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इस प्रकार दो दिन मस्ती से गुजार कर घर लौट आया ! घर आकर मैंने सीमा दीदी और विजय भैया को सारी बातें बताई और हम तीनों ने कई दिनों तक उसी तरीके से काफी मजे किये।
फिर मैं अपने एक केमिस्ट दोस्त के पास गया, उससे पूछा- क्या ऐसी कोई दवाई है जिससे कोई जल्दी से डिसचार्ज ना हो सके?
उसने कहा- है ना ! उसको वियाग्रा कहते हैं और मुश्किल से ही मिलती है ! अगर कोई खाकर किसी लड़की या औरत पर चढ़ जाये तो साला तीन चार घंटे तक उतरने का नाम ही नहीं लेगा ! लकिन बहुत प्रचलित नहीं है इसलिए बहुत मुश्किल से मिलती है !
मैंने उससे कहा- यार, जैसे भी हो कुछ गोलियाँ मंगवा दो ! लेकिन जल्दी करना, वर्ना तेरे दोस्त की नाक कट जायेगी !
उसने कहा- दो चार दिन तो लग ही जायेंगे !
मैंने कहा- ठीक है जल्दी मंगवाना !
तीन चार दिन बाद उसने मुझे चार गोलियाँ दी और पूछने लगा- क्या करोगे ?
मैंने उसे टाल दिया। फिर सीमा दीदी के ससुराल जाने का जुगाड़ बैठाने लगा ! मेरी किस्मत अच्छी थी कि मुझे कुछ नहीं करना पड़ा। घरवालों ने कहा- संजय, यह सामान सीमा की ससुराल पहुँचाना है ! अंधे को क्या चाहिए- दो आँखें !
मैं तुंरत तैयार हो गया और कहा- सुबह जल्दी निकल जाता हूँ जिससे उसी दिन लौट सकूँ !
मैं सुबह जल्दी निकाल पड़ा जिससे जीजू और उनके माता पिताजी के काम पर जाने के पहले ही पहुँच सकूँ ! पर रास्ते में बस के ख़राब हो जाने की वजह से परेशान था कि अगर समय पर नहीं पहुँचा तो शायद घर पर कोई नहीं मिलेगा और दिन भर परेशानी होगी।
जैसे ही मैं घर पंहुचा, मेरे आश्चर्य का कोई ठिकाना नहीं रहा! घर पर टीना मौजूद थी। वह भी मुझे देखकर ताज्जुब में पड़ गई और खुशी से मुझसे लिपट गई और चुम्बनों से मेरा चेहरा लाल कर दिया। फिर उसने मुझे पानी पिलाया और कहा- थोड़ा इंतजार करो, खाना तो बना हुआ है, बस रीना आ जाती है तो तीनों मिलकर खायेंगे ! तब तक चलो एक राउंड हो जाये !
मैंने तब तक एक गोली खा ली थी !
मैंने उसे कहा- रीना को आ जाने दो और मैं भी फ्रेश हो जाता हूँ !
फिर मैं नहाने चला गया। आकर देखा तो रीना आ चुकी थी और मेरे बाहर आने का इंतजार दोनों कर रही थी। रीना तुंरत आकर मुझसे लिपट गई। मैंने भी दोनों की चूचियाँ दबाकर और उन दोनों ने मेरा लंड सहलाकर स्वागत किया। फिर जल्दी से खाना खाकर टीवी देखने लगे। इधर मुझे चैन कहाँ ? हाँ चैन तो उनको भी नहीं था ! वे दोनों मेरे दोनों बगल में बैठ गई और मेरा हाथ पकड़कर अपनी अपनी चूचियों पर रख दिया और मेरा लंड पैंट में से निकालने लगी।
मैंने कहा- क्यों तकलीफ करती हो ? जो होना है उसमें कपड़ों का क्या काम !
ऐसा कह कर हम सबने अपने अपने कपड़े उतार दिए। पहले तो हम वहीं सोफे पर ही बैठे थे बाद में कारपेट पर आ गए। वहाँ पर भी असुविधा होने पर बेडरूम में आ गए।
मैंने उनसे कहा- आज दोनों को ऐसा चोदूंगा कि जब भी किसी से चुदवाओगी तो एक बार मेरा नाम जरुर याद करोगी कि किसी ने चोदा था !
उन्होंने कहा- तेरे जैसे बहुत देखे हैं ! अभी तेरे को दस मिनट में चूसकर निचोड़ लेंगी। पिछले बार की चुसाई भूल गए क्या ? कैसे निढाल हो गए थे?
फिर उन्होंने मेरे लंड को बारी बारी से चूसना चालू किया पर मेरा लंड तो मेरे काबू में नहीं था! मैंने पहले रीना को पकड़ कर चोदना चालू किया तो साली तीस मिनट में ही टें बोल गई, कहा- संजय, अ़ब बर्दाश्त नहीं होता ! मैं तो तीन बार झड़ चुकी हूँ, पहले एक बार टीना को कुछ देर मजा लेने दे!
टीना ने कहा- आज मैं तेरे को चोदूंगी !
मैंने कहा- नेकी और पूछ-पूछ ! जल्दी से ऊपर आ जा !
मेरा लंड तो आसमान की तरफ मुँह किये खड़ा था, टीना अपनी दोनों टांगें मेरे दोनों ओर करके बैठ गई और अपनी चूत को मेरे लंड पर रखकर धम से मेरे लंड पर बैठ गई ! मेरा लंड उसकी चूत को फाड़ता हुआ पूरा अन्दर बैठ गया ! टीना एक बार तो चिल्ला उठी, फिर धक्के पर धक्के लगाने लगी। वह जल्दी ही थक गई ! भला यह काम लड़कियों का कहाँ ! उसने कहा- संजय, मैं तो थक चुकी हूँ ! अ़ब जल्दी ऊपर आ जा और मेरी चुदाई चालू कर !
मैंने ऊपर आकर उसकी जो चुदाई चालू की, उसने तोबा बोल दी ! इधर रीना मुझे उत्तेजित करने के लिए कभी मेरे मुँह से अपना मुँह मिलाकर मेरी जीभ चूसती और कभी मेरी छाती के चुचूक को चूसती। पर मैं कहाँ रुकने वाला था, एक घंटे तक दोनों को चोदता ही रहा ! दोनों चिल्ला चिल्ला कर कहने लगी- आज तो तुमने हमारी चूत को भोसड़ा बना दिया ! अ़ब जब भी चुदेंगी, तेरे को जरुर याद करेंगी ! हमने काफी चुदवाया है पर तुम जैसा कोई नहीं मिला ! जिससे तेरी शादी होगी वह बहुत खुशनसीब होगी। क्यों ना तुम मुझसे ही शादी कर लो !
मैंने कहा- हमारा समाज इसकी इजाजत नहीं देता और मेरे और तेरे घरवाले भी नहीं मानेंगे। इसलिए जैसा चल रहा है वैसा ही चलने दो, जब कहोगी तब आ जाया करूँगा !
इस प्रकार मैं वापस जाने के लिए तैयार होने लगा तो उन्होंने कहा- माँ-पिताजी के आने के पहले नहीं जाने देंगी !
और मुझे रुकना पड़ा। जब जीजू, उनके माँ-पिताजी आये तो बहुत देर हो चुकी थी और उनके कहने पर मुझे रुकना पड़ा !
रात को रीना, टीना ने जीजू को दिन की घटना के बारे में बताया तो वो मुझसे पूछने लगे- कोई दवाई खाई थी क्या ? जैसा ये कह रही हैं, तुमने तो सीमा की चूत को भोंसड़ा ही बना दिया होगा, मेरे लिए कुछ छोड़ा है क्या ?
मैंने कहा- नहीं जीजू ! ऐसी कोई बात नहीं है, रात को देख लेना, दोनों फिर से चुदवाने को तैयार मिलेंगी।
रात को खाना खाने के बाद हम लोगों की महफ़िल जमी ! मैंने गोली नहीं ली ! जब हम कमरे में गए तो रीना और टीना ने कपड़े उतारते हुए अपनी अपनी चूत जीजू के सामने कर दी और कहा- देखो भैया, कैसे सुजा दी है !
जीजू और मैंने देखा कि रीना की चूत सामान्य ही थी पर टीना की चूत कुछ फूली हुई थी।
मैंने कहा- जब तू ऊपर चढ़ेगी तो यही तो होगा ना !
इस तरह हम दोनों ने रीना, टीना को दो दो बार चोदा और सो गए !
सुबह मैं वापस आ गया !
दस दिनों में ही सीमा दीदी और भैया की शादी फिक्स हो गई ! पहले दीदी की शादी थी और एक हफ्ते बाद भैया की ! शादी में करीब दो महीने बाकी थे ! दोनों शादियाँ बहुत धूमधाम से हुई ! एक तरफ दीदी गई दूसरी तरफ भाभी आ गई ! भैया को तो चुदाई का परमानेंट लाइसेंस मिल गया, मैं सोचने लगा कि अ़ब मेरा गुजारा कैसे होगा !
खैर जैसे तैसे दिन गुजरते गए ! मैं बैचैन रहने लगा !
भैया ने पूछा- क्या बात है संजय? आज कल बहुत बैचैन रहते हो?
मैंने कहा- भैया, आपकी तो मौज है ! मुझे तो रात सूखी ही काटनी पड़ती है !
भैया ने कहा- तेरी भाभी बहुत चुद्दकड़ है ! लगता है बहुत खेली खाई हुई है, बस एक बार उसे अपना लंड दिखा दे, साली, अपने आप ही चुदने आ जायेगी ! मैंने उससे शादी के पहले की चुदाई की बात की तो साली फूटी ही नहीं ! तो मैंने भी कुछ नहीं बताया ! अगर एक बार तुझसे चुद लेगी तो खुद ही अपना भांडा फोड़ देगी !
मैं तो घर पर ही रहता था, मेरे पास समय भी था।
मैं अगले दिन से ही भाभी पर लाइन मारने लगा, उनसे मजाक करने लगा और उनकी चूचियों को निहारने लगा !
उन्होंने कहा- क्यों देवरजी, क्या बात है ?
मैंने कहा- भाभी, अकेले मन नहीं लगता ! कभी तो मेरे कमरे आ जाया करो जिससे बातें ही करके समय गुजर सके ! आपका भी तो समय मुश्किल से ही कटता होगा ?
दूसरे दिन खाना खाकर भाभी को बोलकर कि कमरे में जा रहा हूँ, कोई काम हो तो बुला लेना !
भाभी को भी चैन नहीं था ! मैं कमरे में जाकर एक सेक्सी नॉवल निकाल कर पढ़ने लगा। मेरा लंड खड़ा था और मैं उसे मसल रहा था। जब नहीं रहा गया तो मैं लंड निकालकर मुठ मरने लगा। कमरे का दरवाजा मैंने जानबूझ कर थोड़ा खुला छोड़ दिया था कि अगर भाभी उधर आये तो देख सके !
मैंने महसूस किया कि भाभी दरवाजे की झिर्री से मुझे देख रही है ! जब तक मेरा नहीं हो गया तब तक वहाँ से हटी ही नहीं !
दो घंटे बाद जब मैं कमरे से निकला तो भाभी ने पूछा- क्यों देवरजी ! कमरे में क्या कर रहे थे?
मैंने कहा- कुछ नहीं भाभी, सो रहा था !
उन्होंने कहा- तुम सो नहीं रहे थे !
मैंने पूछा- बताओ ना क्या कर रहा था?
उन्होंने कहा- शर्म आती है !
मैंने कहा- जब देख ही लिया तो शर्माना क्या !
मैं भाभी के पास सरक आया और कहने लगा- बताओ ना !
वो फिर भी कुछ नहीं बोली तो मैंने उनका हाथ पकड़कर अपने पास खींचते हुए कहा- जब देख ही लिया है तो शर्माना क्यों !
वो नजरें नीची करके बोली- नहीं देवरजी, मुझे शर्म आती है !
मैंने कहा- अ़ब बता भी दो !
तो उन्होंने कहा- तुम कोई किताब पड़ते हुए अपने उसको हिला रहे थे !
मैंने पूछा- किसको ?
तो भाभी चुप रह गई !
मैंने फिर से पूछा तो उन्होंने कह ही दिया कि अपने लौड़े को !
मैंने कहा- भाभी, अगर फिर से और अच्छी तरह देखने का मन हो तो बता दो ! किसी को पता भी नहीं चलेगा !
मैं खुश हो गया कि चिड़िया जाल में फंस चुकी है ! मैं धीरे धीरे अपना हाथ उनके बोबे पर ले जाने लगा। वो कुछ नहीं बोल रही थी। जब मैं उनके बोबों को दबाने लगा तो उन्होंने कहा- देवरजी, क्या कर रहे हो ? कोई देख लेगा तो गजब हो जायेगा !
मैंने कहा- किसी को भी पता नहीं चलेगा और अपना काम भी बन जायेगा !
उन्होंने कहा- डर लगता है !
मैंने कहा- सब कुछ मुझ पर छोड़ दो ! अ़ब तुम मुझे देवरजी ना कह कर नाम से पुकारा करो !
कहते हुए उनका हाथ मेरे लंड पर रख दिया ! वो मजे ले ले कर मेरे लंड से खेलने लगी !
मैंने कहा- चलो भाभी, कमरे में चलो !
उसने कहा- नहीं, यहीं ठीक है, कोई आया तो तुंरत गेट खोल सकेंगे !
मेरा लंड तो उनके हाथ में ही था, फिर कहने लगी- संजय, तेरा लंड तो तेरे भैया से भी अच्छा है ! मुझे इसका स्वाद लेना है,
भाभी, अ़ब तो यह तुम्हारा हो चुका है, जैसी तुम्हारी इच्छा !
मेरे और कुछ बोलने के पहले ही भाभी मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी। इधर मैं भाभी के बोबे दबा रहा था। मैंने कहा- भाभी, कपड़ों के ऊपर से मजा नहीं आ रहा है।
उन्होंने कहा- मजा तो मुझे भी नहीं आ रहा है पर शादी को अभी दस दिन ही हुए हैं, कब कौन टपक पड़ेगा, कोई भरोसा नहीं !
भाभी ने कहा- संजू राजा, चलो एक बार चोद दो !
मैंने कहा- जब तक मुझे बोबे चूसने नहीं दोगी मैं कुछ नहीं करूँगा !
उन्होंने हथियार डाल दिए और अपने बोबे आजाद कर दिए।
वाह क्या बोबे थे ! मैंने उनको चूस चूस कर लाल कर दिया और वो भी बेकाबू होने लगी। फिर मैंने जो उनकी चुदाई की कि वो मेरा लोहा मान गई !
मैं सोचने लगा कि ऐसा कुछ किया जाये कि दिन में भी भाभी को खुलकर चोदा जाये ! फिर मेरे दिमाग में एक विचार आया !
दूसरे दिन सबके चले जाने के बाद मैं पिछला गेट से निकला और मैं गेट पर ताला लगाकर फिर पिछले गेट से अन्दर आ गया! भाभी को कुछ पता ही नहीं चला !
मैं घर में घुसते ही अपने सब कपड़े उतारकर केवल अंडी में ही आकर भाभी को छेड़ने लगा।
भाभी ने कहा- क्या करते हो ? कोई आ जायेगा !
मैंने कहा- कोई नहीं आ सकता ! अगर कोई आ भी गया तो गेट पर ताला देखकर अपने आप चला जायेगा !
भाभी ने कहा- राज्जा, बहुत उस्ताद हो गए हो !
मैं भाभी के बोबे दबाने लगा साथ ही साथ उनके कपड़े भी उतारने लगा ! वो भी मेरा साथ देने लगी और हम दोनों एकदम नंगे हो गए !
मैं भाभी को लेकर कमरे में आ गया और हम दोनों किसी को भी सब्र नहीं था। भाभी ने मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में ले लिया और आगे पीछे करने लगी ! मैं भी उनकी चूचियां दबाने लगा जो कि एकदम सख्त हो गई थी और चूसने लगा। उधर भाभी भी मेरा लंड चूसने लगी। इसमें कुछ दिक्कत हो रही थी इसलिए मैं भाभी को 69 के अवस्था करके लंड चूसाते हुए उनकी चूत को छेड़ने लगा तो भाभी ने कहा- रज्जा, मेरी चूत चूसो ना !
मैं भाभी की चूत चूसने लगा। दोनों को भरपूर मजा आ रहा था !
भाभी ने कहा- अ़ब अपना वीर्य मेरे मुँह में डाल कर मुझे निहाल कर दो !
मैं भी तेज तेज अपना लंड उनके मुँह में करने लगा ! फिर मैं भाभी के मुँह में झड़ गया उन्होंने मजे ले ले कर पूरा रस चूस लिया और साथ ही वो भी झड़ गई। मैंने भी उनका पूरा रस चूस लिया फिर दोनों ने एक दूसरे को चाट चाट कर साफ किया। फिर बैठ कर बातें करने लगे !
मैंने भाभी से पूछा- भाभी यह तो बताओ कि सबसे पहले तुमको किसने और कैसे चोदा?
भाभी ने कहा- मुझे शर्म आयेगी, तुम अपनी बताओ !
मैंने कहा- पहले तुम बताओ !
मैंने जिद करके भाभी को सब कुछ बोलने पर मजबूर कर दिया जो अगले अंश में लिखूंगा !
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