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हाय दोस्तो ! मैं राधा एक बार फिर अपनी मस्ती के एक और किस्से को लिए राज के साथ आपके सामने हूँ। आप सभी ने मेरी पिछली कहानियाँ पढ़ी और बेहद पसंद भी की उसके लिए आप सभी की बहुत बहुत धन्यवादी हूँ।
अब मेरे परिचय की तो जरूरत नहीं है फिर भी मेरे नए पाठकों के लिए बता दूँ कि मैं अठारह साल की मस्त लड़की हूँ, मस्त चूचियाँ और गोल-मटोल गद्देदार गांड ! मैं पहले चुद चुकी हूँ, अगर यह जानना चाहते हैं कि मेरी सील किसने तोड़ी तो ‘मस्त राधा रानी’ पढ़िए !
अब आगे की कहानी : मैं चुद्दकड़ होने लगी…
मामा जब भी आते मुझे चोद जाते। अब तो मैं चुदवाने की इतनी अभ्यस्त हो गई थी कि लगभग हर आसन में मामा का लण्ड में अब अपनी चूत में ले लेती थी और मामा के पसीने छुटवा देती थी।
मस्त जिंदगी चल रही थी, बस एक कमी थी कि जब मामा नहीं होते थे तो मैं चुदवाने के लिए तरसती रहती। मुझे अब चुदवाते हुए लगभग छ: महीने हो चुके थे।
फिर एक दिन…
मामा आये तो साथ में मोहित और उसकी पत्नी नीलम भी थी। पता चला कि नीलम गर्भवती है और कुछ दिक्कत होने के कारण वो उसे शहर में चेक करवाने के लिए लाये थे।
मोहित ने भी बहुत जल्दी बाज़ी मारी यार ? मन में यह बात आते ही मेरी आँखों के सामने मोहित का वो मोटा लण्ड आ गया जो मैंने मोहित और नीलम की सुहागरात पर देखा था।
हाय क्या मोटा लण्ड है मोहित का !
सोचते ही मेरी चूत पानी पानी हो गई। मौका देख कर मामा मेरे पास आये और मेरी चूचियाँ मसलने लगे।
‘मामा क्यों आग लगा रहे हो.. जबकि तुम्हें मालूम है कि इतने लोगो में तुम मुझे चोद नहीं पाओगे आज !’
‘मुझे मालूम है राधा रानी ! पर क्या करूँ? तुम्हें देखते ही लण्ड धोती से बाहर आने को मचल उठता है। तुम्हारे जैसी चूत नहीं मिली थी आज तक !’
‘मामा ऐसी बात मत करो ! चूत में चींटियाँ दौड़ने लगी हैं !’ कहते ही मेरा हाथ मेरी चूत पर चला गया तो पाया मेरी पेंटी पूरी गीली हो चुकी थी।
मामा और मैं मस्ती में थे कि हमारी मस्ती उतारने के लिए नीलम ने कमरे में प्रवेश किया।
नीलम को करीब चार महीने का गर्भ था, अभी पेट दिखना शुरू नहीं हुआ था। जैसे मैंने अपनी पहली कहानी में भी बताया था नीलम बहुत सुंदर और सेक्सी है पर मामा की मानें तो मैं नीलम से ज्यादा सुंदर और सेक्सी हूँ।
नीलम आते ही मामा पर भड़क उठी, मैं घबरा कर बाहर जाने लगी तो नीलम ने मेरी बांह पकड़ ली और बोली ‘तुम कहाँ जा रही हो ? चुपचाप यही खड़ी रहो, वरना सबको बोल दूंगी और फिर तुम अपना अंजाम सोच लेना।’
मैं और घबरा गई ! मेरी शक्ल देखने लायक थी, मैं कुछ बोल भी नहीं पा रही थी बल्कि मुझे तो अब रोना आने को था।
जैसे ही मैंने रोना शुरू किया तो मामा एक दम से हँस पड़े और नीलम से बोले,’बहू… मजाक की भी हद होती है… रुला दिया ना मेरी राधा रानी को !’
साथ ही नीलम भी हँस पड़ी। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। तभी नीलम आगे बढ़ी और मामा की बाहों में लिपट गई। मामा ने भी बेशर्मी से नीलम के कूल्हे सहला दिया और दूसरे हाथ से नीलम की मस्त चूची दबा दी।
नीलम भी पीछे नहीं रही और उसने अपने होंठ मेरे मामा यानी अपने ससुर के होंठों पर रख दिए।
तो क्या मामा नीलम को भी चोदता है ???
यह बात मेरे दिमाग में एकदम से कौंध गई…
मैंने पूछा तो मामा ने साफ़ साफ़ बता दिया। मामा ने बताया कि मोहित की शादी वाली रात जब सुहागरात पर नीलम को नंगी होकर मोहित से चुदवाते देखा था तभी से मामा का लण्ड नीलम की चूत में घुसने को बेताब था।
अब मामा अपनी फील्डिंग जमाने लगा नीलम को चोदने के लिए ! नीलम ने भी अपने ससुर की निगाहों को पहचान लिया था, पर एक शर्म सी थी जिसने नीलम को रोक रखा था।
फिर एक दिन मोहित और उसकी मम्मी यानि मेरी मामी किसी काम से बाहर गए तो घर पर नीलम और मामा रोशन लाल अकेले रह गए। मामा ने भी सोचा आज नहीं तो फिर कभी नहीं।
दोपहर का एक बजा था, फसल कटाई का समय था तो लगभग सारा गांव खाली था। मामा पानी पीने के बहाने से अंदर आये तो नीलम फर्श पर पौंछा लगा रही थी और उसने दुपट्टा भी नहीं लिया था। सूट के बड़े से गले में से नीलम की मस्त जवान चूचियाँ बाहर निकलने को हो रही थी, चूचियों के बीच की घाटी देखने में इतनी सेक्सी लग रही थी कि नामर्द का भी लण्ड खूंटा हो जाए।
फिर मामा तो पूरा मर्द था।
‘नीलम बेटा, बहुत प्यास लगी है ! कुछ पिला दो ना !’
मामा को एकदम से अपने पास देख कर नीलम अपना दुपट्टा तलाश करने लगी पर दुपट्टा तो वहाँ था ही नहीं।
मामा की निगाहें नीलम की चूचियों पर ही टिकी हुई थी। नीलम ने अपने हाथों से अपनी जवानी के खरबूजे को छुपाने की कोशिश की पर यह कोशिश नाकाम सी ही थी।
मामा बोला,’बेटा, कुछ पिला दो ना…’
नीलम जैसे नींद से जागी और दरवाजे से बाहर जाने लगी पानी लाने के लिए। पर उस दरवाजे पर तो मामा खड़ा था जब नीलम पास से निकलने लगी तो मामा ने एक हाथ से नीलम की जवानी के खरबूजे को हलके से छू लिया।
क्या मुलायम चूची थी नीलम की !
मामा की तो जैसे अब लाटरी निकलने वाली थी अगर नीलम मान जाती है तो ! कोशिश तो करनी ही पड़ेगी अगर कुछ पाना है तो।
नीलम कुछ देर बाद हाथ में पानी का गिलास लेकर आई। अब तक उसने अपना दुपट्टा ले लिया था। मामा ने पानी का गिलास नीलम के हाथ से पकड़ने के लिए अपना हाथ बढ़ाया, पर यह क्या ? मामा ने तो गिलास की जगह नीलम का हाथ पकड़ लिया।
नीलम पूरी की पूरी कांप उठी !
‘बाबूजी, यह आप क्या कर रहे हैं ? प्लीज ऐसा मत करो !’
मामा कुछ नहीं बोले, बस नीलम को अपने थोड़ा नजदीक खींच लिया और एक हाथ नीलम की गदराई जवानी की निशानी पर रख दिया। मामा ने नीलम की चूची अपने हाथ में ली और पहले हल्के और फिर एकदम जोर से मसल दिया।
नीलम सीत्कार उठी ! उसे दर्द महसूस हुआ था।
उसने अपने आपको मामा की पकड़ से छुडवाने की नाकाम सी कोशिश की। मामा ने पानी का गिलास नीलम के हाथ से लेकर एक तरफ़ रख दिया और फिर नीलम का दुपट्टा भी उतार कर रख दिया। नीलम कुछ बोल नहीं पा रही थी, बस अपने आपको छुड़वाने की हल्की फुल्की कोशिश कर रही थी।
मामा ने नीलम का मुँह सीधा किया और अपने होंठ नीलम के कोमल कोमल और रसीले होंठों पर रख दिए। नीलम पर मामा के मर्दानगी भरे हाथों का असर होने लगा था। वो अब बहकने लगी थी। फिर मामा की लाटरी लग ही गई और नीलम ने अपना सब कुछ मामा के सपुर्द कर दिया। अब वो मामा का पूरा साथ देने लगी थी।
मामा ने कहा,’नीलम जान, तुमने अपनी जवानी दिखा दिखा कर मुझे बहुत तड़पाया है… आज मैं सारी कसर निकल दूंगा !’
‘बाबूजी, कुछ मत बोलो, बस जो करना है वो करो ! वरना मुझे बहुत शर्म आएगी और मैं आपका खुल कर साथ नहीं दे पाऊंगी !’
मामा भी बातों में वक्त खराब करने के मूड में नहीं था। उसने नीलम के कपड़े उसके बदन से अलग करने शुरू किये। सबसे पहले मामा ने नीलम का कमीज उतारा तो सफ़ेद रंग की ब्रा में कसी नीलम की चूचियाँ देख कर लण्ड फटने को हो गया। मामा ने ब्रा के ऊपर से ही नीलम की चूचियों को चूमना और चाटना शुरू कर दिया। नीलम की आहें और सीत्कार कमरे में गूंजने लगी थी।
नीलम का हाथ भी अब शर्मो-हया छोड़ कर मामा रोशन लाल का लण्ड तलाश करने लगा था। तभी मामा का मूसल नीलम के हाथ से टकराया तो नीलम मामा का मोटा मूसल का एहसास पाकर उछल पड़ी। मोहित का लण्ड बहुत मोटा था पर मामा का लण्ड तो मोहित के लण्ड से भी ज्यादा मोटा था। मैं तो मामा का लण्ड ले चुकी थी अपनी चूत में, मुझे मालूम है कि मामा का लण्ड चूत में कहाँ तक घुस जाता है।
नीलम मामा का लण्ड पकड़ कर सहलाने लगी। लण्ड तो पहले से ही अकड़ कर खड़ा था।
मामा नीलम के कपड़े कम करने में व्यस्त था। कमीज के बाद मामा ने नीलम की सलवार का नाड़ा खोला तो लाल रंग की पैंटी में कसी चूत मामा के सामने थी।
मामा ने चूत पर हाथ फेरा तो देखा कि चूत पूरी गीली हो चुकी थी। मामा ने अब देर नहीं की और नीलम की ब्रा पेंटी भी उतार कर एक तरफ़ फेंक दी।
नीलम का नंगा बदन मामा की बाहों में झूल रहा था। मामा ने नीलम को अपनी गोद में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया।
नीलम को लिटाने के बाद मामा ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और खड़ा लण्ड लेकर नीलम के मुँह के पास गया। मामा को लण्ड चुसाई का मज़ा पहली बार मैंने ही दिया था। मामा ने लण्ड नीलम के होंठो से रगड़ा तो नीलम ने मुँह खोल कर मामा का लण्ड अपने मुँह में ले लिया। मामा के मोटे लण्ड का सिर्फ सुपारा ही नीलम मुँह में ले पा रही थी। नीलम मामा का सुपारा चूसने और चाटने लगी।
मामा भी नीलम की चूचियों को मसल रहे थे। नीलम की चूचियों के चुचूक अकड़ कर तन गए थे जिन्हें मामा अपनी उँगलियों में पकड़ पकड़ कर मसल रहा था और नीलम मस्ती के मारे सीत्कार रही थी।
अचानक मामा का भी दिल किया नीलम की रसीली चूत का रसपान करने का तो वो ऊपर आकर 69 की अवस्था में आ गए। अब मामा नीलम की चूत को चाट रहे थे और नीलम मामा के लण्ड को आइसक्रीम बनाए हुए थी। कुछ देर चाटने के बाद दोनों चुदाई के लिए बेताब हो उठे।
नीलम बोली,’बाबूजी, अब जल्दी से लण्ड डालो इस चूत में ! नहीं मैं मर जाऊँगी।’
‘तुम्हें मरने कौन बेवकूफ देगा मेरी जान !’
मामा उठा और अपना लण्ड नीलम की रस से भीगी चूत पर रगड़ने लगा। नीलम मस्ती के मारे गांड उचका कर लण्ड को अपनी चूत में लेने की कोशिश करने लगी।
‘बहनचोद ! अब क्यों तड़पा रहा है घुसेड़ दे ना अपना मूसल…’
‘बहन की लौड़ी बहूचोद बोल..’ कह कर मामा खी खी करने लगे।
मामा ने भी मस्ती से गाली देते हुए एक करारा धक्का नीलम की चूत पर लगा दिया।
‘तेरी माँ को चोदूँ …बहनचोद रंडी… ये ले अपने बाप का लण्ड अपनी चूत में !’
धक्का इतना करारा था कि नीलम की चूत चरमरा उठी। लण्ड की मोटाई ने चूत को दो फाड़ कर दिया था। नीलम के लिए सहन करना मुश्किल हो रहा था। नीलम ने बिस्तर पर पड़े तकियों को अपने हाथों में मजबूती से पकड़ रखा था ताकि वो मामा के मूसल को अपनी चूत में पूरा उतरवा सके। वैसे तो नीलम चुदी चुदाई थी पर अभी उसकी सील टूटे समय ही कितना हुआ था, मात्र दो महीने। जिसमें से करीब बीस दिन तो वो अपने मायके में ही लगा आई थी। अगर मासिक के दिन भी काट दें तो बस एक महीना ही बचता है।
मामा ने एक और जोर का धक्का लगाया और पूरा लण्ड नीलम की चूत में उतार दिया।
‘बाबूजी तुम्हारा लण्ड है या मूसल… मेरी तो चूत उधेड़ डाली इसने !’
‘कुछ नहीं हुआ मेरी जान ! बहुत करारी चूत है तुम्हारी… ऐसी चूत तो अगर दिन-रात भी चुदे तो भी कुछ फर्क न पड़े !’
‘आःह्ह्ह्ह्ह्ह… बाबूजी… जोर से मारो धक्के…’
‘बहुत दिनों के बाद इतनी करारी चूत चोदने को मिली है आज का दिन हमेशा याद रहेगा..’
‘बापू तुम्हारा लण्ड भी बहुत शानदार है… मेरी चूत का तो बेंड बजा दिया।’
‘आह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्ह अह्हह्ह जोर से चोद बहनचोद…बेटीचोद !’
‘हुह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह उम्म्म हुन्ह्ह्ह्ह ये ले मेरी जान आह्ह्ह मज़ा आ गया…’
‘चोदो बाबूजी ! चोदो अपनी बहु को.. और जोर से चोदो… फाड़ दो आज मेरी चूत को…आह्ह्ह्ह्ह्ह’
दोनों तरफ से धक्के पर धक्के लग रहे थे। जब मामा लण्ड अंदर डालता तो नीलम भी अपनी गांड उचका कर मामा का पूरा लण्ड अपनी चूत में समा लेती।
मस्ती का आलम था। कमरे में चारों तरफ सिर्फ मस्ती ही मस्ती।
आहें और सीत्कार…
आह्हह्ह सीईईईईअह्हह्ह… उम्म्मम्म…
बीस मिनट तक मामा का पिस्टन चलता रहा नीलम की चूत में और नीलम की चूत दो बार रस फेंक चुकी थी। अब कमरे में फच्च फच्च की आवाज गूँज रही थी।
तभी मामा का शरीर अकड़ने लगा और मामा के लण्ड ने भरपूर मात्रा में वीर्य नीलम की चूत में भर दिया और नीलम भी तीसरी बार झड़ गई। नीलम किसी लता की तरह मामा से लिपट गई।
शाम को मामी और मोहित के आने तक मामा और नीलम ने 3-4 बार बिस्तर पर घमासान किया। इस दौरान मामा के लण्ड ने नीलम की चूत का पुर्जा पुर्जा ढीला कर दिया। तब से आज तक चुदाई चल रही है…
कहानी आगे जारी रहेगी !
मुझे मेल जरुर करना.. मेरी मेल आईडी तो याद है ना.. [email protected]
और मेरी जान राज को भी जरूर बताना की यह कहानी आप सभी को कैसी लगी [email protected] 1815
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