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यह बात कोई 6 महीने पहले की है लेकिन है बिल्कुल सच्ची! मैं किसी काम से मामा के यहाँ गया जो कि शहर में रहते हैं। जब मैंने घर पहुंचकर घण्टी बजाई तो दरवाजा मेरी मामी ने खोला।
और गजब… मैंने देखा तो फिर देखता ही रह गया। मेरी मामी इतनी खूबसूरत थीं कि उनको देखते ही मेरा मुँह खुला का खुला ही रह गया, चौंका तब जब कि मामी ने पूछा कि कहाँ खो गये?
मेरे मुँह से आह की आवाज निकल गई। मैंने कहा- आप में ही खो गया हूँ! आप सुन्दर ही इतनी हैं कि होश ही न रहा!
यह सुनकर मामी शरमा गईं और कहा- ऊँह! चलो अंदर! मैं अंदर आ गया तो मामी से पूछा- मामा कहाँ हैं? तो मामी ने बताया- वे काम से शहर से बाहर गये हुए हैं, शाम तक आ जायेंगे।
उस समय दस बज़े थे। तब मामी बोली- तुम बैठो, मैं चाय लेकर आती हूँ।
मैं वहाँ पर बैठ गया और मामी चाय लेने चली गईं। मैं मामी के बारे में सोच रहा था। उनकी उम्र 20 साल की थी और फिगर 34-26-34. वोह गॉड. अब मैं सोचने लगा कि कैसे मामी की चुदाई की जाये। लेकिन मुझे कुछ ज्यादा मेहनत नहीं करनी पडी मामी ने खुद ही शुरूआत कर दी।
थोड़ी देर बाद मामी चाय लेकर आ गई। चाय पीते हुए मैं मामी को बड़े ध्यान से देख रहा था, खास तौर से उनकी चूचियों को जो कि उस समय टॉप में से छलक कर बाहर आने को हो रही थीं और जींस की पैंट में कसे हुए चूतड़! वाह वाह क्या गजब के थे! पतली कमर लोच खाती हुई! मस्त मस्त! सब कुछ मस्त ही तो था।
यह सब देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया था। मामी यह जानकर भी अंजान बनकर बैठी हुई थीं कि मैं उनको देख रहा हूँ और मुस्कुरा भी रही थीं।
अचानक मामी ने मुझसे पूछा- क्या देख रहे हो?
और मैं हड़बड़ा गया। इसी हड़बड़ाहट में मेरी थोड़ी सी चाय मेरे लंड के पास जांघों पर गिर गई। चाय गर्म थी इसलिए मैं जोर से चीख पड़ा। मेरी चीख सुनकर मामी खड़ी हो गईं और मेरी तरफ लपकी। इसी हड़बड़ाहट में वे चाय को मेज पर रखना भूल गईं और उनकी चाय जो कि आधी से भी कम बची हुई थी उनकी भी बुर के पास जांघों पर गिर गई।
मैंने फौरन ही चाय मेज पर रखी और मामी की तरफ़ लपक कर उनकी जींस पर से चाय झाड़ने लगा। चाय झाड़ते हुए कई बार मेरा हाथ उनकी बुर पर भी लगा।
मामी बोली- उफ! उधर तुम्हारी पैंट पर चाय गिरी और इधर मेरी पैंट पर!
और वो हा हा ही ही करके हंसने लगी। उनको हंसते देखकर मुझे भी हंसी आ गई। लेकिन चाय से होने वाली जलन से मेरी आँखों में आंसू आ गये थे।
उन्होंने कहा- मेरी पैंट तो भीग गई है उतारनी पड़ेगी!
और जब तक मैं कुछ समझता उन्होंने अपनी पैंट नीचे खिसका दी। अब उनकी केले के तने की तरह चिकनी जांघें चमचमा उठीं और मेरा लंड और भी तेजी से खड़ा हो गया।
उन्होंने कहा- यह देखो, यहाँ पर चाय गिरी है!
उन्होंने अपनी जांघ सोफे पर रखकर मुझे दिखाई। उफ्फ़! क्या गोरी गोरी चिकनी जांघें थी!
मैंने कहा- मामी, तुम्हारी जांघें कितनी चिकनी हैं!
तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी जांघों पर रख दिया और कहा- पहले मुझको इस दर्द से छुटकारा दिलाओ, फिर तारीफ करना!
मैंने कहा- मामी, तुम्हारी जांघें चाटनी पड़ेंगी तब तुमको इस दर्द से छुटकारा मिलेगा।
मामी ने कहा- चाहे जो करो, लेकिन जल्दी करो!
वे सोफे पर बैठ गईं। मैं मामी की जांघ को जोर जोर से चूमने चाटने लगा। करीब एक मिनट के बाद मैंने अपने हाथों से दूसरी जांघ भी सहलानी शुरू कर दी। मामी चुपचाप आंखें बंद किये मजा ले रही थीं और हल्के हल्के आह उह की आवाजें निकाल रही थीं। मैं जानता था कि चाय इतनी भी गर्म नहीं थी कि फफोले पड़ जायें लेकिन मामी चुदासी थीं, यह अब पता चल रहा था।
थोड़ी देर बाद मामी बोलीं- हाँ अब दर्द बहुत कम हो गया है!
तो मैंने कहा- मामी मैं दूसरी जांघ को भी चाट लूं!
तो उन्होंने पहले तो मुझे घूरकर देखा फिर धीरे से कहा- अच्छा जो चाहो, चाट लो!
तब मैंने दूसरी जांघ भी चूमनी चाटनी शुरू की और धीरे से अपना एक हाथ उनकी पैंटी पर फिराने लगा। मैंने देखा कि मामी की पैंटी पूरी गीली हो चुकी थी। पैंटी पर हाथ फिराते फिराते मैं उनकी बुर पर भी हाथ फिराने लगा जो कि एकदम गीली थी।
जब मामी कुछ नहीं बोली तो फिर मैं समझ गया कि रास्ता एकदम साफ है। मैंने धीरे से अपना हाथ उनकी पैंटी में डाल दिया और सहलाने लगा। अब मामी जोर जोर से ऊँह आह आह सीईईईईई आहहहह कर रही थीं। मैं समझ गया कि उनको मजा आने लगा है।
अब मैंने जांघे चाटनी छोड़ कर मुँह ऊपर उठाया तो मामी ने कहा- और जोर से चाटो! चाटना क्यों छोड़ दिया? मैंने कहा- मामी, मैं अब तुम्हारी बुर चाटना चाहता हूँ!
तो मामी ने गुस्से से मेरी तरफ देखा और कहा- मैंने पहले ही तुमसे कहा था कि जो चाटना चाहो ,चाटो! मुझसे पूछने की जरूरत नहीं है।
मैं फौरन अपना मुँह मामी की पैंटी के पास ले गया और उनकी बुर को ऊपर से ही चूसने लगा। फिर मैंने उनकी पैंटी को पकड़ा और मामी से कहा- अपने चूतड़ थोड़ा ऊपर उठाओ ताकि मैं तुम्हारी पैंटी को निकाल सकूं।
मामी ने बिना कुछ बोले अपने चूतड़ ऊपर उठाये और मैंने एक झटके से उनकी पैंटी निकाल दी।
वाह एकदम चमाचमा उठी उनकी चिकनी बुर! कामरस से भीगी हुई! कितने मोटे मोटे होंठ थे उनकी बुर के! एक भी बाल नहीं था! एकदम सफाचट थी!
मैंने उनकी बुर को खोला तो उनका लाल सुर्ख दाना चमक उठा और बुर का छेद पच्चीस पैसे के सिक्के जितना छोटा था। मैं तुरन्त ही अपना मुँह उनकी बुर के पास ले गया और चाटने लगा। मैं अब मामी की बुर के दाने को चुभला रहा था और मामी आहहहह उहह सीईईई ऊफफफ आहहह की जोरदार आवाज निकाल रही थीं और कह रही थीं- खा जाओ मेरी बुर को और अंदर तक जुबान डालो!
मैं अब मामी की बुर में जोर जोर से ऊँगली करने लगा लेकिन मेरी ऊँगली आसानी से अंदर नहीं जा रही थी, बडी ही कसी हुई बुर थी मामी की। उफ़्फ़! इतना मजा आ रहा था कि सारा वर्णन करना ही असम्भव है।
जब मैंने मामी की पूरी बुर चाट ली तो मैं हट गया और मामी का टॉप निकाल दिया। अन्दर उन्होंने ब्रा नहीं पहन रखी थी। अब मामी के मस्त कबूतर उछल कर बाहर आ गये। मैं मामी के दूधों को हल्के हल्के सहलाने लगा तो मामी ने मेरे हाथ अपनी चूचियों पर दबा दिये और कहा- जोर जोर से दबाओ।
मैंने दोनों चूचियों को पकड़ लिया और दबाने लगा। कितने कसे हुए दूध थे उनके! फिर उनकी घुडियों को अपनी ऊँगलियों में मसलने लगा। मामी के मुँह से वासनायुक्त सिसकारियाँ निकल रही थीं। धीरे से मैं अपना मुँह मामी के उभारों पर लाया और मुँह में भरभर कर जोर जोर से चूसने लगा। वाह बड़ा मजा आ रहा था!
फिर मैं मामी के होंठों और गालों को चूने चाटने लगा और अपनी जीभ मामी के मुँह में डाल दी। मामी उसको मजे से चूसने लगी। कुछ समय बाद मामी ने मुझको अपने से अलग किया और कहा- वाह, तुम तो सारे कपड़े पहने हुए हो और मुझे नंगा कर दिया?
मैंने मामी से कहा- तुम्हीं उतार दो!
और मामी ने मेरे सारे कपड़े उतार दिये। मेरा लंड जो कि 6 इंच लंबा और गोलाई लिए हुए 3 इंच मोटा था को देखकर मामी खुश हो गईं। मैंने मामी को खड़ा किया और उनके होंठ चूमने लगा, उनसे कहा- अपनी जीभ मेरे मुँह में डालो!
और मैंने अपनी जीभ उनके मुँह में डाल दी और हम दोनों एक दूसरे की जीभ को चूसने चाटने लगे। थोड़ी देर बाद मामी अपना मुँह मेरे लंड के पास लाईं और कहा कि तुमने मेरी बुर चूसी है, अब मैं भी तुम्हारा लंड चूसूंगी!
मामी मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने और आइसक्रीम की तरह चाटने लगी। मुझे बड़ा मजा आ रहा था, लग रहा था कि मैं जन्नत की सैर कर रहा हूँ। 5 मिनट तक मेरे लंड को चूसने के बाद मामी ने मुझे सोफे पर बिठा दिया और मेरे सामने घुटनों के बल बैठकर मेरा लंड चूसने लगीं और मेरी गोलियों को मुँह में भर लिया।
मैंने मामी से कहा- अब छोड़ दो, नहीं तो मेरा रस बाहर निकल आयेगा।
लेकिन मामी मानी नहीं और मेरा लंड चूसती रहीं। कुछ समय के बाद मेरा रस निकलने लगा तो मैंने मामी का चेहरा पकड़कर ऊपर उठाया लेकिन वो हट ही नहीं रही थी तो फिर मेरा लंड रस उनके मुँह में ही भर गया। कुछ तो मामी के मुँह से बाहर निकल गया और कुछ उन्होंने चाट लिया।
फिर मेरी तरफ सेक्सी निगाहों से देखती हुई अपने होठों को चाटने लगी। मैंने आगे बढ़कर मामी को बाहों में भर लिया और चूमने लगा। मैं कहने लगा- आपने तो मुझे स्वर्ग की सैर करा दी!
मामी हंसने लगी और मेरे सीने को सहलाने लगी। इससे मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। तब मामी मेरे घुटनों पर बैठकर मेरा लंड अपने हाथ में पकड़कर अपनी बुर के दाने पर घिसने लगी और जोर जोर से सीत्कारें भरने लगी। वे मेरे ऊपर बैठी हुईं थी जिससे कि उनकी बुर का पानी मेरे लंड को पूरा भिगो गया था और अब किसी चिकनाई की जरूरत नहीं थी। मामी ने मेरे लंड का अपनी बुर के छेद पर निशाना बनाया और धीरे धीरे बैठने लगी।
उफ़्फ़! बडा मजा आने लगा मुझे!
मेरा लंड बडा ही कसा हुआ उनकी बुर में घुस रहा था। मैंने देखा कि मामी ने अपने जबड़े भींच रखे थे और धीरे धीरे करके मेरे लंड पर जड़ तक बैठ चुकी थीं और उसके बाद मेरे होंठों को अपने होठों में भर लिया और चूसने लगी। मैं अपने हाथ उनकी कमर से चूचियों पर लाया और दोनों हाथों में भर कर दबाने लगा।
अब मामी सीईईईई सीसीसी आह अअहाहह की जोरदार आवाजें निकाल रही थी और ऊपर से झटका भी मार रही थी। पूरे कमरे में फच फच सीईसीइइइई और तेज और तेज तेज करो की जोरदार आवाजें हो रही थीं। करीब 5 मिनट तक मामी ऊपर से और मैं नीचे से एक दूसरे की चुदाई करते रहे और उसके बाद मामी का पानी निकल गया तो मामी रूक गईं और मुझसे कहने लगीं- बस अब और न करो!
लेकिन मेरा तो अभी रस निकला ही नहीं था इसलिए मैंने मामी से कहा- मेरा तो निकल जाने दो!
तो मामी मान गईं, मैंने मामी से कहा- घोड़ी बन जाओ!
और पीछे से मैं उनकी बुर में अपना मोटा लंड डाल कर धीरे धीरे चोदने लगा। कुछ समय के बाद मामी को फिर से मजा आने लगा तो मामी भी अपनी कमर को चलाने लगीं। मामी को चोदते हुए मैं उनकी गांड के छेद को फूलते पिचकते हुए देख रहा था और मुस्कुरा भी रहा था। मैंने मामी की बुर में एक अंगुली डाल कर उसको गीला किया और मामी की गांड में डाल दिया मामी उछल पडीं और उनकी सीत्कारें और भी तेज हो उठीं। मामी को इतना ज्यादा मजा आया कि वे फिर झड़ गईं।
कुछ समय बाद जब मुझे लगा कि अब मेरा भी निकल जायेगा तो मैंने मामी से कहा- मेरा वीर्य निकलने वाला है, कहाँ डालूं?
तो उन्होंने कहा- मेरी बुर में ही डाल दो! मेरा भी निकलने वाला है!
मैंने मामी से कहा कि ऐसे तो आपको बच्चा हो जायेगा तो मामी ने कहा- हो जाने दो! मैं तुम्हारा ही बच्चा पैदा करूंगी! तुम्हारे मामा तो बूढ़े हैं मैं तो तुम्हारा ही बच्चा पैदा करूंगी तो वो तुम्हारे जैसे ही खूबसूरत और बलिष्ठ होगा।
मामी को मैंने सोफे पर पीठ के बल लिटा दिया और उनकी बुर में अपना मोटा लंड खोंस कर धचाधच चुदाई करने लगा। 15-20 धक्के लगाने के बाद मामी चिल्लाने लगीं- मैं तो गई गई सीर्इसीसीसी ईई… ईसीई आह उह आह आह जोर से और जोर से! करने लगी तो मैं समझ गया कि मामी का निकलने वाला है।
मैंने मामी के दूधों को दोनों हाथों में भर लिया और जोर जोर से दबाते हुए धक्के लगाने लगा। 8-10 धक्कों के बाद मेरे मोटे लंड से रस निकलने लगा किन्तु मैं रूका नहीं और अन्दर तक पेलने लगा। जब मेरा पूरा लंड रस निकल गया तो मैं मामी की बुर में ही लंड डालकर मामी के उपर लेट गया। करीब दस मिनट बाद हमें होश आया तो हम दोनों शरमाने लगे।
मामी ने मेरे होठों को चूमकर कहा- सच जितना मजा तुम्हारे साथ आया, उतना तुम्हारे मामा के साथ कभी नहीं आया। आज मैं सही मायने में औरत बन पाई हूँ।
मैंने मामी से कहा- मैं आया तो एक दिन के लिए ही था लेकिन मैं अभी कुछ दिन और रूककर तुम्हारे साथ मस्ती करना चाहता हूँ।
तो मामी ने कहा- यही तो मैं भी कहने वाली थी, जितने दिन चाहो उतने दिन रूको।
और मैं चार दिनों तक मामी के यहाँ रूककर मजे करता रहा।
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