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प्रेषिका : गुड़िया
संपादक : मारवाड़ी लड़का
आप सभी ने मेरी इस कहानी का पहला भाग तो पढ़ लिया होगा न ! अब मैं कहानी का दूसरा भाग आपके सामने ला रही हूँ।
मैं उसके बालों में हाथ फेर रही थी और वो मेरे चुचूक चूस रहा था। मेरे लिए यह एक नया अनुभव था। उसने चुचूक चूसते हुए सलवार का नाड़ा खींच दिया और मेरी सलवार नीचे सरक गई। मैंने आज सलवार के नीचे भी कुछ नहीं पहना था। हल्के भूरे बालों से भरी मेरी गुलाबी होंठों वाली चूत देख उसका बुरा हाल हो गया। और जब उसने मेरी चूत के होंठ को अलग कर उस पर हाथ फेरा तो
हाय !!!!
मैं क्या बताऊँ, मैं सिसकने लगी……..
मैं अपने होश खोने लगी थी।
“काले, छोड़ दे मुझे.. कुछ कुछ होता है।”
“मैं तेरी नहीं लूँगा, यह वादा रहा मेरा। बस तू अपनी मर्जी से मुझे मजे लेने दे ! वरना मैं जबरदस्ती ले ही लूँगा।”
वैसे मुझे बहुत मजा आ रहा था। उसने मुझे बोरियों से बने तख़्त पर लिटाया और मेरे टांगो के बीच में खुद बैठ गया। उसने अपनी दो उँगलियों से मेरे चूत के होंठ फैलाए और अपनी जीभ उस पर रख दी।
मैं तो पागल सी हो रही थी। वो अपनी जीभ से मेरे चूत को चाट रहा था, उसकी खुरदरी जीभ मेरी कोमल चूत पर रगड़ खा रही थी और मेरी चूत अजीब सी अकड़न के साथ फुदक रही थी।
उसने कहा,”कितनी साफ़ सुथरी कुंवारी चूत है ! पहली बार एक कच्ची लड़की की चूत देख रहा हूँ।”
और वो मजे लेकर मेरी चूत को चूसने लगा।
इसी बीच उसने अपना पजामा उतार दिया और फिर अपना कच्छा भी उतार दिया।
हाय राम !
जब मैंने उसका काला नाग जो पहले किसी चमड़ी के हिस्से की तरह लटक रहा था, उसे अपना सर उठाते हुए देखा, मेरी तो जान ही निकल गई।
फिर उसका वो कला नाग देखते ही देखते एक लोहे का डण्डा जैसा हो गया।
उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपना लौड़ा पकड़ा कर बोला,” ले मेरी जान ! इसे पकड़ कर इसके साथ खेल ! एक ना एक दिन तो तुझे इसको अपनी चूत में डलवाना ही पड़ेगा। अगर मैं नहीं डालूँगा तो कोई और डाल देगा। शादी के बाद तो तेरा खसम रहम नहीं खायेगा। इसको तो फटना ही होगा आज नहीं तो कल। चल चूम ले इसे और मजे लेते हुए मजे दे।”
मैंने उसके लौड़े को सहला कर देखा और फिर मुँह में लेने की कोशिश की। मगर वो लौड़ा था कि मेरे मुँह में समां नहीं रहा था।
वो बोला,”अपनी जबान से चाट चाट कर मेरा पानी निकलवा दे ! फिर चली जाना !”
मैं बड़ी असमंजस में थी.. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि काला कौन से पानी का बात कर रहा है।
इसी उधेड़बुन में मैंने उसे पूछा,”पानी! कैसा पानी निकालना है??”
वो मुझे समझाते हुए और मेरे मम्मे दबाते हुए बोला,”अरे मेरी जान ! इसके अंदर से पानी निकलता है, जिससे बच्चा होता है। अगर कल को तेरा खसम अपना पानी तेरी चूत के अंदर निकालेगा, तब जा कर तू माँ बनेगी। चल चाट ले इसे।”
काला अपना लंड हाथ में लेकर मेरे चेहरे के करीब बैठ कर मुठ मारने लगा। वो मेरे होठों से अपने लंड को रगड़ रगड़ कर मुठ मार रहा था।
अचानक ही वो उठा और नीचे जा कर मेरी चूत पर अपना लंड सटा कर घिसने लगा।
मैं उसकी इस क्रिया से मचल उठी। मुझे अजीब सा मजा आने लगा।
वो मेरी हालत समझ रहा था और इतने में ही उसने मुझसे पूछा,” थोड़ा घुसा के दिखाऊँ?”
मैं कुछ नहीं बोल पाई। उसने इसे मेरी रजामंदी मान कर मेरी चूत के होंठ फैला कर हल्के से अपना लंड का टोपा मेरी चूत पर रख दिया और एक हाथ से मेरे चूचे दबाने लगा और दूसरे हाथ से चूत के ऊपर उभरे दाने को रगड़ने लगा।
उसने अपने लौड़े पर और मेरे चूत पर थोड़ा थूक लगाया और लौड़े को झटका दिया।
दर्द के मारे मेरी तो जान ही निकल गई थी। आखिर एक कुंवारी कन्या की सील बंद चूत जो थी।
उसने मुझे दिलासा देते हुए कहा,”डर मत ! घुसेगा नहीं !”
वो मेरी चूत पर अपना लंड रगड़ कर मुठ मारने लगा और फिर एक बार जोर से झटका लगा दिया। उसका टोपा मेरी चूत में फंस गया। दर्द के मारे मैं रोने लगी।
उसने आगे डालने की कोशिश नहीं की, वहीं रुक गया और आगे-पीछे करने लगा और साथ ही मेरे दाने को बराबर रगड़ने लगा।
पूरा खिलाड़ी था वो !
मैंने सर उठा कर देखा कि मेरी गोरी चूत पर उसका घना काला लौड़ा अटका हुआ था। उसने एक हाथ मेरे मुँह पर रख दिया और एक और झटका मार कर थोड़ा और आगे सरकाया। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे आज तो मैंने मर ही जाना है।
वह बड़ा ही माहिर था। उसी अवस्था में वो आगे-पीछे करने लगा तो मुझे राहत मिली। उसने पास ही पड़े अपने कच्छे से मेरी चूत को पौंछा और कहा,”देख, तेरी झिल्ली फट गई जान !”
मैंने उसे याद दिलाया कि उसने वादा किया था कि वो कुछ नहीं करेगा।
वो बोला,”बस हो गया जान ! अब बस मेरा माल निकाल दूंगा और आगे नहीं करूँगा।”
इतना कह कर उसने ढेर सारा थूक लगाया और लौड़ा और अंदर घुसा दिया। अब उसने एक और झटका मारा तो उसका लंड मेरी चूत में आधा घुस पाया। और उसी अवस्था में उसने मुझे चोदा। थोड़ी देर अपनी कमर चलने के बाद उसने अपने अपने लौड़े को मेरी चूत के अन्दर से निकला और अपने हाथ में थम कर तेजी से हाथ चलने लगा।
अचानक ही तेज़ धार के रूप में कुछ निकला, गर्म-गर्म सा पानी।
उसने वो सारा पानी मेरी चूत के ऊपर निकाल दिया और मुझे चूमता हुआ मेरे ऊपर लुढ़क गया।
कुछ देर बाद उसने कहा,”रुक ! तुझे तो मजा दिया ही नहीं। मजा दूंगा तभी तो आगे खुद ही मरवाने आएगी।”
इतना कह कर उसने अपनी जबान से दाना रगड़ना चालू किया। थोड़ी थोड़ी देर में ऊँगली भी कर लेता था वो।
मैं तो हवा में उड़ने लगी।
एकदम से मुझे ऐसा लगा जैसे मैं आसमान में उड़ रही हूँ.. और फिर एक सैलाब सा आया और मैं आसमान से नीचे गिर पड़ी।
मुझे इतना आनंद आया जिसे मैं बयां नहीं कर सकती शब्दों में !
उसने मुझसे कपड़े पहन लेने को कहा और बोला,”जा और किसी से मत कहना कुछ !”
मेरी आधी चूत खुली थी अभी। मैं आधी कुंवारी थी। एक तीखी टीस मेरी टांगों के बीच उठ रही थी। अब तो वो जब भी घर खाना-वाना लेने आता, मौका देख मेरे मम्मे दबाने लगता और चुचूक चुटकी से मसलने लगता।
उस बात को महीना हो गया। मेरी छाती में एक दम से बदलाव आने लगा। काफी कसी कसी सी रहने लगी। महीने बीत जाने के बाद भी उसने मुझे पूरा कभी नहीं चोदा। लेकिन उसके हाथों से मेरे मम्मे बड़े हो गए मुझे ब्रा डालना शुरू करना पड़ा। उधर मेरा बदन भर गया और अब मेरे ख्यालों में बदलाव आने लगे। लौड़ा तो मैं कब से पकड़ती सहलाती आ रही थी, चूस भी रही थी। मगर चुदवाने का मौक़ा नहीं मिल पाया था अभी तक।
एक दिन में घर पर अकेली थी। कालू खाना लेने आया। उसे नहीं मालूम था कि मैं अंदर अकेली हूँ। लेकिन मैं तो उसका इंतजार कर रही थी, जानबूझ कर खाना देने नहीं गई क्योंकि मैं चाहती थी कि वो अन्दर आये…..
आगे क्या हुआ ???
क्या उस दिन मैं पूरी तरह से औरत बन पाई?
इसके बाद क्या हुआ जानने के लिए इंतज़ार करें अगले भाग का !!
आपकी राय का इंतज़ार है !
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