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प्रेषिका : दिव्या डिकोस्टा
रात आने को थी… मेरा दिल धड़कने लगा था। मुझे बहुत ही अजीब लग रहा था कि मेरी मां मेरे सामने ही चुदेगी ! कैसे चुदेगी … आह्ह्ह चाचा का कड़क लण्ड भला अन्दर कैसे घुसेगा ? यह सोच कर तो मेरी चूत में भी पानी उतरने लगा था।
रात का भोजन मैं और मम्मी साथ साथ कर रहे थे।
“मम्मी, एलू अंकल अच्छे है ना… “
“हूं, बहुत अच्छे है … प्यारे भी हैं !”
“प्यारे भी हैं … क्या मतलब … यानि आपको प्यारे हैं ?”
“अरे चुप भी रह ना, वो हमारा कितना ख्याल रखते हैं … घर को अपना ही समझते हैं ना !”
“मम्मी ! उन्हें यहीं रख लो ना … देखो ना उनका अपने अलावा और कौन है ? उनके तो कोई बच्चा भी नहीं है, बिल्कुल अकेले हैं… वो तो मुझे भी बहुत प्यार करते हैं।”
“हां, जानती हूँ… ” फिर मुझे वो मुस्करा कर देखने लगी। खाना खाकर मैं अपने कमरे में चली आई। कुछ ही देर में चाचा आ गये। मम्मी ने मुझे कमरे में झांक कर देखा, उन्हें लगा कि मैं सो गई हूँ। वो चुपचाप अपने कमरे में चली गई और कमरा भीतर से बन्द कर लिया। मैंने अपने लिये लाईव शो का इन्तज़ाम पहले से ही कर रखा था। उनके दरवाजा बन्द करते ही मैं चुपके से कमरे से बाहर आ गई और खिड़की को ठीक से देखा। अन्दर का दृश्य साफ़ नजर आ रहा था। मेरा दिल धड़क रहा था कि मां की चुदाई होगी।
मां धीरे धीरे शरमाते हुए अंकल की तरफ़ बढ़ रही थी। उनके पास आ कर वो रुक गई और अपनी बड़ी बड़ी आंखों से उन्हें निहारने लगी।
“माया, तुम कितनी सुन्दर हो … “
मां ने नजर नीची कर ली। अंकल ने आगे बढ़ कर मम्मी को प्यार से गले लगा लिया। मां तो जैसे उनसे चिपट सी गई। दोनों के लब एक दूसरे से मिल गये।
गहरे चुम्बनों का आदान प्रदान होने लगा। मां की लम्बाई चाचा के बराबर ही थी, मां के भारी भारी चूतड़ों को अंकल ने दबा दिया। मां के मुख से एक प्यारी सी आह निकल पड़ी। पजामे में से अंकल का लण्ड उभर कर बाहर निकलने हो हो रहा था। मम्मी ने एक बार नीचे उनके लण्ड को देखा और अपना पेटीकोट उनके लण्ड से टकरा दिया। अब वो अपनी चूत वाला भाग लण्ड पर दबा रही थी।
अंकल ने अपने दोनों हाथों से मम्मी की चूचियों को सहला कर दबा दिया। मम्मी सिमट सी गई।
“माया, मेरे लण्ड को प्यार करोगी… ?”
मम्मी धीरे से नीचे बैठ गई और उनके पजामे का नाड़ा खोल दिया। उसे धीरे से नीचे उतार दिया। अंकल का लण्ड बाहर आ गया। सुपाड़ा पहले से ही खुला हुआ था। मां ने मुस्करा कर ऊपर देखा और लण्ड को अपने मुख में डाल दिया। अंकल ने मस्ती में अपनी आंखें बन्द कर ली। अंकल के हाथ मां के ब्लाऊज को खोलने में लगे थे। मम्मी ने उनका लण्ड चूसना छोड़ कर पहले अपना ब्लाऊज उतार दिया।
हाय रे ! मम्मी के उरोज तो सच में बहुत सधे हुये थे। हल्का सा झुकाव लिये, चिकने और अति सुन्दर।
मम्मी ने फिर से उनका लण्ड अपने मुख में ले लिया और चूसने लगी। अंकल के हाथ मम्मी के बालों में चल रहे थे, उनके बाल खुल गये थे। उन्होने मां को अब उठा कर अब खड़ा कर लिया और उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल कर उसे नीचे गिरा दिया।
“माया, मुझे भी आप अपनी चूत को प्यार करने की इजाजत देंगी?”
पहले तो मां शरमा गई। फिर वो बिस्तर पर लेट गई और अपनी दोनों टांगें ऊपर खोल ली।
“हाय … माया … इतनी चिकनी, इतनी प्यारी … लण्ड लगते ही भीतर फ़िसल जाये !”
“ऐसे मत बोलो, बस इसे चूम लो, फिर चाहे जो करो। भले ही उसे अन्दर उतार दो !”
मां को चुदने की बहुत लग रही थी, पर अंकल ने अपना मुख मम्मी की चूत पर लगा दिया। उनके दाने को उनके होंठों ने मसल दिया। मम्मी अपनी चूत उछालने लगी। मेरी चूत में भी यह देख कर पानी उतर आया। मैं अपने कमरे में से जा कर अंकल का दिया हुआ डिल्डो उठा लाई। पहले तो मैं अपनी चूत को दबाने लगी।
मां तो खुशी के मारे जैसे उछल रही थी। पर अंकल चूत से चिपके हुये उसका रस चूसने में लगे थे।
“अब तड़पाओ मत … जैसा मैं कहूँ वैसा करो !”
“पीछे घूम जाओ, तुम्हारी चिकनी गाण्ड पहले मारूंगा !”
“ओह, तुम्हें गाण्ड मारना अच्छा लगता है… कोई बात नहीं … दोनों तरफ़ छेद है, किसी को भी चोद दो ! पर पहले मुझे मुठ मार कर दिखाओ ना !”
“ओह, जैसी माया जी की इच्छा… “
चाचा नीचे बैठ गए और मुठ मारने लगे। मां बहुत ध्यान से मुठ मारते हुये देखने लगी। मां के मुख से बीच बीच में सिसकी भी निकल जाती थी। वो अपने कठोर लण्ड को मुठ मारते रहे और मां ने अपनी चूत घिसना चालू कर दिया।
जैसे ही अंकल का वीर्य छलक पड़ा। मां के मुख से भी सीत्कार निकल पड़ी।
“इसमें आपको बहुत मजा आता है ना… ?” उनके लण्ड को मां ने हिलाया, मां ने अंकल को अपने चिकने बोबे से लगा दिया और उसे उनकी छाती पर घिसने लगी।
“माया, अब तुम्हारी बारी है … चलो शुरू हो जाओ !”
मां भी जमीन पर बैठ गई और अपनी चिकनी चूत को पहले तो सहलाने लगी। फिर चूत की धार को मसलने सी लगी। फिर मां ने अपना दाना उभार कर देखा और उसे मसलने लगी। फिर उन्होंने अपनी गीली चूत में अपनी अंगुली घुसा ली और आह भरते हुये हस्तमैथुन करने लगी। मां जल्दी ही झड़ गई, वो शायद पहले ही उत्तेजित थी।
मां के झड़ते ही अंकल मां की चूत का रस चूसने लगे। मां ने उन्हें अपनी जांघों के बीच दबा लिया।
“अब देखो, मैं तैयार हूँ, अब मैं तुम्हारी जम कर गाण्ड चोदूंगा… मजा आ जायेगा !”
मां ने घोड़ी बन कर अपनी सुडौल गाण्ड पीछे की ओर उभार दी। अंकल तो गाण्ड मारने में उस्ताद थे ही। उन्होंने धीरे से लण्ड गाण्ड में डाल दिया और मां मस्त हो गई। मुझे देखने में बहुत आनन्द आ रहा था। मम्मी की गाण्ड अंकल ने बहुत देर तक बजाया। मम्मी भी अंकल के स्खलित होने तक गाण्ड चुदाती रही।
मम्मी की गाण्ड मार कर अंकल सुस्ताने लगे।
“जूस पियोगे या दूध लाऊँ?”
“अभी तो दूध ही पियूंगा, फिर जूस… “
मां जैसे ही उठी दूध लाने के लिये, चाचा ने उन्हें फिर से गोदी में खींच लिया और उनकी चूचियों को अपने मुख से दबा लिया।
“कहां जा रही हो, दूध नहीं पिलाओगी क्या ?”
और मां को गुदगुदाते हुये दूध पीने लगे।
हुंह … मां के खूब चूस चूस के पी रहा है … मेरे तो चूसता ही नहीं है !
मां गुदगुदी के मारे सिसकियाँ भरने लगी।
“बहुत प्यारे हो एलू तुम तो … कैसी कैसी शरारते करते हो… “
दोनों नंगे ही एक दूसरे के साथ खेल रहे थे… खेलते हुये उन दोनों में फिर से आग भरने लगी थी। अंकल का लण्ड फिर से फ़ुफ़कारने लगा था।
“अब देरी किस बात की है?” मां ने अनुरोध किया।
“बस हो गया ना … अब कल के लिये तो कुछ छोड़ो !”
“बस एक बार, मेरे ऊपर चढ़ जाओ … मुझे शांत कर दो !”
“कहीं कुछ हो गया तो … ?”
“कुछ नहीं होगा, मेरा ऑप्रेशन हो चुका है … अब तो आ जाओ !”
अंकल का चेहरा खिल गया। मां ने अपनी दोनों खूबसूरत सी टांगें उठा ली। अंकल उन टांगों के बीच में समा गये। कुछ ही पलों में अंकल का मोटा लण्ड मां की चूत को चूम रहा था। चाचा का लण्ड मां की चूत में घुसता चला गया। मां खुशी से झूम उठी। मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया, मैंने डिल्डो को धीरे से अपनी चूत में घुसा लिया, मुझे भी एक मीठी सी गुदगुदी हुई।
मेरी मां अपनी टांगें ऊपर उठा कर उछल उछल कर चुदवा रही थी। मेरा हाल इधर खराब होता जा रहा था। मां की मधुर चीखें मेरे कानों में रस घोल रही थी। दोनों गुत्थम-गुत्था हो गये थे। कभी अंकल ऊपर तो कभी मम्मी ऊपर ! खूब जम कर चुदाई हो रही थी। मां को इस रूप में मैंने पहली बार देखा था। वो एक काम की देवी लग रही थी। लगता था जिन्दगी भर की चुदाई वो दोनों आज ही कर डालेंगे।
तभी दोनों का जोश ठण्डा पड़ता दिखाई देने लगा। अरे ! क्या दोनों झड़ चुके थे? सफ़र की इति हो चुकी थी। वो दोनों झड़ चुके थे।
मैं अपने कमरे में आ गई और चूत में डिल्डो को फ़ंसा कर अन्दर बाहर करने लगी। साथ में अंकल को गालियाँ भी देती जा रही थी- साला, बेईमान, झूठा ! मम्मी को तो बुरी तरह चोद दिया और मुझे… हरामी घास भी नहीं डालता है।
अब किसे क्या बताऊं, मैं भी तो जवान हूँ, मुझे भी तो एक मोटा, लम्बा, कड़क … हाय, हां … बस आपके जैसा ही… ऐसा ही तो लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ना है। प्लीज आईये ना !!!
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