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अन्तर्वासना के सभी पाठको को नमस्कार !
एक बार फिर मैं आपके सामने अपनी एक बहुत ही हसीन आपबीती लेकर उपस्थित हूँ, आशा करता हूँ कि आप लोगों को पसंद आएगी।
लगभग चार महीने पहले मेरे पास एक मेल आई –
मैं गवर्नमेंट कोलेज में प्रोफ़ेसर हूँ, मेरी उम्र ५२ साल है, मेरे साथ हुए एक सेक्स हादसे के कारण मैंने शादी नहीं की। लेकिन अब जब मैं अपने चारों ओर के वातावरण पर नजर डालती हूँ और लड़कों व लड़कियों को एक दूसरे के साथ घूमते मस्ती करते देखती हूँ तो मेरे में एक आग सी जलने लग जाती है। अब इस उम्र में मैं किस से इस तरह की बात करूँ इसलिए बहुत हिम्मत करके मैं आपको मेल कर रही हूँ, यदि आप उचित समझो तो मेरे साथ चैट करके आप मेरी आग को बहुत हद तक शांत कर सकते हो, मैं अपने घर में अकेली ही रहती हूँ।
जब ये मेल मैंने पढ़ी तो मेरे मन में इस स्त्री के प्रति बहुत नरम प्रतिभावना ने सर उठाया, जैसा कि इन्होने कहा कि वो चैट करना चाहती हैं तो मुझको इसमें भी कोई बुराई नजर नहीं आई। और रही उम्र की बात तो मैं खुद भी सेक्स से भरपूर हूँ इसलिए इन की मुश्किल मुझको बहुत ही प्राकृतिक लगी और इनकी भावना को मैं मन ही मन समझने लगा।
मैंने इस मेल का जवाब लिखा कि मैं आपके इस आमंत्रण को स्वीकार करता हूँ, क्या आप मुझको अपना दोस्त मानेंगी…? हम दोनों दोपहर दो बजे के बाद इस तरह की चैट आसानी से कर पायेंगे क्यूंकि मैं अपने संस्थान की कक्षाएँ इस समय तक ख़त्म कर लेता हूँ। अतः क्या ये समय आपको सही रहेगा?
मेरी आशा के विपरीत बहुत ही जल्दी जवाब आया….. उसी दिन २ घंटे बाद ही।
मैंने धड़कते दिल से मेल खोली, मेरी स्थिति उस समय वैसी थी जैसे कि कोई वर अपनी माशूक को पहला प्यार जताने के लिए संबोधित कर रहा हो।
और मेल पढ़कर मेरा दिल ख़ुशी के मारे लरजने लगा। उन्होंने मेरा आमंत्रण सहर्ष स्वीकार कर लिया था, उन्होंने लिखा था…. प्रिय नीरज, थंक्स, तुम्हारे पत्र ने मेरे बूढ़े मन के तपते रेगिस्तान में समुद्र की लहरों की तरह से ठंडक प्रदान की है, मेरे पास इसको लिखने के लिए उपयुक्त शब्द नहीं हैं, मुझको आप मेरे दोस्त के रूप में मंजूर हो। मेरा नाम कामिनी है।
मेरे हाथ कांपने लगे। मुझको मेरी २३वें वर्ष की वो रवानी याद आई जब मैं मेरी होने वाली पत्नी को देख कर उसको जीवन संगिनी बनाने के लिए हाँ की थी।
मैंने इस मेल अड्रेस को तुंरत ही अपने आईडी पर ज़ोड़ लिया और इसका फायदा ये मिला कि कामिनी मुझे ऑनलाइन मिलीं। मैंने तुंरत ही चैट के लिए क्लिक किया और कामिनी जी से बात शुरू की।
एक दूसरे को अभिवादन के बाद औपचारिक बातें शुरू हुई। अब भी मेरा मन अलग ही तरीके से धड़क रहा था, और मैं जानता था कि वो स्त्री हैं, उन्होंने भले ही प्रथम निमंत्रण भेजा हो, लेकिन कायदे से, आगे बढ़ने के लिए मुझको ही पहल करनी है।
इसलिए थोड़ी हिम्मत करके मैंने उनको बोला कि मेरी दोस्ती स्वीकार करने के लिए थैंक्स !
तो वो बोली- वाह क्या बात है, ये तो मैं बोलती और आप हो कि उल्टे मुझसे कह रहे हो।
मैंने कहा- यह ही अच्छा लगता है कि पुरुष पहल करे। फिर मैंने कहा कि क्या मैं आपको तुम बोलूं यदि आपको बुरा ना लगे तो ?
जवाब मिला – वाह क्या बात है, ये तो तुमने मेरे मन की बात छीन ली। सच तो यह है कि जो सम्बन्ध हम बनाने जा रहे हैं उसमें जो नजदीकी “तुम” से मिलेगी वो “आप” से नहीं मिलेगी !
मैंने सहमति जताई, और फिर कहा- कामिनी जी मैं आपको एक प्यार का नाम देना चाहता हूँ, आप को क्या पसंद आएगा?
तो उन्होंने कहा- मेरी इस उम्र में कोई मुझको निकनेम से बुलाएगा…….. उम्म्म्म वाह ….. क्या नाम दोगे ….. कम्मो बोल दो….!
मुझको ये नाम कुछ जंचा नहीं, इसलिए मैंने उनको कहा- यह तो बहुत ही पुराने स्टाइल का नाम लगता है !
तो वो बोली- फिर……?
मैंने कहा- मिनी कैसा रहेगा ? नाम भी नए स्टाइल का है और उम्र भी कम नजर आती है !
उनको यह नाम एकदम जँच गया, अब वो मेरे लिए मिनी हो गई।
अब मैंने उनको कहा- मिनी एक बात मेरी माननी होगी कि अब तुम उम्र को लेकर फालतू सोचना बंद करो, यार इससे तो हमारा ये प्यारा सा रिलेशन बिना मकसद ही ख़त्म हो जायेगा और अब मैं तुम्हारे साथ हूँ तो अब तो अपने को जवान समझो, बीते समय को भूल जाओ कि क्यों तुमने शादी नहीं की और तुम्हारे साथ क्या हादसा हुआ ……, इन सबको भुलाने में मैं आपकी पूरी मदद करूँगा।
उस दिन तो बात यहीं आई-गई हो गई, लेकिन मिनी मेरे मन पर छा गई। इस प्यार की अनुभूति अब इस उम्र में मेरा यह हाल कर देगी, मैं बिलकुल भी नहीं जानता था। मेरा दिल मेरे गले में धड़क रहा था। मेरा खून उबल रहा था, जोश तूफानी समुद्र की तरह से उछाले मार रहा था।
अगले दिन फिर हमारी चैट शुरू हुई-
मैंने उनको किस किया !
वो बोली- धत्त ! मुझको शर्म आती है।
मैंने उनका चेहरा हौले से ऊपर उठाया, उनकी आँखें बंद होती गई और मेरे होंट उनके होंटों की तरफ बढ़ते गए।
हमारे होंट आपस में चिपक गए …. फिर जीभ एक दूसरे के मुँह में जाने लगी। बदन गर्मी से तर होने लगे। ठण्ड में भी पसीना चुहचुहाने लगा। मैं उनके बोबे सहलाने लगा, वो मचलने लगी, मैं उनके बदन पर हाथ फिराने लगा, वो लरजने लगी, सिरहन मुझको महसूस होने लगी, वो बोली कि अब तो सब कुछ सहन नहीं हो रहा है, तो मैं उनके कपड़े उतारता चला गया, उनके बोबे दबाने लगा, वो मदहोश होने लगी।
मैंने कहा- मेरे कपडे कौन उतारेगा ?
तो बोली- शर्म आती है यार !
तो मैंने कहा- चाहे शर्म कर लो लेकिन मेरे कपड़े तो तुम ही उतारोगी।
उन्होंने मेरे कपड़े उतारे, मुझको ऐसा लगा कि मैं आसमान में उड़ जाऊंगा। मेरे हाथ की बोर्ड पर ही मचलने लगे ……
मैं उनको लेकर पलंग पर आ गया और उनको अपने ऊपर ले कर उनका मुँह चाटने लगा।
वो सिस्कारियां भरने लगी, उनकी चूत गीली हो गई !
मैं चूत के चारों तरफ ऊँगली घुमाने लगा,
वो तड़पने लगी और बोली प्लीज ……….. !
तो मैंने उनको अपने बदन से बिल्कुल चिपका लिया और उनको बोला- तुम अपने हिप्स थोड़ा ऊपर करो, मैं नीचे से अपने लंड को तुम्हारी चूत पर एडजस्ट करता हूँ ……..
फिर उनको बोला- धीरे धीरे दबाव बढ़ाओ और लंड को अपनी चूत में ले लो।
उनकी आ आहें निकली और लंड पूरा उनकी चूत में समा गया, होश थे कि आसमानों के भी कहीं ऊपर उड़ रहे थे …….
रगड़, धक्के, चाटा चूटी का एक तूफानी दौर शुरू हुआ और हम दोनों एक दूसरे को उकसा रहे थे कि वो बहुत अच्छा कर रहा है !
फिर हमने उसी दौर में एक दूसरे को बताया कि ओर्गास्म होने को आ रहा है, गति और भी तूफानी हो गई, बदन से पसीना बह निकला, और फिर एक दूसरे को अपने से चिपकाए निढाल हो गए……..
चैट पर ही चुदाई पूरी हो गई, हम एक-दूसरे को अपने पास मानते हुए चैट पर ही चुदाई कर बैठे।
मिनी बोली- आज इस उम्र में मेरी हसरत पूरी हुई है !
मैं बोला- धत् ! ऐसा नहीं बोलते तुम तो अभी हुई ही कितनी हो? २५ की ! (५२ को उलट दें तो )
तो मिनी बोली- हाँ यार ! तुम बिलकुल सच कह रहे हो ! मैं सच में २५ की ही हूँ !
मैंने सोचा- मजाक कर रही है !
तो मैंने कहा- हाँ अब आया तुमको समझ में ! यह है पोसिटिव थिंकिंग……….
तो मिनी बोली- नहीं मेरे प्यारे भोलेनाथ ! मैं वास्तव में ही २५ की हूँ, मैं तो तुमको आजमाने के लिए ५२ की बोली थी…….
मैं अवाक रह गया, बहुत देर तक चैट कर नहीं पाया।
मिनी सॉरी सॉरी बोलती रही, फिर मैंने कहा- मिनी अब तो जो भी है सच सच बता दो यार, खिलवाड़ मत करना प्लीज………
तो मिनी बोली- तुम मेरे मन को भा गए हो, तुम निर्मल हो…… मैं अब बिलकुल सच बोल रही हूँ।
तो यूँ हमारी दोस्ती आगे बढ़ने लगी….. मेरा विश्वास मिनी पर मजबूत होता चला गया।
वो एक चंचल, शोख और हसीन लड़की है, मन से एकदम साफ़ है और उसके बाद उसने कभी भी मुझसे कोई मजाक नहीं किया।
हम एकाध दिन में चैट-चुदाई करने लगे.
धीरे धीरे मेरी तड़प बढ़ने लगी, मैं मिनी को देखना चाहता था, उससे मिलना चाहता था, मैंने उसको बोला- तुम चाहो तो मिल लें कहीं भी और जो भी समय तुमको सही लगे !
लेकिन वो टाल देती थी…………
और ठीक भी था, मैं कौन हूँ, कैसा आदमी हूँ, कोई फ़्रॉड तो नहीं…. ये सब जाने बिना मिलना कितना खतरनाक हो सकता है, ये कोई नहीं बता सकता…. इसलिए मैंने कोई जोर जबरदस्ती भी नहीं की। हमारी चैट लगभग रोज ही होती रही, और जिस दिन चैट नहीं होती उस दिन कई कई मेल्स आती जाती रही……
तीन-चार महीने कैसे निकले …… जैसे रोकेट से चाँद पर पहुच गए, चार दिन में ही चार महीने पूरे हो गए…..
फिर अभी लगभग १५ दिन पहले ही एक दिन अचानक उसने चैट करते हुए मुझको अपने घर का पता दिया……..
शेष अगले भाग में !
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