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लेखक : सनी
मेरी एक एक कहानी को दिल से पसंद करके मुझे अपना अपना प्यार खुले दिल से दिया, और दोगे हर कोई मुझे कह रहा है कि गांडू अपनी चुदाई ज़रा जल्दी जल्दी भेजा कर !
अब कब भेजेगा ?
अब आगे बढ़ते हुए गुरु जी और सभी पाठकों को बहुत बहुत प्यार ! आज यह सनी एक और चुदाई के बारे में लिखने जा रहा है, पढ़ना और मुझे याहू पर मेरी गाण्ड का वेबकैम पर लुत्फ उठाएँ।
हाल के ही दिनों की बात करने जा रहा हूँ, प्रेस वाले से मैने चुदवाया सो चुदवाया, हमारे घर में ऊपर की बिलडिंग डबल स्टोरी में पत्थर लग रहा है। दो बन्दे रगड़ाई करने आते हैं, दो बन्दे पत्थर लगाने !
एक दिन में याहू पर बैठ कर चेट का लुत्फ उठा रहा था कि मेरी चेट विनोद नाम के बन्दे से जो दिल्ली से है, देश की राजधानी में बैठ मुझे चोदने की योजना बना रहा था। तभी वो बोला- सनी यार ! अपना वेबकैम चला ! मुझे तेरी चिकनी गांड देख कर मुठ मारनी है। अपने गुलाबी होंठ दिखा, उनमें होंठ डालने हैं।
लेकिन मेरे लिंक्ड बाथरूम में ही रगड़ाई चल रही थी, मैंने उसको अपनी स्थिति बताई कि मैं नंगा नहीं हो पाउँगा। उसको वजह बताई तो वो बोला- साले गांडू ! मौका है उससे गांड मरवा ले ! पटा ले साले को ! तेरा दिल तो ज़रूर करता होगा ?
मैंने कहा- मेरा उनमें बिलकुल ध्यान नहीं था, मैं तो उनको अपनी आजादी में बाधा समझ रहा था।
उसकी यह बात मेरे दिमाग में घर कर गई, बस फिर क्या था, मैंने सोच लिया कि अब इसको पटाना ही है।
मैंने अपना पजामा उतार दिया और फ्रेंची में मेरे गोलमोल चिकने चूतड़ किसी का भी लौड़ा खड़ा कर सकते थे। मैंने सामने ब्लू फिल्म चला ली और बेड पर उल्टा लेट गया तकिये को बाँहों में लेकर उल्टा लेट गया जिससे मेरे चूतड़ साफ़ दिखने लगे और सामने शीशे में मेरी एक नज़र उस पर थी। वो अपने ध्यान लगा हुआ था। मैंने सोचा अब क्या करूँ यार? कैसे इसका धयान अपने पर लेकर आऊँ?
पास के मेज से मैंने एक ग्लास उठाया और उसको फर्श पर फेंक दिया, जैसे ग्लास गिरा उसने मुड़ कर देखा। मेरी साँसे तेज़ होने लगी कि अब वो क्या करेगा। चोरी-चोरी से मैं शीशे में देखता। अब उसका ध्यान मेरी तरफ था, वो ब्लू फिल्म देखता तो कभी मेरी गांड देखता।
वो अपना लंड पकड़ कर मसल रहा था, मैंने जानबूझ कर गांड थोड़ी ऊपर उठाई। उसकी मशीन बंद हो गई थी, मैंने खुद ही चूतड़ हिलाए उसको यह शो कर दिया कि मैं खुद सब कुछ कर रहा हूँ।
उसने मुझे उसकी रर शीशे में देखते हुए देख लिया। वो कमरे में आया और बाथरूम के दरवाज़े की कुण्डी चढ़ा दी। बिस्तर के करीब आते ही उसने अपना हाथ मेरे चूतड़ पर रखते हुए सहला दिया। मेरा बदन कांप उठा। वो मेरे दोनों चूतड़ मसलने लगा, मैंने आखें मूँद ली।
वो मेरी बगल में लेट गया और मेरी फ्रेंची को गांड के चीर में घुसा छेद पर ऊँगली फेरते हुए मेरे गाल को चूम लिया, अपना दूसरा हाथ मेरी कमर से लपेटते हुए शर्ट में डाल मेरे मम्मे दबाने लगा। मैं गर्म होकर अपने को रोक नहीं पाया और उसकी ओर चेहरा करके उसके साथ चिपक गया और झट से उसके पजामे का नाड़ा खोल दिया और मसलने लगा उसके विकराल लिंग को ! क्या लिंग था साले का ! जो मैंने पजामे के ऊपर से सोचा था उस से भी बड़ा था उसका लिंग ! हाँ, मोटा कम था ! मतलब गांड के लिए बना था समझो !
उसने मुझे नंगा कर दिया, तभी दरवाजा खटका।
कौन? उसने कह दिया।
मैं राजू ! काम क्यों रोक दिया रे?
उसने बिना पूछे दरवाज़ा खोल दिया, मैंने चादर लपेट ली।
क्या कर रहे हो दोनों दरवाज़ा बंद करके?
बोला- आजा, मजे कर रहे हैं दोनों ! फिल्म देख रहे हैं और इसकी गांड से खेल रहा हूँ, साला गांडू निकला !
वो बोला- फिर तो आज पाँचों उंगलियाँ आज घी में हैं !
मैं तो था ही बेशर्म, मैंने कहा- साले देख क्या रहा है? सभी घर आ जायेंगे ! मादरचोदो, पकड़ लो मुझे !
उसने अपनी लुंगी उतार दी। उसका बम्बू घाट तम्बू की तरह तन चुका था। मैंने उसको ऊँगली के इशारे से पास बुलाया और उसके अंडरवियर में हाथ डालते हुए उसके खड़े लिंग को सहलाने लगा। उसका अंडरवियर उतार दिया, उसका लिंग इतना मस्त निकला, काले नाग जैसा लिंग देख मैं बेकाबू होने लगा। मेरे मुँह में लेते ही वो अपने उफान पर आ चुका था। वो सांस खींचता तो मेरे मुंह में ही हिलने लगता, दूसरे को पास बुलाया और उसका लण्ड पकड़ कर मुठ मारने लगा। फिर कभी उसका कभी उसका !
चूस चूस कर, चाट चाट कर दोनों को इतना पागल कर दिया कि दोनों ने मुझे नंगा कर दिया।
चल लेट ! चल !
राजू ने अपना लिंग आगे से आकर मेरे मुँह में दिया और दूसरे ने थूक लगाते हुए गांड पर टिका दिया।
मैंने कहा- पहले उंगलियाँ डाल कर खोल ले इसको ! चाट !
वो मेरी गांड चाटने लगा। मेरा इशारा पाते ही उसने लिंग अन्दर डाल दिया। थोड़ी सी चुभन के बाद वो आराम से चोदने लगा। मेरा कौन सा पहला मौका था ! मुझे चुदवाने का पूरा तजुर्बा था। वो मेरी गांड की दीवारों की गर्मी सह नहीं पाया और उसने मुझे जोर से भींच लिया और अपने गर्म-गर्म लावा से मेरी खुजली ख़त्म कर दी।
राजू जल्दी से पीछे आया, टाँगें खुलवा अपने कन्धों पर टिकाते हुए अपना लिंग को प्रवेश करवा दिया और उसके झटके मुझे मजा देने लगे। तेजी से करते हुए उसने भी अपना माल निकाल दिया और मेरे ऊपर गिर गया।
दूसरे वाले का मन नहीं भरा था तो उसने फिर से मुँह में डाल दिया उसका नमकीन लिंग चूसना मुझे भी अच्छा लगा। वो तैयार हो गया और उसने मुझे बीस-पच्चीस मिनट चोदा।
और फिर जब तक पत्थर का काम पूरा नहीं हुआ, हर दोपहर उनका लंच मेरी गांड होती !
काम के बाद मैंने दोनों को मुँह लगाना छोड़ दिया।
यह मेरी एक और सच्ची कहानी है।
अन्तर्वासना के ज़रिये मैं आप लोगों को ऐसे ही मजे देता रहूँगा !
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