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प्रेषक : कुलभूषण सिंगला
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार !
मैं तीस साल का हूँ और पंजाब में रहता हूँ। जैसे कि पंजाबी होते हैं अच्छे स्मार्ट, वैसा ही हूँ मैं ! अच्छे खाते-पीते घर का हूँ और मेरा कद 5’7″ और मेरे लंड का आकार 7″ और मोटाई 2.5″ है। मैं शादीशुदा हूँ। जैसे कि अक्सर होता है, शादी के बाद जब बच्चे हो जाते है तो पत्नी की पति में रूचि कम हो जाती है और बच्चों में ज्यादा ! ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ तो मैं ऑफिस से चैट करने लगा।
मुझे एक लड़की मेरे ही शहर की मिली, वो भी शादीशुदा थी, उसका कद 5’2″ और उसका फिगर 36 डी/30/36 था, जो मुझे बाद में पता चला। उसका घरवाला विदेश गया हुआ था और साल में दस बारह दिन के लिए आता था। हम दोनों में बातें होने लगी, धीरे-धीरे सेक्स की बातें होने लगी तो मुझे पता चला कि वो भी बहुत प्यासी है। पर हम दोनों डरते थे कि किसी को कहीं पता न चल जाये क्योंकि हम दोनों बदनामी से बहुत डरते थे।
फिर एक दिन मुझे एक आईडिया आया। उस दिन वो घर में अकेली थी। मैंने उससे उसके घर का पता लिया और दोपहर को उसके घर चला गया। उस समय आसपास में सब सो रहे होते हैं। मैंने अपने साथ एक बैग ले लिया जिससे लगे कि मैं उसके घर कुछ काम से आया हूँ।
वो मुझे देखकर बहुत खुश थी पर कुछ डर रही थी कि कहीं कोई आ ना आ जाये, तो मैंने उसको अपने पास बिठाया और प्यार से समझाया कि अगर कोई आ जाये तो कह देना कंप्यूटर ठीक करने आया है।
उसने घर में पजामा और खुली सी टी-शर्ट पहनी थी जिसमें से उसके मम्मे बाहर निकलने को बेताब हो रहे थे। उसको ऐसे देख कर मेरा लंड सलामी देने लगा था। उसको बड़ी मुश्किल से पैंट में ठीक किया तो उसने देख लिया और वो चली गई। वो मेरे लिए पानी लेकर आई और मेरे पास ही बैठ गई। हम इधर उधर की बातें कर रहे थे, पर मेरा ध्यान तो उसके मम्मों की तरफ ही था।
उसने कहा- क्या देख रहे हो?
तो मैंने कहा- तुम्हारे मम्मे !
तो वो बोली- क्या टी-शर्ट में से दिख रहे हैं?
तो मैंने कहा- अन्दाज़ लगा रहा हूँ कि कैसे होंगे !
तो बोली- क्या सिर्फ अन्दाज़ा ही करोगे? सच में नहीं देखने?
तो मैंने झट से उसको अपनी बाहों में भींच लिया और उसके होठों को चूसना शुरू कर दिया। अगले ही पल मेरी जीभ उसके मुँह के अंदर थी और हम एक दूसरे की लार को चख रहे थे। उसकी साँसें गरम हो रही थी और मैंने चूमते-चूमते उसकी टी-शर्ट में हाथ डालकर उसकी पीठ को सहलाना शुरू कर दिया। मैं पहली बार किसी पराई औरत को छू रहा था।
उसकी साँसे तेज हो रही थी और मेरा रोम-रोम खड़ा हो गया था। मैं पागलों की तरह उसको चूम रहा था और आगे से उसके मम्मों को हाथ से उसकी शर्ट के ऊपर से ही सहला रहा था। वो सिसकने लगी और बोलने लगी- आआह्ह्ह राह्ह्ह्हहुल्ल्ल इतने दिन क्यों लगा दिए आने में ? ह्ह्ह्ह्ह आअह्ह्ह !
वो खुद पर अपना कण्ट्रोल खो रही थी, लगता उसको काफी दिन हो गए थे सेक्स किये ! इसलिए वो पूर्व-क्रीड़ा और चूमने आदि में ही एक बार झड़ गई।
मैंने उसको गोद में उठाया और बिस्तर पर गिरा दिया, अपने कपड़े उतारने लगा। वो बड़ी गौर से मेरी चौड़ी छाती देख रही थी। अब मैं सिर्फ अंडरवियर में था। जिसमें दूर से ही मेरा खड़ा लंड नज़र आ रहा था।
मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी और उसको चूमना शुरू किया। वो हर चुम्बन पर सिसकियाँ ले रही थी और फ़िर मैंने उसकी ब्रा को खोल दिया। उसकी चूचियां जो काफी बड़ी थी उनको चूसना शुरू दिया तो वो पागल सी होने लगी। उसकी चूचियों को कभी होठों से चूसता तो कभी काटता, तो वो सिसक पड़ती और अब वो पागलों की तरह मेरा सर अपने मम्मों में दबा रही थी और कह रही थी- हाँ ऐसे ही आह्ह्ह्ह ऊऊउफ़ ! ऊऊईईईईईईइ !
और ऐसे ही उसको चूमते-चाटते उसके पजामे तक आया और उसका पजामा उतार दिया। तो उसकी पैंटी एक दम गीली हो चुकी थी, मैं उसकी पैंटी को धीरे-धीरे उतार रहा था पर शायद उसको बहुत जल्दी थी तो उसने झट से अपनी पैन्टी टांगों के बीच में से निकाल दी। उसकी चूत पर उसके पानी की कुछ बूंदें थी जिसके कारण उसकी चूत चमक रही थी। मैंने आज तक ऐसी चिकनी चूत नहीं देखी थी। ऐसे लग रही थी मानो किसी सोलह साल की लड़की की हो ! एक दम छोटा सा चीरा और उस पर गुलाबी पंखुरी जैसा रंग ! दिल कर रहा था ख़ी खा जाऊं ! लगता था उसका घरवाला मेरे लिए छोड़ गया था !
जैसे ही मैंने उसकी चूत को छुआ तो एक दम से उछल पड़ी जैसे 440 वोल्ट का करंट लगा हो। मैंने उसकी चूत के पंखुरी जैसे नाज़ुक होठोँ को खोल कर अपने होठ वहां रख दिए। मानो जन्नत में आ गया हूँ ऐसे लग रहा था। मैंने उसकी चूत को खूब चाटा और इधर लंड जी महाराज अंडरवियर में खूब ठोकरेँ मार रहे थे। लगता था कि अगर बाहर नहीं निकाले तो अंडरवियर फाड़ के बाहर आ जायेंगे !
मैंने जैसे ही अंडरवीयर निकाला तो वो मेरा लंड देख कर हैरान रह गई, कहती- इतना बड़ा ? यह तो मेरी चूत को फाड़ देगा ! मेरे पति का तो इससे आधा ही है !
तो मैंने कहा- वो तो मैं तुम्हारी चूत की हालत देख कर ही समझ गया था कि अभी तक सिर्फ लुल्ली से चुदी है किसी मर्द का लौड़ा नहीं मिला इस को आज तक !
हम 69 पोज़िशन में आ गए, मैं उसकी चूत को चाट रहा था और वो मेरा लंड चूस रही थी। मेरा लंड उसके मुँह में पूरा नहीं आ रहा था और वो गों-गों कर रही थी। कोई 5-7 मिनट की चुसाई के बाद मुझे लगा कि अब इसकी चूत तैयार है चुदने के लिए !
तो मैंने अपना लंड उसकी चूत पर टिकाया और उसकी भग्नासा पर लंड का सुपाड़ा रगड़ना शुरू किया तो वह अपनी गांड को ऊपर उठाने लगी की लण्ड जल्दी से उसकी चूत में घुस जाये। पर मैं उसको तड़पाना चाहता था और उसके मुँह से सुनना चाहता था।
जब लंड को रगड़ा तो वह तड़प उठी और बोली- अब और मत तड़पाओ ! इसको मेरी चूत में डाल दो ! मेरी चूत को फाड़ दो ! पिछले आठ महीनों से नहीं चुदी है, आज इसकी चुदने की सारी ख्वाहिश पूरी कर दो !
तो मैंने अपने लंड को उसकी चूत के छेद से सटाया और सांस रोक कर जोर लगाने लगा। पर उसकी चूत बहुत कसी लग रही थी तो मैंने थोड़ा जोर से धक्का लगाया तो उसकी चीख निकल गई। मैंने उसके मुँह पर हाथ रख दिया ताकि पड़ोसी न सुन सकें!
लंड का सुपाड़ा उसकी चूत में घुस चुका था। अब मैंने लंड को थोड़ा सा पीछे करके एक और जोर से धक्का दिया तो लण्ड चूत की दीवारों को चीरता हुआ आधा घुस गया था। अब वह सर को इधर उधर मार रही थी पर लंड अपना काम कर चुका था। मैंने अपनी सांस रोकी और लंड को वापिस थोड़ा सा पीछे करके जोर से धक्का दिया तो लंड पूरा उसकी चूत में घुस गया। उसकी आँखों से आंसू निकल गए और ऐसे लग रहा था कि जैसे वह बेहोश हो गई हो !
थोड़ी देर में उसका दर्द कुछ कम हुआ। अब वह धक्के पर आः ऊह्ह्ह श् औरऽऽर्र आआह्ह्ह्ह्ह कर रही थी, उसके हाथ मेरी पीठ पर थे और वह अपने नाखून मेरी पीठ में गड़ा रही थी। उसने अपनी टांगों को मेरी टांगों से ऐसे लिपटा लिया था जैसे सांप पेड़ से लिपट जाता है। मुझे बहुत आनंद आ रहा था। उसके ऐसा करने से लंड उसकी चूत की पूरी गहराई नाप रहा था और हर शॉट के साथ वोह पूरा आनंद ले रही थी। उसकी साँसे तेज हो गई थी और आःह्हछ उफ्फ्फ्फ्फफ्फ् श्ह्ह्ह्ह्ह्ह् की आवाजें करते करते वो फिर से झड़ गई। अब उसकी चूत और चिकनी हो गई थी और मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी- कभी तेज शॉट और छोटे शॉट तो कभी तेज शॉट और लॉन्ग शॉट लगाता। जब छोटे शॉट लगाता तो उसको लगता उसकी जान निकल रही है, जब लॉन्ग शॉट लगाता तो उसको दर्द होता और ऐसे ही दस मिनट की चुदाई के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया और ऐसे ही उसके ऊपर निढाल होकर लेट गया। उसके चेहरे पर संतुष्टि और आनंद झलक रहा था।
हम दोनों पूरी तरह थक चुके थे। उसमें इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो अपने कपड़े पहन सके। मैंने उसको एक चादर औढ़ाई और अपने कपड़े पहन के वापिस आ गया क्योंकि डर था कहीं कोई आ ना जाये !
मुझे उसने बाद में बताया कि वो घण्टे घंटे तक ऐसे ही पड़ी रही और शाम को वो वापिस फ्रेश हुई, अब वह बहुत खुश है !
हमें जब भी मौका मिलता है तो हम एक दूसरे की जरुरत को पूरा करते हैं। मुझे नहीं लगता कि हम किसी को धोखा दे रहे हैं क्योंकि हम दोनों की एक ही जरुरत है सेक्स……….
मुझे अपने विचार भेजें क्योंकि यह कहानी नहीं मेरी हकीक़त है।
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