पर डर लगता है किसी को पता चल गया तो?’
‘यहाँ हमारे सिवा और कौन है बस सारी बात हम तीनों के बीच ही रहेगी।’
मैम कुछ होगा तो नही? मुझे डर लग रहा है और अब तो इच्छा भी बहुत जाग उठी है।
डरो मत ! अन्दर बेड रूम में जाओ और कह दो रोहित से दिल कि बात ! वो भी बेचैन है .
नहीं मैम आप उसे यहीं बुला लो यहाँ आपके सामने ही, बल्कि आप ही कह दो सारी बात !
लो यह काम अगर मै करुँगी तो बाकी काम भी मै ही कर लूंगी उसके साथ!
मैम!
अच्छा बुलाती हूँ! यह कह कर मैंने रोहित को आवाज लगा कर बुलाया.
रोहित अपनी किताबे ले कर अन्दर आ गया। वो मुझ से कुछ पूछने लगा किताब में से।
मैंने उसे कहा- ज्यादा नाटक मत करो और काम कि बात पर आओ। महिमा तुमसे कुछ कहना चाहती है
नहीं मैम नहीं मै क्या… मैंने तो कुछ नहीं कहना!
अब तुमने नौटंकी शुरू कर दी!
रोहित सुनो! महिमा मान गई है तुमसे दोस्ती के लिए, बल्कि ये तो पहले से ही चाहती थी तुम्हारी दोस्ती बस तुम्हारे प्रोपोज़ल का इंतजार कर रही थी। अब महिमा से बोलो- आई लव यू!
रोहित शरमाते और हकलाते हए बोला- महिमा आई लव यू !
मैंने ताली बजाई और महिमा को बधाई दी और कहा अब तुम भी बोलो रोहित से !
वो भी धीरे से बोली- रोहित आई लव यू !
मैंने फ़िर ताली बजाई और रोहित को बधाई दी और कहा अब आगे बढ़ो और कुछ करो !
दोनों एक साथ बोले- क्या?
क्या क्या? किस करो !
दोनों मेरे मुंह की तरफ देखने लगे.
‘हां… हां… करो… करो किस एक दूसरे को !… ‘
‘मैम ! नहीं मैम आपके सामने? आपके सामने नहीं …’ रोहित बोला।
‘मेरे सामने ! क्या हुआ मेरे सामने? ‘
‘महिमा तुम उठो और रोहित को किस करो गाल पर ! ‘
‘नहीं मैम मुझे नहीं आता किस करना !’
‘नहीं आता तो सीख ले ! ले देख किस कैसे करते हैं’ यह कह कर मैं रोहित के पास गई और पहले उसके गाल पे फ़िर उसके सिर के पीछे हाथ रख कर उसके होंठों पर जोरदार किस किया।
रोहित घबरा गया और महिमा मुझे ताकती रह गई।
‘चल रोहित तू ही शुरू कर ! पकड़ ले और चूस चूस के लाल कर दे इसके गालों और होंठों को’ मैंने रोहित को महिमा का हाथ पकड़ाते हुए आदेश दिया।
रोहित ने डरते हुए महिमा को अपनी ओर खींचा और उसके कंधे पर हाथ रख कर उसका चेहरा ताकने लगा जैसे उससे पर्मिशन मांग रहा हो।
मैंने उठ कर दोनो के सिर पकड़ कर उनके होंठों को आपस में मिला दिया। अब रोहित ने अपने होंठ खोले और महिमा के होंठो को किस करने लगा।
अब मैं वहां से उठ कर बाहर आ गई और दो चार मिनट इधर उधर बेचैनी से टहलने के बाद फ़िर अन्दर झांक कर देखा तो रोहित महिमा को चूम रहा था और उसकी चूचियाँसहला रहा था।
मैं तुंरत अन्दर आ गई.
महिमा एक दम से घबरा गई.
‘महिमा क्या हो गया… अरे करो… ये तो लड़की और लड़के के लिए जरूरी है… ‘
‘मैम सॉरी… सॉरी… ‘
‘सच कह रही हूँ… अपना काम चालू रखो… कहो तो मैं मदद कर दूँ… ‘
महिमा शर्म से झुकी जा रही थी… रोहित ने उसका मुंह ऊपर उठाया और उसके होंट फिर चूमने लगा । महिमा ने अपनी आँखे बंद कर ली । रोहित ने उसे धीरे से मेरे बिस्तर पर लेटा दिया… … और अपने कपड़े उतारने लगा । फिर महिमा के कपड़े उतारने लगा । महिमा ने मुझे मुझ से परमिशन मांगने की नजरों से देखा… मैंने ख़ुद ही उसका टॉप उतार दिया और कहा -‘ मस्ती करो… शरम नहीं… ‘
रोहित ने उसकी जेंस भी उतार दी । एक नंगी जवान 18 साल की लड़की… रोहित का लंड फूल कर कड़ा हो गया । वो बिस्तर पर उस से लिपट गया.
‘अरे ये क्या कर रहे हो… इसकी इजाज़त नहीं है… ‘
‘प्लीज़ मैम… ‘ दोनों ने मेरी और देखा.
‘नहीं… बिल्कुल नहीं… तुम दोनों अकेले कैसे मज़ा ले लोगे, मैं कहां जाऊंगी ?’ कह कर मैं भी अपने कपड़े उतारने लगी।
रोहित ने मुझे कपड़े उतारते देखा तो बोला -‘मैम तो पहले आप… ‘
मैंने महिमा के कान में अपनी बात बताई। वो हंसने लगी -हाँ मैम… फ़िर तो आज इसकी खैर नहीं…
‘हाँ रोहित… पर मेरी शर्त याद है ना… मेरी गांड चाट कर मुझे मस्त कर दो ‘
‘हां मैं भी देखूं मैम की गाण्ड कैसे चाटता है तू, फ़िर मैं भी करवाऊंगी वैसे ही… ‘
‘नहीं… नहीं… मैं नहीं करूंगा… मैं नहीं चाट सकता गाण्ड …’
मुझे गुस्सा आ गया। मैंने उसके बाल पकड़ लिए… और उसके गाल पर एक चांटा जड़ दिया.
वो आश्चर्य से मुझे देखने लगा। मैंने फिर उसे कहा… ‘हरामजादे… बोल चाटेगा के नहीं… ‘ उसकी चूतडों पर लात मारते हुए बोली… पहले मेरी चूत चाट फ़िर गाण्ड…’
‘मैम ये ऐसे नहीं मानेगा… ये लो… इसे बाँध दो… ‘ महिमा बोली।
हम दोनों ने उसे बिस्तर पर लेटा कर बाँध दिया। महिमा ने उसके लंड को पकड़ कर मसलना चालू कर दिया। मैं रोहित पर चढ़ गई। चूत को उसके मुंह से सटा कर बोली -‘अब चूसो इसे… ‘ मैंने अपनी चूत उसके मुंह पर धीरे धीरे रगड़ने लगी.
‘नहीं मैम… नहीं… मुझे छोड़ दो मैम… ‘
‘ रोहित… चुप चाप मेरी बात मानो… ‘ मैंने अपनी गीली चूत उसके होटों पर घिसनी चालू कर दी…
वो इधर उधर होने लगा… उसके मुंह पर मेरी चूत की चिकनाई फ़ैल गई थी.
‘ चल न… चाट ले रे चूत को… ज्यादा हरामीपना मत दिखा… ‘
‘मैम क्या कर रही हो… ‘
‘ चल चूस इसे मादर चोद… स्कूल में तो मेरी चुंचियाँखूब देखता था… अब चूस इसे… कुत्ते… ‘
उसने हार मान ली और चुप चाप चूसने लगा ।
मैंने कहा -‘शाबाश बेटा ! आ आह !… और अब देख बहनचोद… इसके बाद मेरी गांड का नम्बर है… ‘ और महिमा ! चल साली तू रोहित का लंड चूस …’
महिमा उसका लंड को अपने मुंह लेकर चूसने लगी।
मैंने अपने चूतड़ों की फ़ांकों को खोल कर उसके मुंह पर रख दिया । उसने हिम्मत करके अपनी जीभ निकाल कर मेरी गांड के छेद में डाल दी… मैं खुशी से झूम उठी । तरकीब काम आ गई थी। मैं अपनी गांड उसके मुंह पर पटकने लगी। ‘ले चाट इसे… बहन के लोड़े… मैंने उसका लंड पकड़ कर मुठ मारने लगी। उसे भी मजा आने लगा.
महिमा कहने लगी -‘मैम ये लण्ड तो मेरे लिए छोड़ दो ना… प्लीज़..’
मुझे सु सु आने लगी थी। मैंने अपनी गांड ऊँची की और उसके मुंह में पेशाब की धार छोड़ दी । उसने अपना मुँह बंद कर लिया, आंखे भी बंद ली। मैं अब उसके पूरे शरीर पर पेशाब करने लगी। वो पूरा भीग गया। महिमा भी उत्तेजित हो चुकी थी.’मैम… थोड़ा इधर भी… ‘
‘वो मेरी चूत के पास आ गई… और अपना मुंह खोल दिया । मैंने अपनी धार उसके मुंह की तरफ़ कर दी । उसने अपना मुंह पूरा पेशाब से भीगा लिया और अपना मुंह खोल लिया । अब धार उसके मुंह में जा रही थी… ‘ उसने पेशाब अपने मुंह में भर कर एक घूंट में पी गई। अब पेशाब मैं कर चुकी थी। महिमा ने मेरी चूत में अपनी उंगली डाल दी। महिमा बोली -‘रोहित देखो कैसा मजा आया ना… ‘
‘मैम… मजा आ गया… अब मैं भी मूतने की कोशिश करती हूँ… ‘
महिमा रोहित के ऊपर चढ़ कर मुझसे लिपट गई। और अपनी धार छोड़ दी… उसकी गर्म गर्म धार मेरे शरीर पर भी आ रही थी । मैंने अपनी गांड थोडी और ऊँची कर दी । जगह हो गई थे । अब महिमा के पेशाब की धार रोहित के मुंह पर पड़ रही थी । मैंने भी तुरंत हाथ में उसका पेशाब भर लिया… और मुंह में डाल कर पी गई… खारा खारा सा स्वाद लगा… पर उत्तेजना में उसमे भी स्वाद आया।
‘भोसड़ी की ! तूने ये क्या किया… तेरी तो मैं माँ चोद दूंगा ‘
‘मेरे प्यारे रोहित… मेरी मां बाद में चोदना पहले… मेरी गांड चाट ले… ‘महिमा ने अपनी गांड के छेद को उसके मुंह पर रख दिया । और रोहित का लंड को मुठ मारने लगी.
‘मजा आया हरामी… गांड चाट कर… ‘ मैंने उसका मुंह सीधा करके महिमा की गांड में घुसा दिया । उसे चाटना ही पड़ा.
‘चुद्दकड़ रांड… अब तो छोड़ दे मुझे… तुझे कुत्ते चोदें… रंडी । ‘
‘हाँ हाँ बोल… इतना मोटे लंड से क्या अपनी बहन को चोदेगा… हरामी… चल चाट तेरी इस चुद्दकड़ रांड की गांड को… ‘
‘हाँ मेरे राजा… चाट ले ना मेरी गांड को… फिर तू मुझे घोड़े की तरह से चोदना… ‘
वो भी गांड को आगे पीछे कर के गांड रगड़ने लगी। मेरी इच्छा पूरी हो गई थी। महिमा ने भी पूरी कसर निकाल ली और उस पर से उतर गई। महिमा मेरे से लिपट गई। उसकी चुंचियाँमेरी चुन्चियों से टकरा गई। दोनों ने एक दूसरे की चुंचियाँदबाई और रोहित को खोल दिया.
रोहित ने कहा -‘मैम आपको तो मजा आ गया ना… अब मेरी बारी है ना… ‘ उसने बिस्तर पर से हाथ बढ़ा कर मेरी कमर पकड़ ली । उसने मुझे दबोच लिया और बिस्तर पर पटकते हुए बोला -‘चल बहन की लौड़ी… घोड़ी बन जा… ‘ उसने मेरी चुंचियाँभींच डाली । मुझे घोड़ी बना कर उसने मेरे चूतडों पर कस कस के मारना शुरू कर दिया.
‘ रोहित… मत मार मुझे… बहन चोद… कुत्ते… अपनी माँ को मारना घर जा कर उसकी गांड की छिताई करना मैं गलियाँदेती हुई घोड़ी बन गई। उसने मेरे चूतड की दोनों फांकों को चीरते हुए… अपने लंड की सुपारी गांड के छेद में टिका दी…
‘ले कुतिया… अब तेरी गांड की माँ चोद दूंगा .’ कहते हुए उसने मेरी गांड में अपना 18 साल का जवान लंड चीरता हुआ अन्दर तक घुसा दिया। मैं चीख उठी। उसने फिर गांड फाड़ देने वाला धक्का लगाया। मैं फिर चीख उठी। उसके धक्के बढ़ते गए। मैं चीखती रह गई.
‘रोहित चोद दे मैम को… जल्दी कर ना… फिर मेरी बारी भी तो है… ‘
मेरा दर्द के मारे बुरा हाल था -‘हरामजादे… बस कर अब… मेरी गाण्ड फ़ट गई है… ‘
‘साली रंडी… तू क्या समझती है.. तुझे छोड़ दूंगा… ये देख खून तो निकल रहा है…पर अभी और खून निकालूंगा.. तुने मेरे ऊपर पेशाब किया है ना…’
रोहित ने अपना लण्ड तुरंत बाहर निकाला और जोर लगाया… फ़िए एक झटके से लण्ड को मेरी गाण्ड में पेल दिया।
‘कुत्ते… हरामी.. मर जाऊंगी.. छोड़ दे मुझे… लण्ड को निकाल ले अब…’ पर उसने अनसुनी कर दी और धक्के बढ़ते गए…’
मेरे हाथ में अब कुछ नहीं था। मैंने अब अपने को रोहित के हवाले कर दिया..। अब दर्द कम हो गया था… पर झटके बेरहमी से मार रहा था। अब उसने अपना लण्ड बाहर निकाला और चूत के द्वार पर रख दिया। रोहित ने धक्का मारते हुए लण्ड सीधा चूत में घुसा दिया। उसका लण्ड मेरी गाण्ड के खून से लथपथ था। बिस्तर पर खून गिरा था।
चूत में लौड़े के घुसते ही फ़िर मेरी आह निकल पड़ी। उसके लण्ड ने सीधे जड़ में चोट की थी। मैं दर्द से तड़प उठी। दूसरा धक्का तो और भयंकर था। तेज़ दर्द से मैं लगभग रोते हुए बोली,’रोहित प्लीज़… अब छोड़ दे… मैं मर जाऊंगी… ‘
तभी एक और तेज़ धक्का लगा… मुझे लगा मैं बेहोश हो जाऊंगी,’रोहित… बस..अब नहीं…रोहित…नहीं…’
उसने अब नर्मी दिखाई, वो आराम से धक्के लगाने लगा, मुझे भी अब धीरे धीरे मज़ा आने लगा। रोहित चरम सीमा पर पहुंचने लगा था। मैं चुपचाप लेटी थी। मज़ा बदलता जा रहा था। अचानक मुझे लगा कि मैं झड़ने वाली हूं। मुझे ज्यादा मज़ा आने लगा, मैंने भी गालियाँदेनी शुरू कर दी,
‘लगा हरामी.। चोद दे मुझे… लगा रे… दे लण्ड चूत में.. हाय उई ईइ सी सीऽऽऽ… मादरचोद दे धक्के… मर गई…’
और मेरा रस निकलने लगा… उसके धक्कों से मेरा पूरा शरीर हिल रहा था। मैं निढाल हो गई।
पर अभी उसके धक्के चालू थे… मेरी चूत में अब जलन बढ़ने लगी… गांड भयंकर दर्द कर थी। चूत का भी बुरा हाल था। चूत के अन्दर तो जैसे आग लग रही थी। ‘रोहित अब छोड़ दे मुझे… प्लीज़ छोड़ दे मुझे… ‘ पर शायद मेरी आवाज मुंह से नहीं निकल पा रही थी।
रोहित ने मुझे छोड़ दिया और महिमा को पकड़ लिया।
‘प्लीज़ रोहित… धीरे करना… ‘
रोहित ने महिमा को चूमा … और उसे मेरे पास बिस्तर पर लेटा दिया। बिस्तर गीला हो चुका था। महिमा को अपनी चूत में लण्ड घुसता महसूस हुआ। उसके मुंह से आह निकल गई। मैं निढाल सी लेटी थी। रोहित को देखा… उसके चोदने की ताकत कमाल की थी। महिमा खूब उछल उछलकर चुदवा रही थी। मैंने अपनी आंखें बंद कर ली।
फ़िर धीरे से उठी… मैंने देखा- बिस्तर खून से लाल था। मेरी चूत और गाण्ड से खून की कुछ बूंदें टपकी थी। मुझे ठीक से चलने में परेशानी हो रही थी। मैं बाथरूम में गई। अच्छी तरह से नहा धो कर वापिस आई तो रोहित और महिमा दोनों गीले बिस्तर पर चित्त लेटे थे। वो झड़ कर निपट चुके थे। रोहित के लण्ड की चमड़ी ऊपर से कुछ कट सी गई थी।
महिमा और रोहित एक साथ उठे और बाथ्रूम में इकट्ठे घुस गए। जब नहा कर बाहर आए तो रोहित की नज़र बिस्तर पर पड़ी तो वो घबरा गया,’मैम, ये क्या हो गया… इतना खून !..’
‘रोहित तूने आज मेरी जान ही निकाल दी…’ रोहित तुरन्त रुई और पट्टी लाया। उसने मेरी टांगें उंची की और रुई पानी से मेरी चूत और गाण्ड को अच्ची तरह से पौंछा। मैंने उसे कहा,’ वहां से दवाई उठा कर मेरे अन्दर दोनों जगह लगा दे !’
रोहित उंगली पर दवाई लेकर मेरी चूत के अन्दर और गाण्ड के छेद में लगाने लगा। लेकिन ये क्या… मेरी चूचियाँफ़िर से खड़ी होने लगी..। मुझे चूत में मीठी सी जलन होने लगी… मैंने अपने आप को रोका… उसके लण्ड पर भी मैंने दवाई लगा दी।
‘मैम… आई एम सोरी..। सोरी मैम… ‘
मैंने उसे गले लगा लिया। उसकी चुदाई से मैं गहराई तक सन्तुष्ट हो गई। महिमा भी मुझ से लिपट गई,’रोहित… तू तो ही-मैन है रे… मज़ा आ गया..’
मैंने उसे चूमते हुए कहा- कल जब पढ़ने आओ तो फ़िर से ऐसे ही चोदना… ‘
वो हैरान होकर मुझे देखने लगा.. मैंने उसे धीरे से आंख मारी।
महिमा हंस पड़ी और पूछने लगी- मैम ! मैं भी कल पढ़ने आऊं?’ 0451
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