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मेरी इस सेक्स कहानी के पहले भाग मेरी पहली चुदाई पड़ोस की भाभी के संग-1 में आपने पढ़ा कि मेरी पड़ोसन मिताली भाभी का दिल मेरे ऊपर आ गया था और भाभी मुझसे चुदाई करने के लिए उतावली हो रही थी.
अब आगे:
दूसरे दिन मैंने बातें करते वक्त भाभी को बताया कि मेरे मम्मी पापा पांच दिन के लिए गांव जा रहे हैं, उनको उधर किसी से काम है. भाभी बोलीं- मैं समझ गयी हूँ कि अब मुझे क्या करना है.
मेरी परीक्षा होने के कारण मैं गांव नहीं जा सकता था … तो भाभी ने मम्मी से बातों बातों में कहा कि परीक्षा के दौरान वो मेरा ख्याल रखेंगी, जैसे खाना और कपड़े धोना आदि … और वो मुझे इन पांच दिन अपने घर रख सकती हैं.
मम्मी न केवल मान गईं … बल्कि उन्होंने खुद भी मिताली भाभी से कहा- मिताली, तूने मेरी बड़ी समस्या हल कर दी है. अब मुझे रोहन की कोई चिंता नहीं है. वो तेरे साथ ठीक से रह लेगा. भाभी ने कहा- अरे आंटी आप मेरे होते हुए इतनी सी बात की चिंता कैसे कर सकती हैं. आप बेफिक्र रहिए, मैं उसे अपने साथ ढंग से रखूँगी.
जब भाभी ने मेरी मम्मी से ये कहा कि वो मुझे अपने साथ ढंग से रखेंगी, उसी वक्त उन्होंने मेरी तरफ देख कर हल्की सी स्माइल पास कर दी थी. मैं समझ गया कि भाभी मुझे किस ढंग से रखने की बात कह रही हैं.
दो दिन बाद वो दिन आ गया, जब मेरी परीक्षा चालू हो गईं. मेरे पेरेंट्स गांव चले गए और मैं भाभी के घर रहने आ गया.
अब हम दोनों के बीच में सिर्फ़ भैया एक बाधा रह गए थे. मुझे किसी तरह से भैया को भी दो तीन दिन के लिए घर से दूर रखने का प्लान बनाना था.
मैंने भाभी को प्लान बताया. प्लान के मुताबिक भाभी ने भैया से झगड़ा किया, कि उन्हें गोल्ड नेकलैस चाहिए.
भैया ने मजबूरी में कहा- अभी तुम कुछ और माँग लो, किंतु हार नहीं दिला सकता हूँ. भाभी बोलीं- ठीक है. फिर मेरे मायके से फ्रिज ले आओ … वैसे भी आपने इस दीवाली में वो फ्रिज लाने का मन बनाया हुआ था.
ये फ्रिज भाभी के मायके में उनके लिए किसी रिश्तेदार ने गिफ्ट किया हुआ था. बस वो फ्रिज दूर की वजह से भाभी भैया टाल रहे थे.
आपको बता दूँ कि भाभी के मायका बहुत दूर है. उधर जाने में एक दिन और आने में एक दिन लगता है. भैया ने तुरंत ही अपना टिकट ऑनलाइन बुक किया और कुछ देर में वापस आने की कह कर घर से चले गए. भैया को आज शाम की ट्रेन से निकलना था.
भैया के जाते ही भाभी एकदम से खिल उठीं- मान गयी रोहन तेरे को. क्या दिमाग़ पाया है तूने. एक्सीलेंट प्लान. मैं- ये तो कुछ भी नहीं मिताली डार्लिंग. मैंने बहुत बड़े बड़े काम किए हैं. भाभी- तूने साबित कर दिखाया है कि मैंने तेरे साथ चक्कर चला कर कुछ ग़लती नहीं की. मैं- तुमने भरोसा जो किया मेरे पर.
हम दोनों हंसने लगे.
उस दिन मैं रात का बेसब्री से इंतजार करता रहा. शाम को मैं भैया को खुद स्टेशन छोड़ कर ट्रेन में बिठा कर आया. भैया की विदाई के बाद मैं घर आ गया. मिताली भाभी के बेडरूम में आकर मैंने कुछ देर मिताली भाभी से बातें की और कहा- डार्लिंग मुझे किस चाहिए.
इतना सुनकर मिताली भाभी बोलीं- इसमें कहने की क्या बात है? अगर तुम कुछ नहीं कहते, तो मैं तुमसे किस करने ही वाली थी.
यह सुनकर मैंने मिताली भाभी को अपनी बांहों में भर लिया और उनके होंठों पर अपने होंठ चिपका दिए. मिताली भाभी ने साड़ी और ब्लाउज़ पहन रखा था और वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थीं. मैंने उनके होंठ चूसने शुरू कर दिए और वो सिसकियां भरने लगीं.
फिर मैंने उनके बालों में हाथ फेरना शुरू किया और उनके कान पर मैंने प्यार से अपनी जीभ फेर दी. मिताली भाभी अब काफ़ी गरम हो चुकी थीं. उन्होंने मेरी कमीज़ में हाथ डाल दिया और मेरे शरीर को ज़ोर से अपने हाथों से पकड़ लिया. मैंने भी धीरे से उनके ब्लाउज़ में हाथ डाला और अपना चेहरा ब्लाउज़ के ऊपर रख दिया.
मिताली भाभी बोलीं- उन्ह … रोहन सब्र करो … ये सब तुम्हें ही मिलेगा.
मैंने उन्हें लिटाया और उनकी टाईट और दूध से भरी हुई चूचियों को मसलने लगा. भाभी एकदम कराह कर बोलीं- प्लीज रोहन, धीरे-धीरे दबाओ … बहुत दर्द होता है अभी बहुत भरी हुई हैं.
हालांकि उनकी तकलीफ मुझसे भी देखी नहीं जा रही थी, लेकिन मैं क्या करूं, मुझे उनकी टाईट चूचियों को जोर से दबाने में ही मजा आ रहा था. उनसे दूध निकलने लगा था. मैं मुँह लगा कर दूध चाटने लगा था.
धीरे-धीरे मिताली भाभी पूरी तरह गर्म हो गईं और मुझसे कहने लगीं- रोहन अब तुम भी अपने कपड़े उतार दो. मैं तुम्हारा हथियार देखना चाहती हूँ. मैंने लंड खोल दिया. उस चांदनी की हल्की रोशनी में वो मेरे हथियार को हाथ में लेकर घूरते हुये सहलाने लगीं.
मैंने कहा- इसे मुँह में ले लो. उन्होंने मेरे लंड को चूस-चूस कर गीला कर दिया.
फिर मैंने उनसे कहा- अब मेरी बारी है तुम सीधी होकर लेट जाओ और अपनी टांगों को फैला लो.
उसके बाद मैंने मिताली भाभी की छोटी सी चूत के मुँह पर अपने होंठ टिका दिए. उनकी चूत बहुत छोटी मस्त आकार की बड़ी प्यारी लग रही थी. उनकी चूत चाटने में मुझे एक अलग ही मजा आया. धीरे-धीरे मिताली भाभी की चूत पानी छोड़ने लगी.
तभी अचानक उन्होंने मेरे बालों को पकड़ा और जोर से अपने ऊपर खींचकर कहा- क्या ऐसे ही जान ले लोगे? चलो अब असली काम करो.
मैंने धीरे धीरे उनकी चूत को रगड़ना शुरू कर दिया. रगड़ बढ़ने से मिताली भाभी के बदन की गर्मी बढ़ने लगी. उनके मुँह से ‘अह्ह्छ अह्ह्ह स्स्स स्स्स्स ऊउम्मम ऊऊम्म..’ की आवाजें आने लगीं.
मैंने अपनी एक उंगली को मिताली भाभी की चूत के अन्दर डाल कर उनके ‘जी स्पॉट’ को सहलाना शुरू कर दिया. साथ ही मैं मिताली भाभी के चूचों को मुख में लेकर चूसने में भी लगा रहा.
मैंने उंगली की रगड़ को तेज कर दिया और भाभी आग की तरह भड़कने लगीं. उनकी कामुक आवाजें बढ़ती ही जा रही थीं.
मिताली- आह … और जोर से … और जोर से उम्म्ह… अहह… हय… याह… … अब बर्दाश्त नहीं होता … जल्दी से अपना लंड अन्दर डाल दो मेरी चूत में … फाड़ दो आआह आह्ह चोद चोद कर पूरी खोल दो मेरी चूत को … फाड़ दो … आह.
जब मुझे लगा कि भाभी जी पूरी तरह गर्म हो चुकी हैं तो मैंने अपना लंड उनकी चूत पर सटा दिया और हल्का हल्का ऊपर ही रगड़ने लगा.
मिताली- अह … साले … और कितना तड़पाओगे … ये हथौड़े जैसा लंड घुसा कर फाड़ दो मेरी चूत को … आह!
उसी पल मैंने एक जोर का झटका मारा और पूरा लंड एक ही झटके में चूत के अन्दर पेल दिया.
मिताली भाभी जोर से चिल्ला पड़ीं- आह … थोड़े धीरे … साले मारेगा क्या? मैंने कहा- तुम ही तो बोली थीं कि फाड़ दे ना … मिताली भाभी- आह साले … मैंने इतने जोर से पेलने को थोड़े ही बोला था. मैं रुक गया.
मिताली भाभी बोलीं- अब रुक क्यों गया साले … चोद न? तो मैं बोला- कभी रुकने को बोलती है कभी चोदने को कहती हो. मिताली भाभी बोलीं- आह … धक्के मारते रह ना … अब जोर जोर से धक्के मारते हुए चुदाई कर साले!
मैंने लंड बाहर खींचा और हल्के-हल्के चुत की फांकों में फंसे सुपारे को रगड़ते हुए एकदम से जोर का झटका दे मारा और फिर से एक ही बार में पूरा लंड उसकी चूत के अन्दर डाल दिया.
मिताली के मुँह से जोर से आवाज़ आई- ऊ … माँ मार डाला कमीन ने … आआअह्ह्ह … अब रुकना मत … तार तार कर दो आज मेरी चूत को फाड़ कर … क्या जबरदस्त लौड़ा है … आह कर अन्दर बाहर … चोदता रहा … और मेरी चूचियों को भी खूब दबा और चूस..
मैं चुत की चुदाई करते हुए मिताली भाभी के मम्मों का हलवा बनाना शुरू कर दिया.
मिताली- आह्ह्ह्ह्ह् … उईईईईई. … उम्म्. … चोद मुझे … हां कस कर पेल … हां … और तेज जोर जोर से चोद मुझे … अन्दर तक पेल दे अपने लंड को फाड़ डाल मेरी चूत को … आह बहुत मजा आ रहा है … और चोद … कस कर चोद … सारा लंड डाल कर पेल … मेरी चूत बहुत ही तंग करती है मुझे … आज इस छिनाल को शान्त कर दो अपने लंड से … आह … बहुत दिन बाद चूत की खुजली मिट रही है … हां और तेज और तेज उईईई. … आहाआअ … उह्ह्ह्ह्ह्ह् …
कोई पांच मिनट तक चुत की रगड़ाई के बाद मैंने झटके से लंड बाहर खींच लिया.
मिताली भाभी ने मेरी तरफ आग बरसती निगाहों से देखा.
मैंने लंड हिलाते हुए उसे घोड़ी बनने के लिए कहा. मिताली भाभी झट से कुतिया जैसी बन गईं और मैंने पीछे से उनकी चूत में लंड पेल कर चूत चोदने लगा.
मैं पीछे से पूरी ताकत से मिताली भाभी को बहुत जोर जोर से चोदने लगा. वो फिर से गरम हो गईं और अपनी गांड हिला हिला कर मेरा साथ देने लगीं.
मिताली भाभी बोले भी जा रही थीं- ओ मेरे राजा … बजा दे मेरा बाजा … वाह क्या चूत मारते हो … कमाल हो गया आज जैसे मज़े कभी नहीं आए … आह … चोदो … और जोर से मारो …
मैं उन्हें चोदे ही जा रहा था.
दोस्तों इसके बाद मैंने उन्हें फिर से सीधा किया और उनकी टांगें अपने कंधे पर रख कर उन्हें पन्द्रह मिनट और चोदा.
इस दौरान मिताली भाभी दो बार और झड़ीं. अब मेरे लंड ने भी अपना मुँह खोला और मैंने मिताली भाभी से पूछे बिना ही लंड का सारा पानी उनकी चूत में छोड़ दिया.
पानी छोड़ने के बाद मैं काफी थक चुका था और वो भी निढाल हो गई थीं.
फिर कुछ देर के बाद हम दोनों उठ कर बाथरूम में जाकर साथ में नहाए. नहाते हुए भी मैंने मिताली भाभी की एक बार चुदाई की.
मिताली- तुम वो पहले इंसान हो, जिसने मुझे इतना मजा दिया. काश तुम मेरे पति होते. मैं- आपका ही हूँ … जब चाहो बुला लेना. मिताली- हां अब मैं तुम्हारे भैया को हाथ भी लगाने नहीं दूँगी. मुझे सिर्फ़ तुम ही चोदोगे. तुम्हारा लंड तुम्हारे दिमाग़ जितना कमाल का है. मैं- थैंक्स..
उसके बाद मिताली भाभी ने मुझे गुड नाइट किस किया और हम नंगे ही सो गए.
जब तक भैया फ्रिज लेकर आए, उतने दिनों में मैंने मिताली भाभी को दिन रात लगातार चोदा. वो मिताली भाभी के साथ मेरी पहली और आखिरी चुदाई थी. क्योंकि मैं पढ़ाई की वजह से नए शहर में शिफ्ट हो गया था.
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