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गाँव की गोरी को डॉक्टर दिल दे बैठे लेकिन बदकिस्मती से उन्हें दूर दिया पर हालात ऐसे बदले कि साहब को गोरी को इतना करीब लाया कि दोनों दो जिस्म एक जान हो गए..
एमबीबीएस की डिग्री मिलते ही मेरी पोस्टिंग उत्तर प्रदेश के एक गाँव में हो गई। गाँव वासियों ने अपने जीवन में गाँव में पहली बार कोई डॉक्टर देखा था। इसके पहले गाँव नीम हकीमों, ओझाओं और झाड़ फूँक करने वालों के हवाले था।
जल्द ही गाँव के लोग एक भगवान की तरह मेरी पूजा करने लग गए, रोज़ ही काफ़ी मरीज़ आते थे और मैं जल्दी ही गाँव की ज़िंदगी में बड़ा महत्वपूर्ण समझा जाने लगा। गाँव वाले अब सलाह के लिए भी मेरे पास आने लगे। मैं भी किसी भी वक़्त मना नहीं करता था अपने मरीज़ों को आने के लिए!
गाँव के बाहर मेरा बंगला था। इसी बंगले में मेरी डिस्पेन्सरी भी थी। गाँव में मेरे साल भर गुज़ारने के बाद की बात होगी यह। इस गाँव में लड़कियाँ और औरतें बड़ी सुन्दर सुन्दर थीं। ऐसी ही एक बहुत ख़ूबसूरत लड़की थी गाँव के मास्टर जी की।
नाम भी उसका था गोरी। सच कहूँ तो मेरा भी दिल उस पर आ गया था पर होनी को कुछ और मंज़ूर था। गाँव के ठाकुर के बेटे का भी दिल उस पर आया और उनकी शादी हो गई। पर जोड़ी बड़ी बेमेल थी। कहाँ गोरी और कहाँ राजन!
राजन बड़ा सूखा सा मारियल सा लड़का था। मुझे तो उसके मर्द होने पर भी शक़ था। और यह बात सच निकली क़रीब क़रीब!
उनकी शादी के साल भर बाद एक दिन ठकुराइन मेरे घर पर आई, उसने मुझे कहा कि उसे बड़ी चिंता हो रही है कि बहू को कुछ बच्चा वगैरह नहीं हो रहा। उसने मुझसे पूछा कि क्या गड़बड़ हो सकता है, बेटा-बहू उसे कुछ बताते नहीं हैं और उसे शक है कि बहू कहीं बाँझ तो नहीं?
मैंने उसे ढांढस दिया और कहा कि वो बेटा-बहू को मेरे पास भेज दें तो मैं देख लूंगा कि क्या गड़बड़ है। उसने मुझसे आग्रह किया मैं यह बात गुप्त रखूँ, घर की इज़्ज़त का मामला है।
फिर एक रात क़रीब शाम को वे दोनों आए. राजन और उसकी बहू। देखते ही लगता था कि बेचारी गोरी के साथ बड़ा अनयाय हुआ है कहाँ वो लंबी, लचीली एकदम गोरी लड़की, भरे पूरे बदन की बला की ख़ूबसूरत लड़की और कहाँ वो राजन, काला कलूटा मारियल सा। मुझे राजन की किस्मत पर बड़ा रंज हुआ।
वे धीरे धीरे अक्सर इलाज करवाने मेरे क्लिनिक पर आने लगे और साथ साथ मुझसे खुलते गये. राजन बड़ा नर्म दिल इंसान था। अपनी बला की ख़ूबसूरत बीवी को ज़रा सा भी दु:ख देना उसे मंज़ूर ना था।
उसने दबी ज़ुबान से स्वीकार किया एक दिन कि अभी तक वो अपनी बीवी को चोद नहीं पाया है, मैं समझ गया कि क्यों बच्चा नहीं हो रहा है. जब गोरी अभी तक कुंवारी ही है तो!
सहसा मेरे मन मैं एक ख्याल आया और मुझे मेरी दबी हुई हसरत पूरी करने का एक हसीन मौक़ा दिखा; गोरी का कौमार्य लूटने का। दरअसल जब जब राजन गोरी के सुन्दर नंगे जिस्म को देखता था अपने ऊपर काबू नहीं रख पाता था और इससे पहले की गोरी सेक्स के लिए तैयार हो राजन ऊपर टूट पड़ता था।
नतीजा यह कि लण्ड घुसाने की कोशिश करता था तो गोरी दर्द से चिल्लाने लगती थी और गोरी को यह सब बड़ा तकलीफ़ वाला मालूम होता था। उसे चिल्लाते देख बेचारा राजन सब्र कर लेता था फिर। दूसरे राजन इतना कुरूप सा था कि उसे देख कर गोरी बुझ सी जाती थी।
सारी समस्या जानने के बाद मैंने अपना जाल बिछाया। मैंने एक दिन ठकुराईन और राजन को बुलाया, उन्हें बताया कि ख़राबी उनके बेटे में नहीं बल्कि बहू में है और उसका इलाज करना होगा। छोटा सा ऑपरेशन बस… बहू ठीक हो जाएगी।
ठकुराईन तो खुश हो गई पर बेटे ने बाद में पूछा- डॉक्टर साहब। आख़िर क्या ऑपरेशन करना होगा? “हाँ राजन, बताना ज़रूरी है, नहीं तो बाद मैं तुम कुछ और समझोगे।” “हाँ! हाँ! बोलिये डॉक्टर साहब?” “देखो राजन, तुम्हारी बीवी का गुप्ताँग थोड़ा सा खोलना होगा ऑपरेशन करके! तभी तुम उससे संभोग कर पाओगे और वो माँ बन सकेगी।” “क्या? पर क्या यह ऑपरेशन आप करेंगे। मतलब मेरी बीवी को आपके सामने नंगी लेटना पड़ेगा?” “हाँ यह मजबूरी तो है, पर तुम तभी उसकी जवानी का मज़ा लूट पाओगे, वरना सोच लो यूँ ही तुम्हारी उमर निकल जाएगी और वो कुँवारी ही रहेगी।”
अब वो नर्म पड़ गया- प्लीज! डॉक्टर साहब, कुछ भी कीजिए, चाहे ऑपरेशन कीजिए, चाहे जो जी आए कीजिए, पर कुछ ऐसा कीजिए कि मैं उसके साथ वो सब कर सकूँ और हमारा आँगन बच्चे की किलकारी से गूँज उठे। वरना मैं तो गाँव में मुँह नहीं दिखा सकूंगा किसी को! खानदान की इज़्ज़त का मामला है डॉक्टर साहब। उसने हाथ जोड़ लिए.
“ठीक है! घबराओ नहीं, बहू को मेरे क्लिनिक में भरती कर दो। दो चार दिन में जब वो ठीक हो जाएगी तो घर आ जाएगी। तो बस फिर बहू के साथ मौज करना।” “ठीक है डॉक्टर साहब, वो ठीक हो जाएगी तो मैं आपका बड़ा उपकार मानूंगा।”
और इस तरह गोरी मेरे घर पर आ गई, कुछ दिनों के लिए शिकार जाल में था, बस अब करने की बारी थी।
गोरी अच्छी मिलनसार थी, खुल सी गई थी मुझसे। पर जब वो सामने होती थी अपने ऊपर काबू रखना मुश्किल हो जाता था। बला की कमसिन थी वो, जवानी जैसे फूट फूट कर भरी थी उसके बदन में ज़ब्त किए था। मैं मौक़ा देख रहा था, महीनों से कोई लड़की मेरे साथ नहीं सोई थी।
लण्ड था कि नारी बदन देखते ही खड़ा हो जाता था। दूसरी गड़बड़ यह थी मेरे साथ कि मेरा लण्ड बहुत बड़ा है जब वो पूरी तरह खड़ा होता है तो क़रीब 8″ लंबा होता है और उसका सुपारा ऐसे कड़ा हो जाता है जैसे कि एक लाल बड़ा सा टमाटर हो। और पीछे लंबा सा, पत्थर की तरह कड़ा एकदम सीधा लंबा सा खीरे जैसा मोटा सा लण्ड!
गोरी को मेरे घर आए एक दिन बीत चुका था। पिछली रात तो मैंने किसी तरह गुज़ार दी पर दूसरे दिन बदहवास सा हो गया और मुझे लगा कि अब मुझे गोरी चाहिए वरना कहीं मैं कुछ कर ना बैठूं। ऐसी सुन्दर कामनीय काया मेरे ही घर में और मैं प्यासा!
क्लिनिक बंद करके रात्रि भोजन के बाद मैंने गोरी से कहा कि मुझे उससे कुछ ख़ास बातें करनी हैं उसके केस के बारे में! कि वो अंदर मेरे रूम में आ जाए।
गाँव की एक वधू की तरह वो मेरे सामने बैठी थी। एक भरपूर नज़र मैंने उस पर डाली, उसने नज़रें झुका ली। अब मैंने बेरोक टोक उसके जिस्म को अपनी नज़रों से टटोला। उफ़्फ़्फ़!! कपड़ों में लिपटी हुई भी वो कितनी कामवासना जगाने वाली थी।
“देखो गोरी मैं जानता हूँ कि जो बातें मैं तुमसे करने जा रहा हूँ, वो मुझे तुम्हारे पति की अनुपस्थिति में शायद नहीं करनी चाहिए, पर तुम्हारे केस को समझने के लिए और इलाज के लिए मेरा जानना ज़रूरी है, और अकेले में मुझे लगता है कि तुम सच सच बताओगी। मैं जो पूछूँ, उसका ठीक ठीक जवाब देना।”
“तुम्हारे पति ने मुझे सब बताया है और उसने यह भी बताया है कि क्यों तुम दोनों का बच्चा नहीं हो रहा है।” “क्या बताया उन्होंने डॉक्टर साहब?” “राजन कहता है कि तुम माँ बनने के काबिल ही नहीं हो।” “वो तो डॉक्टर साहब, वो मुझसे भी कहते हैं और जब मैं नहीं मानती तो उन्होंने मुझे मारा भी है एक दो बार।” “तो तुम्हें क्या लगता है कि तुम माँ बन सकती हो?”
“हाँ! डॉक्टर साहब, मेरे में कोई कमी नहीं है। मैं माँ बन सकती हूँ।” “तो क्या राजन में कुछ ख़राबी है।” “हाँ! डॉक्टर साहब, क्या? साहब वो … वो … उनसे होता नहीं।” “क्या नहीं होता राजन से?” “वो साहब … वो …” “हाँ हाँ, बोलो गोरी, देखो मुझसे कुछ छुपाओ मत! मैं डॉक्टर हूँ और डॉक्टर से कुछ छुपाना नहीं चाहिए।” “डॉक्टर साहब, मुझे शरम आती है कहते हुए! आप पराये मर्द हैं ना।”
मैं उठा, कमरे का दरवाज़ा बंद करके खिड़की में भी चिटकनी लगा के मैंने कहा- लो अब मेरे अलावा कोई सुन भी नहीं सकता … और मुझसे तो शरमाओ मत, हो सकता है तुम्हारा इलाज करने के लिए मुझे तुम्हें नंगी भी करना पड़े। तुम्हारी सास और पति से भी मैंने कह दिया है और उन्होंने कहा है कि मैं कुछ भी करूँ पर उनके खानदान को बच्चा दे दूं इसलिए मुझसे मत शरमाओ।” “डॉक्टर साहब, वो मेरे साथ कुछ कर नहीं पाते।” “क्या?” मैं अनजान बनते हुए कहा। मुझे गोरी से बात करने में बड़ा मज़ा आ रहा था। मैं उस गाँव की युवती को कुछ भी करने से पहले पूरा खोल लेना चाहता था।
“वो … वो मेरे साथ मेरी योनि में डाल नहीं पाते।” “ओह … यूँ कहो ना कि वो तुम्हारे साथ संभोग नहीं कर पाते।” “हाँ, राजन कह रहा था कि तुम्हारी योनि बहुत संकरी है।” “तो क्या आज तक उसने कभी भी तुम्हारी योनि में नहीं घुसाया?” “नहीं डॉक्टर साहब!” नज़र झुकाए ही वो बोली।
“तो क्या तुम अभी तक कुँवारी ही हो? तुम्हारी शादी को तो साल भर से ज़्यादा हो चुका है.” “हाँ साहब! वो कर ही नहीं सकते, मैं तो तड़पती ही रह जाती हूँ।” यह कहते कहते गोरी रुआंसी हो उठी। “पर वो तो कहता है कि तुम सह नहीं पाती हो? और चीखने लगती हो, चिल्लाने लगती हो।” “साहब वो तो हर लड़की पहली बार चीखती, चिल्लाती है। पर मर्द को चाहिए कि वो उसकी एक ना सुने और अपना काम करता रहे। पर ये तो कर ही नहीं सकते, इनके उसमें ताक़त ही नहीं है इतनी … सूखे से तो हैं।”
“पर वो तो कहता है कि तुमको संभोग की इच्छा ही नहीं होती?” “झूठ बोलते हैं साहब! किस लड़की की इच्छा नहीं होती कि कोई बलिष्ठ मर्द आए और उसे लूट ले, पर उन्हें देख कर मेरी सारी इच्छा ख़त्म हो जाती है।”
“पर गोरी मैंने तो उसका काम अंग देखा है, ठीक ही है और वो संभोग कर तो सकता है. कहीं तुम्हारी योनि में ही तो कुछ समस्या नहीं?” “नहीं साहब नहीं, आप उनकी बातों में ना आइए, पहले तो हमेशा मेरे आगे पीछे घूमते थे कि मुझसे सुन्दर गाँव में कोई नहीं! और अब!” वो सुबकने लगी। “आप ही बताइए डॉक्टर साहब, मैं शादी के एक साल बाद भी कुँवारी हूँ और फिर भी उस घर में सभी मुझे ताना मारते हैं।” “अरे नहीं गोरी.” मैंने प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा- अच्छा! मैं सब ठीक कर दूँगा।
“अच्छा चलो यहाँ बिस्तर पर लेट जाओ, मुझे तुम्हारा चेकअप करना है।” “क्या देखेंगे डॉक्टर साहब?” “तुम्हारे बदन की जाँच तो करनी होगी।” “जीईई? ऊपर से ही देख लीजिए ना डॉक्टर साहब! जो देखना है ऊपर से!”
“तुम तो बहुत खूबसूरत लगती हो, एकदम काम की देवी! तुम्हें देख कर तो कोई भी मर्द पागल हो जाए। फिर मुझे देखना यह है कि आज तक तुम कुँवारी कैसे हो। चलो लेटो बिस्तर पर और साड़ी उतारो।” “जजज्ज़ई डॉक्टर साहब। मु… मुझे शर्म आती है!” “डॉक्टर से शरमाओगी तो इलाज कैसे होगा?”
वो लेट गई, मैंने उसे साड़ी उतारने में मदद की। एक खूबसूरत जिस्म मेरे सामने सिर्फ़ ब्लाउज और पेटीकोट में था लेटा हुआ वो भी मेरे बिस्तर पर … मेरे लंड में हलचल होने लगी, मैंने उसका पेटीकोट थोड़ा ऊपर को सरकाया और अपना एक हाथ अंदर डाला। वो उधर नंगी थी। एक उंगली से उसकी चूत को सहलाया, वो सिसकी और अपनी जाँघों से मेरे हाथ पर हल्का सा दबाव डाला। उसकी चूत के होंठ बड़े टाइट थे, मैंने दरार पर उंगली घुमाने के बाद अचानक उंगली अंदर घुसा दी। वो उछली हल्की सी … एक सिसकारी उसके होंठों से निकली।
थोड़ी मुश्किल के बाद उंगली तो घुसी। फिर मैंने उंगली थोड़ी अंदर बाहर की। वो भी साल भर से तड़प रही थी, मेरी इस हरकत ने उसे थोड़ा गर्मी दे दी। इसी बीच एक उंगली से उसे छेड़ते हुए मैंने बाक़ी उंगलियाँ उसकी चूत से गांड के छेद तक के रास्ते पर फिरानी शुरू कर दी थी।
“कैसा महसूस हो रहा है? अच्छा लग रहा है?” “हाँ! डॉक्टर साहब।” “तुम्हारा पति ऐसा करता था? तुम्हारी योनि में इस तरह उंगली डालता था?” “नहीं डॉक्टररर साहब्ब…” गोरी अब छटपटाने लगी थी, उसकी आँखें लाल हो उठी थी।
“अगर तुम्हारे साथ संभोग करने से पहले तुम्हारा पति ऐसा करे तो तुम्हें अच्छा लगेगा?” “हाँ अम्म … वे तो कुछ जानते ही नहीं और सारा दोष मेरे माथे पर ही मढ़ रहे हैं।” “अगली बार जब अपने पति के पास जाना तो यहाँ योनि पर एक भी बाल नहीं रखना, तुम्हारे पति को बहुत अच्छा लगेगा और वो ज़रूर तुम पर चढ़ेगा।” “अच्छा डॉक्टर साहब।” “जाओ उधर बाथरूम में सब काट कर आओ। वहाँ रेजर रखा है। जानती हो ना कि कैसे करना है? संभोग करने से पहले इसे सज़ा कर अपने पति के सामने पेश करना चाहिए।” मैंने गोरी की चूत को खोदते हुए उसकी आँखों में आँखें डाल कहा। “हाँ। डॉक्टर साहब, लेकिन उन्होंने तो कभी भी मुझे बाल साफ़ करने के लिए नहीं कहा।” गोरी ने धीरे से कहा।
वो गई और थोड़ी देर में वापस मेरे बेडरूम में आ गई। “हो गया?” “तो तुम्हें रेजर इस्तेमाल करना आता है, कहीं उस नाज़ुक जगह को काट तो नहीं बैठी हो?” मैंने पूछा।
“जी जी कर दिया, शादी से पहले मैंने कई बार रेजर पहले भी इस्तेमाल किया है।” “अच्छा आओ फिर यहाँ लेट जाओ।”
वो आई और लेट गई, पिछली बार से इस बार प्रतिरोध काम था। मैंने उसके पेटीकोट का नाड़ा पकड़ा और खींचना शुरू किया, पेटीकोट खुल गया। उसकी कमर मुश्किल से 22 इंच रही होगी और हिप्स की साइज क़रीब 34 इंच। जाँघों पर ख़ूब मांसलता थी, गोलाई और मादकता। विशाल पुट्ठे इस सुन्दर कामुक दृश्य ने मेरा स्वागत किया।
उसने मेरा हाथ पकड़ लिया- डॉक्टर साहब, ये क्या कर रहे हैं? आप तो मुझे नंगी कर रहे हैं! “अरे देख तो लूं कि तुमने बाल ठीक से साफ़ किए भी या नहीं! और बाल काटने के बाद वहाँ पर एक क्रीम भी लगानी है।”
अब इससे पहले वो कुछ बोलती, मैंने उसका पेटीकोट घुटनों से नीचे तक खींच लिया था। अति सुन्दर! बला की कामुक! “तुम बहुत खूबसूरत हो गोरी।” मैंने थोड़ा साहस के साथ कह डाला।
उसकी तारीफ़ ने उसके हाथों के ज़ोर को थोड़ा काम कर दिया और उसका फ़ायदा उठाते हुए मैंने पूरा पेटीकोट खींच डाला और दूर कुर्सी पर फेंक दिया। यक़ीन! मानिए मुझे ऐसा लगा कि अभी उस पर चढ़ जाऊं। वो पतला सपाट पेट, छोटी सी कमर पर वो विशाल नितंब। सिर्फ़ एक ब्लाउज पीस में रह गया था उसका बदन! भरपूर नज़रों से देखा मैंने उसका बदन।
उसने शर्म के मारे अपनी आँखों पर हाथ रख लिया और तुरंत पेट के बल हो गई ताकि में उसकी चूत न देख सकूँ। शायद चूत दिखाने में शर्मा रही थी।
“ज़रा पल्टो गोरी! शर्म नहीं करते. फिर तुम इतनी सुन्दर हो कि तुम्हें तो अपने इस मस्त बदन पर गर्व होना चाहिए।” “नहीं डॉक्टर साहब, पराए मर्द के सामने मुझे बहुत शर्म आ रही है।” “पल्टो ना गोरी!” कहकर मैंने उसके पुटठों पर हाथ रखा और बल पूर्वक उसे पलटा। दो खूबसूरत जाँघों के बीच में वो कुँवारी चूत चमक उठी। गोरी गोरी!! चूत की दोनों पंखुड़ियाँ फड़क सी रही थी। शायद उसने भाँप लिया था कि किसी मस्त से लंड को उसकी खुशबू लग गई है, उसकी चूत पर थोड़ी सी लाली भी छाई थी।
इधर मेरे लंड में भूचाल सा आ रहा था और मेरे अंडरवीयर के लिए मेरे लंड को कन्ट्रोल में रखना मुश्किल सा हो रहा था। फिर भी मेरे टाइट अंडरवीयर ने मेरे लंड को छिपा रखा था। अब मैंने उसकी चूत पर उंगलिया फिराई और पूछा- गोरी, क्या राजन तुम्हें यहाँ पर मेरा मतलब तुम्हारी योनि पर चूमता है? “नहीं साहब, यहाँ कैसे चूमेंगे?” “तुम्हारे इन पुटठों पर?” मैंने उसके गांड पर हाथ रख कर पूछा। “नहीं डॉक्टर साहब, आप कैसी बातें कर रहे हैं।” अब उसकी आवाज़ में एक नशा एक मादकता सी आ गई थी। एक गर्म युवती किसी से चुदने के लिए तैयार थी। “वो कहाँ कहाँ छूता है तुम्हें?” “जी, यहाँ पर!” उसने अपने चूची की तरफ़ इशारा किया जो इस गर्म होते माहौल की खुशबू से काफ़ी बड़े हो गयी थी और लगता था कि जल्दी उनको बाहर नहीं निकाला तो ब्लाउज फट जाएगा। उसने कोई ब्रा भी नहीं पहनी थी।
मैं बिस्तर पर चढ़ गया। मैंने दोनों हथेलियाँ उसके दोनों मम्मों पर रखी और उन्हें कामुक अंदाज में मसलना शुरू किया। वो तड़पने लगी- डॉक्टररर स्साहहाब क्या कर रहे ए ए हैं आप? यह कैसा इलाज आप कर रहे हैं? “कैसा लग रहा है गोरी? मुझे अच्छी तरह से देखना होगा कि राजन ठीक करता है या नहीं। वह कहता है तुम हाथ लगाते ही ऐसे चीखने लग जाती हो।” “बहुत अच्छा लग रहा है साहब। पर आप से यह सब करवाना क्या अच्छी बात है?”
मैंने गोरी की बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया और उसकी मस्त चूचियाँ दबानी जारी रखी।
“हाँह… आपका इनको हल्के हल्के दबाना बहुत अच्छा लग रहा है।” “क्या राजन भी ऐसे ही मसलता है तेरे इन खूबसूरत स्तनों को?” “नहीं साहब, आपके हाथों में मर्दानी पकड़ है।”
मैंने उसे कमर से पकड़ कर उठा लिया, बूब्स के भार से अचानक उसका ब्लाउज फट गया और वो कसे कसे दूध बाहर को उछाल कर आ गये, वाह! क्या ख़ूबसूरत कामुक अप्सरा बैठी थी मेरे सामने एकदम नग्न, 32-22-34 एकदम दूध की तरह गोरी, बला की कमसिन।
मुझसे रुकना मुश्किल हो रहा था, अब मैंने उसके मुख को पकड़ उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया।
इससे पहले वो कुछ समझ पाती, उसके होंठ मेरे होंठो के जकड़ में थे। मेरे एक हाथ ने उसके पूरे बदन को मेरे शरीर से लिपटा लिया था और दूसरे हाथ से ज़बरदस्ती उसकी जाँघों के बीच से जगह बना कर उसके गुप्ताँग में उंगली डाल दी, उसकी क्लिटोरिस पर मैंने ज़बरदस्त मसाज़ की, उसके पुट्ठे उठने लगे थे, वो मतवाली हो उठी थी।
मैंने उसके होंठों को चूमा- कभी राजन ने इस तरह किया तेरे साथ? सच कहना गोरी? “नहीं डॉक्टर साहब, वे तो सीधे ऊपर चढ़ जाते हैं और थोड़ी देर हिल के सुस्त पड़ जाते हैं।” “यही तो मुझे देखना है गोरी। राजन कह रहा था कि तुम चिल्लाने लग जाती हो?” “वो तो मेरी प्यास अधूरी रह जाने के कारण होता था.” “बहुत अच्छा!”
“पर अब जाँच पड़ताल ख़त्म हो गई क्या डॉक्टर साहब? आप और क्या क्या करेंगे मेरे साथ?” “अब मैं वही करूँगा जो एक जवान शक्तिशाली मर्द को एक सुन्दर कामुक खूबसूरत बदन वाली जवान युवती, जो बिस्तर पर नंगी पड़ी हो, के साथ करना चाहिए। तेरा बदन वैसे भी एक साल से तड़प रहा है, तेरा कौमार्य टूटने के लिए बेताब है और आज ये मर्दाना काम मेरा काम-अंग करेगा रात भर इस बिस्तर पर!”
मेरी उंगली जो अभी भी उसकी चूत में थी, ने अचानक एक लसलसा सा महसूस किया, यह उसका योनि रस था जो योनि को संभोग के लिए तैयार होने में मदद करता है, मेरी उंगली पूरी भीग गई थी और रस चूत के बाहर बहकर जाँघों को भी भिगो रहा था।
मेरी बात सुनकर उसके बदन में एक तड़प सी हुई चूतड़ ऊपर को उठे और उसके मुंह से एक सिसकी भरी चीख निकल पड़ी। बाद में थोड़ा संयत होकर गोरी बोली- डॉक्टर साहब, पर इससे मैं रुसवा हो जाऊँगी, मेरा मर्द मुझे घर से निकल देगा यदि उसे पता चला कि मैं आप के साथ सोई थी। आप मुझे जाने दीजिए, मुझे माफ़ कीजिये।
“तू मुझे मर्द समझती है तो मुझ पर भरोसा रख, मैं आज तुझे भरपूर जवानी का सुख ही नहीं दूँगा बल्कि तुझे हर मुसीबत से बचाऊँगा। तेरा मर्द तुझे और भी ख़ुशी ख़ुशी रखेगा।” “वो कैसे डॉक्टर साहब?” “क्योंकि आज के बाद जब वो तुझ पर चढ़ेगा वो तेरे साथ संभोग कर सकेगा। जो काम वो आज तक नहीं कर पाया तुम दोनों की शादी के बाद … अब कर सकेगा और तब तू उसके बच्चे की माँ भी बन जाएगी।” “पर कैसे डॉक्टर साहब। कैसे होगा ये चमत्कार! साहब?” “मेरी प्यारी गोरी!” मैंने उसकी फटी चोली अलग करते हुए और उसके बूब्स को मसलना शुरू करते हुए कहा- तेरी योनि का द्वार बंद है उसे आज में अपने प्रचंड भीषण लण्ड से खोल दूँगा ताकि तेरा पति फिर अपना लण्ड उसमें घुसा सके और अपना वीर्य उसमें डाल सके जिससे तू माँ बन सकेगी।
मेरे मसलने से उसके बूब्स बड़े बड़े होने लगे थे और कठोर भी। उफ़्फ़्!! क्या लगती थी वो अपनी पूरी नग्नता में उन सॉलिड बूब्स पर वो गोल छोटी चूचियां भी बहुत बेचैन कर रही थी मुझे। उसका पूरा बदन अब बुरी तरह तड़प रहा था, नशीले बदन पर पसीने की हल्की छोटी बूँदें भी उभर आई थी। मेरा लण्ड बहुत ही तूफ़ानी हो रहा था और अब उसके आज़ाद होने का वक़्त आ गया था।
“डॉक्टर साहब मुझे बहुत डर लग रहा है, मेरी इज़्ज़त से मत खेलिए ना! जाने दीजिए, मेरा बदन उईइ माँ!” “मुझ पर यक़ीन करो गोरी … यह एक मर्द का वादा है तुझसे! मैं सब देख लूंगा। तेरा बदन तड़प रहा है गोरी एक मर्द के लिए, तेरी चूत का बहता पानी, तेरे कसते हुए बूब्स साफ़ कह रहे हैं कि अब तुझे संभोग चाहिए।” “साहब।” “हाँ गोरी मेरी रानी, बोल?” “मैं माँ बनूँगी ना?” “हाँ!” “मेरा मर्द मुझे अपने साथ रख लेगा ना। मुझे मारेगा तो नहीं ना!” “हाँ गोरी, तू बिल्कुल चिंता ना कर।”
“तो साहब फिर अपनी फ़ीस ले लो आज रात, मेरी जवानी आपकी है।” “ओह! मेरी गोरी आ जा!”
कहानी जारी रहेगी. [email protected]
कहानी का अगला भाग: गाँव की गोरी और डॉक्टर-2
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