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मेरा नाम नरेश, उमर बाईस साल, मैं अबोहर, पंजाब का रहने वाला हूँ। मैं अपनी कहानी आप सभी को बताना चाहता हूँ। यह कहानी मेरी पहली सच्ची कहानी है।
आज चार साल पहले अपने पड़ोस में रहने वाले परिवार के घर आता जाता था उस परिवार में पति, पत्नी और उनके चार बच्चे रहते थे। पति मजदूरी करता था, उसकी पत्नी का नाम नीरजा था।
नीरजा की उमर तीस साल थी। मेरी उमर अट्ठारह साल की थी।
धीरे धीरे मैं उनके घर ज्यादा आने जाने लगा मैं उनकी छोटी बच्ची खिलाता रहता था। नीरजा मुझे पसन्द करने लगी थी। मैं भी उसे पसन्द करने लगा था।
नीरजा से बातें करते करते काफी खुल चुका था और उससे सेक्स के बारे में भी बातें करने लगा था।
एक दिन ऐसा हुआ, नीरजा ने कुछ सामान मंगवाने के लिए बुलाया, वह सन्दूक में से पैसे निकालने लगी और मैं पलंग पर बैठ गया।
अचानक नीरजा ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया। मैं हक्का बक्का रह गया, नीरजा ने मुझसे कहा- मैं तुमसे प्यार करती हूँ।
उस समय मैं कुछ नहीं बोला पर जब मैं सामान लेकर वापस आया तो उसने मुझे फिर से गले से लगा लिया।
इस बार मैंने उसकी चूचियों को सहलाना शुरु कर दिया। पर कोई देख न ले, इस डर से मैं उस समय वहाँ से चला गया।
हम सदा सेक्स करने के लिए मौका ढूंढते रहते थे। एक दिन हमें मौका मिल ही गया।
हमारे घर मेरे दोस्त आए हुए थे इसलिए हम छत पर सोने के लिए गए। नीरजा भी छत पर सोने के लिए आ गई।
उस समय नीरजा का पति शहर से बाहर गया हुआ था।
मैंने उससे इशारे कह दिया आज मैं आऊँगा। वह समझ गई।
जब मेरे दोस्त सो गये, तब मैं तीन फुट की दीवार पार करके उसके पास गया।
वो मेरा इंतजार कर रही थी। मैं धीरे से उसकी चारपाई पर लेट गया उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया।
नीरजा मुझे ज़ोर ज़ोर से चूमने लगी मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में भर लिया और चूसने लगा। नीरजा भी पूरी मस्ती में थी, उसने मेरा लंड सहलाना शुरु कर दिया।
मेरा लंड अब पूरा तन चुका था, नीरजा ने मेरा लंड पैन्ट में से बाहर निकाल लिया। नीरजा ने मुझसे कहा- मैं तो तुमको बच्चा समझती थी, तुम्हारा लंड तो पूरा जवान हो चुका है।
मैंने उसके कुर्ते को उतार दिया और उसको बूब्स चूसने लगा, नीरजा के मुंह से अहहहा अहहहा की आवाज़ निकलने लगी। नीरजा पूरी मस्ती में थी, उसने अपनी सलवार भी उतार दी।
मैंने उसकी ब्रा पैंटी भी उतार दी और उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा। उसने चूत के बाल साफ किये हुए थे, उसका शरीर काफी सुन्दर और फिट था।
नीरजा मुझे चूम रही थी, वो बोली- मुझसे अब सब्र नहीं हो रहा है, जल्दी अपना लंड मेरी चूत में डालो अब मेरे से रहा नहीं जा रहा! मैं नीरजा के ऊपर हो गया और अपना लंड उसकी चूत पर रख दिया, मैंने एक जोर से झटका मारा मेरा आधा लंड उसकी चूत में चला गया।
नीरजा ने मेरी पीठ के ऊपर से हाथ डाल कर अपनी छाती से लगा लिया, बोली- और डालो! मैंने एक झटका और मारा अब मेरा लंड पूरा उसकी चूत के अन्दर चला गया।
मैं अपनी कमर हिला हिला कर अपना लंड उसकी चूत में आगे पीछे करने लगा। नीरजा मजे से अहहहा अहहह हहा हायय हाययय कर रही थी, मैं उसकी चूत का पूरा मजा ले रहा था। जिन्दगी में पहली बार किसी को चोद रहा था।
15 मिनट बाद मैंने अपना वीर्य उसकी चूत में डाल दिया। नीरजा एक बार स्खलित हो चुकी थी लेकिन मैंने अपना लंड बाहर नहीं निकाला, धीरे धीरे चूत चोदता रहा, दो मिनट बाद मैं फिर से मस्ती में आ गया, दोबारा नीरजा को चोदने लगा।
नीरजा मुझसे बोली- जान बहुत मजा आ रहा है जितनी जोर से चोदते हो उतना ज्यादा मजा आता है! कहकर वो अपनी कमर नीचे से जोर जोर हिलाने लगी।
नीरजा भी पहली बार चुदाई का इतना मज़ा ले रही थी क्योंकि उसका पति जल्दी ही स्खलित हो जाता था, नीरजा तरसती रहती थी। मैं उसे धीरे धीरे चोदता रहा मैंने उसे तीन घण्टे में कई बार चोदा। उसके बाद हम इकट्ठे लेटे रहे और उसके बाद वहां से उठ के धीरे अपनी छत पर चला गया।
यह कहानी सच्ची है मुझे विश्वास है कि आप मेरी इस कहानी को जरुर पसन्द करेंगे।
यह कहानी अन्तर्वासना पर पूर्व प्रकाशित पीडीऍफ़ कहानी है। इसे दोबारा प्रकाशित किया गया है।
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