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दोस्तो ! मेरा नाम मुकेश है। मैंने अन्तर्वासना की सभी कहानियाँ पढ़ी हैं तो मेरा भी दिल आज अपनी आप बीती लिखने का हुआ तो लिखने बैठ गया अपने हसीन पलों की दास्ताँ !
यह मेरी पहली कहानी है। लेकिन एक वास्तिक घटना है जो कि १ साल पहले मेरे साथ हुई थी। मैं इसमें कुछ गंदी भाषा का प्रयोग भी कर रहा हूँ लेकिन सिर्फ़ रोचक बनाने के लिये।
यह बात सिर्फ़ मुझे और मेरी भाभी को ही पता है और अब आपको भी यह कहानी पढ़ कर पता लग जाएगी।
मेरे भैया की शादी दो साल पहले ही हुई है। भाभी का नाम मन्दाकिनी है। भाभी बहुत ही सेक्सी, गोरी, स्लिम है। उनका फ़ीगर वेल-मेन्टेन्ड है। भैया एक कंपनी में हैं, वो बाहर ही रहते हैं और शहर में वो कभी कभी आते हैं। भाभी को देख २ कर मैं तो जैसे पागल हुआ जा रहा था। किसी न किसी तरह भाभी को छूने की कोशिश करता रहता था। वो जब मेरे कमरे में झाडू लगाने आती तो जैसे ही झुकती तो मेरा ध्यान सीधे उनके ब्लाउज़ के अंदर चला जाता। क्या गजब स्तन हैं हैं उनके ! जी करता कि पकड़ कर मसल दूं !
पर मैं तो सिर्फ़ उन्हें देख ही सकता था। भाभी और मुझ में बहुत ही अच्छी जमती थी। हम हंसी मजाक भी कर लेते थे। पर कभी भी घर में अकेले नहीं होते थे, कोई न कोई रहता था। मैं सोचता था कि काश एक दिन मैं और भाभी अकेले रहें तो शायद कुछ बात बने।
सर्दी का मौसम था, घर के सभी सदस्यों को एक रिश्तेदार की शादी में चेन्नई जाना था। भैया तो रहते नहीं थे। मम्मी पापा, मैं और भाभी ही थे। पापा ने कहा- कि शादी में कौन कौन जा रहा है? मैंने कहा- मेरे तो एक्ज़ाम्स आ रहे हैं। मैं तो नहीं जा पाउंगा। मम्मी बोली- चलो ठीक है इसकी मरजी नहीं है तो यह यहीं रहेगा पर इसके खाने की परेशानी रहेगी। इतने में मैं बोला- भाभी और मैं यहीं रह जायेंगे, आप दोनो चले जायें।
सबको मेरा विचार सही लगा। अगले दिन मम्मी पापा को मैं ट्रैन में बिठा आया। अब मैं और भाभी ही घर में थे। भाभी ने आज गुलाबी साड़ी और ब्लाऊज़ पहन रखा था। ब्लाउज़ में से ब्रा जो के क्रीम रंग की थी, साफ़ दिख रही थी। मैं तो कंट्रोल ही नहीं कर पा रहा था। पर भाभी को कहता भी तो क्या। भाभी बोली- थैन्क यू देवर जी ! मैंने कहा- किस बात का? भाभी बोली- मेरा भी जाने का मूड नहीं था। अगर आपकी पढ़ाई डिस्टर्ब न हो तो आज मूवी देखने चलें? मैंने कहा- चलो ! पर कोई अच्छी मूवी तो लग ही नहीं रही है, सिर्फ़ मर्डर ही लगी हुई है। भाभी बोली- वो ही देखने चलते हैं।
मैं चौंक गया। भाभी कपड़े बदलने चली गई। वापस आई तो उन्होने गहरे गले का ब्लाउज़ पहना था, उनके ब्रा और स्तनों के दर्शन हो रहे थे। मैने कहा- भाभी अच्छी दिख रही हो ! भाभी बोली- थैंक्स !
हम सिनेमा हाल गये। हमें इत्तेफ़ाक से सीट भी सबसे ऊपर कोने में मिली। फ़िल्म शुरु हुई। मेरा लंड तो काबू में ही नहीं हो रहा था। अचानक मल्लिका का कपड़े उतारने वाला सीन आया। मैं देख रहा था कि भाभी के मुंह से सिसकियाँ निकलनी शुरु हो गई और भाभी मेरा हाथ पकड़ कर मसलने लगी। मेरा भी हौसला बढ़ा मैने भी भाभी के कंधे पर हाथ रख दिया और धीरे-२ मसलने लगा। हाल में बिल्कुल अंधेरा था। मेरा हाथ धीरे २ भाभी के स्तनों पर आ गया। भाभी ने भी कुछ नहीं कहा। वो तो फ़िल्म का मज़ा ले रही थी। अब मैं भाभी के वक्ष को मसल रहा था और अब मैने उनके ब्लाउज़ में हाथ डाल दिया। भाभी सिर्फ़ सिसकरियाँ भरती रही और मुझे पूर्ण सहयोग करती रही। अब फ़िल्म खत्म हो चुकी थी। हम दोनों घर आये। मैंने पूछा- क्यों भाभी ! कैसी लगी फ़िल्म? भाभी बोली- मस्त ! मैंने कहा- भाभी भूख लगी है !
हम दोनों ने साथ खाना खाया। मैं अपने कमरे में चला गया। इतने में भाभी की आवाज़ आई- क्या कर रहे हो देवर जी? जरा इधर आओ ना !
मैं भाभी के बेडरूम में गया तो भाभी बोली- ये मेरी ब्रा का हुक बालों में अटक गया है प्लीज़ निकाल दो ना !
भाभी सिर्फ़ ब्रा और पेटीकोट में ही थी। उसने क्रीम रंग की ब्रा पहन रखी थी। मैंने ब्रा खोलने के बहाने उसके निप्पलों को भी मसल दिया और पूरी पीठ पर हाथ फ़िरा दिया। मैंने कहा- भाभी लो खुल गई ब्रा !
मैने ब्रा को झटके से नीचे गिरा दिया। अब भाभी पूरी टॉपलेस हो चुकी थी। हम दोनों फ़ुल फ़ोर्म में आ चुके थे। भाभी बोली- देवर जी, भूख लगी है तो दूध पी लो !
मैंने भाभी को उठाया और बिस्तर पर ले गया उनका पेटीकोट भी खोल दिया। अब वो पूरी नंगी हो चुकी थी और मैं भी। मैंने शुरुआत ऊपर से ही करना मुनासिब समझा और भाभी के लाल लिपस्टिक लगे रसीले होंठों को जम कर चूसा। उसके बाद बारी आई उनकी छाती की, जिस पर कि दो मोटी-२ दूध की टंकियाँ लगी थी। उनके निप्पल का सबसे आगे का हिस्सा बिल्कुल भूरा था। मैंने भाभी के स्तनों को इतना मसला और चूसा कि सच में ही दूध निकल आया। मैंने दोनों का जम कर आनंद लिया। भाभी के मुंह से तो बस सिसकारियाँ निकल रही थी- आह आ आआ अह आआआह्हह !
अब मैं वक्ष से नीचे भाभी की चूत पर आया। क्या क्लीन चूत थी एक भी बाल नहीं। मैंने पहले तो भाभी की चूत को खूब चाटा फिर नग्न फ़िल्मों की तरह जोर-२ से उंगली करने लगा। भाभी आ अह आआआह ! देवर जी कर रही थी। फिर मैंने भाभी को घोड़ी बनने के लिये कहा। भाभी घोड़ी बन गई। मैंने अपना लंड चूत में डाल दिया और जोर जोर से चोदने लगा।
इस तरह मैने ३० मिनट तक भाभी को अलग २ पोजिशन में चोदा (सोफ़े पर भी)। अब मैं थक गया था।
भाभी बोली- तुमने तो मेरे बहुत मज़े ले लिए, मेरे शानदार फ़ीगर वाले बूब्स को चूस-२ और मसल-२ कर लटका और खाली कर दिया, अब मेरी बारी है। मैं लेट गया, भाभी मेरे उपर चढ़ गई और मेरे सीने को मसलने और चूसने लगी और मेरे भी छोटे २ बोब निकाल दिये। मैं भी भाभी के बूब्स को मसल रहा था। फिर भाभी मेरे लंड को पकड़ कर चूसने लगी। करीब १५ मिनट तक उसने मेरे लंड को चूसा।
अब हम दोनों को नींद आ रही थी। हम उसी हालत में सो गये। सुबह उठ कर हम दोनों साथ ही टब में नहाये और मैंने भाभी के एक एक अंग को रगड़-२ कर धोया।
इसके बाद भी हम २-३ दिन तक सेक्स का आनंद लेते रहे। अब भी कभी मौका मिलता है तो हम शुरु हो जाते हैं। साथ में घर पर ही नेट पर साइट्स देखते हैं।
मुझे तो साड़ी सेक्स बहुत पसंद है। एक एक कपड़ा ब्लाउज साड़ी, ब्रा, पेटीकोट खोलने का मज़ा कुछ और ही है। मैं अपनी ड्रीम गर्ल को भी साड़ी में ही देखना चाहता हूं।
दोस्तो, आपको कैसी लगी यह कहानी ! मुझे बताएं ताकि मैं और कहानियाँ लिख सकूँ! [email protected]
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