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प्रेषक : संजीव चौधरी
करीब नौ बजे रागिनी चली गई। सानिया ने उससे वादा लिया कि वो फ़िर एक बार आयेगी, तब शुक्रवार को आने की बात कही, क्योंकि शनि और रविवार को राजिन्दर उसकी मेरे साथ बुकिंग के बाद एक घन्टे में अगले 5 सप्ताह की बुकिंग कर चुका था। मुझे भी रागिनी बहुत अच्छी लगी थी।
जाते-जाते वो मुझे कह गई- अंकल आपको जब मन हो, फ़ोन कर दीजिएगा, सूरी सर वाले दिन छोड़ कर ! चली आऊँगी, अब आपसे पैसे नहीं लूँगी, आपने सच मुझे बहुत इज्ज्त और प्यार दिया, धन्यवाद।
उसके जाने के बाद मैंने और सानिया ने अगले एक घण्टे में घर साफ़ किया और फ़िर कपड़े वाशिंग मशीन में डालने के बाद सानिया मेरे पास आई और बोली- चाचू, एक बार और कीजिएगा, अब दर्द बिल्कुल ठीक हो गया है।
सुबह साढ़े छः के करीब सानिया पहली बार चुदी और अभी साढ़े दस बजे वो दूसरी बार चुदाने को तैयार थी। मेरे लिए तो सानिया का जिस्म दुनिया का सबसे बड़ा नशा था सालों से ! कैसे मना करता। तुरंत ही अपने कपड़े उतार दिए और बोला- आओ।
सानिया आई और घुटनों पर बैठ गई। मैं समझ गया कि अब वो होगा जो मैंने हमेशा सपने में होने की उम्मीद करता था।
हाँ, सानिया ने मेरे ढीले लण्ड को पकड़ अपने मुँह में डाल लिया और उस पर अपनी जीभ चलाने लगी।
अचानक वो बोली-“चाचू, अब आपका बूढ़ा होने लगा है, देखिए कई बाल सफ़ेद हो गए हैं।
वो मेरी झाँट के बारे में बात कर रही थी। उसे इस प्रकार बात करते देख अच्छा लगा कि अब ज्यादा मजा आएगा, पहली बार तो कुछ खास बातचीत हुई नहीं थी।
मैंने उसे थोड़ा उत्साहित किया- अभी बूढ़ा न कहो इसको। बारह घण्टे में दो जवान लौन्डियों को चोदा है इस पट्ठे ने। एक की तो सील तोड़ी है। मर्द तो साठ साल में पट्ठा होता है- साठा तब पाठा – सुना नहीं क्या? अभी पाँच मिनट रुको, पता चलेगा जब तेरी बुर की बीन बजाएगा ये काला नाग।
उसने अपनी आँख गोल-गोल नचाई- हूँ ! ऐसा क्या?
सच में उसकी यह अदा लाजवाब थी। वो चूस-चूस कर मेरे लण्ड को खड़ा कर रही थी और काफ़ी अच्छा चूस रही थी।
मैंने कहा- अभी थोड़ा और चूसो आआअह्ह्ह, सानिया तुम तो सब बहुत जल्दी सीख गई।
उसने नजर मिला कर कहा- मेरा प्यारा चाचू सिखाए और मैं ना सीखूँ? ऐसा कैसे होगा?
मैं- आय हाय, बड़ी मस्त लौन्डिया हो रे तुम चाचा की भतीजी।
उसने मुझसे हँसते हुए पूछा- मैं लौन्डिया हूँ?
मैंने जवाब दिया- हाँ तुम लौन्डिया हो लौन्डिया, मेरी लौन्डिया, मेरी लौन्डी हो।
वो बोली- अच्छा और क्या हूँ मैं?
और मेरे लण्ड को हल्के-हल्के चूसती जा रही थी। मैं मस्ती की मूड में आ गया- दिखने में तो तुम माल हो माल ! वो भी टॉप क्लास का ! आआअह्ह्ह, मक्खन हो साली तुम। खिलती हुई गुलाब की कली हो जान। वाह बहुत अच्छा चूस रही हो, इइस्स्स, मजा आ रहा है। और चूस मेरी लौन्डी। कैसा लग रहा है, जरा बता ना साली। थोड़ा खेल भी हाथ में लेकर।
सानिया ने लण्ड को अब हाथ से सहलाना शुरु किया- बहुत बढ़िया है आपका लवड़ा।
मैंने सुधारा- लवड़ा नहीं लौड़ा बोल इसे। चुदाते समय रन्डियों की तरह बोलना सीख।
वो मचल कर बोली- तो सिखाओ ना कैसी रन्डी बोलती है, मुझे थोड़े न पता है। मैं तो सीधी-साधी लड़की हूँ, अम्मी-अब्बू ने इतने प्यार से पाला और अब आप मुझे यह सब कह रहे हो, कैसे होगा?
मैं बोला- तुझे लड़की कौन बेवकूफ़ कहेगा। मैंने बताया न, तुम माल हो वो भी एक दम टंच माल। एक चुदाई के बाद जैसे लण्ड खा रही है, लगता है कि अम्मी-अब्बू के घर जाने तक तू पूरी रन्डी बन जाएगी।
सानिया मेरी बात सुन कर बोली- हाँ चाचू, मुझे सब सीखना है, जल्दी-जल्दी सीखाओ न अब, एक सप्ताह तो तुमने बर्बाद कर दिया मेरा उदघाटन करने में। वो भी हुआ तब, जब मैं कालगर्ल लाने को बोली, वर्ना तुम तो मुझे ऐसे ही अपने घर से विदा कर देते। मैं जब आई थी तब से यह सब सोच कर आई थी। शुरु से तुमको लाईन दे रही थी और तुम साधु बने हुए थे। पहले दिन से ही मैंने तुम्हारे बाथरुम में अपना अन्डरगार्मेन्ट छोड़ना शुरु किया पर तुम थे कि आगे बढ़ ही नहीं रहे थे।
मैंने सब सुना और कहा- हाँ बेटा, तुम सही कह रही हो। असल में मुझ लग रहा था कि थोड़ी-बहुत छेड़-छाड़ तो ठीक है, पर शायद तुम सेक्स के लिए ना कह दोगी तो मुझे बहुत शर्म आयेगी फ़िर तुमसे। यही सब सोच मैं आगे नहीं बढ़ रहा था। पर मैंने भी धीरे-धीरे ही सही पर तुम्हारी तरफ़ आगे बढ़ रहा था ये तो मानोगी। और पता है, रोज हस्त-मैथुन करके तुम्हारी पैन्टी पर अपना लण्ड का रस डाल देता था, तुम्हें पता चला कुछ?
वो मुस्कुराई- सब पता है, सूखने पर भी थोड़ा तो अलग लगता है। अब ऐसे अपना क्रीम मत फ़ेंकना, मैं हूँ ना, सब खा जाऊँगी। कहीं पढ़ा है कि मर्द का रस बहुत पौष्टिक होता है।
मेरा लण्ड अब जैसे माल निकालने की स्थिति में आ गया था। मैंने समय लेने के लिए कहा- अब बात बन्द कर और चल बिस्तर पर लेट। तेरे चूत का स्वाद लेना है अब मुझे।
वो झट से उठी और बिस्तर पर लेट गई। मैं भी साथ ही आ गया और तुरंत उसकी चूत पर मुँह भिड़ा दिया। पूरे दस मिनट तक उसकी चूत को खूब चुभला-चुभला कर चूसा, चबाया। उसकी गीली चूत का नमकीन स्वाद मस्त था। साली खूब मस्त हो कर अपना चूत चटवा रही थी। एक बार पानी भी छोड़ा, पर थोड़ा सा। इसके बाद वो थोड़ा शान्त हो गई।
तब मैंने पूछा- क्या हाल है? कैसा लगा इस चूतिया चाचा के मुँह का मजा?
बेचारी कुछ बोल न सकी, बस हाँफ़ती रही, और मुझे समझ आ गया कि बछिया अब हार चुकी है। मैं एक बार फ़िर साँड बन कर बछिया पर चढ़ गया और सिर्फ़ उसके चेहरे पर नजर गड़ा कर साली की जोरदार चुदाई शुरु कर दी। अब वो जैसे छोटे पिल्ले केंकीयाते हैं, वैसा आवाज मुँह से निकाल रही थी। आप सबने ऐसी आवाज चाईनीज या जपानी लड़की की चुदाई वाली ब्लू-फ़िल्म में सुनी होगी। उसकी चूत से निकलने वाला “राग मस्त-चुदाई” मुझे एक विशेष मजा दे रहा था।
थोड़ी देर में मैंने पूछा- क्या रे ! अब रोना-चीखना छोड़ और बोल कहाँ निकालूँ अपना वीर्य, अब मेरा छुटेगा।
वो संभली और बोली- मेरे मुँह में चाचु, मेरे मुँह में।
यह सुन मैंने अपना लण्ड बाहर खींचा और उसके चेहरे की ओर आ गया। उसने अपना मुँह खोला और मैं उसके मुँह में लण्ड घुसा उसका मुँह चोदने लगा। मैं अपने किस्मत पर खुश था, मुझे सानिया जैसी हूर चोदने को भगवान ने दे दी थी।
दस-बारह बार के बाद मेरे लण्ड ने पहली पिचकारी छोड़ी और फ़िर अगले 5 बड़े झटके में मेरा कम-से-कम एक बड़ा चम्मच वीर्य उसकी मुँह में गिरा। वो बड़े चाव से वो सब माल निगल गई, हाँफ़ रही थी पर शौक से खा गई। फ़िर मेरे लौंड़े को चाट-चूस कर साफ़ भी किया। जब वो मेरा लण्ड चाट रही थी, तब मैंने भी उसकी ताजा चुदी चूत को चाटा और उसके नमकीन गीलेपन और कसैले-खट्टेपन से भरी गंध का मजा लिया।
कहानी जारी रहेगी, कई भागों में समाप्य !
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