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कहानी का पहला भाग : मेरी माँ सेक्सी माँ-1 कहानी का दूसरा भाग : मेरी माँ सेक्सी माँ-2
दरवाजा खुला होने के कारण मैं भी बाथरूम में घुस गया। माँ को पता नहीं लगा क्योंकि उनका मुँह पीछे की तरफ था, वो ब्रा पहन रही थी। मैंने उन्हें पीछे से जाकर पकड़ लिए और उनके मम्मे दबाने लगा। वो एकदम से घबरा गई और बोली- कौन है? उन्होंने जैसे ही पीछे मुड़ कर देखा तो मुझे देख कर सबसे पहले उन्होंने मुझे कस कर चांटा जड़ दिया और कहने लगी- क्या कर रहा था यह? तुझसे शर्म नहीं आती अपनी माँ के साथ ऐसा करते हुए?
पर मैं तो मानो सब कुछ भूल ही गया था उस समय। मैं उनके उरोजों से चिपट गया और उन्हें चूसने लगा। इससे पहले कि वो मुझे कुछ कहती, मैंने उनकी चूत में ऊँगली डाल दी और घुमा दी।
और इसके बाद तो शायद माँ को भी लगा कि अब इसने इतना कुछ कर लिया है तो अब क्या रोकूँ इसे, क्योंकि वो भी तो सेक्स करने के लिए तड़प रही थी इतने दिनों से! और माँ सिसकारी भरने लगी- उह्ह्ह ह़ा हाह आःह्ह्ह जालिम शर्म कर! मैं तेरी माँ हूँ! कम से कम मुझे तो बख्श दे! शर्म कर थोड़ी! तो मैंने कहा- माँ, आप बहुत सेक्सी हो! मैं तो आपको कब से चोदने की फ़िराक में था! आज मौका मिला है तो कैसे हाथ से जाने दूँ? आज मत रोको! समा जाने दो मुझको तुम्हारे अन्दर! नहीं तो मैं मर जाऊंगा माँ! तो वो बोली- अच्छा ठीक है कम्बखत मारे! अब तुझे क्या कहूँ? कुछ कहने लायक नहीं छोड़ा तूने तो! जो करना है कर लेना! पर अभी बाहर जा! मैं कपड़े पहन कर बाहर आती हूँ! कम से कम चैन से कपड़े तो पहन लेने दे। बाहर आने के बाद जो करना है, कर लेना।
मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने कहा- नहीं पहले तो मैं आपको खूब चोदूंगा अभी! और इतनी देर में मैंने अपना लौड़ा निकाल कर उनकी चूत पर लगा दिया। वो एकदम से चिल्ला पड़ी- ऊई माऽऽऽ आऽऽ आ मार डाला जालिम! जैसे ही मैंने उनकी चूत मैं लोडा डाला- उईऽऽ मांऽऽ मार डाला तूने तो! अहह हूह्ह म्मम्म म्मम्म हह्म्म्म उह्ह्ह! और मैं धीरे धीरे धक्के लगाने लगा क्योंकि यह मेरा पहला सेक्स था तो मैं जल्दी झड़ने वाला था, मैंने माँ से कहा- माँ, मैं झड़ने वाला हूँ! क्या करूँ? वो बोली- निकाल दे अपना वीर्य मेरी चूत में! बना दे मुझे अपने बच्चे की माँ!
और मैंने सारा वीर्य उनकी चूत में छोड़ दिया। अब मैं बिल्कुल शांत हो चुका था पर माँ के अन्दर चुदाई करने की तमन्ना जाग गई थी। माँ मुझे देख रही थी और कहने लगी- पड़ गई तुझे शांति? चोद लिया तूने साले अपनी माँ को ? चोदते समय शर्म नहीं आई? तूने तो अपनी आग तो बुझा ली अब मैं क्या करूँ साले? चल अब बाहर जा! मुझे दोबारा नहाना पड़ेगा। सारा गन्दा कर दिया मुझे। अब क्या मुँह दिखाऊँगी मैं तेरे पापा को!
और मैं बाहर आ गया। कुछ देर बाद वो भी बाथरूम से बाहर आ गई और अपने कमरे में चली गई। तब तक मैं भी अपने कमरे में जा चुका था। करीब आधा घंटा हो चुका था इस बात को। मैं भी काफी शर्म महसूस कर रहा था, तो मैंने सोचा कि क्यों न माँ को जाकर सॉरी कह दूँ! मैं उनसे माफ़ी मांगने उनके कमरे की तरफ जाने लगा, पर जैसे ही मैं उनके कमरे में पहुँचा तो वो तो सज-धज कर खड़ी हुई थी बिल्कुल 18 साल की लड़की की तरह लग रहा थी। उनके बड़े बड़े स्तन मानो कह रहे थे- आओ और हमें खा जाओ!
उनका यह रूप देख कर लग रहा था जैसे कि आज मानो उनकी सुहागरात हो! मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा था। शायद माँ को चुदवाने की हुड़क चढ़ चुकी थी, वो कहने लगी- इधर आ! मुझे तुझसे कुछ बात करनी है! मैंने कहा- माँ सॉरी! प्लीज पापा से मत कहना! और मैं उनकी छाती से चिपट कर रोने का नाटक करने लगा। क्या खुशबू आ रही थी उनके वक्ष से!
तो उन्होंने मुझसे पूछा- बेटा जो हुआ उसे भूल जा! और एक बात बता कि क्या मैं तुझे इतनी जवान लगती हूँ कि तुझे इतनी भी शर्म नहीं आई और तूने ऐसा कर दिया? मैंने कहा- गलती हो गई माँ… वो बोली- चल ठीक है, कोई बात नहीं! अच्छा एक बात बता, तू क्या फिर से मुझे चोदेगा? मैंने कहा- नहीं! तो वो बोली- चल पगले! इतनी मेहनत से तैयार हुई हूँ मैं चुदने के लिए और तू मना कर रहा है ? तेरे लंड ने तो मेरी चूत में आग लगा दी है, अब इस आग को तो तू ही बुझाएगा मेरे राजा! चोद डाल मुझे । फाड़ दे मेरी चूत! निकाल दे आज सारी जलन मेरी चूत की!
और उन्होंने मुझे अपने वक्ष में दबा लिया और कहने लगी- पी ले सारा दूध इनका! कुछ मत छोड़ इनमें! समा जा मेरे अन्दर! मैं भी मन ही मन खुश हो गया और कहने लगा- मेरा तो जैकपॉट लग गया है आज! मेरी मुराद पूरी हो रही थी एक ही दिन में दो बार! मैंने कहा- ठीक है माँ! आप इतना कहती हैं तो!
मैं उनकी चूचियाँ दबाने और चूसने लगा ब्लाऊज़ के ऊपर से ही। मैंने कहा- माँ, मैंने कभी सुहागरात नहीं मनाई! मैं आपके साथ सुहागरात मनाना चाहता हूँ । तो वो बोली- अब तो मैं पूरी तेरी हूँ, जो करना है वो कर ना। मैंने कहा- ऐसे नहीं! जैसे टीवी पर, फिल्मो में दिखाते हैं, धीरे-धीरे! तो वो बोली- अच्छा तो तू ये सब चीजें भी देखता है? मैंने कहा- और नहीं तो क्या ? माँ, अब मैं बड़ा हो गया हूँ न इसलिए! वो बोली- ठीक है, मैं तो पहले से तैयार हूँ, तू भी तैयार हो जा! फिर हम दोनों माँ-बेटे पति पत्नी बन कर सुहागरात मनाएंगे।
बाहर आकर नहाने के लिए बाथरूम में गया और सेंट लगाकर, अपनी शेरवानी पहन कर मैं तैयार हो गया और माँ के कमरे में आ गया। वो तो तैयार बैठी थी, टीवी पर ब्लू फिल्म देख रही थी। मैंने कहा- माँ, यह क्या है? वो बोली- अब क्या करूँ? तेरे पापा तो काम से ज्यादातर बाहर ही रहते हैं, तो मुझे भी तो अपनी प्यास बुझानी होती है न। तो मैं बोला- अब आगे से जब भी पापा बाहर जाएंगे तो मैं आपको चोदूँगा! मैं आपका छोटा पति! वो बोली- अरे हाँ हाँ! मेरे स्वामी अब तो आप भी मेरे दूसरे स्वामी हो।
और मैंने उनको उठाया और उनसे इस तरह चिपक गया जैसे दो जान एक शरीर! बिल्कुल जैसे सांप सेक्स करते हैं। मैंने उनको ऊपर से नीचे तक इतना चूसा कि वो कहने लगी- अब डाल दे लौड़ा मेरी चूत में जालिम। अब छोड़ मेरे चूचे! डाल दे अब मेरी चूत में! फाड़ दे मेरी चूत! अब नहीं रुका जाता। मैंने कहा- अरे इतनी जल्दी क्या है माँ! थोड़ा रुक! तुमसे ज्यादा तो मैं प्यासा हूँ। आज तो मैं तुम्हें इतना चोदूंगा कि तुम आगे से कभी भी पापा के साथ सेक्स करना पसंद नहीं करोगी। वो बोली- हम्म! तू तो बड़ा ज़ालिम है बेटा! इस चूत पर हक तो तेरे पापा का ही है। इस मकान में तो तू केवल किरायेदार है बेटा! मैंने बोला- हम्म वो तो है…
और मैंने उनको अपनी बांहों में लेकर बिस्तर पर लेटा दिया और अपने सारे कपड़े उतार दिए और सबसे पहले उनके होंटों को कम से कम दस मिनट तक चूसता रहा और बीच बीच में उनकी चूत भी साड़ी के ऊपर से सहला रहा था और वो सिसकारियाँ भर रही थी। मैंने धीरे धीरे उनके कपड़े उतारे और लगभग पूरी नंगी कर दिया, केवल ब्रा और पैंटी रह गई थी वो भी लाल रंग की। मैंने कहा- तुम तो इतनी खूबसूरत हो कि मैं तुमसे शादी कर लूँ और तुम्हें रोजाना इतना चोदूँ, इतना चोदूँ कि अब क्या बोलूँ कि कितना चोदूँ। तो वो बोली- तो चोद ना साले! मैं तो मरी जा रही हूँ कबसे! अब तो मैं पूरी तेरी ही हूँ! जब चाहे तब चोद मैंने कब मना किया है
मैं उनकी ब्रा उतारने लगा और इतने में उन्होंने मेरा लौड़ा अपने हाथ में ले लिया, उसके साथ खेलने लगी, कहने लगी- बाथरूम में तो इसकी लम्बाई ढंग से नहीं नाप पाई, पर यहाँ पर तो इसको पूरा खा जाऊंगी! दस मिनट तक उन्होंने मेरे लौड़े को चूसा होगा। मेरा लंड भी अब पूरे उफान पर था और फाड़ देना चाहता था माँ की चूत को। जिस बात का मुझे इतनी दिनों से इंतज़ार था वो सपना पूरा होने वाला था। माँ के दोनों संतरे मानो ऐसे लग रहे थे जैसे तो बड़े-बड़े खरबूजे! मैंने कहा- माँ, इनको तो मैं खा जाऊंगा। माँ तो खुशी के मारे जैसे उछल रही थी।
और मैंने अपना लंड माँ की चूत में बाड़ दिया और फिर चालू हुआ माँ-बेटे की चुदाई का कार्यक्रम! वो बीच बीच में इतनी तेज चिल्ला रही थी, कह रही थी- बेटा चोद दे आज अपनी माँ को! घुस जा पूरा इसके अन्दर! फाड़ डाल इसको। ह्म्मम्म हाआअहाह उह्ह्हह ह्म्म्म मैं तो मर जाऊँगी… उह ह्म्मम्म उह्ह्ह और मैंने तेज-तेज झटके लगाने चालू कर दिए।
कम से कम आधे घंटे चूत मारने के बाद मैंने कहा- माँ, अब घोड़ी बन जाओ, मैं तुम्हारी गांड मारूँगा। तो माँ ने घोड़ी बन कर अपनी सुडौल गाण्ड पीछे की ओर उभार दी और कहा- तुम मर्द लोगों को गांड में ऐसा क्या मजा आता है? मैंने कहा- माँ गांड और चूचियाँ ही तो तुम्हारी जान है! और तुम कह रही हो कि क्या मजा आता है? इनको देख कर तो मेरा लौड़ा खड़ा हो जाता है और इन्हीं चीजों को लेकर तुम औरतें इतना इतराती हो।
उन्होंने एक सेक्सी सी मुस्कुराहट दी और गांड को सेक्सी तरीके से हिलाने लगी। मैंने धीरे-धीरे से लण्ड गाण्ड में डाल दिया और मां मस्त हो गई। बहुत आनन्द आ रहा था मुझे गांड मारने में। मम्मी की गाण्ड को मैंने बहुत देर तक बजाया। मम्मी भी, जब तक मैं नहीं झड़ गया, तब तक चुदती रही और मेरा पूरा साथ दिया.
मैं झड़ चुका था और माँ भी… तो माँ ने कहा- रुको, अब थोड़ा आराम कर लो बेटा! मैंने कहा- हाँ माँ! मैं भी बहुत थक गया हूँ… तो वो बोली- चल तू यहीं रुक! मैं तेरे लिए दूध लाती हूँ…
माँ जैसे ही उठी दूध लाने के लिये, मैंने फिर से गोदी में खींच लिया और उनकी चूचियों को अपने मुख से दबा लिया और चूसने लगा और कहा- मेरा पैष्टिक दूध तो यह रहा माँ! तुम तो मुझे बचपन में यही दूध पिलाती थी ना! तो वो बोली- अरे! तू नहीं सुधरेगा! थोड़ी देर भी नहीं इंतज़ार कर सकता? मैंने कहा- माँ, ऐसा मौका फिर कहाँ मिलेगा? आज के बाद पता नहीं कब मौका मिलेगा! और मैंने दूध मुंह में भर लिए और मां गुदगुदी के मारे सिसकारियाँ भरने लगी।
मेरा लण्ड फिर से फ़ुफ़कारने लगा था तो मैंने कहा- माँ यह तो फिर से खड़ा हो गया! तो वो बोली- तो देर किस बात की? आ जा एक बार फिर! मां ने अपनी दोनों खूबसूरत सी टांगें उठा ली। मां अपनी टांगें ऊपर उठा कर उछल-उछल कर चुदवा रही थी और मैं भी उन्हें काफी उछल-उछल कर चोद रहा था। मां को इस रूप में मैंने पहली बार देखा था, वो काम की देवी लग रही थी।
माँ ने कहा- लगता है जिन्दगी भर की चुदाई आज ही कर डालोगे! मैंने कहा- और नहीं तो क्या! और मैंने तेज-तेज झटके मारने चालू कर दिए और सारा कमरा फिर से आवाजों से गूंजने लगा।उस रात मैंने उनको दो बार और चोदा।
अगली सुबह मेरी आँख दोपहर को तीन बजे खुली। मैं उठा और अपने कमरे में जाने लगा पर जैसे ही मैं बाहर आया, माँ झाड़ू लगा रही थी। उन्होंने गुलाबी सिल्की गाउन पहन रखा था वो उस समय झुकी हुई थी। मैं पीछे से चुपचाप गया और उनकी गांड के छेद पर अपना लंड लगा दिया। वो बोली- जगा गया मेरे राजा! चल अब नहा धो ले! फिर खाना खा ले! मैंने कहा- ठीक है पर एक ट्रिप लेने के बाद!
मैंने उनको एक बार फिर से चोदा। अब जब तक पापा नहीं आ जाते, मैं उन्हें रोजाना चोदने वाला था। फिर से पूरा घर सेक्सी आवाजों से गूंज गया और फिर से एक बार हम दोनों माँ-बेटे पति-पत्नी बन गए। काफ़ी देर की चुदाई के बाद मैं झड़ गया और माँ भी… तो माँ ने कहा- पड़ गई तुझे शांति! तो जा अब नहा ले! मैंने कहा- ठीक है। और रात भी मैंने मा को 5 बार फिर से चोदा.
अब मुझे यह बताओ कि आपको यह कहानी कैसे लगी। [email protected]
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