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भाभी मुझसे लगभग बारह साल बड़ी थी। मैं उस समय कोई 18-19 साल का था। घर पर सभी मुझे बाबू कह कर बुलाते थे।
भाभी की तेज नजरें मुझ पर थी, वो मेरे आगे कुछ ना कुछ ऐसा करती थी कि मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था। वो शरीर में भरी पूरी थी और बदन गदराया हुआ था, उनके सुडौल स्तन बहुत ही मनमोहक थे और थोड़े भारी थे। मुझे भाभी के बोबे और मटके जैसे चूतड़ बहुत अच्छे लगते थे। मेरी कमजोरी भी यही थी कि जरा से भाभी की चूचियाँ हिली या चुतड़ लचके, बस मैं उत्तेजित हो जाता था और लण्ड को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता था। भाभी को भी यह बात शायद मालूम हो गई थी कि उनके कोई भी एक्शन से मेरा बुरा हाल हो जाता था।
आज भी कमरे में सफ़ाई कर रही थी वो… उसके झुकते ही उसके बोबे झूल जाते थे, और मैं उन्हें देखने में मगन हो जाता था। वो जान कर कर के उन्हें और हिलाती थी। मुझे वो तिरछी नजरों से देख कर मुस्कराती थी, कि आज तीर लगा कि नहीं। वो अपने गोल मटोल चूतड़ मेरी तरफ़ करके हिलाती थी और मुझे अन्दर तक हिला देती थी।
आज घर पर कोई नहीं था तो मेरी हिम्मत बढ़ गई, सोचा कि अगर भाभी नाराज हुई तो तुरंत सॉरी कह दूँगा। मैं कम्प्यूटर पर बैठा हुआ कुछ देर तक तो उनकी गोल गोल गांड देखता रहा। बस ऐसा लग रहा था कि उनका पेटीकोट उठा कर बस लण्ड गांड में घुसा दूँ। बस मन डोल गया और मैंने आखिर हिम्मत कर ही दी।
“बाबू, क्या देख रहे हो?” “भाभी, बस यूँ ही… आप अच्छी लगती हैं!”
वो मेरे पास आ गई और सफ़ाई के लिये मुझे हटाया। मैं खड़ा हो गया। अचानक ही मेरे में उबाल आ गया और मैं भाभी की पीठ से चिपक गया और लण्ड चूतड़ों पर गड़ा दिया। भाभी ने भी जान कर करके अपने चूतड़ मेरे लण्ड से भिड़ा दिया।
पर उनके नखरे मेरी जान निकाल रहे थे- बाबू, हाय! क्या कर रहा है! “भाभी अब नहीं रहा जा रहा है!” भाभी ने अपनी गांड में लण्ड घुसता महसूस किया और लगा कि उसकी इच्छा पूरी हो रही है। वो पलटी और और मुझे अपनी बांहों में कस लिया और अपनी भारी चूचियाँ मेरे शरीर से रगड़ दी। “हाय, पहले क्यूँ नहीं किया ये सब?” और मुझे बेतहाशा चूमने लगी।
मुझे भी साफ़ रास्ता मिल गया। मेरी हिम्मत ने काम बना दिया- आप इशारा तो करती, मेरा तो लण्ड आपको देखते ही फ़ड़क उठता था, लगता था कि आपको नंगी कर डालू, लण्ड घुसा कर अपना पानी निकाल दूँ! “कर डाल ना नंगी, मेरे दिल की निकाल दे, मुझे भी अपने नया ताजा लण्ड का स्वाद चखा दे रे!” भाभी का बदन चुदने के लिये बेताब हो उठा था। “भाभी, तुम कितनी मस्त लग रही हो, अब चुदा लो ना, मेरा लण्ड देखो, निकालो तो सही बाहर, मसल डालो भाभी, घुसा डालो अपनी चूत में!” मेरा लण्ड तन्ना उठा था।
“बस बिस्तर पर आजा और चढ़ जा मेरे ऊपर, मुझे स्वर्ग में पहुंचा दे, बाबू चोद दे मुझे…” भाभी चुदने के लिये मचल उठी। भाभी मुझसे ज्यादा ताकतवर थी। मुझे खींच कर मेरे बिस्तर पर लेट गई। “पेटीकोट ऊपर कर दे, चाट ले मेरी चूत को!”
मैंने उसका कहा मान कर पेटीकोट ऊपर कर दिया, उसकी काली काली झांटों के बीच गीली चूत, गुलाबी सी नजर आ गई। मैंने झांटों को पकड़ कर चूत का द्वार खोला और मेरी लम्बी लपलपाती जीभ ने उसे चाट लिया। रस भरी चूत थी। एक अन्दर से महक सी आई तो शायद उसके चूत के पानी की थी। उसका हाथ मेरे तन्नाये हुए लण्ड पर पहुंच गया और उसने जोश में उसे मुठ मारने लगी। उसके मुठ मारते ही मुझे तेज मजा आ गया मेरा शरीर एक दम से लहरा उठा। उसने कुछ ही देर मुठ मारा और मेरी जान निकल गई, मेरा यौवन रस छलक उठा, वीर्य ने एक लम्बी उछाल भरी और मेरा जिस्म जैसे खाली होने लगा।
“भाभी, ये क्या किया, मेरा तो रस ही निकाल दिया!” मैंने गहरी सांस ली।
“मजा आया ना? अभी तो और मजा आयेगा!” उसने मुझे सीधा किया और अपने से चिपका लिया, मुझे पलट कर अपने नीचे दबा लिया और अपना भारी बदन का वजन मेरे ऊपर डाल दिया, अपने होंठो से मेरे पूरे शरीर को गीला कर दिया। भाभी के बदन से मुझे एक तरह की खुशबू आ रही थी तो मुझे मदहोश कर रही थी। मैं थोड़ा सा कसमसाया और अपने आप को एडजस्ट करने लगा। पर भाभी ने मुझे और कस कर चारों और से एक बेबस पंछी की तरह से दबोच लिया।
“भाभी, भैया आपको…” “बाबू, अभी नाम मत ले उनका, बस मुझे अपने मन की करने दे!” उसके बाल मेरे चेहरे पर फ़ैल गये थे, उसका नंगा जिस्म मेरे नंगे जिस्म से रगड़ खा रहा था। उसके बोबे मेरी छाती को नरम नरम अहसास दे रहे थे। “तुझे क्या अच्छा लगता है रे मुझ में?” “आपके बड़े बड़े बोबे और… और…” “हां, हां और… बता ना!” “आपके खूबसूरत चूतड़, गोल-गोल, मस्त, बस लगता है चूतड़ो में लण्ड घुसेड़ दूँ!”
“चल अपनी इच्छा पूरी कर ले पहले, तू मस्त हो जा, देख मेरी पिछाड़ी मस्ती से चोदना!” और वो उठ कर घोड़ी बन बन गई। उसकी जबरदस्त पकड़ से छूट कर मैंने एक गहरी सांस भरी।
उसकी गांड खुल कर सामने आ गई, दोनों गोल गोल चूतड़ अलग अलग खुल गये, दरार साफ़ हो गई, खूबसूरत सा प्यारा छेद सामने नजर आने लगा। उसे देख कर सच में लण्ड उछल पड़ा, मस्ती में झूमने लगा। मेरे दिल की कली खिल गई, मन मुराद पूरी हो गई। कब से उनके चूतड़ों को देख कर मैं मुठ मारता था, उन्हें सपनों में देख कर उनकी गांड मारता था, झड़ जाता था, पर आज सच में हसरत पूरी हो रही थी।
“भाभी, तैयार हो ना?” मेरा लण्ड अपने आपे से बाहर हो रहा था, मुझे लगा कि कही झड़ ना जाऊँ। “हां बाबू…. जल्दी कर, फिर चूत की बारी भी आनी चाहिये ना!” भाभी की भी तड़प देखते ही बनती थी, कितनी बेताब थी चुदाने को।
मैंने अपने लण्ड पर चिकनाई लगाई और उसकी गांड पर भी लगा दी और चिकना लण्ड का मिलाप चिकने छेद से हो गया। मैंने उसके झूलते हुए स्तन थाम लिये और उन्हें मसलना शुरू कर दिया। फिर दोनों ने अपना अपना जोर लगाया और भाभी के मुख से हाय की सिसकारी निकल पड़ी। चिकना लण्ड था इसलिये अन्दर सरकता चला गया। “हाय रे मजा आ गया, तेरा मोटा है उनसे… चल और लगा!” “दर्द नहीं हुआ भाभी…” “नहीं मेरी गांड सुन्दर है न, वो भी अक्सर पेल देते हैं, आदत है मुझे गांड मरवाने की!” “तो ये लो फिर… मस्त चुदो!” मैंने स्पीड बढ़ा दी.
भाभी की गांड सच में नरम थी और मजा आ रहा था। भाभी ने भी अपनी मस्त गांड आगे पीछे घुमानी शुरू कर दी। उसके गोल गोल चूतड़ के उभार चमक रहे थे, उसकी दरार गजब ढा रही थी। लटके हुए बोबे मेरे हाथ में मचल रहे थे, उसके निपल काले और बड़े थे, बहुत कड़े हो रहे थे। निप्पल खींचते ही उसे और मजा आता था और सिसक उठती थी।
“हाय रे भाभी, रोज़ चुदा लिया करो, क्या मस्ती आती है!” मेरे झटके बढ़ चले थे। “तेरे लण्ड में भी जोर है, जो अभी तक छूटा नहीं, चोदे जा… मस्ती से… मुझे भी लगे कि मैं आज चुद गई हूं!” भाभी मस्त हो उठी, भाभी के मुख से सीत्कारें निकल रही थी। “मस्त गांड है भाभी, रोज गांड देख कर मुठ मारता था, आज तो बस… गांड मार ही दी!” “मन की कर ली ना बस… अब बस कर… कल चोद लेना… मेरी चूत पेल दे अब!” भाभी ने पीछे मुड़ कर नशीली आंखों से देखा।
मैंने अपना लण्ड भाभी की ग़ाण्ड से निकाला और पहले उसकी गीली चूत को तौलिये से पोंछ डाला, उसे सुखा कर लण्ड को चूत में दबा दिया। सूखी चूत में रगड़ता हुआ लण्ड भीतर बैठ गया। “अरे वाह… मजा आ गया, कैसा फ़ंसता हुआ गया है!” भाभी हाय कह कर सिसक उठी।
मुझे उनकी चूत में घुसा कर मजा आ गया, मैंने उसकी कमर पकड़ कर लण्ड का पूरा जोर लगा दिया, मुझे फिर भी चूत ढीली लगी। मेरे धक्के ऐसा लग रहा था कि किसी नरम से स्पंज से टकरा रहे हैं। “हाँ भाभी, चूत तो कितनी नर्म है, गर्म है, आनन्द आ गया!” उसने अपनी चूत और बाहर निकाल ली और चेहरा तकिये से लगा लिया। पर मुझे कुछ ठीक नहीं लगा, मैंने उसे धक्का दे कर चित लेटा लिया और उनकी टांगें अपने कन्धों पर रख ली और चूत के निकट बैठ कर लण्ड चूत में डाल दिया।
भाभी ने मुझे पूरा अपने ऊपर खींच लिया और अपनी टांगों के बीच में भींच लिया। मैं उनके बोबे पकड़ते हुए उस पर लेट गया, मेरा लण्ड भाभी की चूत की गहराइयों को बींधता चला गया। उसे शायद पता चल गया था कि उसकी चूत टाईट नहीं है, तो उसने अपनी चूत क कसाव बढ़ा दिया और चूत सिकोड़ ली। मेरी कमर अब जोर से चल पड़ी।
चूत कसने से पहले तो वो दर्द से कुलबुलाई, फिर सहज हो गई- जड़ तक चला गया, साला, तेरा सच में थोड़ा बड़ा है, मजा बहुत आ रहा है! उसकी कमर भी अब हौले हौले चलने लगी, मेरा पूरा लण्ड खाने लगी। दोनों की कमर साथ साथ चलने लगी, मैं भी उनकी लय में लय मिलाने लगा। लण्ड में एक सुहानी सी मीठी सी मस्ती चलने लगी।
कुछ देर के बाद कमर की लय तोड़ते हुए भाभी ने मुझे दबा कर नीचे कर दिया और खुद मेरे ऊपर चढ़ गई और तेजी से धक्के मारने लगी और उसके मुँह से तेज सीत्कारें निकलने लगी। “साले बाबू… मर गई, तेरी तो… भेन चोद… मैं गई… आईईईइ ओह्ह्ह्ह्ह… बाबूऽऽ… मर गई…!” कहते हुए वो मेरे से चिपक गई और चूत का जोर मेरे लण्ड पर लगाने लगी, बार बार चूत दबा रही थी। अचानक उसकी चूत टाईट हो गई और मैं तड़प गया और मेरा वीर्य निकल पड़ा और वो निढाल हो कर मुझे पर पसर गई। मैं नीचे से जोर लगा कर उसकी चूत में वीर्य निकाल रहा था। वो भी चूत को हल्का हल्का कस कर पानी निकाल रही थी। मेरे लण्ड पर उसका कसाव और छोड़ना महसूस हो रहा था।
कुछ ही देर में हम अलग अलग पड़े हुए गहरी सांसें भर रहे थे।
“भाभी, आप तो मस्त है, कैसी बढ़िया चुदाई करती हैं, मेरी तो माँ चोद दी आपने!” भाभी ने तुरन्त मेरे मुँह पर अंगुली रख दी- नहीं गाली नहीं, मस्ती लो पर गाली मत देना भेन चोद!” भाभी ने मुझे फिर से एक बार और दबा लिया, और हंस पड़ी।
“चल हो जाये एक दौर और… अब तू मेरी माँ चोद दे, भेन के लौड़े!” और उसकी चूत का दबाव मेरे लण्ड पर बढने लगा। जिस्म फिर से पिघलने लगे… भाभी का मस्त बदन एक बार फिर वासना से भर उठा था.
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