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लेखक : राज शर्मा
यह जिंदगी भी जाने क्या क्या रंग दिखाती है। इंसान कठपुतली की तरह नाचता है जिंदगी के इशारे पर। मैं तब 22 साल का था जब मैंने पढ़ाई करते करते इश्क की पढ़ाई करनी शुरू कर दी थी। मेरी भाभी की बहन यानि मेरे भाई की छोटी साली थी वो, पिंकी नाम था उसका, उम्र बीस साल ! एक दम मस्त लड़की थी, हरदम हँसती रहती, मजाक करती रहती।
भाभी गांव की थी। गांव में दसवीं तक का स्कूल था सो पिंकी आगे की पढ़ाई के लिए शहर आ गई थी। 12वीं में पढ़ती थी। पढ़ाई में भी बहुत होशियार थी। हमारे पास रहकर शहर के रहन सहन में ढलते पिंकी ने देर नहीं लगाई। शहरी पहनावा उस पर खूब फबता था। उसके बदन की क्या तारीफ़ करूँ, अजंता की मूर्त थी। 32 इन्च की चूचियाँ, पतली 26 इन्च की कमर, 34 इन्च के मस्त कूल्हे। मैं तो बस आहें भरता था उसे देख देख कर। मेरे दिल में उसके लिए सिर्फ प्यार था सेक्स के बारे में तो कभी सोचा भी नहीं था।
मैं धीरे-धीरे पिंकी से खुलता गया और मैंने दिल की बात पिंकी को बताना शुरू कर दिया था पर खुल कर अभी आई लव यू नहीं बोला था।
उस दिन मैं बारह बजे के करीब घर आया तो घर में भाभी के सिवाय कोई नहीं था। मैं भाभी से खाने का कह कर अपने कमरे में चला गया और कपड़े बदलने लगा। तभी मुझे लगा के दरवाजे के पास कोई है। मैं चुपचाप दरवाजे के पास गया, मैंने सोचा था कि पिंकी होगी पर जैसे ही मैंने दरवाजा खोला पिंकी नहीं, भाभी थी। भाभी मुझे देख कर वापस जाने के लिए मुड़ी। भाभी के माथे पर पसीना आया हुआ था।
मैंने जब इस बाबत पूछा तो भाभी कुछ घबराई सी आवाज में बोली- मैं तो पूछने आई थी कि पानी पिओगे क्या ?
मेरी हँसी निकल गई और मैंने मजाक में कहा- भाभी पानी की जरूरत तो तुम्हें है। देखो कितना पसीना आ रहा है !
और मैंने हाथ बढ़ा कर भाभी के माथे का पसीना आपने रुमाल से साफ़ कर दिया। जैसे ही मैंने भाभी के माथे को छुआ भाभी के मुँह से सिसकारी सी निकली। भाभी का बदन एकदम तप रहा था।
मैंने पूछा,”भाभी तबीयत तो ठीक है आपकी?”
“हाँ हाँ ! ठीक है, तुम खाना खा लो आकर !” कह कर भाभी जाने लगी तो मैंने अनजाने में ही भाभी का हाथ पकड़ लिया तो भाभी एकदम से सिमट कर मुझसे लिपट गई। मैं इस सब के लिए तैयार नहीं था।
अचानक भाभी बोली,”राज, आज मेरे बदन में न जाने क्या हो रहा है एक अजीब सी आग जल रही है। प्लीज मेरी आग को ठंडा कर दो !”
मेरे मुँह से शब्द नहीं निकल रहे थे। मैंने भाभी को अपने से दूर करने की कोशिश की तो भाभी मुझ से लिपटती चली गई। भाभी का गर्म-गर्म बदन मेरे अंदर एक तूफ़ान मचा रहा था। मैंने भाभी के चेहरे को ऊपर उठाया तो भाभी ने एकदम से अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए। मैं भी भाभी के होंठों को चूमने लगा।
भाभी बोली,”तुम्हारे भैया ने पिछले दो महीनों से मुझे छुआ भी नहीं है क्योंकि उन्हें कोई यौन-समस्या है। प्लीज मेरी आग बुझा दो !”
ओह ! मैं भाभी के बारे में बताना ही भूल गया। भाभी 23 साल की बेहद खूबसूरत जिस्म की मालकिन हैं। उभरा हुआ सीना 36 का, कमर 28 की और गांड 37 की, नाम है संगीता। आवाज इतनी सुरीली कि जब वो बोलती है तो जैसे संगीत बजता है।
अब मैं एकदम भाभी के बस में होता जा रहा था क्योंकि एक तो मेरी जवानी और दूसरी और भाभी का जलता जवान जिस्म। वो अभी सिर्फ 23 साल की ही तो थी, शादी को सिर्फ 8 महीने ही हुए थे। मैं भाभी को चूम रहा था और भाभी मुझे।
भाभी के हाथ मेरे अंडरवियर पर पहुँच गए। मैंने आपको पहले बताया था ना कि मैं कपड़े बदल रहा था। सो अभी लोअर नहीं पहना था। सिर्फ अन्डरवियर पहना हुआ था। भाभी के नाजुक हाथ मेरे लण्ड को सहलाने लगे थे। मेरा लण्ड भाभी के बदन की गर्मी महसूस करके तन गया था ऊपर से भाभी उसे सहला रही थी, मेरा लण्ड तो अंडरवियर फाड़ने को तैयार हो चुका था।
भाभी ने चूमते-चूमते लण्ड बाहर निकाल लिया और एकदम से झुक कर मुँह में ले लिया।
मैं बेचैन हो उठा। मेरे लिए यह सब नया था मुझे इन सब का अनुभव कहाँ । भाभी आपने नाजुक गर्म गर्म होंठों से लण्ड चूस रही थी, मैं अपने पर काबू नहीं रख पाया और भाभी के मुँह में झड़ गया। भाभी मेरा सारा रस पी गई।
इस दौरान मैं भाभी की मस्त चूचियाँ दबाता रहा था। भाभी पूरी गर्म हो चुकी थी। उसने अपना ब्लाउज इतना जल्दी और जोर से निकला कि उनका ब्लाउज लगभग फट ही गया। उनकी कसी चूचियाँ बहुत सेक्सी लग रही थी। तभी भाभी और मेरी ख्वाहिशों पर वज्रपात हुआ और दरवाजे की घंटी बज उठी।
इस घंटी ने जैसे भाभी के दिमाग की घंटी भी बजा दी। भाभी जैसे सपने से जागी !
वो ब्रा संभालते हुए अपने कमरे में भागी। मैंने झट से लुंगी पहनी और जाकर दरवाजा खोला। दरवाजे पर भैया खड़े थे। मेरी सांस तो जैसे रुक ही गई थी क्योंकि मैंने सिर्फ लुंगी पहनी हुई थी और लण्ड अभी भी तना हुआ था पर शुक्र था कि भैया ने कोई ध्यान नहीं दिया और भाभी के कमरे की तरफ चल दिए।
भाभी की स्थिति मुझे पता थी इसलिए मैंने भैया को रोकते हुए पानी के लिए पूछ लिया। भैया को भी शायद प्यास लगी थी या मेरी किस्मत अच्छी थी कि भैया पानी पीने के लिए रुक गए। इतनी देर में भाभी भी अपना ब्लाउज बदल कर बाहर आ गई। भाभी हाथ-मुँह धोकर आई थी। इसलिए फ्रेश लग रही थी। लगता नहीं था कि यह औरत कुछ देर पहले सेक्स की आग में जल रही थी।
आते ही भाभी ने भैया से पूछा- आज इतनी जल्दी कैसे आ गए?
तो भैया ने बताया कि कंपनी का टूअर है और उन्हें अपना सामान लेकर वापिस जाना है। फिर वो दोनों अपने कमरे में चले गए।
मैं भी कमरे के दरवाजे के पास पहुँचा। मुझे डर था कहीं भाभी भैया को कुछ बोल न दें। पर अंदर तो कुछ और ही नज़ारा था। भैया भाभी को चूम रहे थे। ये वही होंठ थे जिन्हें कुछ देर पहले मैं चूम रहा था।
भैया भाभी को कह रहे थे- मैं इलाज के लिए दिल्ली जा रहा हूँ। आते ही तुम्हारी सारी तम्मना पूरी कर दूँगा। घर मे किसी को मत बताना कि मैं कहाँ गया हूँ।
भाभी ने हाँ में अपनी मुंडी हिलाई।
मैं सोच रहा था कि इस औरतजात को तो खुद भगवान भी नहीं समझ पाते, बेचारे भैया कैसे समझेंगे।
मैं खड़ा अभी कुछ सोच ही रहा था कि पिंकी घर में दाखिल हुई। लण्ड अब भी तना हुआ था। आते ही पिंकी ने मेरा हाथ पकड़ा और बोली,”यह क्या ? चोरी-चोरी मेरी दीदी के कमरे में झांक रहे हो?”
मेरी तो बोलती ही बंद हो गई। मैं सकपकाया सा उसे देखता ही रह गया।
तभी वो मुस्कुराते हुए बोली,”अगर ज्यादा दिल कर रहा है तो शादी क्यों नहीं कर लेते हो?”
अब मैं भी सामान्य हो गया था मैंने पूछा,”तुम करोगी मुझसे शादी ?”
“अभी क्या जल्दी है ? सोच-समझ कर, देखभाल कर पूरी तसल्ली करके बतायेंगे !” वो खिलखिला कर हंसने लगी।
मैंने पिंकी को अपनी तरफ खींचा और उसे बाहों में भर लिया। वो मेरी पकड़ से छुटने के लिए छटपटाने लगी।
मैंने कहा, “अभी तो शादी की बात कर रही थी, अब क्या हुआ?”
“ओह ! थोड़ा तो सब्र करो मेरे राजा जी !”
यहाँ मैं बताना चाहूँगा कि पिंकी मुझे राज नहीं, राजा जी कह कर बुलाती थी।
पिंकी अपने कमरे में चली गई। मैं कुछ देर खड़ा रहा, फिर कुछ सोच कर पीछे पीछे पिंकी के कमरे में चला गया। सेक्स की आग जो पहले भाभी में जल रही थी वो अब मेरे अंदर धधकने लगी थी। पिंकी कमरे में नहीं थी।
तभी बाथरूम से कुछ गुनगुनाने की आवाज आने लगी। मैं बाथरूम की तरफ गया तो देखा बाथरूम का दरवाजा खुला हुआ था और पिंकी अपने कपड़े बदल रही थी।
शेष कहानी दूसरे भाग में !
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