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सभी पाठकों को मेरा नमस्कार! मेरा नाम रितिका है, मैं हिमाचल प्रदेश के कुल्लू शहर से हूं। मेरी पहली कहानी मैं बीच सड़क पर रंडी बन के चुदी जनवरी 2018 में प्रकाशित हुई थी जिसे आप सब पाठकों का बहुत प्यार मिला जिसके लिए मैं तहे दिल से सभी पाठकों का शुक्रिया अदा करना चाहती हूं।
व्यस्तता के कारण मैं उस रात से आगे की कहानी आप लोगों के साथ शेयर नहीं कर पाई। उस रात के बाद मेरी ज़िंदगी में बहुत से बदलाव आए जो मैं आप सबसे साझा करूंगी। लेकिन उससे पहले मैं कुछ बातें आप सबको स्पष्ट करना चाहती हूं।
मुझे ईमेल के माध्यम से हज़ारों मेल मिले जिसमें से हर एक का उत्तर देना मेरे लिए सम्भव नहीं है। बहुत से पाठकों के मिलते जुलते सवाल हैं जिनका मैं जल्दी से उत्तर देना चाहती हूं।
जिन पाठकों को मेरी आपबीती पसन्द आई उन्हें मैं शुक्रिया कहना चाहती हूं। जिन लोगों ने मुझे अपने साथ सेक्स सम्बन्ध बनाने के लिए आमंत्रित किया या फोन नम्बर या व्हाट्सएप साझा करने की गुजारिश की उनका मैंने कोई रिप्लाई नहीं किया और न आगे कभी करूंगी इसलिए ऐसे मेल भेज के अपना और मेरा वक्त ज़ाया न करें।
कुछ लोगों ने मेरी ट्रैवल ऐजेंसी के माध्यम से हिमाचल में घूमने की इच्छा जाहिर की और मुझसे टूअर पैकेज सम्बंधी जानकारी मांगी। माफ़ कीजिए लेकिन मैं अपनी कंपनी के माध्यम से न आपको टूअर करवा सकती हूँ और न ही एजेंसी से जुड़ी कोई जानकारी साझा कर सकती हूँ।
इसके कुछ कारण हैं। ज़ाहिर सी बात है आप सबकी रूचि घूमने में न हो के सिर्फ मुझ में है। और मैं कभी नहीं चाहूंगी कि मेरे कस्टमर मेरे जीवन के गहरे राज़ जानते हों। दूसरा अपनी प्राइवेसी को ले कर के बहुत सचेत रहती हूँ। मैं एक जवान बच्चे की माँ हूँ, मेरा भी घर परिवार है और समाज में इज़्ज़त है इसलिए मैं ऐसी कोई जानकारी साझा नहीं कर सकती।
अब मैं नए पाठकों को अपने बारे में बता दूं। मेरी उम्र 44 वर्ष है और 8 साल पूर्व मेरा तलाक हो चुका है। मेरा एक 19 वर्षीय बेटा है जो अब दिल्ली में पढ़ाई कर रहा है। तलाक के बाद से मैं अपने बेटे के साथ एक अलग घर में रहने लग पड़ी जो मुझे कोर्ट के फैसले के बाद मिला।
शादी के पहले मैं पति के बिज़नेस में साझेदार थी लेकिन तलाक़ होने के बाद मैंने उनसे अलग हो के अपना बिज़नेस अलग कर लिया। मेरा रंग गोरा है और मेरा फिगर 34-32-37 का है। पिछले 8 सालों से मैं शहर में एक ट्रैवल एजेंसी संचालित कर रही हूँ।
उस रात के बाद मेरे ख्यालात मेरी सोच सेक्स को ले कर बिल्कुल बदल गई। पहले तो बहुत बुरा लगा खुद पर शर्म भी आई, शीशे में खुद से आंखें ही न मिला पाई। हाय … ये क्या कर दिया! एक इज़्ज़तदार और सम्पन्न घर की होने के बाद भी सड़क पर 4 जवान मर्दों से चुद गयी? इस अधेड़ उम्र में आ कर यूं कैसे बहक गई? ये भी ख्याल न किया कि एक कॉलेज पढ़ते बच्चे की माँ हूँ। अक्ल कहाँ चली गई?
फिर धीरे धीरे आत्मग्लानि कम होने लगी। तलाक के बाद लाख मुश्किलों से जूझने के बाद भी एक अच्छी माँ होने का फर्ज़ अदा किया। एक अच्छी बेटी, अच्छी बिज़नेसवुमन सब बन के दिखाया। पर मेरी भी तो कुछ जरूरतें हैं। मुझे भी तो औरत होने का सुख चाहिए। इतने सालों से अकेली हूँ।
मैं पहले से ही जीन पैंट और टॉप पहनना पसंद करती हूँ। पर उस रात के बाद से मैंने खुद को और अच्छे से सँवारना शुरू कर दिया। जिस शीशे में खुद से नज़रें न मिलाई जातीं थीं उसी शीशे में खुद को बिना कपड़ों के देख के शरमाने लगी।
रोज़ नहाते हुए खुद को देख के निहारती, रोज़ रात को खुद को मसलती पर 4 लण्डों से चुदवाई हुई कमबख्त चूत की प्यास कहाँ उंगलियों से बुझती है।
मुझे आए दिन शादी ब्याह से ले के गर्लफ्रैंड बनने तक के ऑफर आते रहते हैं। लेकिन मैं किसी को भाव नहीं देती। तो सेक्स के लिए अपने छोटे से शहर में लड़का ढूंढने का सवाल ही पैदा नहीं होता। अब सेक्स करूँ तो करूँ किसके साथ?
लेकिन मेरी चूत की प्यास बढ़ती ही जा रही थी। मैं भला बेचारी कब तक कंट्रोल करती। मुझे घुटने टेकने ही पड़े। सच में टेकने पड़े क्योंकि इस बार मुझे घोड़ी बन कर भी चुदना पड़ा।
तो हुआ यह कि मैं अपने बेटे से मिलने दिल्ली गई हुई थी। एजेंसी से जुड़ा कुछ काम भी था लगे हाथ वो भी निपटा लिया और रिश्तेदारों से मिलना जुलना भी हो गया।
दिल्ली और चंडीगढ़ वगैरा तक मैं हमेशा अपनी गाड़ी से अकेले ही जाया करती हूँ। कभी कोई साथ हो तो ठीक वरना ज़्यादातर अकेले ही जाना होता है। हां पर मैं सिर्फ रात को अकेले ड्राइव करने से परहेज़ करती हूँ।
दिल्ली से मैं दोपहर के समय निकली और मैंने सोचा कि आज शाम चंडीगढ़ में अपनी सहेली के पास रुकूंगी और अगले दिन घर के लिए निकल जाऊंगी। पर अब कहते हैं न होता वही है जो किस्मत में लिखा होता है।
तो हुआ ये की मैंने एक चैट पोर्टल पर एकाउंट बना रखा था फेक नाम से जहां मैं कुछ लड़कों से चैट किया करती थी कभी कभी। एक अलग जिओ का फ़ोन ले रखा था जिससे मैं कभी कभी फ़ोन पर बात कर लिया करती थी। पता नहीं क्यों इस बार घर से निकलने से पहले मैंने वो फ़ोन पर्स में डाल लिया था।
वापसी में चंडीगढ़ से पीछे पहुंची थी कि मन लुच्चा होने लगा। ख्याल आने लगे कि रित्तू आज अकेली है, अपने शहर से दूर है और मौका भी है। सोच कुछ जुगाड़ लगा और इस मौके को भुना।
मैंने झट से फ़ोन निकाला और एक चैट फ्रेंड जो खुद को चंडीगढ़ का रहने वाला बताता था, उसे मैसेज किया कि मैं थोड़ी देर में चंडीगढ़ पहुंचने वाली हूँ और आज होटल में रुकूँगी तो मिलने आ जाए। उसने बताया वो चंडीगढ़ से आगे रोपड़ में कहीं रहता है तो मैं चंडीगढ़ की जगह रोपड़ में ठहर जाऊं।
मैंने अपनी सहेली को फ़ोन कर के मना कर दिया कि मैं उसके पास नहीं आ पाऊंगी। न जाने इतनी हिम्मत कहाँ से आ गई जो 15 मिनट भी नहीं लगाए ये सब करने में। आगे रोपड़ पहुंच कर हाइवे पर मैंने एक होटल में कमरा लिया और गुरविंदर (मेरा चैट फ्रेंड) से कहा कि मिलने आ जाए।
अब आपको गुरविंदर के बारे में बताती हूँ। उसका निकनेम निक्कू है। वो एक प्राइवेट स्कूल में बस ड्राइवर है और कभी कभी अपनी खुद की टैक्सी भी चलाता है।
मज़े की बात ये थी कि निक्कू ने आज तक मेरी कोई फ़ोटो नहीं देखी थी। हां ये बात अलग है कि मैंने उसकी फ़ोटो देख रखी थी। उससे फ़ोन पर बात कर लेती थी हफ़्ते दो हफ्ते में एक बार तो वो उसी में खुश रहता था।
वो दिखने में कुछ खास नहीं था लेकिन 6 फ़ीट की हाइट और मज़बूत जिम वाली बॉडी का मालिक था और शायद यही वजह थी कि जिससे आकर्षित होकर मैं उससे चैट करने लगी थी।
सेक्स करने में भी माहिर था वो। अपने गांव और जिस स्कूल में वो ड्राइवर है वहां की मैडमों की चुदाई के किस्से सुना कर मुझे रोमांचित कर देता था।
निक्कू फोन सेक्स में माहिर था। क्योंकि मैंने ये सब पहले कभी नहीं किया था इसलिए मैं अनाड़ी थी पर जब भी रात को बात किया करते तो उसकी बातें सुन कर मुझसे फिंगरिंग किए बिना नहीं रहा जाता।
हम दोनों अलग अलग स्टेट्स, सोशल कल्चर के हैं। रियल लाइफ में मेरा निक्कू जैसा कभी कोई दोस्त बनना मुमकिन नहीं है लेकिन चैट पर मुझे कौनसा किसी बुद्धिजीवी के साथ देश की अर्थव्यवस्था पर चर्चा करनी है। सिर्फ मज़े ही तो लेने हैं। मिलने का प्लान तो बस अचानक ही बन गया।
होटल पहुंचने पर मैं फ्रेश होने चली गई। वापिस आ के मैंने निक्कू को फ़ोन किया और पता और रूम नम्बर बताया। उसने कहा बस 15 मिनट में पहुंचता हूँ।
ये 15 मिनट काटना बड़ा अजीब अनुभव रहा। दिल में बेचैनी और घबराहट, रोमांच और डर सब भावनाएं एक साथ ही उमड़ आईं। दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था।
शाम के 5 बजने को हो आए हैं। कोई 20 मिनट के बाद दरवाज़े पर दस्तक सुनाई देती है। फ़ोन पर मैसेज भी आता है कि बाहर हूँ।
मेरा कलेजा फटने को हो गया था तब। मैं दरवाजा खोलती हूँ और देखती हूँ कि बाहर एक 6 फुट लंबा चौड़ा मर्द खड़ा है। निक्कू मुझे पहली बार देख कर हैरान है। उसकी आंखें फ़टी की फटी रह जाती हैं।
मैं उसे अंदर आने को कहती हूँ। अंदर दोनों बेड पर बैठते हैं। मुझे समझ नहीं आ रहा कि अब आगे क्या करूँ। उससे नॉर्मल बात कर के हालचाल पूछती हूँ। लेकिन वो एकटक मुझे ऐसे घूर रहा है जैसे उसका बस चले तो अभी कपड़े फाड़ दे।
बात करने के मूड में निक्कू था भी नहीं। आगे मेरी तरफ झुक कर मेरे होंठों को चूम लेता है। और मैं तो बरसों की प्यासी सोचती हूँ कि अच्छा है इसी ने शुरू कर के मेरी चिंता खत्म कर दी।
मैंने नहा धो कर स्लीवलेस कुर्ती और टाइट पजामी पहन ली थी। निक्कू तो मानो पागलों की तरह मुझे बेइंतहा चूमे जा रहा था। मेरे होंठ चूमते चूमते ही ऊपर से मेरे चूचे मसल रहा था।
आह! उसके सख्त हाथों का स्पर्श मुझे पागल बना रहा था। उसने मेरी कुर्ती उतार दी। अब मैं उसके सामने ब्रा और पजामी में थी।
निक्कू मेरे चूचे अब ब्रा के ऊपर से मसलता है और मैं उसके होंठ चूमते हुए उसके सिर पर हाथ फेरती हूँ।
उसे मेरा नाम मेरा शहर कुछ मालूम नहीं है। मैंने उसे बदला हुआ नाम और पता बताया था। लेकिन उसे ये बताया था कि मैं हिमाचली हूँ।
पहाड़ी औरत चोदने का बुखार उसके सिर पर पहले का था। मेरे मम्मे मसलते हुए कहता है कि पहाड़न आज तेरी चूत फाड़ दूंगा। मुझे पहाड़नों की चुदाई करने में बड़ा मज़ा आता है।
उसने खड़े होकर मुझे कहा- चल मेरी कमीज उतार। मैं उससे इतनी छोटी, पैरों की उंगलियों पर खड़ी हो कर उसकी कमीज़ उतारने की कोशिश करती हूँ और वो मेरे चूतड़ मसल देता है।
वो अब मेरी ब्रा उतार कर मेरे चूचे जी भर के मसलने लगता है और मैं आंखें बंद कर आहें भरती रहती हूँ। कभी एक चूची मुंह मे ले के चूसने लगता तो दूसरी को हाथ से मसल देता। और मैं आंखें बंद कर जन्नत की सैर कर रही थी।
फिर निक्कू बिस्तर पर लेट गया और मुझसे कहा- चलो अब ऊपर आ कर मेरी छाती को चूमो। मैं उसका हुक्म मानते हुए उसके ऊपर बैठ कर उसकी बालों से भरी चौड़ी और सख्त छाती को चूमने लगती हूँ। वो आंखें बंद कर के एक हाथ मेरी पीठ पर सहला रहा है, दूसरा हाथ मेरे बालों पर फिरा रहा है। छाती चूमते चूमते नीचे उसकी पैंट के बटन पर जा के रुक जाती हूँ और उसे देखती हूँ।
वो कहता है- जानेमन चल मेरी पैंट उतार। मैं एक आज्ञाकारी बच्ची सी उसकी बात मानते हुए उसकी पैंट उतारती हूँ। अपनी चड्डी वो खुद ही नीचे खिसका देता है। अब मेरे मुंह के सामने उसका मोटा काला लण्ड झूल रहा है। आंखों ही आंखों में निक्कू मुझे इसे मुंह में लेने के लिए कहता है। और मैं भी ज़्यादा सोच विचार न करते हुए उसका लण्ड मुंह में ले लेती हूँ।
मैं लॉलीपॉप सा निक्कू का पूरा लण्ड मुंह में ले के चूस रही थी और निक्कू आंखें बंद कर न जाने क्या बड़बड़ा रहा था। वो उछल उछल कर अपना पूरा लण्ड मेरे मुंह में डाल के झटके मारता।
फिर वो मुझे बिस्तर पर लिटा कर मेरी तंग पजामी उतारने लगा। अब मैं सिर्फ पैंटी में हूँ। पैंटी के ऊपर से ही मेरी चूत को चाटने और चूमने लगता है। मेरी पैंटी अभी तक पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। निक्कू ने अब मेरी पैंटी खींच कर उतारी और बिस्तर से नीचे फेंक के मेरी गुलाबी चूत चाटने लगा।
आह! मैं आंखें बंद कर जन्नत की सैर कर रही थी। निक्कू चूत चाटने में माहिर है। मैं मदहोश सी उसका सिर पकड़ के ज़ोर से चूत में दबा रही हूँ। अगले 10 मिनट तक वो मेरी चूट चाट चाट के मुझे पागल बनाता रहा।
फिर अचानक से उसने अपनी उंगली मेरी चूत में डाल दी और उसे अंदर बाहर करने लगा। मैं आहें भर रही थी। कुछ देर फिंगरिंग करने के बाद निक्कू मेरे ऊपर आकर मेरी दोनों बाजू को फैलाता है और अपने घुटने रख के दबा लेता है। फिर अपना लण्ड मेरे मुंह में डाल कर मेरे मुंह को चोदना चालू करता है।
दो मिनट तक तेज तेज झटके मारने के बाद वो अकड़ने लगता है। मैं उससे छूटने की कोशिश करती हूं लेकिन उसने मेरी दोनों बाजुओं को घुटनों से दबा रखा है। वो पूरा लण्ड मेरे गले मे डाल के अंदर ही झड़ जाता है। मैं उसके नीचे लेटी बेसहारा सी तड़पती रहती हूँ।
अपना सारा माल मेरे मुँह में निकालने के बाद अपना लण्ड निकाल बेशर्मी से बिस्तर पर लेट जाता है। मैं मुँह साफ करने वॉशरूम चली जाती हूँ। वापिस आने पर उससे नाराज़गी जाहिर करती हूँ। मुझे उसका मुँह में झड़ना पसन्द नहीं आया। पर जिस तरह उसने ज़बरदस्ती की वो मुझे भा गया।
अभी कोई पांच मिनट भी न हुए होंगे कि निक्कू फिर से तैयार है। हम दोनों बिस्तर पर नंगे लेटे थे और निक्कू मेरे होंठ चूसना मेरी चूचियाँ दबाना शुरू कर देता है। फिर अपना सोया हुआ लण्ड ही मेरे होंठों पर रगड़ने लगता है। सोया हुआ लण्ड ही मेरे मुंह में डाल झटके देने लगता है। मुँह में जाते ही उसका लण्ड खड़ा हो तैयार है अगले राउंड के लिए।
अब निक्कू अपना लण्ड मेरे मुंह से बाहर निकाल मेरी चूत पर रगड़ने लगता है। मेरे अंदर जैसे मानो करंट लग रहा हो। पर वो अंदर नहीं डाल रहा।
मैं आंखें बंद कर बड़बड़ा रही हूँ। उससे न तड़पाने की भीख मांगती हूँ। निक्कू मेरी चूत में अपना मोटा लण्ड उतार देता है।
आआहा! मेरी तो मानो जान ही निकल गई। अब निक्कू अपना लण्ड मेरी चूत में अंदर बाहर कर झटके दे रहा है। मैं बिस्तर पर लेटी हूँ, और वो ज़मीन पर खड़ा मेरी टांगें खोल कर मेरी चुदाई कर रहा है।
बीच में रुक कर मेरी दोनों टांगें मोड़ कर मेरे सिर के पास ले आता है। मैं गिड़गिड़ाते हुए बोलती हूँ कि मुझे दर्द हो रहा है मेरी टांगें छोड़े। लेकिन उस पर चुदाई का भूत सवार है। उसी पोज़ में मेरी चूत में अपना लण्ड डाल झटके मारना शुरू करता है।
उसका मोटा लण्ड मुझे बच्चेदानी तक झटके मारता महसूस होता है। मैं जैसे बिल्कुल होश में नहीं हूँ। 100 किलो का भारी शरीर उसने मेरे पतले से शरीर पर हावी कर रखा है, मैं मासूम कली सी उसके नीचे लेटी हिल भी नहीं पाती हूँ।
मेरी चूत झड़ चुकी है। कामरस से भर चुकी हूं। लेकिन निक्कू अभी भी सांड से चालू है।
10-12 मिनट दनादन इसी पोज़ में चोदने के बाद निक्कू लण्ड बाहर निकाल फिर से मुँह में लेने को कहता है। लेकिन इस बार मैं मना कर देती हूँ। वो मुझे अपने दोनों चूचियाँ एक साथ दबा कर पकड़ने को कहता है और बीच में अपना लण्ड डाल झटके देने लगता है। 2 मिनट के बाद मेरी छाती और गले पर ही झड़ जाता है।
अब हम दोनों ही बिस्तर पर पड़े बातें कर रहे हैं। उसके बाद हम दोनों एक एक कर के फ्रेश होते हैं। लेकिन निक्कू मुझे कपड़े नहीं पहनने देना चाहता है; कहता है कि मैं कमरे में नंगी ही रहूँ। मैं ऊपर एक टॉप पहन लेती हूँ।
मैं बहुत थक चुकी हूं, उससे कहती हूँ- मैं सो रही हूँ. मुझे आराम करना है। वो भी तैयार होकर कहता है- अभी घर हो आता हूँ, रात को फिर आऊंगा।
वैसे कुछ भी हो लेकिन किसी औरत को निचोड़ना निक्कू बखूबी जानता है। अब मेरी समझ में आता है कि क्यों इसके स्कूल में पढ़ाने वाली मैडमें अपने पति की जगह इस सांड से चुदवाती हैं।
रात में मेरे डिनर करने के बाद निक्कू फिर कॉल करता है, कहता है- मैं आ रहा हूँ थोड़ी देर में, अपनी गांड में तेल लगा कर रखो! जैसे मानो निक्कू की शर्म लिहाज सब खत्म हो चुकी है। मैं सोच के ही डरने लगती हूँ कि ये सांड अब मेरी गांड भी मारेगा।
थोड़ी देर में वो कमरे पहुंचता है और आते ही मुझ पर टूट पड़ता है, कहता है- अफ़ीम खा के आया हूँ; रात भर बहुत पेलूँगा मेरी पहाड़न तुझे। मैं भी अंदर ही अंदर सोचती हूँ भला ये मैं किस हैवान के साथ फंस गई? 2 बार तो कर चुका है दिन में और कितना पेलेगा अब।
वो मेरे और अपने कपड़े उतार मुझे घोड़ी बनने को कहता है। मैं कहती हूँ- मैं गाँड नहीं मरवाऊंगी चाहे कुछ भी हो जाए। वो कहता है- पहले घोड़ी तो बन। बाकी बाद की बात है।
मैं घोड़ी बनती हूँ और निक्कू पीछे से मेरी चूत चाटने लगता है। मेरी आँखें खुदबखुद बन्द हो जाती हैं और सीत्कारियाँ भरने लगती हूँ। वो चूत चाटने के साथ साथ मेरी गांड में एक उंगली डालने की कोशिश करता है जिससे मुझे दर्द महसूस होती है। मैं उससे भीख मांगती हूँ कि मेरी गांड न मारे।
निक्कू अब पीछे से मेरी चूत में लण्ड डाल झटके मारने लगता है। मैं जन्नत में हूँ मानो। मेरे चूचे नीचे लटके हर झटके के साथ आगे पीछे हो रहे हैं। थोड़ी देर उसी पोज़ में चोदने के बाद वो झड़ जाता है।
वो अभी भी मेरी गांड मारने की फिराक में है जो मैं मरवाने से साफ मना कर चुकी हूं।
उस रात एक बार और मेरी चुदाई होती है। तब मुझे चूस कर उसको शांत करना पड़ता है। मेरा पूरा शरीर टूट चुका होता है। एक पेनकिलर ले कर सो जाती हूँ।
सुबह उठने पर उस हैवान का लण्ड फिर खड़ा है। दोनों साथ में शॉवर के नीचे नहाते हैं जहां मेरी एक और चुदाई होती है।
वो चाहता है कि लण्ड के साथ साथ उसके टट्टे भी मुंह में लूं। मैं निक्कू के टट्टे मुंह मे ले कर चूसती हूँ। फिर चूत चोदने से पहले वो मुझे झुका कर मेरी चूत और गांड दोनों चाटता है। उसकी तसल्ली करवा कर दोनों तैयार होते हैं।
दोबारा कभी फिर से मिलने पर गांड मारेगा ऐसा बोल कर वो घर चला जाता है। मैं भी थोड़ी देर में चेकऑउट कर आगे का सफर शुरू करती हूँ।
मैं खुश हूं। मेरो ऐसी चुदाई बरसों बाद हुई है। उसके बाद मेरे जीवन में ऐसी बहुत सी सुहानी रातें आई। उनके बारे में फिर कभी। मेरी आपबीती कैसी लगी वो मुझे मेरे पाठक मेरी ईमेल [email protected] पर साझा कर सकते हैं।
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