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मेरे प्रिय पाठको, आप सभी कैसे हो? ऊपर वाला आप सभी को अच्छा रखे.
मेरा तो नाम आप सभी जानते ही हो, जो नहीं जानते हैं, उनको मैं बता दूँ कि मेरा नाम शुभम है, मैं उत्तर प्रदेश के नोएडा से हूँ.
आप सभी ने मेरी पिछली कहानी तो पढ़ी ही होगी. जिसमें मेरी और मेरी गर्ल फ्रेंड की चुदाई की कहानी का मजा भरा पड़ा है. ये उसी सेक्स कहानी का अंतिम भाग है, जो आज मैं आपके साथ बांटने जा रहा हूँ.
जिन्होंने मेरी चुदाई की कहानी के पहले भाग नहीं पढ़े हैं, वो नीछे दिए लिंक पर जाकर मेरी गर्लफ्रेंड की पहली चुदाई मेरी और मेरी गर्लफ्रेंड की दूसरी चुदाई पहले जरूर पढ़ लें. उसके बाद आपको इस सेक्स कहानी का पूरा मजा आएगा.
जैसा कि आप सभी जानते हो कि मैंने अपनी गर्लफ्रेंड को कैसे पहले अपने घर में, फिर अपने दोस्त के घर में चोदा था. आज मैं आपको बताऊंगा कि कैसे मैंने अपनी गर्लफ्रेंड की गांड मारी.
जब मैंने उसको अपने दोस्त के घर में चोदा था, उसके बाद मैंने उससे बोला था कि अब मुझे तुम्हारी गांड भी मारनी है. पर पहले तो उसने मना कर दिया था लेकिन बाद में उसने कहा था कि बाद में देखूँगी.
अब हम दोनों को चुदाई करे भी बहुत टाइम हो गया था.
उसका भी चुदाई करने का बहुत मन करने लगा था, पर साला रूम का कहीं जुगाड़ नहीं बन पा रहा था. मैंने उससे बोल दिया था कि अबकी बार मैं तेरी गांड भी मारूंगा. तू उंगली से अपनी गांड को ढीला करना चालू कर दे.
वो बहुत मुश्किल से इस बात के लिए तैयार हुई थी. मैंने उसे बताया था कि जब तू कमोड पर बैठा करे, तो फ्रेश होने के बाद गांड में उंगली किया कर, इससे तेरी गांड को आदत हो जाएगी.
उसने भी ऐसा करना मान लिया था. वो अपनी गांड में एक उंगली के बाद दो उंगलियां भी करने लगी थी. उसने शैम्पू से उंगलियां अन्दर कर करके गांड को फैला लिया था.
अब चुदाई के लिए रूम नहीं मिल पा रहा था.
एक दिन उसकी कॉल आई कि मेरी सहेली के घर पर हम दोनों प्यार कर सकते हैं. मैंने उससे बात कर ली है. मैंने भी अंशी की बात पर हां बोल दिया.
तय दिन पर अंशी तैयार हो गई. हम दोनों उसकी सहेली के यहां पहुंच गए थे. उसकी सहेली भी उस दिन अकेली ही थी. वैसे उसकी रूममेट भी उसके साथ रहती थी, पर वो अपने घर वापस चली गई थी जिस वजह से अंशी की सहेली अकेली रहने लगी थी.
अंशी (मेरी गर्लफ्रेंड) की सहेली को हमारे बारे में सब पता था कि हम दोनों चुदाई करते हैं. जब मैं उसकी सहेली के यहां गया, तो वे दोनों साथ में बैठी थीं. उसकी सहेली और हम दोनों बात करने लगे. मैं यहां उसकी सहेली का नाम नहीं बता सकता हूँ. जब हम तीनों बात कर रहे थे, तो मुझे उसकी सहेली की कुछ हरकतें अच्छी नहीं लगीं. वो बार बार मुझे हाथ लगा रही थी.
मैंने उससे बोला- मुझे अंशी से अकेले में कुछ बात करनी है. वो सब जानती थी कि हम दोनों वहां किस लिए गए हैं. वो खुलकर बोली- जाओ चूतिया किसे बना रहे हो … इधर बात करने आए हो या अन्दर बाहर करने आए हो … जाओ तुम दोनों जी भर के चुदाई कर लो.
मैं उसकी खुली बात सुन कर रह गया. मैंने भी सोचा माँ चुदाए साली, कौन सा लंड काट लेगी. साली इसको भी चोद दूँगा.
मैंने बिंदास अंशी का हाथ पकड़ कर उठाया और उससे कहा- चल अपन चुदाई का मजा लेते हैं. अंशी कुछ नहीं बोल रही थी.
हम दोनों रूम में आ गए. कमरे के अन्दर आते ही हम एक दूसरे को किस करने लगे. हम दोनों ने पहले के जैसे बीस मिनट तक चूमाचाटी की और कपड़े उतारने की बेला आ गई.
मैंने अंशी के सभी कपड़े उतारे और उसने मेरे उतार दिए. मैंने उससे बोला- चल जल्दी से मेरा लंड मुँह में लेकर चूस. वो लंड चूसने लगी. हम दोनों को चुदाई किये हुए बहुत दिन हो गए थे. इसलिए दस मिनट से भी कम समय में मैं अंशी के मुँह में झड़ गया. वो मेरा पूरा पानी पी गई.
जैसा कि आपको पता है मुझे चुदाई से पहले मुझे चुत चाटना बहुत ज्यादा पसंद है. इसलिए मैं उसकी चुत चाटने लगा. उसे भी बहुत मज़ा आ रहा था.
वो गांड उठाते हुए बोले जा रही थी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… और तेज चाटो! अंशी भी ज्यादा देर नहीं टिक पाई और उसने मेरे मुँह में अपना पानी छोड़ दिया. मैं उसका सारा रस चाट गया और अंशी की चुत चाट कर साफ़ कर दी.
हम दोनों थोड़ी देर लेटे रहे. कुछ देर बाद मेरा मन फिर से उसकी चुत चाटने का हुआ. अबकी बार मैंने उसकी चुत बहुत देर तक चाटी. उसकी चुत ने भी बहुत सारा पानी छोड़ा. मैं चुत का पूरा पानी पी गया.
उसी के ठीक बाद मेरी नजर अचानक गेट पर गई, तो मुझे कोई परछाई नजर आई. मैंने ये बात अंशी को भी बताई. वो कुछ नहीं बोली.
मैं चुपके से उठ कर गेट के पास गया और मैंने झपट कर उस परछाई वाली का हाथ पकड़ कर कमरे के अन्दर ले लिया.
जैसे ही वो अन्दर आई, मैं उसको देखता रह गया. वो इसलिए कि वो नीचे से नंगी थी.
फिर मेरी गर्लफ्रेंड अंशी उठ कर आई और बोली- यार शुभम, ये बहुत दिनों से प्यासी है … पहले एक बार इसकी भी चुदाई कर दो. मैंने हां कर दिया.
उसको पता नहीं क्या हुआ, वो एकदम से पूरी नंगी होकर मेरा लंड चूसने लगी.
मुझे अंशी के ऊपर बहुत तेज गुस्सा आया, पर मैं कर भी कुछ नहीं सकता था. बस अंशी को गुस्से से घूरता रहा. अंशी की आँखों में याचना के भाव थे. मुझे मजबूरी में मुझे उसके साथ सेक्स करना पड़ रहा था. गुस्सा इस बात का था मुझे कि अंशी ने उस वक्त मेरे दोस्त के लिए कहा था कि यदि ये भी मुझे चोदेगा, तो मैं उससे नहीं चुदूंगी. लेकिन आज मेरे लंड को अपनी सहेली के लिए इस्तेमाल कर रही है. वर्ना मुझे किसी भी भी लड़की को चोदने में क्या दिक्कत थी.
चूंकि मुझे चुत चूसना पसंद है इसलिए मैंने भी अंशी की सहेली की चुत बहुत चूसी और चाटी.
थोड़ी ही देर में वो झड़ गई. फिर मैंने अपना लंड उसकी चुत में डाल कर बहुत चोदा. वो काफी दिनों बाद लंड ले रही थी, इसलिए बहुत तेज तेज चीख रही थी. मैं भी बहुत तेज तेज चोद रहा था.
वो बस यही बोले जा रही थी- आह … शुभम … और तेज … फाड़ दो मेरी चुत को … फक मी हार्ड मेरी जान! मैंने उसे बहुत तेज चोदा.
जब वो झड़ने वाली थी, तो बोली- रुकना नहीं. मैंने भी बोल दिया कि हां मैं भी झड़ने वाला हूँ. … जल्दी बोल … कहां लेगी? वो बोली- आह … अन्दर ही डाल दो अपना पानी.
पर मैंने अन्दर नहीं डाला. वो जैसे ही झड़ी, मैंने अपना लंड उसकी मुँह में डाल दिया. वो मेरा लंड चूस चूस कर पर पानी निगल कर पी गई. फिर मैं उसके बगल में ही लेटा रहा.
अब तक अंशी भी काफी गर्म हो चुकी थी. वो बोली- अब मेरी चूत भी मारो. मैं बोला- आज मैं बस तेरी गांड मारूंगा. बोल मरवाएगी कि नहीं? वो बोली- हां, आज तुम मेरी गांड ही मार लो.
मैंने कहा- तो चलो अब तुम दोनों मिल कर मेरा लंड चूस कर खड़ा करो. फिर उन दोनों ने मेरा लंड चूस कर खड़ा कर दिया. मैं अंशी की गांड में लंड डालने जा ही रहा था कि तभी अंशी बोलने लगी- पहले अपने लंड को तेल लगा कर चिकना कर लो. मैंने बोला- नहीं … मैं सूखा ही डालूँगा. वो पहले मना करने लगी, बाद में बोली- चल ठीक है, जैसे तुझे करना हो, करो.
फिर मैंने उसकी गांड में लंड डाल दिया, पर मुझे भी लंड में दर्द होने लगा. अंशी भी कराहने लगी. मैंने सूखा लंड इसलिए डाला कि उसने आज मुझे दुख दिया था, बस इसी लिए आज मैं बहुत गुस्से में था.
मैंने लंड निकाल कर उसे कपड़े से पौंछ कर अंशी के मुँह में दे दिया. जब लंड पूरा गीला हो गया, तो मैंने उसकी गांड में लंड डाल दिया. अभी थोड़ा ही गांड में गया था कि अंशी रोने लगी. वो बहुत तेज तेज चिल्लाने लगी.
मैंने उसकी सहेली से बोला- या तो अपनी चुत इसे चाटने दो … या फिर अपनी एक चूची इसके मुँह में दे दो.
उसने झट से अपनी एक चूची अंशी के मुंह में दे दी और मैंने एक जोर का शॉट मार कर मेरा पूरा लंड उसकी गांड में पेल दिया. मेरा पूरा लौड़ा गांड के अन्दर चला गया. वो चिल्लाने लगी- उई … माँ मर गई … बचा लो मुझे … ये मुझे मार डालेगा. उसकी सहेली मुझसे बोली- यार बाहर निकाल ले … इसे दर्द हो रहा है. मैंने उससे बोला कि तुम चुप हो जाओ … वर्ना तुम्हारी गांड में डाल दूँगा.
वो घबरा कर शांत हो गई.
मैंने अंशी की गांड चुदाई शुरू कर दी. कुछ देर बाद अंशी का दर्द कम हो गया और मैं भी उसकी चुत के दाने को मसलता हुआ उसकी गांड में लगा रहा. कोई 30 मिनट तक मैंने अंशी की गांड मारी. फिर मैं उसकी गांड में ही झड़ गया.
तब मैंने उसकी सहेली से बोला- पानी गर्म करके ले आओ. अंशी सुबक रही थी, वो शांत नहीं हो रही थी. मैंने गर्म पानी से अंशी की गांड की सिकाई की. उसे थोड़ा आराम मिल गया.
मैं पहले ही उसके लिए दर्द की दवा ले कर गया था. उसे दर्द की गोली दे दी. वो आराम करने लगी.
फिर धीमे से मैंने बोला- एक बार आगे और कर लूं? अंशी गुस्से से बोली- भाग जाओ यहां से … साले गांड फाड़ दी. मैं हंस दिया.
हम तीनों ही नंगे थे. मैंने उसकी सहेली से बोला- यार कुछ खाने को ले आओ.
वो रसोई में चली गई. मैं भी उसके पीछे रसोई में गया और उसको किस करने लगा.
वो हंस कर बोली- अभी मन नहीं भरा क्या? मैंने भी बोल दिया कि जब दो दो माल सामने नंगे हों, तो मन कैसे भरेगा. वो भी हंस दी.
मैंने बोला- बस जल्दी से लंड चूस दो यार. वो बोली- ठीक है. और वो नीचे बैठ कर लंड चूसने लगी. मैं गर्म हो गया तो मैंने उसे रसोई में ही उसकी चुत को चोदा और बाहर आ गया.
हम तीनों ने खाना खाया. अंशी चल नहीं पा रही थी तो वो बोली- तुम मुझे घर के पास तक छोड़ देना. मैं बोला- घर वाले पूछेंगे कि क्या हुआ तो बोल देना कि आज गांड मरवा ली है. अंशी मुझे गालियाँ देने लगी- साले बहुत मजा आ रहा है तुझे … जब तेरी गांड में मूसल जाएगा, तब तुझे मालूम पड़ेगा कि गांड का दर्द क्या होता है. मैं हंसने लगा.
उसकी सहेली बोली- शुभम, क्या आज तुम मेरे साथ रात भर रह सकते हो? मैंने अंशी की तरफ देखा तो वो बोली- ठीक है शुभम … तुम इसके पास रुक जाओ. मैंने भी बोल दिया- ठीक है.
फिर मैं वहां से अंशी को घर छोड़ने चला गया. वापस आते टाइम मैं 2 बीयर सिगरेट लेकर आया. हम दोनों फिर नंगे हो गए. मैंने उसकी चुत चाट कर पानी पिया. हम दोनों ने बोला कि अब चुदाई रात में ही होगी.
वो बोली- शुभम, तुम वियाग्रा की गोली ले आओ … आज पूरी रात बस चुदाई का मजा लूंगी.
मैं गोली ले आया. रात को खाना खाने के बाद दोनों ने ही गोली खाई. फिर पूरी रात चुदाई चली. कई बार चुदाई के बाद हम दोनों में ही इतनी ताकत नहीं बची थी कि उठा जा सके.
दोपहर एक बजे हम दोनों उठे, फिर खाना ऑर्डर करके मंगाया और खाया.
करीब ढाई बजे में जाने लगा, तो अंशी की सहेली मुझको किस करने लगी, वो बोली- शुभम मुझे कभी मत छोड़ना … मैं तुम्हारी बन कर रहने को तैयार हूं. मैंने भी कहा- ठीक है.
उसके बाद मैं अंशी की सहेली के घर पर दोनों को कई बार चोदा. अब अंशी की शादी हो चुकी है. कभी कभी जब उसका मन होता है, तो मुझसे चुदने आ जाती है. उसकी सहेली भी अब चली गई है.
यह मेरी सच्ची सेक्स कहानी है, इसका एक शब्द भी झूठा नहीं है. आपको मेरी सेक्स कहानी कैसी लगी. बताइएगा जरूर … मैं आप सभी के मेल का इन्तजार करूंगा. मेरी ईमेल आईडी है [email protected] धन्यवाद.
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