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लेखिका : सानिया मैं हूँ इंडियन देसी लड़की सानिया! मेरी किस्मत अच्छी है कि मैं बहुत सुन्दर, सेक्सी हूँ, मेरा मानना है कि मेरे सामने पुरुष काफ़ी देर तो मेरी आँखों में देख ही नहीं पाते क्योंकि उनकी निगाहें मेरी बड़ी बड़ी चूचियों से हट ही नहीं पाती।
मुझे पता है कि सभी पुरूष मेरी बातें सुनकर मुझे पाना चाहेंगे, लेकिन मुझे पाना इतना आसान नहीं है। मुझे लड़कों से सेक्स की बातें करना और यौन-पूर्व क्रीड़ा करना अच्छा लगता है इसलिये लड़को मेरी कहानी पढ़कर अपना लंड हिला कर ही ना रह जाना, मुझ से बात भी करना।
मैं आपसे अपना पहला अनुभव बताती हूँ, बात चार पाँच महीने पहले की है, मेरे स्कूल का लड़का अमित जो लगभग मेरी उम्र का ही था, स्कूल के हॉस्टल में रहता था, मुझ पर लट्टू था और मुझ से बात करने के बहाने ढूंढता रहता था।
वैसे मुझे भी वो लड़का अच्छा लगता था, मुझे तो सभी लड़के अच्छे लगते हैं क्योंकि उनके पास वो होता है जो मेरे पास नहीं है।
एक दिन तो उसने हद ही कर दी, वह कुछ नोट्स लेने के बहाने से मेरे घर ही आ गया।
मैं अपनी एक सहेली प्रिया के साथ ट्यूशन गई हुई थी, मेरे घर में सिर्फ़ मेरी मम्मी थी।
मम्मी ने ही दरवाज़ा खोल कर उसे अन्दर बुलाया और ड्राइंगरूम में बैठाया। उसने मम्मी को बताया कि उसे मुझ से कुछ नोट्स चाहिएँ!
तो मेरी मम्मी ने उसे बताया कि मैं ट्यूशन के लिए गई हुई हूँ तो उसने मेरी मम्मी से मेरा मोबाईल नम्बर ले लिया और मुझे फ़ोन मिला कर बात करने लगा, पूछने लगा नोट्स के बारे में!
मैं प्रिया को अपने साथ ही लेकर घर आ गई, मेरे मन में कुछ मस्ती सी छा गई थी यह जानकर कि एक लड़का जो मेरा दीवाना है, मेरे लिए मेरे घर तक पहुंच गया।
प्रिया भी अमित की दीवानगी के बारे में जानती थी और हम दोनों अकसर अमित के बारे में बातें भी किया करते थे।
मुझे अपने सामने पाते ही उसकी आँखों में एक चमक सी आ गई लेकिन मेरी सहेली को साथ देख वो चमक ज्यादा देर नहीं टिकी उसकी आँखों में!
मम्मी हमारे लिए शर्बत लेकर आई तो मैं उसे नोट्स देने के बहाने उसे अपने कमरे में ले गई। मैं बहुत खुश थी, मैंने प्रिया को आंख से इशारा किया, वो समझ गई।
कमरे में जाकर मैंने अमित से आँखें नचा कर पूछा- क्यों आए हो? नोट्स तो एक बहाना है ना?
अमित बोला- तुम सब जानती हो तो इतने दिनों से क्यों तड़पा रही हो?
इतना कह कर वो मेरा हाथ पकड़ने लगा लेकिन मैंने एकदम से अपना हाथ पीछे खींच लिया।
मम्मी को बुलाऊँ क्या? मैंने अमित से कहा।
अमित मेरे पैरों में गिर गया और बोला- मैं तुम्हें सच्चा प्यार करता हूँ, मुझे मत ठुकराओ!
इतना कहते हुए उसने सच में मेरे पैर पकड़ लिए और सहलाने लगा।
मैं एकदम सिहर उठी, यह किसी पुरूष का मेरे बदन पर पहला स्पर्श था।
आह…!! क्या कर रहे हो अमित? मेरे मुझ से निकला।
अमित के हाथ अब तक मेरे पैरों से ऊपर होकर मेरी पिंडलियों तक पहुँच चुके थे। मेरा बदन कांपने लगा था, उसके हाथ धीरे धीरे ऊपर की तरफ़ बढ़ रहे थे और मैं आनन्द के वशीभूत हो उसे रोक नहीं पा रही थी।
अचानक प्रिया वहाँ आ गई तो मेरी तन्द्रा टूटी।
प्रिया बोली- क्या खेल हो रहा है यहाँ इस कमरे में!
मैं घबरा कर एक कदम पीछे हटी और अमित प्रिया को खा जाने वाली नज़रों से देखने लगा।
बाहर आँटी तुम्हारा इन्तज़ार कर रही हैं और तुम दोनों यहाँ रासलीला रचा रहे हो? वो तो आँटी अन्दर आने को थी, मैंने उन्हें रोका और मैं अन्दर आ गई, नहीं तो मारे गए थे तुम दोनों!
चलो अब बाहर और ये प्रेम-व्रेम का नाटक बाद में कर लेना।
गुस्सा तो मुझे भी बहुत आया प्रिया पर! कितना मज़ा आ रहा था, अमित के हाथ मेरे घुटनों से ऊपर सरकने लगे थे, और मैं पत्थर बनी उस असीम आनन्द में डूब रही थी।
लेकिन प्रिया ने आकर मुझे, मेरा मतलब हम दोनों को बचा लिया था।
अमित ने मेरे मेज से ऐसे ही कुछ कागज उठा लिए और मन मसोस कर हम तीनों बाहर आ गए।
थोड़ी देर में अमित चला गया तो मैं प्रिया को लेकर अपने कमरे में आ गई।
प्रिया पूछने लगी- मजा आ रहा था?
हाँ, बहुत!!
क्या क्या किया?
अरे, तूने करने ही कहाँ दिया?
तो बिना कुछ किए ही मजा आ रहा था? तो अब तेरा मजा तो गया! अब क्या करेगी तू?
हम बातें कर ही रहे थे कि मेरा मोबाइल बज उठा।
देखा तो अमित का ही फ़ोन था।
मैंने घबराहट में प्रिया को फ़ोन पकड़ा दिया।
प्रिया ने पूछा- अमित, कहो क्या काम है?
अमित : सानिया को फ़ोन दो ना!
प्रिया : मुझे बताओ!
अमित : नहीं सानिया से ही बात करनी है!
प्रिया आँख मारते हुए मुझे फ़ोन पकड़ा कर बोली : ले! तुझ से ही बात करना चाहता है!
मैंने फ़ोन पर कहा : हेलो!
अमित : नाराज हो?
मैं : नहीं तो!
अमित : सानिया, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो!
मैं : मुझे पता है कि तुम मुझे पसंद करते हो! मुझ में ऐसा क्या है जो मैं तुम्हें अच्छी लगती हूँ?
अमित : वो… वो तुम्हारी जां… आँखें?
मैं : क्या कहा? आँखें? या कुछ और? कुछ और बोलने लगे थे ना तुम?
अमित : मुझे तुम्हारा सब कुछ अच्छा लगता है!
मैं : सब कुछ? यानि मेरा बदन?
अमित : तुम्हारा बदन भी और तुम भी!
मैं : मेरे बदन में सबसे अच्छा क्या लगता है?
अमित : वो… वो… तुम्हारी च… चू…
मैं : मेरी चूचियाँ? या मेरी वो… चू… त!
अमित : हाय!
मैं : और मेरी गोरी गोरी टांगें कैसी लगी?
प्रिया बीच में टोकते हुए बोली- सानिया, कैसी कैसी बातें कर रही हो?
अमित फ़ोन पर : मजा आ गया था तुम्हारी चिकनी टाँगें सहला कर! वो तो बीच में तुम्हारी सहेली आ गई, नहीं तो तुम्हारी स्कर्ट उठा कर तुम्हारी जांघें चूम लेता।
मैं (प्रिया के होंठों पर ऊँगली रखते हुए) : मज़ा तो मुझे भी बहुत आया पर ये साली प्रिया ने सारा मजा खराब कर दिया।
दोस्तो, अब आगे क्या हुआ, कैसे हुआ, मुझ से फ़ोन पर पूछ लो! मैं आपको बताऊँगी अपने पहले अनुभव की एक एक बात!
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