आंटी और उनकी छवि

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एक बार मैं फिर हाजिर हूँ अपनी एक नई कहानी लेकर। दरअसल मैं जिस कंपनी के लिए काम करता हूँ वो एक प्रोफेशनल जिगोलो और एस्कोर्ट सुविधा देने वाली कंपनी है।

एक बार मेरे ऑफिस से फोन आया कि ग्रेटर कैलाश की एक महिला को चुदाई की सर्विस देनी है जिसके लिए मुझे शाम के छः बजे जाना था। हालाँकि मैं एक दिन पहले ही गोवा से बंगलोर ट्रेन सर्विस देकर आया था लेकिन यह असाइनमेंट मैं नहीं छोड़ना नहीं चाहता था क्योंकि यह ग्रेटर-कैलाश का था और हाई-प्रोफाइल को सर्विस देने का मजा ही कुछ और है। यही सोच कर मैंने हामी भर दी।

ठीक समय पर पहुँच कर घंटी बजाई तो सामने एक 38-40 साल की महिला ने मेरा स्वागत किया। देखने में ठीक-ठाक ही थी, चूचियाँ भी तनी थी लेकिन उम्र का तकाजा था, जिसे वो वह चाहकर भी छुपा नहीं सकती थी।

खैर मैं अंदर दाखिल हुआ, घर देख कर ही पता चल गया कि महिला ने भले ही चुदवाने के लिए मुझे बुलाया है लेकिन ठाट-बाट सब अमीरों वाले हैं। थोड़ी देर इधर उधर के बातों में उसने अपना नाम चंदा बताया। वो एक विधवा है और उसके पति को गुजरे हुए तक़रीबन दस साल हो गए हैं तब से आज तक वो प्यासी है, जब बर्दाश्त नहीं हुआ तो आज उसने हमारी सर्विस का याद किया। हमारी सर्विस का पता अक्सर किटी पार्टियो में एक से दूसरे तक पहुँच जाता है।

थोड़ी देर बात करने के बाद उसने पूछा- क्या पियोगे? और मैंने भी हमेशा की तरह बोल दिया- आप जो लेंगी, वही मैं भी ले लूँगा।

आंटी दो ग्लास में विस्की लेकर आई जिसे हम धीरे धीरे पीने लगे और इसी बीच उन्होंने बताया कि उनकी एक 18 साल की बेटी है जो होस्टल मैं रह कर बी ए कर रही है और अक्सर छुट्टी में ही घर आती है। उनका कोई भी रिश्तेदार दिल्ली में नहीं है। कभी साल में एक आध बार कोई आ गया तो ठीक, वरना वो अकेली ही रहती हैं।

फिर मैंने ही शुरु किया क्योंकि मैं तो एक असाइनमेंट पूरा करने आया था।

विस्की पीते हुए मैंने चंदा को अपनी तरफ खींचा तो वो बिना किसी विरोध के मेरे करीब आ गई। फिर मैं अपनी ड्रिंक का ग्लास वहीं मेज़ पर रख कर चंदा के गुलाबी होंठ पीने लगा। मेरे हाथ अपना करतब दिखाते हुए उसकी चूचियों को मसल रहे थे। कभी चंदा मेरा होंठ पीती तो कभी मैं उसके होंठ पीता। इस तरह लगभग एक घंटा तक हम एक दूसरे से चिपक कर चूमा-चाटी करते रहे।

फिर मैं अपने कपड़े उतार कर केवल चड्डी में आ गया। मेरा ७ इंच का लंड काले नाग की तरह उछल रहा था। फिर मैंने चंदा के टॉप को उससे अलग किया तो मैं देखता रह गया क्योंकि काली ब्रा में उसकी गोरी गोरी चूचियों का कुछ अलग ही सौंदर्य था जिसे मैं देखता ही रह गया।

यह देख कर चंदा बोली- क्या देख रहे हो राजा! अब तो ये तुम्हारे हैं! और वो हंस दी। मैं साथ ही बोल पड़ा- रानी तुम्हारी चूचियों को देख कर तो साली किसी की भी नियत डोल जायेगी।

फिर उसे झुका कर अपने लंड को चुसाने लगा। वो एक तजुरबेकार की तरह जीभ से चाट चाट कर अलग ही मजा देने लगी। फिर 69 के पोज में आने के लिए मैंने उसे बोला तो उसकी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। उसने तुरंत अपनी जींस को अलग कर डाला। अब वो भी चड्डी में थी और मैं भी। पहले तो फिर हम एक दूसरे की बाजुओं में काफी देर तक चूमते रहे, फिर मैंने उसे 69 पोजिशन में लाते हुए चड्डी से मुक्त कर दिया, उसने भी मुझे चड्डी-मुक्त कर दिया।

अब 69 पोजिशन में वो मेरा लंड चूस रही थी और मैं जीभ उसके चूत की शिश्निका को छेड़ रहा था। वो थोड़ी ही देर में झड़ गई तो मुझे थोड़ी बुरा सा जरुर लगा। फिर भी वो बोली- एक पग विस्की के बाद फिर उसमें वही जोश होगा और सच मुच ऐसा ही हुआ। वो फिर तैयार थी, बल्कि पहले से ज्यादा जोश उसमें आ गया था, मुझे भी संतुष्टि हुई कि अब ये साली ज्यादा मजा और माल देगी। थोड़ी देर तक चूमा-चाटी के बाद मैंने सीधे उसकी चूत को अपने लंड से खोलने का मन बना लिया, साथ ही उसकी चूत पर अपने लंड को रगड़ते हुए एकदम जोर से उसकी बुर में पेल दिया। चंदा शायद मेरे हमले को तैयार नहीं थी और उसके मुंह से निकल गई- अह्ह ………….अह्ह! प्लीज धीरे धीरे चोदो! दर्द हो रहा है!

लेकिन मेरे ऊपर इसका कोई प्रभाव न देखकर बोली- साले चूतिये! आराम से पेल! नहीं तो मेरी चूत फट जायेगी!

तो मैं थोड़ा धीमा हुआ लेकिन चोदना चालू रखा। वो भी अब सामान्य हो गई थी और अपनी कमर को उछाल-उछाल कर चुदा रही थी। यह मस्ती दो घंटे तक चली। उसके बाद उसका बदन अकड़ने लगा तो मैं समझ गया कि अब यह झड़ने वाली है। फिर मैंने अपनी गति बढ़ा दी। हम दोनों एक साथ झड़ गए, उसकी चूत की कटोरी मेरे वीर्य से लबालब हो गई।

दस मिनट तक हम एक दूसरे से चिपके रहे, उसके बाद अलग हुए तो चंदा बोली- बाथ लेने जा रही हूँ! तो मैं बोला- मैं भी बाथ लूँगा! इतना सुन के वो खुश हो गई और बोली- तब तो और मजा आयेगा।

हम दोनों नंगे ही बाथरूम में घुस गए और शॉवर के नीचे एक दूसरे से चिपक गए। वो मेरे शरीर में साबुन लगा रही थी और मैं उसके शरीर में!

थोड़ी देर में ही मेरा लंड फिर अपने विकराल रूप में आ गया। जिसे देख कर वो और खुश हो गई और होंठ लगा पर चूसने लगी- बिल्कुल जैसे छोटा बच्चा लॉलीपोप चूसता है।

उसने फिर चुदाई की मांग कर दी तो मैं बोला- इस बार तुम्हारी गांड में पेलना है! वो थोड़ा डरने लगी। फिर मैंने उसे समझाया- थोड़ा सा मुंडी घुसने के वक्त दर्द होगा फिर उसके बाद मजा ही मजा है!

थोड़ी ना-नुकुर के बाद वो तैयार हो गई। मैंने अपने लंड पर साबुन का झाग लगाया जिससे चंदा को दर्द काम हो। बाथरूम में उसे कुतिया की तरह झुका कर उसकी गांड में पेलना चालू किया। जैसे ही थोड़ा सा घुसा, वो दर्द से चिल्लाने लगी और गालियां देने लगी, साथ ही आगे बढ़ना चाहा, लेकिन मैंने उसकी कमर को पकड़ कर जोर का झटका मारा जिससे पूरा का पूरा लंड चंदा की गांड में था। बदले में था- वोह… वोह वो माँ …साले ने मेरी गांड फा दी… अबे साले बाहर निकाल… वोह वोह… चूतिये बाहर निकल! नहीं तो मेरी गांड फट जायेगी।

लेकिन सब सुन कर भी मैंने झटके धीरे धीरे चालू रखे।

थोड़ी देर चोदने के बाद वो सामान्य हो गई और मजे लेने लगी।

एक घंटे तक हमारा यह चुदाई का प्रोग्राम फिर चला, तब जाकर मैं भी झड़ गया।

चलने के वक्त एक दूसरे को चूम कर चल दिया इस वादे के साथ कि चंदा जब चुदने को बुलाएगी मैं हाजिर हो जाऊंगा।

यह थी चंदा की चुदाई! लेकिन अभी तो उसकी मस्त माल बेटी जिसका नाम छवि है को चोदना बाकी है, शायद मेरी आने वाली कहानी में चुद जायेगी। कृपया अपना राय और सुझाव जरूर भेजें। [email protected]

कहानी का अगला भाग: छवि की चुदाई

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