This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
मेरी शादी गांव की रीति-रिवाज के हिसाब से कम उमर में ही हो गई थी. जिस घर में मैं ब्याही थी उसमें बस दो भाई ही थे, करोड़पति घर था, शहर में कई मकान थे. वे स्वयं भी चार्टेड अकाऊँटेन्ट थे. छोटा भाई यानि देवर जी जिसे हम बॉबी कहते थे उसका काम अपनी जमीन जायदाद की देखरेख करना था. प्रवीण, मेरे पति एक सीधे साधे इन्सान थे, मृदु, और सरल स्वभाव के, सदा मुस्कराते रहने वाले व्यक्ति थे. इसके विपरीत बॉबी एक चुलबुला, शरारती युवक था, लड़कियों में दिलचस्पी रखने वाला लड़का था.
मेरी सहेली मेरी ही तरह गांव में पड़ोस में रहने वाली विधवा युवती गोमती थी जो मुझसे पांच साल बड़ी थी. मेरी राजदार थी वो, मैं उसे हमेशा साथ ही रखना चाहती थी, सो मैंने उसे अपने पास अपनी सहायता के लिये रख लिया था. उसकी उमर कोई बत्तीस वर्ष की थी. उसके पति एक दुर्घटना में चल बसे थे. वो मेरी मालिश किया करती थी, मुझे नहलाया करती थी. मुझसे नंगी व अश्लील बातें किया करती थी. मुझे इन सब बातों में बहुत मजा आता था. मेरे पति अधिकतर व्यवसायिक यात्रा पर रहा करते थे, उनकी अनुपस्थिति में एक गोमती ही थी जो उनकी कमी पूरी किया करती थी.
‘ये घने काले काले गेसू, ये काली कजरारी आँखें, गोरा रंग, पत्तियों जैसे अधर, सखी री तू तो नाम की नहीं, वास्तव में मोहिनी है!’ ‘चल मुई! बातें तो तुझसे करवा लो. खुद को देख, हरामजादी, जवानी से लदी पड़ी है… किसी ने तेरी बजा दी तो वो तो निहाल ही हो जायेगा!’ ‘मोहिनी बाई! चल अब उतार दे ये ब्लाऊज और ब्रा, खोल दे पट घूंघट के, और बाहर निकाल दे अपने बम के गोले, तेल मल दूँ तेरी नंगी जवानी को.’
मैंने अपना तंग ब्लाऊज धीरे से उतार दिया और ब्रा को भी हटा दिया. मेरी सुडौल तनी हुई दोनों चूचियाँ सामने उछल कर आ गई. गोमती ने बड़े प्यार से दोनों फ़ड़फ़ड़ाते कबूतरों को सहलाया और अपनी हथेलियों में ले लिया. मेरे मुख से आनन्द भरी आह निकल गई. मैंने बिस्तर पर अपने दोनों हाथ फ़ैला दिये और अपनी टांगें भी फ़ैला दी.
‘गोमती, जरा हौले से, मस्ती से मालिश कर ना!’
गोमती हमेशा की तरह मेरी जांघों पर बैठ गई और तेल से भरे हाथ मेरी छातियों को गोलाई में मलने लगे. मेरे शरीर में एक अनजानी सी गुदगुदी भरने लगी. मेरे चूचक कठोर हो कर तन गये, थोड़े से फ़ूल गये. उसने मेरा पेटीकोट भी नीचे सरका कर उतार दिया. मेरी योनि को देख देख कर वो मुस्करा रही थी. शायद मेरी योनि में कुलबुलाहट सी हो रही थी इसलिये!
वो अपने हल्के हाथों से मेरे चूचक को मलने लगी, मेरे शरीर में तरंगें उठने लगी थी. मन बावला होने लगा था. मेरी कमर धीरे धीरे चुदाई के अन्दाज में हिलने लगी थी.
‘दीदी लो बाहर आ गई प्यार की कुछ बूंदें… ‘
फिर गोमती झुकी और मेरी योनि से उसने अपने अधर चिपका दिये. दोनों अंगुलियों से उसने मेरी योनि के कपाट खोल कर चौड़े कर दिये. फिर उसकी जीभ के कठोर स्पर्श से मैं हिल गई. उसकी जीभ ने एक भरपूर मेरी रसभरी चूत में घुमा कर सारा रस लपेट लिया. मैं आनन्द से झूम उठी. फिर उसने मेरे चूतड़ों को ऊपर उठा कर मेरी चिकनी जांघों को मेरे पेट पर सिमटा दिया. अब उसकी जीभ मेरे गाण्ड के कोमल भूरे रंग के फ़ूल को चाट लिया. एक मीठी सी गुदगुदी उठ आई. वो जाने कब तक मेरे नर्म नाजुक अंगों के साथ खिलवाड़ करती रही.
‘दीदी, आपको तो कोई मुस्टण्डा ही चाहिये चोदने के लिये, घोड़े जैसा लण्ड वाला!’ ‘घोड़े से चुदवा कर मेरा बाजा बजवायेगी क्या… ‘ ‘अरे दीदी, बहुत दिन हो गये, साहब तो चढ़ते ही टांय टांय फ़िस हो जाते है, लण्ड झूल कर छोटा सा हो जाता है.’ ‘तो क्या हुआ, मेरे भगवान है वो, चाहे जो करें… जैसे करें!’
तभी बॉबी के कमरे से कुछ खटपट की आवाजें लगी. लगता था कि वो जिम से वापस आ गया है.
मैंने जल्दी से गोमती को अलग किया और संभल कर बैठ गई. मैंने तुरन्त ही अपना पेटीकोट और ब्लाऊज पहन लिया. गोमती ने भी झटपट यही किया. तभी बाहर से आवाज आई.
‘भाभी, दूध बादाम लगा दो, हम कुल चार हैं.’ ‘जा गोमती, चार गिलास बना कर दे देना.’
गोमती जैसे ही बाहर निकली, बॉबी उसे देखता ही रह गया. अस्त व्यस्त कपड़े, जगह जगह तेल के दाग, वो समझ गया कि भाभी की मालिश हो रही होगी. उसने मेरे कमरे का दरवाजा खोला और अपनी कमीज उतारता हुआ बोला- भाभी, इसे धुलवा देना.’
फिर उसने वो कपड़े गन्दे कपड़ों के ढेर में डाल दिये. उसका कसा हुआ बलिष्ठ शरीर देख कर मैं भौंचक्की सी रह गई. तभी मेरी नजर उसके छोटे से कच्छे पर चली गई.
‘सभी जिम से आ रहे हैं क्या?’ ‘हाँ भाभी!’ वो मेरी तरफ़ बढ़ता हुआ बोला.
मैं उसे अपनी ओर बढ़ता हुआ पा कर सहम सी गई. वो बिल्कुल मेरे पीछे आ गया. मेरी पीठ से चिपक सा गया. उसके दोनों हाथ सरकते हुये मेरी कमर से लिपट गये.
‘ओह, भैया, अब क्या चाहिये, यूँ, ऐसे मत करो!’ उसके ताकतवर शरीर का स्पर्श पाकर मुझे सिरहन सी हो आई. तभी उसका कठोर लण्ड मेरे नितम्बो के आस पास गड़ने लगा. मैं अब समझ चुकी थी कि बॉबी क्या चाहता है.
‘भाभी, एक बात कहूँ, बुरा मत मानना और ना भी मत कहना!’ ‘क्…क्… कहो, पर दूर तो हटो!’ ‘भाभी आज चुदवा लो, प्लीज, मना मत करो, देखो मेरा लौड़ा कितना उतावला हो रहा है!’ ‘आ… आ… ये क्या बदतमीजी है भैया… हट जाओ!’ तभी मुझे गोमती नजर आ गई. वो इशारा कर रही थी कि चुदवा लो… आह, पर कैसे… बॉबी क्या सोचेगा… तभी बॉबी ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लौड़े पर रख दिया.
हाय राम! इतना मोटा! इतना लम्बा… मैंने उसे पकड़ कर उसका जायजा लिया और झटके से छोड़ दिया. पर दूसरे ही पल उसका हाथ ऊपर सरक कर मेरी चूचियों पर आ गया. वो उसे हौले हौले सहलाने लगा. फिर तौबा रे, उसका सख्त लण्ड मेरे चिकने गोलों को चीरता हुआ पेटीकोट समेट चूतड़ों के मध्य घुस गया. तभी गोमती वहाँ आ गई- बस करो भैया जी, भाभी मना कर रही है ना, ये लो चादर ओढ़ लो!’
गोमती को देखते ही उसका नशा उतरने लगा. ‘ओह माफ़ करना भाभी, आपके तेल भरे चिकने शरीर को देख कर मैं बहक गया था.’
गोमती ने उसका हाथ थामा और दरवाजे की तरफ़ ले चली और धीरे से बोली- भैया जी, रात को शरीर पर तेल की मालिश करके आना, भाभी को मैं पटा लूंगी, और तुम्हारे इन तीनों दोस्तों को भी ले आना!’
वो विस्मित सा गोमती को देखता रह गया. पहले तो गोमती की बात सुन कर सकपका सी गई, पर उसकी चतुराई देख कर मैं मुस्कुरा उठी. मैं समझ गई कि लोहा गरम देख कर गोमती ने चोट की थी. मेरे जवान जिस्म को देख कर उसका लण्ड तनतना उठा था. यूँ तो मेरी चूत भी एक बार तो चुदने के लिये कुलबुला उठी थी.
‘अब इसे नीचे झुका लो!’ गोमती ने उसके कड़कते हुये लौड़े को अपनी अंगुली से नीचे दबा दिया. ‘ओह, गोमती बाई जी, ऐसे ना करो, ऐसे तो यह और भड़क जायेगा!’ ‘तो भड़कने दो भैया, हम जो हैं ना!’
गोमती खिलखिला कर हंस पड़ी, मुझे भी हंसी आ गई. हमारी ओर से स्वीकारोक्ति से बॉबी उतावला हो गया था. बॉबी अपने कमरे में अपने दोस्तो को यह खुशखबरी सुनाने के लिये चल पड़ा.
गोमती हंसती हुई बोली- मिल गया ना घोड़े जैसा लण्ड! अब चार चार से मजा लेना रात को दीदी!’ ‘ओहो… मन तो अभी कर रहा है, बात रात की कर रही है?’ ‘दीदी, बस देखते जाओ, रात की तो बात है सिर्फ़, देखो तो घोड़े का लण्ड खड़ा हो चुका है. अब पानी तो बाहर आकर ही रहेगा.
बात सच थी. कुछ ही देर में बॉबी वापस कमरे में आ गया. ‘भाभी, रहा नहीं जा रहा है, अभी चुदवा लो ना!’ ‘अरे जा ना, कहा ना! रात को आना.’ गोमती ने हंस कर कहा. ‘रात को भी आ जाऊँगा, पर अभी ये देखो ना!’ बॉबी ने चादर उतार फ़ेंकी.
वो पूरा नंगा था. उसका लण्ड सख्ती के साथ 120 डिग्री पर तना हुआ था. तभी उसके तीनो दोस्त भी कमरे में आ गये. उन्होंने भी कपड़े उतार दिये. जिम के पठ्ठे थे, सभी के कड़क मोटे लौड़े थे. कठोर और तने हुए, चोदने को बेताब. गोमती ने मेरी ओर देखा और मुस्करा दी, जैसे कह रही हो मिल गये ना मस्त लण्ड, देखो लण्डों की बहार ही आ गई है.
तभी बॉबी ने मेरी कमर पकड़ ली. और मेरा ब्लाऊज खींच लिया. उसके दोस्त ने मेरा पेटीकोट उतार डाला. ‘बस करो, यह सब क्या है!’ ‘भोसड़ी की, पटक दो नीचे और मसल डालो मेरी प्यारी भाभी को.’ बाकी के दो लड़कों ने भी गोमती को पकड़ कर नंगी कर दिया था. तभी बॉबी ने मुझे…
अगले भाग में समाप्त! सब्र का फ़ल- भाग 2
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000