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कहानी का पहला भाग: जीजा साली का मिलन-1
चूँकि बीवी के वापस आने का वक्त हो गया था, इसलिए मैंने उसे कहा- दीपा, तुम्हारी दीदी के आने का वक्त हो रहा है, जल्दी जल्दी में मजा भी नहीं आएगा इसलिए कल मौका निकाल कर तैयार रहना ! साली साहिबा पहली पहली बार अपने जीजा से अपनी चूत का उदघाटन करवाने जा रही हैं, तो आराम से फीता काटेंगे !
उसने मेरे होठों को चूमा और बोली- आई लव यू जीजाजी !
और अपने कपड़े ठीक करने लगी तो मैंने कहा- मैडम ! जाने से पहले इन लंड महाराज को तो शांत करती जाओ !
ऐसा कहकर मैंने अपना लंड निकाल कर उसके हाथों में थमा दिया।
उसने लंड देख कर कहा- जीजाजी, कल तो मेरा काम तमाम होने वाला है !
तो मैंने कहा- एक बार स्वाद चखने के बाद दूसरा पसंद ही नहीं आएगा !
तो उसने कहा- देखेंगे कि कितना दम है ?
उसने अपने नाजुक नाजुक हाथों से लंड को मसलना शुरू किया। थोड़ी ही देर में मेरे लंड ने पिचकारी मारना शुरू ही किया था कि दरवाजे की घंटी बजी। उसने जल्दी से अपने कपड़े व मेकअप ठीक किया और नीचे भाग गई।
मैं भी सोने का नाटक करने लगा।
दूसरे दिन मैं मौके की तलाश में था कि कब बीवी और सास का कहीं जाने का कार्यक्रम बने और कब मुझे साली की चुदाई करने का अवसर मिले !
दोपहर तक मैं कुछ नहीं कर पाया, लेकिन जैसे ही सास ने कहा कि कल तो आप लोग चले जायेंगे इसलिए मैं नीता (मेरी बीवी) को लेकर सब स्थानीय रिश्तेदारों से मिला लाती हूँ।
मैंने कहा- ठीक है, लेकिन जल्दी आना !
तो मेरी सास ने कहा- फिर भी 2-3 घंटे तो लग ही जायेंगे।
यह कहकर वो लोग चले गए और मुझे तो जैसे मन मांगी मुराद मिल गई।
मैंने साली को आँख मारी और ऊपर आने का इशारा किया तो उसने शरमा कर इशारा किया कि अभी पांच मिनट में आती हूँ।
इन्तजार में मेरी हालत ख़राब हो रही थी क्योंकि लंड महाराज फुंफकार रहे थे कि उन्हें जल्दी से जल्दी बिल में जाना है।
तभी साली साहिबा का आगमन हुआ।
कसम खुदा कि क्या सज धज कर आई थी !
कमरा परफ्यूम की महक से भर गया। मैंने उसका हाथ पकड़ कर सीधा अपने ऊपर गिरा लिया और उसके होठों को चूमने लगा।
उसने भी अपनी बाहें मेरे गले में डाली और अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल कर प्यार से चुसवाने लगी। मैंने हाथ नीचे करके उसके दोनों मम्मों को पकड़ा और जोर जोर सें मसलने लगा तो उसने कहा- जीजा जी ! जरा प्यार से !
मैंने उसे बैठाया और उसके टॉप के बटन खोल कर उसके बदन से अलग किया। उसने काले रंग की ब्रा पहनी थी, उसके गोरे बदन पर काले रंग की ब्रा क़यामत लग रही थी। मैंने अपने हाथ पीछे ले जाकर उसकी ब्रा का हुक खोलकर उसके दोनों कबूतरों को आजाद कर दिया, उसके दोनों मम्मे स्प्रिंग की तरह उछल कर बाहर आ गए। मैंने सीधे उसका एक मम्मा मुँह में लिया और दूसरे को हाथ से सहलाने लगा। उसका चुचूक एकदम लाल और दाना छोटे मटर के आकार का था। मैं चूस चूस कर उसके पूरे मम्मे पर लाल-लाल निशान बनाता रहा और वो सिसकारियाँ भरती हुई मेरे बालों को सहलाती रही।
जब बोबे पीकर मन भर गया तो मैंने उसको छोड़ा।
तो उसने अपने दोनों मम्मों को देख कर कहा- उफ़ जीजाजी ! यह आपने क्या किया? पूरे मम्मों पर निशान बना दिए? किसी ने देख लिया तो क्या होगा?
मैंने हंसकर कह कहा- घबराओ मत ! ये तो तीन चार दिन में मिट जायेंगे ! लेकिन जब भी इन्हें देखोगी तो मेरी याद तो आयेगी।
तो उसने शरमा कर कहा- आपको तो हम वैसे भी कभी नहीं भूलेंगे !
यह कह कर मुझसे लिपट गई। मैं उसकी पीठ पर हाथ फिराते हुए धीरे धीरे उसकी उसकी मस्त गांड को दबाने लगा फिर उसे सीधा किया और उसकी जींस के बटन खोलने लगा।
उसने शरमा कर अपना मुँह मेरे सीने में छुपा लिया, उसकी सांसें तेज तेज चल रही थी।
मैंने धीरे धीरे उसकी जींस को उसके पैरों से निकाला, वो आँखें बंद करके मुझसे लिपटी हुई थी, उसका दिल बुरी तरह धड़क रहा था, जींस निकाल कर मैंने उसकी चड्डी में हाथ डाल कर उसकी चड्डी भी निकाल दी।
वो बुरी तरह सें कांप रही थी।
मैंने धीरे से उसकी पीठ पर हाथ फिराया तो वो बोली- जीजाजी, मुझे बहुत डर लग रहा है।
मैंने कहा- इसमें डरने की क्या बात है? तुम यह सब पहली बार करवा रही हो इसलिए ऐसा सोच रही हो ! एक बार आनंद-सागर में गौता लगा लोगी तो मुझे बार बार याद करोगी !
यह कहकर मैंने भी अपने कपड़े निकाले और उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया।
उसने कांपते हाथों से उसे पकड़ लिया और धीरे धीरे सहलाने लगी।
मैंने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी चूत पर रखा। वाह ! क्या गद्दीदार चूत थी ! एकदम चिकनी और पूरी तरह से गीली !
मैंने धीरे-धीरे उसकी चूत सो सहलाते हुए उसके दाने को चुटकी में पकड़ कर दबाया तो वो चिहुंक कर मुझसे और जोर से लिपट गई।
मैंने उसको कहा- अब मेरे लंड को मुँह में लेकर उसे चूसो !
उसने मना कर दिया और कहा- मुझे शर्म आती है।
तो मैंने कहा- अगर इसे प्यार नहीं करोगी तो यह नाराज हो जायेगा और तुम्हें मजा नहीं देगा। इसलिए एक काम करते हैं, मैं तुम्हारी चूत का रस पीता हूँ और तुम मेरे लंड का !
तो उसने घबरा कर कहा- नहीं नहीं ! आप नीचे मत देखना ! प्लीज, मैं आपके इसको ऐसे ही प्यार कर लूंगी।
यह कहकर वो नीचे सरकी और मेरे लंड की एक पप्पी लेकर कहा- अब हो गया? मैंने भी ज्यादा जोर नहीं दिया और उसे अपने पास खींच कर लिपटा लिया। धीरे से उसके ऊपर आया और दोनों पैरों से उसके पैर फैला कर लंड महाराज को उसकी बुरी तरह से कामरस छोड़ रही चूत पर टिकाया और उसको बोला- अपने पैर घुटनों से मोड़ लो !
उसने वैसा ही किया।
मैंने उसे बाँहों में भरा, उसके होठों को अपने होठों में दबा कर चूसते हुए धीरे धीरे अपने लंड को उसकी चूत में घुसाने लगा।
अभी लंड बिल्कुल भी अन्दर नहीं गया था और वो कहने लगी- प्लीज जीजाजी, बहुत दर्द हो रहा है !
मैंने कहा- अभी तो अन्दर ही नहीं गया है, फिर दर्द कैसे हो सकता है?
तो उसने कहा- आपकी कसम ! मैं झूठ नहीं कह रही हूँ।
मैंने कहा- ठीक है, मैं धीरे धीरे करता हूँ !
दो मिनट तक मैं उसकी चूत पर ऊपर ऊपर लंड फिराता रहा, फिर जैसे ही मैंने थोड़ा जोर लगाया, वो फिर बोली- प्लीज, दर्द हो रहा है !
कह कर गर्दन हिलाने लगी।
मुझे लगा इस तरह तो मैं कुछ भी नहीं कर पाऊँगा, मैंने उसे कहा- कोई बात नहीं, हम बाहर बाहर ही करेंगे। तुम एक काम करो मुझे जोर से अपनी बाँहों में कस लो।
उसने अपनी दोनों बाहें मेरी कमर के लिपटा के कस ली, मैंने अपने होठों को अपने होठों में दबाया और उसकी कामरस में भीगी हुई चूत में अपने लंड को सटा कर एक जोरदार धक्का लगाया, लंड उसकी झिल्ली फाड़ता हुआ आधे से ज्यादा उसकी तंग चूत में जाकर घुस गया।
वो जोर से उछली, मुंह बंद था इसलिए चिल्ला तो नहीं सकी, लेकिन अपनी गर्दन झटकने लगी, उसकी आँखों में आँसू आ गए।
मैंने जैसे ही उसके होठों को छोड़ा, वो रोते हुए कहने लगी- प्लीज, जीजाजी ! मैं मर जाऊंगी ! बहुत दर्द हो रहा है !
मैंने उसके चूचे मसलते हुए कहा- कुछ नहीं होगा ! अभी थोड़ी देर में तुम्हें भी मजा आने लगेगा !
और उसके गालों और चेहरे को चूमने लगा। धीरे-धीरे उसका दर्द कुछ कम हुआ तो उसने बाहें वापस मेरी कमर में डाल दी और बोली- जीजाजी, आई लव यू ! मैंने आपके लिए यह दर्द सहन कर लिया है, प्लीज और दर्द नहीं करना !
मैंने कहा- जो होना था हो गया ! अब चिंता मत करो, कुछ नहीं होगा !
और अपना लंड धीरे से बाहर निकाल कर फिर उतना ही अन्दर डाला और उसको चोदने लगा। धीरे-धीरे उसको भी मजा आने लगा उसने मेरे चेहरे को हाथों में लिया और मेरे होठों को चूसने लगी।
मैंने उसके बोबे दबाते हुए लंड को आधा बाहर निकाला और एक जोरदार शाट में जड़ तक अन्दर डाल दिया।
वो फिर थोड़ा उछली और शांत हो गई। इसके बाद तो मेरा लंड उसकी चूत में पिस्टन की तरह चालू हो गया। दो मिनट बाद वो भी अपनी गांड उठा उठा कर चुदाने लगी, कमरे में उसकी सिसकियों की और मेरी सांस की आवाज गूंजने लगी। हम दोनों पसीने से लथपथ हो रहे थे, पांच मिनट बाद उसने अपनी टाँगें मेरी कमर से जोर से लिपटा ली और बोलने लगी- हाय जीजाजी ! मुझे कुछ हो रहा है ! और जोर से करो !
मैंने कहा- मैं भी झड़ने वाला हूँ ! अपना माल तुम्हारी चूत में छोडूं या बाहर निकालूँ?
वो बोली- अभी कुछ मत बोलिए ! करते रहिये !
ऐसा कहकर वो मुझसे बुरी तरह लिपटते हुए झड़ने लगी।
मेरा लंड भी उसकी चूत में ही पिचकारियाँ छोड़ने लगा।
हम दोनों एक दूसरे को कस कर भींचे हुए थे, थोड़ी देर में जब उत्तेजना शांत हुई तो मैं उसके ऊपर से उठा।
जब वो उठने लगी तो उसके मुँह से कराह निकल गई, उसकी चूत से मेरा वीर्य और खून टपक रहा था।
जब हमने उठ कर चादर की हालत देखी तो हमारे होश उड़ गए, चादर बुरी तरह से लाल हो चुकी थी।
उसने कहा- अब क्या होगा? कहते हुए उसने अपनी चड्डी पहनने की कोशिश की लेकिन वो अपनी टांग नहीं उठा पा रही थी।
मैंने सहारा देने की कोशिश की तो देखा उसकी जांघों पर खून बह रहा था।
मैंने चादर से ही उसकी टांगों को साफ किया और देखा कि उसकी चूत की दोनों फांकें सूज कर फूल गई थी।
मैंने उसे चड्डी पहनाई, जींस पहनाई, कपडे पहनकर जब वो तैयार हुई तो उसने कहा- जीजाजी, अब क्या होगा? मुझसे तो चला भी नहीं जा रहा !
तो मैंने कहा- मैं नीचे से पेनकिलर लाता हूँ ! तुम अपनी चड्डी के अन्दर कपड़ा या रुई लगा लो ! अभी उन लोगों के आने में बहुत देर है, तब तक सब ठीक हो जायेगा।
घंटे भर बाद जब सब कुछ सामान्य जैसा हो गया तो वो मेरी गोदी में सिर रख कर लेट गई और बोली- जीजाजी, इस प्यार को मैं जिन्दगी भर याद रखूंगी।
मैंने कहा- मैं भी !
लेकिन शाम को आईपिल जरूर ले लेना, नहीं तो याद रखने के लिए जिन्दगी ही नहीं रहेगी। हम दोनों खिलखिलाकर एक दूसरे से लिपट गए।
तो दोस्तो और सहेलियो, यह थी मेरी और दीपा की कहानी।
मेल जरूर करना।
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