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साहिल वर्मा
हैल्लो, सभी आँटियों को मेरा सलाम।
मेरा नाम साहिल है। मैं गुजरात का हूँ।
मेरी यह पहली कहानी है। इसलिए लिखने में अगर कोई ग़लती हो तो मुझे माफ़ करें।
तो चलिए अब कहानी पर आते हैं।
बात आज से १ साल पहले की है, जब हम सभी लोग दर्शन कर के वापस आ रहे थे। हम सभी लोग एक ट्रक में थे। नीचे गद्दे बिछाए हुए थे।
रात हो चुकी थी। बरसात का मौसम होने की वज़ह से ट्रक पूरा ढक दिया गया था। मैं सबसे पीछे लेटा हुआ था।
मेरे सामने मेरी मौसी लेटी हुईं थीं। वहाँ अँधेरा था।
मेरी मौसी बहुत मोटी है और हॉट भी।
वह विधवा है, उनके पति का देहांत १० साल पहले हो चुका था। सभी लोग सो चुके थे।
मैंने सोने के लिए जैसे ही पैर आगे किए तो मेरा पैर मौसी की झाँटों पर जा लगा।
पाँव का स्पर्श वहाँ होते ही मेरे शरीर में बिजली दौड़ गई और मेरा ७ इंच का लंड फटाक से खड़ा हो गया।
अब मैं मौसी को चोदने के बारे में सोचने लगा था।
फिर मैंने अपने पैर को और आगे बढ़ाकर अपने पाँव के अँगूठे से ही उसकी चूत को महसूस किया और दबाया।
मौसी जाग गईं।
मैं डर गया कि वो कहीं डाँटे ना, मैंने जल्दी से अपने पाँव पीछे सिकोड़ लिए।
थोड़ी देर ऐसे ही सोता रहा।
कुछ देर के बाद मैंने फिर से अपने पाँवों को उनकी चूत से लगाया तो उन्होंने कुछ नहीं कहा।
मेरी हिम्मत बढ़ी, और मैंने पाँव के अँगूठे से उनकी चूत को दबाया, उनके मुँह से सिसकारी निकल पड़ी और उन्होंने अपने पाँव और फैला दिए।
अब मैं उनके पास जाकर लेट गया और उनकी चूचियाँ ऊपर से ही दबाने लगा।
थोड़ी देर दबाने के बाद मैंने अपनी एक उँगली उनकी चूत में डाल दीं।
वह आहें भरने लगीं। तभी ट्रक में से कुछ और आवाज़ आई, तो हमने समझा कि शायद कोई और भी जाग गया है, तो मैं तो जल्दी से आँखें बन्द करके सो गया।
हम लोग जल्दी ही घर पहुँच गए।
मैंने सोच लिया था कि उन्हें अब घर में चोदना ही है। दूसरे दिन मौसी अपने घर जाने के लिए सामान बाँध रहीं थीं।
वह हमारे यहाँ से ५० किलोमीटर दूर रहतीं थीं। उन्होंने मेरी माँ को कहा कि साहिल को भी साथ ले चलती हूँ। थोड़े दिन मेरे पास रहने दो, तो माँ भी राज़ी हो गईं।
मैं तो खुश हो गया था और जल्दी से अपना सामान भी बाँध लिया और मौसी के साथ चल पड़ा।
मैं आपको बता दूँ कि मौसी की दो बेटियाँ हैं। दोनों की शादी हो चुकी है, इसलिए वह अकेली ही रहतीं हैं। उनका बंगला काफी बड़ा है।
हम लोग उनके घर पहुँचे। मैं जाकर तरोताज़ा होकर बेडरूम मे आ गया और टीवी देखने लगा, मौसी किचन में खाना बनाने लगी।
थोड़ी देर के बाद मौसी की आवाज़ आई कि खाना खा लो।
हमने साथ में खाना खाया।
खाना खत्म होने के बाद मौसी ने कहा कि तुम बेडरूम में जाओ, मैं बर्तन साफ़ करने के बाद आती हूँ।
मौसी जब आईं तो वह कफ़ी सुन्दर लग रहीं थीं। उन्होंने गुलाबी रंग की नाईटी पहनी थी।
आते ही मौसी ने दरवाज़ा बन्द कर लिया और मुझे चूमने लगी।
मैं भी उन्हें चूमने लगा।
चूमते-चूमते हम दोनों ने एक दूसरे के कपड़े भी उतार फेंके।
अब हम दोनों पूरे नंगे थे।
मौसी मेरे लंड को देखकर हैरान थीं – शाही, तेरा तो काफी बड़ा है! तेरे मौसा जी के दो लण्डों के बराबर है।
यह कहकर उन्होंने मेरे लंड को मुँह में ले लिया और चूसने लगीं।
चूसते-चूसते वह कभी-कभी दाँत भी गड़ा देतीं, वह पागलों की तरह चूसे जा रहीं थीं। मैंने कहा- मौसी, मौसाजी के मरने के बाद क्या तुमने कभी सेक्स नहीं किया है?
“१० साल बाद आज पहली बार मर्द का लंड ले रही हूँ” – उन्होंने बताया।
“१० साल तुमने कैसे चलाया?” – मैंने पूछा।
तो वह उठी और बिस्तर के नीचे से एक कृत्रिम लंड निकाल और कहने लगी, “यही मेरा पति है जो हर रात मुझे शांत करता था।”
अब हम दोनों 69 की मुद्रा में आ गए और एक-दूसरे को चाटने लगे। मौसी की चूत एकदम साफ थी। उसपर एक बाल भी नहीं था।
क़रीब १० मिनट चाटने के बाद मौसी को मैंने सीधा करके मैं उनके ऊपर आ गया और उनकी चूत पर अपना लंड रख कर रगड़ने लगा।
मौसी शशश्सस्सस्सससस… सिसकारियाँ भरने लगीं और कहने लगी, शाही अब रहा नहीं जाता… जल्दी डाल दे और मेरी चूत फाड़ दे।
मैंने अपना लंड मौसी की चूत में पेल दिया, और चोदने लगा।
लगभग ५ मिनट चोदने के बाद वह झड़ गईं।
फिर मैंने उन्हें कुतिया की मुद्रा में आने को कहा और उनकी गाँड दबाने लगा। उन्होंने कहा, “चूत में ही डालो ना!”
मौसी मैं तो गाँड ही मारूँगा” – मैंने कहा।
“ऐसा तो तेरे मौसा ने भी कभी नहीं किया। बहुत दर्द होगा।”
“मौसी मैं आराम से डालूँगा।” – यह कहकर मैंने अपने लंड के सुपाड़े को उनकी गाँड की छेद पर रखकर एक झटका मारा तो मौसी चिल्लाने लगी और कहने लगी, “बाहर निकाल…”
पर मैं कहाँ निकालने वाला था। दर्द की वज़ह से मौसी की आँखों से आँसू आ रहे थे। मैं थोड़ी देर रुक गया और आहिस्ता-आहिस्ता झटके देने लगा।
जब उनका दर्द कम हुआ तो मैंने अपनी गति बढ़ा दी। थोड़ी ही देर बाद मैं झड़ गया और बगल में आकर लेट गया।
उस रात मौसी को मैंने ५ बार चोदा और १५ दिनों तक वहीं रहकर उनकी जमकर चुदाई करता रहा।
कई बार हमने ब्लू-फिल्में देखते हुए भी चुदाई का आनन्द उठाया। फिर मैं घर वापस आ गया।
मगर फिर भी जब भी मौका मिलता है, मैं उनके घर जाकर ज़बर्दस्त चुदाई कर आता हूँ।
तो दोस्तों, आपको मेरी पहली कहानी कैसी लगी, ज़रूर बताएँ
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