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डॉक्टर पेशेंट सेक्स स्टोरी तब की है जब मैं अपनी चूत में इन्फेक्शन के इलाज के लिए अस्पताल गयी. लेडी डॉक्टर ना होने से मुझे पुरुष डॉक्टर के पास जाना पडा.
नमस्कार, मेरा नाम अंजलि ठाकुर है और मैं जम्मू में रहती हूं। यह मेरी अन्तर्वासना पर पहली कहानी है। अगर कोई लगती हो तो मुझे माफ करना. अब मैं पहले अपने बारे में आपको बता दूं।
मैं शादीशुदा औरत हूं मेरी उम्र 29 साल है मेरे पति आर्मी में हैं और मेरे दो बच्चे हैं जिनकी उम्र 7 और 5 साल है।
अब मैं आपको अपनी खासियत बताती हूं मेरा जिस्म 34c-30-34 का पूरा भरा हुआ है; जो भी मुझे देखता है मेरे जिस्म का दीवाना हो जाता है। मेरे पति ड्यूटी की वजह से पिछले 3 माह से घर से बाहर हैं।
एक औरत के लिए उसका शारीरिक सुख भी जरूरी होता है और मुझे भी अक्सर अपनी यह जरूरत अपने हाथ से ही पूरी करनी पड़ती थी।
अब मैं अपनी डॉक्टर पेशेंट सेक्स स्टोरी पर आती हूं जिसने मेरी जिंदगी बदल दी और मेरे जिस्म की जरूरत पूरी कर दी।
एक बार मेरी पेशाब की जगह में कुछ प्रोब्लम हो गई और मैं इलाज के लिए सेना अस्पताल में गई.
परन्तु वहां जो लेडी डाक्टर थी वो छुट्टी पर चली गई थी। पता चला कि वो 1 माह तक नहीं आने वाली थी।
फिर मुझे किसी ने बताया कि आप डॉ राज शर्मा को दिखा दीजिए, वो बहुत बढ़िया डॉक्टर है।
जैसे ही मैं डॉक्टर के पास गई, वो मुझे घूरकर देखते हुए बोले- क्या प्रोब्लम है? मैंने अपनी प्रोब्लम बताई.
वो मुझे अंदर रूम में ले गए और बोले- लेट जाओ!
मैंने साड़ी पहन रखी थी. डॉक्टर ने साड़ी उठाकर ऊपर कर दी और बोले- पैंटी उतारनी पड़ेगी। मैं कुछ बोल पाती … उससे पहले उन्होंने मेरी पैन्टी उतार दी.
उन्होंने मेरी चूत को देखकर कोई पाउडर लगाया। मेरी चूत में आग सी जलने लगी। अब मैं मछली के जैसे झटपटा रही थी।
डॉक्टर ने कहा- तुम्हारी चूत में इंफैक्शन हो गया है। फिर वो अपनी उंगली में कुछ लगा कर चूत में उंगली अंदर बाहर करने लगे। अब मेरी चूत को आराम मिलने लगा था।
इसके बाद डॉक्टर ने दो उंगलियां डालकर अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। मेरी आंखें बंद होने लगी और मेरी सिसकारियां निकलने लगी.
तब डॉक्टर ने एक गोली दी और बोले- इसे चूसो! और मेरी चूत में क्रीम भरने लगे.
अब डॅाक्टर ने एक रबड़ का लंड निकाल कर मेरी चूत में अंदर डालना शुरू किया। 3 माह से लंड नहीं लेने के कारण मेरी चूत में रबड़ का लंड नहीं जा रहा था।
डॅाक्टर ने कहा- अंजलि जी, यह दवा पूरे अंदर तक लगाना बहुत जरूरी है। मैंने कहा- तो आप लगाइए ना! वो बोले- मैडम मैं क्या करूं … पाइप अंदर नहीं जा रहा है।
मैंने कहा- कोई तरीका तो होगा आपके पास दवा लगाने का? वो बोले- अगर आपके पति आ जाते तो दवा लगाना बिल्कुल आसान है। मैंने कहा- वो तो नहीं आ सकते हैं।
तब डॉक्टर ने कहा- एक उपाय है … लेकिन शायद आपको गलत लगे। लेकिन वही दवा लगाने का सबसे अच्छा और आसान तरीका है।
मैंने कहा- देखिए मेरे पति तो नहीं आ सकते. और डॉक्टर होने के नाते आपको ही मेरी मदद करनी चाहिए। डॉक्टर ने कहा- देखिए मैडम, मैं जो बोलूंगा, वो आपको अजीब लगेगा। लेकिन दवा लगाने का यही एक रास्ता है।
मैंने कहा- प्लीज़, जो भी और जैसा भी रास्ता है मैं उसके लिए तैयार हूं। डॉक्टर ने कहा- अंजलि जी, मैं एक डॉक्टर के नाते आपकी मदद करूंगा. और आप भी उसे इलाज का हिस्सा ही समझना। मैंने कहा- ठीक है … आप प्लीज अब दवा लगाइए।
डॉक्टर ने अपनी पैंट उतार दी और फिर अंडरवियर भी उतार दी. उनका 7 इंच का लंबा लंड देखकर मेरे मुंह में पानी आ गया लेकिन मैंने जाहिर नहीं होने दिया।
डॉक्टर ने मेरे हाथ में कंडोम दिया और लंड पर चढ़ाने को कहा. मैंने डॉक्टर के लंड पर कंडोम लगा दिया.
उन्होंने एक क्रीम निकाली और अपने पूरे लंड पर लगा दी। अब मेरी तरफ देखते हुए बोले- अंजलि जी, अगर आपके पति होते तो आपको दवा लगा देते। मैंने कहा- ठीक है आप भी डाक्टर हैं और मेरी मदद कर रहे हैं।
डॉक्टर राज ने मेरी चूत में लन्ड रखकर धक्का लगाया. लंड में दवा लगी थी तो चिकना लंड सट्ट से मेरी चूत के अंदर चला गया.
‘ऊईई ईईई आऊईई ईईईई’ मेरी चीख निकल पड़ी। डॉक्टर राज बोले- क्या हुआ अंजलि जी?
मैंने कहा- सर कुछ नहीं … आप दवा लगाइए. उन्होंने लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। अब मेरी चूत में राज शर्मा का लंड अंदर बाहर होने लगा।
मैं भी गर्म होने लगी थी क्योंकि पिछले तीन महीने से मेरी चूत में लन्ड नहीं गया था।
अब डॅाक्टर राज़ ने लंड बाहर निकाल लिया और कंडोम उतार दिया.
उन्होंने एक दूसरा कंडोम मुझे दिया जिसमें दाने बने हुए थे। मैंने उनके खड़े लंड पर कंडोम लगा दिया।
उन्होंने मुझे एक टेबल पर लिटा दिया. वो टेबल इस प्रकार से बनी थी कि मैं उसमें आधी झुकी हुई थी और मेरी गान्ड बाहर निकली हुई थी।
राज ने अपने लंड पर क्रीम लगाई और मेरी चूत में लन्ड घुसा दिया और धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगे।
मुझसे ठीक से नहीं लेटा जा रहा था तो डॉक्टर ने लंड बाहर निकाल लिया और बोला- अंजलि जी, आपको शायद दिक्कत हो रही है. आप साड़ी उतार दीजिए!
और उन्होंने मेरे कपड़े उतार कर मुझे पूरी नंगी कर दिया और फिर से मेरी चूत में लन्ड घुसा कर अन्दर बाहर करने लगे।
अब उन्होंने लंड की रफ्तार थोड़ी तेज कर दी और दानेदार कंडोम मेरी चूत में जाने से मैं गर्म हो गई और अपनी गांड आगे पीछे करने लगी।
डॉक्टर राज बोले- अंजलि जी, आप ऐसा क्यों कर रही हैं? मैंने कहा- डॉक्टर, आज पूरे तीन महीने बाद मेरी चूत में लन्ड गया है।
डॉक्टर राज समझ गए और बोले- अंजलि जी, बस 5 मिनट आप रूक जाओ. मुझे दवा लगा देने दो, फिर आप जैसा कहोगी वही होगा। मैंने कहा- ठीक है. लेकिन आप बाद में अपनी बात से पलट तो नहीं जाओगे? वो बोले- नहीं, मैं वादा करता हूं।
अब मैंने अपनी गांड को रोक दिया और राज जी अपने लंड को अंदर बाहर करने लगे। मैंने कहा- आप मेरे बूब्स को तो अपने हाथों में ले ही सकते हो। उन्होंने मेरी दोनों चूचियों को पकड़ लिया और धीरे धीरे मसलने लगे।
अब मेरी चूचियां टाइट होने लगी और डॉक्टर ने अचानक से अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और तेज़ी से अंदर-बाहर करने लगा।
थोड़ी देर बाद उसने अपना लन्ड बाहर निकाल लिया और कंडोम उतार दिया। मैं टेबल से उठ गई और लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी।
डॉक्टर शर्मा बोले- अंजलि जी रूकिए! लेकिन मैंने उनकी एक न सुनी और गपागप गपागप लंड को चूसने लगी। अब मैं भूल गई कि मेरे सामने कौन है. बस मुझे तो लंड दिख रहा था और मैं गपागप गपागप चूसने लगी.
डॉक्टर राज की चीख निकल पड़ी और उन्होंने वीर्य की धार मेरे मुंह में छोड़ दी, मैं पूरा माल गटगट करके पी गई। मैंने लंड को चूस कर साफ़ कर दिया।
अब हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे और राज के हाथ मेरी चूचियों पर आ गए। मैंने उसके कपड़े उतार दिए और दोनों नंगे एक-दूसरे से लिपटकर किस करने लगे।
डॉक्टर शर्मा ने मुझे गोद में उठाया और कमरे में रखे पलंग पर लेटा दिया अब वो मेरे सामने लंड पर कुछ लगाकर मेरे ऊपर आ गए. मैंने कहा- कंडोम? वो बोले- नहीं, कंडोम नहीं लगा सकते हैं। और उन्होंने अपना लन्ड घुसा दिया और तेज़ तेज़ चोदने लगे।
अब मेरी चूचियां दबाने लगे और गपागप चोदने लगे। डॉक्टर राज भूल गया कि मेरी चूत में प्रोब्लम है वो ताबड़तोड़ चुदाई करने लगे।
उन्होंने मुझे घोड़ी बना दिया और कमर पकड़कर चोदने लगे। अब मैं भी अपनी कमर हिला हिला कर आगे पीछे करने लगी। अब थप थप थप की आवाज़ तेज होने लगी थी। तभी शर्मा ने अपने झटकों की रफ्तार बढ़ा दी और मुझे अपनी पूरी ताकत से चोदने लगे।
मैं बोलने लगी- राज, अपना लन्ड घुसा कर और चोदो आहह आहह उहहह फ़ाड़ दो मेरी चूत को! आहहह ओहहह और तेज़ तेज़ चोदो मुझे आहहह! डॉक्टर ने मेरी कमर पकड़कर घुमा दिया और वो नीचे लेट गया और मैं उसके लंड के ऊपर आ गई।
अब पूरा लंड मेरी चूत के अंदर चला गया और मैं आह आहह उम्माह हह करके लंड पर कूदने लगी। मेरी चूत में कसाव बढ़ने लगा।
अब मैं चिल्ला चिल्ला कर उछलने लगी तो पलंग से चू चू चू की आवाज आने लगी। मेरी चीख के साथ पानी निकल गया और लन्ड गीला हो गया।
अब लंड आसानी से अंदर बाहर होने लगा; फच्च फच्च फच्च फच्च की आवाज से पूरा कमरा गूंजने लगा।
डॉक्टर ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और चोदने लगा. अब मेरी हालत बिना पानी की मछली के जैसे हो गई। मैं वासना के मारे तड़प रही थी.
डॉक्टर ने मेरी एक टांग को उठा लिया और चोदने लगा।
अब डाक्टर ने अपने लंड की रफ़्तार बढ़ा दी और मेरी चूचियों को मुंह में लेकर चूसने लगा। कुछ देर बाद डाक्टर ने मुझे वापस घोड़ी बना दिया और चोदने लगा।
अब हर झटके से मेरी चीख तेज होने लगी और मेरी चूचियां हवा में झूलने लगी। डाक्टर ने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और दोनों की सिसकारियां तेज़ हो गई.
एकदम से हम दोनों की चीख निकल पड़ी और हमने एक साथ पानी छोड़ दिया। हम दोनों एक-दूसरे से लिपटकर किस करने लगे।
हमें लगभग 2 घंटे से ज्यादा समय हो चुका था। डॉक्टर पेशेंट सेक्स के बाद हम दोनों ने अपने कपड़े पहने और फिर बाहर आ गए.
डॉक्टर ने मुझे कुछ दवा दी और अगले हफ्ते एक बार और चैक करवा कर जाने को कहा।
मैं अपने घर आ गई आज मैं बहुत खुश थी क्योंकि मुझे इलाज के साथ साथ लंड का मज़ा भी मिला था। मेरी रियल डॉक्टर पेशेंट सेक्स स्टोरी पढ़कर कमैंट जरूर करें! अंजलि ठाकुर [email protected]
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