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खुल्लम-खुल्ला प्यार करेंगे-1
शाम गहरी होते ही दोनों साहिल के घर पहुँच चुके थे। साहिल राज के पास आ कर बैठ गया और उनके शराब के जाम चलने लगे। रूपल और अंजलि भी धीरे धीरे बातें करने लगी थी।
‘क्या बातें हो रही है…?’ साहिल ने पूछा। ‘अकेले अकेले पिये जा रहे हो, पूछ भी नहीं नहीं रहे है।’ अंजलि ने शिकायत भरे स्वर में कहा। ‘पहले अपने गिफ़्ट कबूल करो, फिर एक एक जाम!’
दोनों खुशी से उछल पड़ी। साहिल ने दो पैकेट राज को दिये। खुद ने भी दो अलग रख दिये। ‘अब हमारी गोदी में आ जाओ तो मिलेगा!’ अंजलि उठ कर राज की गोदी में बैठ गई।
‘जानू, मेरी गोदी में तो तुम रोज ही बैठती हो , आज साहिल को खुश कर दो!’ अंजलि इठला कर उठी और मुस्कराते हुये तिरछी नजरों से साहिल को देखा, उसका लण्ड खड़ा था। उसने अपनी चूतड़ पीछे उभारी और उसके उभार को देख कर अपने चूतड़ सेट करके धीरे से बैठ गई। रूपल थोड़ा शरमा रही थी, वो बस राज के पास आकर खड़ी हो गई। राज ने अपनी पैन्ट की ज़िप खोल दी और अपना लण्ड बाहर निकाल लिया। ‘आ जाओ, आपकी गद्दी तैयार है।’ ‘धत्त, साहिल के सामने ही…’ रूपल शर्मा उठी।
‘गिफ़्ट नहीं लेना क्या…’ राज ने रूपल की साड़ी ऊँची कर दी और उसके नंगे चूतड़ों को अपने कड़क लण्ड पर रख दिया। राज ने अपना लण्ड ठीक से दरार में फ़िट कर लिया।
‘ये आपका गिफ़्ट…’ साहिल ने अंजलि को एक सोने का हार और बालियों का सेट भेंट कर दिया। उसे देखते ही वो उससे लिपट गई और उसे चूमने लगी। राज ने भी वैसा ही सेट रूपल को दे दिया। उसने भी अपनी खुशी राज को चूम कर जाहिर की और उसकी गोदी में उछल सी पड़ी। और… और… लण्ड रूपल की गाण्ड में घुस गया। रूपल की आंखे खुली की खुली रह गई और उसने राज की तरफ़ आश्चर्य से देखा।
‘शैतान…! मेरी!’ और उसके अधर से अधर मिला दिये। साहिल ने भी राज को देखा, अंजलि ने भी इतरा कर कहा- अब मेरी भी मार दो ना, साहिल!’
‘राज, रूपल को छोड़ दे, साला फ़ाऊल कर रहा है’ साहिल ने राज को झिड़की दी।
‘ओह सॉरी…’ उसने धीरे से रूपल की गाण्ड से अपना लण्ड बाहर निकाल लिया।
‘अब चलो, अपनी जगह बैठ जाओ और एक पैग पी लो, और फिर दूसरा गिफ़्ट।’
दोनों उठ कर सोफ़े पर बैठ गई। चारों ने एक एक पैग पूरा पी लिया। साहिल ने एक पतला लम्बा सा पेकेट राज की ओर उछाल दिया।
‘ये लो…’ दोनों पैकेट दोनों ने आगे झुक कर भेंट कर दिये।
उत्सुकतापूर्वक दोनों ने पैकेट खोला और फिर दोनों चीख उठी- ये क्या… हाय रे! तुम दोनों कितने खराब हो?’
दोनों के हाथ में एक साधारण लम्बाई का पतला सा डिल्डो था। राज और साहिल दोनों ही जोर से हंस पड़े।
अंजलि बोली- अब देखो कमाल!’
‘अरे नहीं अंजलि… मत करो ये… शरम आयेगी।’ रूपल ने उसे रोका।
‘अभी तो राज का लौड़ा खाया था, फिर क्या है?’ अंजलि शराब और वासना में बहक रही थी।
शायद यह एक पैग का भी असर था। उसने अपनी साड़ी उतार दी। मजबूरन रूपल को भी उतारनी पड़ी। यह देख कर राज और सहिल ने एक दूसरे को देखा और उनके कपड़े भी उतर गये। अब चारों नंगे खड़े थे। रूपल राज से जाकर लिपट गई और अंजलि साहिल से चिपक गई। वो सभी धीरे धीरे पास के कमरे में जमीन पड़े बिस्तरों की ओर बढ़ चले। इस कमरे को खाली करके पूरे कमरे में नीचे ही मोटे मोटे गद्दे डाल दिये थे।
रिमोट से उन्होंने एयर कन्डीशन चालू कर दिया। वहाँ पहुँचते ही वो नीचे बिस्तर पर लोट लगाने लगे। राज और साहिल को लगा कि जैसे दो मछलियाँ बिन पानी के तड़पती है, वैसे ही ये चुदने के लिये तड़प रही हैं। दोनों की चूत गीली हो चुकी थी।
‘राज तुम घोड़ी बनो…’ रूपल ने राज को घोड़ी बना दिया और वही डिल्डो लेकर राज की गाण्ड की तरफ़ आ गई। डिल्डो उसने गाण्ड पर सेट किया और अन्दर घुसा दिया। थूक से चिकना डिल्डो उसकी गाण्ड में सरक गया। दूसरी और अंजलि भी यही कर रही थी। रूपल ने डिल्डो गाण्ड में पूरा उतार दिया और अन्दर बाहर करने लगी। रूपल और अंजलि दोनों ऐसा करके बहुत उत्तेजना महसूस कर रही थी।
‘ऐ अंजलि, डिल्डो का मजा आया ना…! ‘ रुपल हंसी में चीखते हुये बोली।
‘इन्हीं से इनकी शुरूआत अच्छी रही…’ अंजलि भी नशे में हंसने लगी।
दोनों का लण्ड मस्ती से फ़ूलने लगा था। बेहद कड़क भी होने लगा था। यह देख कर रूपल ने राज का लौड़ा थाम लिया और उसे घिस कर और उत्तेजित करने लगी। राज का शरीर मीठी सी गुदगुदी के कारण तन सा गया। रूपल ने डिल्डो को गाण्ड में पूरा घुसा दिया और स्वयं उसके शरीर के नीचे घुस गई।
‘ना ना… डिल्डो मत निकालो, बस अपना असली डिल्डो मेरी चूत में गड़ा दो…
देखो, तुम्हारा लौड़ा कैसा फ़ूल रहा है!’
‘डिल्डो के मजे से ही तो मेरा लौड़ा तन कर फ़ट रहा है… अब चुदोगी तो मजा आयेगा।’
राज की ग़ाण्ड में पतला सा डिल्डो किसी रॉड की भांति घुसा हुआ था। वो धीरे से रूपल के ऊपर चढ़ गया। रूपल ने चुदने के लिये अपनी दोनों टांगे चौड़ा दी।
उसकी गीली चूत राज ले लण्ड को घुसने का न्यौता दे रही थी। राज और साहिल ने एक दूसरे को देखा, साहिल ने राज को आंख मारी, राज मुस्कुरा दिया। राज ने अपना लण्ड पकड़ कर हिलाया और उसकी चूत पर रगड़ा। उसका लण्ड गीला हो गया।
अब उसने अपना लाल सुपाड़ा उसके उभरे हुये दाने पर रख कर दबा दिया। रूपल सिसक उठी। उसके लाल टोपे से उसका दाना रगड़ने लगा।
‘राज… अब बस करो… पूरा अन्दर घुसेड़ दो ना… हाय रे मेरी मां…’
राज के सुपाड़े की दरार में उसके दाने की मीठी चुभन कहर ढा रही थी। उसने हाथ से पकड़ कर अपने लौड़े को जोर जोर से हिलाया और उसकी चूत के द्वार पर तीन चार बार जोर जोर से मारा… रूपल वासना के मीठे दर्द से तड़प गई। तब राज ने अपना लण्ड हाथ से पकड़ कर उसकी करारी चूत में रख कर अन्दर डाल दिया।
रूपल ने अपनी आंखे बन्द किये उसे जोर से अपनी ओर खींच लिया। वो अपने हाथों के बल पर रूपल पर छा गया। रूपल में अपना हाथ पीछे ले कर उसका डिल्डो पकड़ कर उसकी गाण्ड में भींच दिया। दोनों लौड़े उनकी गहराईयाँ नापने लगे थे।
उधर अंजलि भी साहिल से चिपके जा रही थी। उसकी चूत में भी साहिल का लण्ड गहराई तक घुसा हुआ था। अंजलि की सिसकारियाँ राज तक आ रही थी।
‘अंजू… चुदा लो तबीयत से… साहिल, जरा मस्ती से चोदना मेरी बीवी को…’
‘मेरी बीवी तो तुझसे चुदाने को मरी जा रही थी, साली का चोद चोद कर कचूमर निकाल देना!’ फिर जोर से हंस दिया।
‘राज, उधर मत देखो… वो तो चुदेगी ही, मेरी मारो ना जरा जोर से…’ रूपल ने राज का ध्यान अपनी ओर खींचा। राज के हाथ रूपल के सीने पर चल रहे थे… रूपल ने उसे अपनी तरफ़ खींच कर उसके होंठो से अपने होंठ मिला दिये। कुछ ही देर में साहिल और अंजलि झड़ चुके थे और अब वे दोनों अपने कपड़े पहन रहे थे। वे दोनों राज और रूपल के पास आकर बैठ गये और उन्हें और उत्तेजित करने लगे।
अंजलि को राज के बारे में पता था… इसलिये वो राज की गाण्ड में डिल्डो धीरे धीरे अन्दर बाहर करने करने लगी। राज की उत्तेजना बढ़ने लगी। उसका लण्ड और फ़ूलने लगा। उधर साहिल ने भी रूपल के चुचूकों को हिला हिला कर मसलने लगा। झड़ने के कगार पर दोनों आ चुके थे। उन्होंने मस्ती में जोर से आंखे बन्द कर रखी थी, उनके जबड़े भी कस गये थे। तभी रूपल ने राज का साथ छोड़ दिया और जोर से झड़ने लगी। राज ने भी कस कस कर तीन चार जोर के शॉट मारे और उसका लण्ड पिचकारी मारने को हुआ। अंजलि ने उसका लण्ड तुरन्त रूपल की चूत से बाहर निकाला और एक मुठ मारते ही उसका वीर्य छूट पड़ा।
अंजलि तैयार थी इसके लिये… उसने लण्ड खींच कर अपने मुख में ले लिया और आम चूसने की तरह उसे पीने लगी।
‘आह… राज आज तो तुम्हारा खूब माल निकला…’
‘यह दोनों तरफ़ से आनन्द मिलने के कारण था। रूपल को चोदने में बड़ा मजा आया!’
सभी बहुत खुश थे। कार्यक्रम समाप्ति पर था। सभी ने डिनर किया और राज और अंजलि को विदा किया। दोनों घर आये तो करीब रात के ग्यारह बज रहे थे। घर आते ही राज ने प्यार से अंजलि के मम्मे दबा दिये।
‘कैसा लगा, मेरी जानू, मजा आया ना चुदवा कर…?’ ‘तुम कितने अच्छे हो राज! तुम्हारी वजह से मेरी आज मनभावन चुदाई हुई!’ ‘चलो, अब किसी ओर का नम्बर लगाना है क्या…?’ ‘सुनो राज… वो विपुल कैसा रहेगा?’ ‘और तुम वो क्षिप्रा को मेरे लिये पटा दो ना!’
दोनों ठहाके मार कर हंस दिये और प्यार से एक दूसरे को चूमने लगे… हाँ क्षिप्रा का तो पता नहीं पर अगले दिन अंजलि विपुल से लिपट लिपट कर चुदवा रही थी और राज उन्हें छिप छिप कर देख कर मुठ मार रहा था… कामिनी सक्सेना
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