Drishyam, ek chudai ki kahani-29

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दृश्यम द्वितीय चरण

पति और पत्नी के रिश्तों का नाजुक तानाबाना गूंथती हुई यह कहानी तत्कालीन भारतीय सामाजिक परिपेक्ष में शायद पोर्न अथवा अश्लील श्रेणी में समावेश हो सकती है।

पर हमें यह स्वीकार करना होगा की तत्कालीन समाज में पति पत्नी के रिश्ते एक बड़े ही नाजुक दौर से गुजर रहे हैं जिसमें पति और पत्नी की सामाजिक, आर्थिक, जातीय और व्यावसायिक संवेदना को सम्हालना और पति पत्नी के सम्बन्ध को निभाना अति कठिन साबित हो रहा है।

यह एक ऐसी चुनौती है जिसे पति और पत्नी दोनों को एक दूसरे की संवेदना को समझ कर कहीं ना कहीं एक दूसरों को आवश्यक अवकाश दे कर, उन्हें और उनकी कमजोरियों को स्वीकार कर अपनी रचनात्मक पटुता से दाम्पत्य जीवन को सुखमय और रसमय बनाना होगा।

यही मेरी सब उन दम्पतियों से प्रार्थना है, जो एक दूसरे को चाहते हैं और साथ में रहते हुए जीवन के जातीय प्रयोगात्मक आनंद का उपभोग भी करना चाहते हैं। शायद उन्हें मेरी यह कहानी कुछ सहायता कर सके।

वैसे तो हर रिश्तों की अपनी विशेषता होती है और स्वयं ही अपनी सूझबूझ से उनको निभाना होता है, पर यदि किसी दम्पति, अविवाहित या अविविहिता को जातीय संबंधों की भूलभुलैया में कुछ मार्ग दर्शन की आवश्यकता हो तो उन्हें सहायता करने में मुझे ख़ुशी होगी।

मेरी यह कहानी इन्हीं सत्य तथ्यों पर आधारित है। इसमें साहित्यिक दृष्टि से और खास कर इस माध्यम और पाठकों के परिपेक्ष में जो कुछ भी उचित परिवर्तन, सुधार, संक्षिप्तीकरण, विस्तृति करण बगैरह करना चाहिए वह करने के पश्चात यह कहानी पाठकों के सामने प्रस्तुत की जा रही है। मेरी हर कहानी साधारण तयः सरल और स्त्री पुरुष के जातीय प्यार और कुछ जातीय (सेक्सुल) नवीनीकरण या साहसिकता से भरी हुई होती है। पर यह कहानी थोड़ी सी अलग है। इसमें जातीय साहसिकता की सिमा लांघ कर मानसिक विकृति कई लोगों के दिमाग में कैसे घर कर जाती है यह दर्शाने की कोशिश की गयी है।

मेरी हर कहानी की तरह यह शायद पाठकों को यह कहानी भी लम्बी लगे तो उसके लिए मैं क्षमाप्रार्थी हूँ। मैं जानता हूँ की हर कहानी की तरह यह कहानी सिर्फ चुदाई की कहानी नहीं है। अतः ज्यादातर पाठकों को यह नागवारा गुजर सकती है।

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तीन साल बाद

साँड़ की आँख एक्लक्ष्य अर्जुन

शादी से पहले कॉलेज लाइफ में अर्जुन काफी स्मार्ट था और अर्जुन ने एकाध दो करतब ऐसे किये थे जिससे उसका नाम कॉलेज में काफी चर्चा में रहता था। पर कॉलेज में लड़कियों के सामने बात करने में अर्जुन बड़ा ही अनाड़ी था। जैसे ही कोई खूबसूरत लड़की उसके सामने आ जाती तो अर्जुन की हालत पतली हो जाती थी। अर्जुन के मुंह से शब्द नहीं निकल पाते थे।

अपनी इस कमजोरी के कारण जो लडकियां अर्जुन की और आकर्षित भी हुईं वह इसी इन्तेजार में उलझ कर रह गयीं की अर्जुन आगे बढे और उन्हें ललचाये, मनाये और आखिर में चूमाचाटी से लेकर चुदाई तक पहुंचे। पर जैसे एक सुप्रसिद्ध गाने में कहते हैं ना की “हम से आया ना गया तुमसे बुलाया ना गया। फासला प्यार में दोनों से मिटाया ना गया।” की तरह अर्जुन की किसी भी लड़की से कहानी कुछ बढ़ नहीं पायी।

पाठकों और पाठिकाओं। यहां मेरा जो भी पति पत्नी प्रेमी प्रेमिका चुदाई के सविशेष अनुभव करने की कामना रखते हैं उनसे अनुरोध है की आपका जब आपके प्रियजन से आमना सामना हो तो ऐसी स्थिति में जहां कुछ आगे कदम बढ़ा ने की आवश्यकता होती है वहाँ अपनी झिझक, शर्म, अहम् अथवा दम्भ को निकाल फेंक सामने दिख रहे अवसर को गँवाना नहीं चाहिए, बल्कि “हाँ, तुम मुझे पसंद हो और मुझे चुदवाना है या चोदना है” यह इजहार करना अति आवश्यक है। वरना आप उस अवसर को चूक जाएंगे। एक बार चूक गए तो हो सकता है वह अवसर दुबारा ना मिले। ध्यान रहे की अक्सर ऐसे मौके बार बार नहीं मिलते।

कॉलेज में लड़कियों से बात ना कर पाने की अर्जुन की इस कमजोरी के कारण अर्जुन के दोस्त अर्जुन के पीछे चोरीछुपी मजाक भी किया करते थे। पर एक लड़की ऐसी थी जो अर्जुन के लिए पागल सी थी।

उसने अर्जुन को सेल फ़ोन पर कई प्यार भरे मेसेज भेजे थे। पर अर्जुन से जब भी मुलाक़ात हुई तो ना ही अर्जुन और ना ही वह लड़की कुछ बोल पाए और “हेलो, हाय” और कुछ ऐसी ही इधर उधर की औपचारिक बातें कर अपने अपने रास्ते चलते बने। हालांकि कॉलेज में तो अर्जुन और उस लड़की की कहानी आगे नहीं बढ़ी, पर कॉलेज के बाद जरूर कुछ हुआ, जिसको आगे देखेंगे।

आरती ने गाँव वापस आकर भी अपनी पढ़ाई पूरी कर ली थी। वह माँ के साथ शहर परीक्षा देने जाती थी और शामको परीक्षा दे कर वापस गाँव आ जाती थी। ऐसे ही उसने ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की। डिग्री पाने के फ़ौरन बाद ही आरती की माँ ने आरती के लिए लड़के देखने शुरू कर दिए। क्यों की आरती देखने में बड़ी सुन्दर थी और पढ़ी लिखी भी थी इस लिए उसके लिए कई रिश्ते आये।

कई लड़कों को देखने के बाद आरती की माँ ने अर्जुन को पसंद किया। अर्जुन को आरती देखते ही भा गयी थी। पहली ही मुलाक़ात में अर्जुन ने शादी के लिए हामी भर दी। अर्जुन की अच्छीखासी आर्थिक स्थिति को देख माँ ने हाँ कह दी और अर्जुन का बाँका रूप और मरदाना अंदाज को देख कर आरती ने भी हाँ कह दी। इस तरह डिग्री पाने के छे महीने के अंदर ही आरती की शादी अर्जुन से हो गयी।

अर्जुन बड़ा ही होनहार, आक्रमक और काबिल कारोबारी था। पर उसके दिमाग का पुराना कीड़ा भी पनपता ही जा रहा था। जो मानसिक विसमता कॉलेज में शुरू हुई थी वह अर्जुन की शादी के पहले और शादी के बाद में भी ज़रा सी भी कम नहीं हुई थी। शादी के पहले अर्जुन जब भी समय मिलता कंप्यूटर पर बैठ कर अलग अलग चुदाई वाली सेक्स चैटिंग और पोर्न वेबसाइट पर जाता था।

उन वेबसाइट पर बड़े ही तगड़े लण्ड वाले मर्दों से कद में नाटी कमसिन नाजुक लड़कियों की बेरहमी से चुदाई देखना उसका नित्यक्रम बन गया था। उसके दिमाग में ऐसी चुदाई देखते ही ऐसा गजब का सुरूर आ जाता था जैसे नशा करने वाले को नशे से और चुदाई करने वाले को झड़ ने के समय पर आता है।

जूनून का कोई मकसद या तर्कसंगत कारण नहीं होता। जो जितना ज्यादा अक्लमंद होता है उसमें उतना ही ज्यादा पागलपन होता है। आजकल के इस अत्याधिक जानकारी के समय में यह तय करना मुश्किल होता है की क्या सही है और क्या नहीं। हरेक पहलु के पक्ष और विपक्ष में इतने ज्यादा तर्क होते हैं की इंसान बौखला जाता है और आखिर में थक हार कर वह वही सही समझता है जो उसके मन को भा जाता है।

बात यहां तक पहुँच जाती है की इंसान भगवान के अस्तित्व को भी चुनौती देने लगता है; शादी जैसी परम्परागत सामाजिक व्यवस्था को भी बेकार समझने लगता है, क्यूंकि उसे भगवान, शादी या ऐसी स्थापित मान्यताओं के विपरीत कई तर्क के सीधे जवाब नहीं मिलते।

अर्जुन दिमाग का काफी तेज था। अपने लक्ष्य की और बड़ा ही एकाग्रता से केंद्रित था। उसे वास्तव में अर्जुन के नाम को सार्थक करने वाला भी कह सकते हैं जिसकी कुशाग्र नजर मछली की आँख पर ही केंद्रित होती थी। अंग्रेजी में कहते हैं “Bulls Eye” मतलब “साँड़ की आँख” वह जो चाहता था वह पाने की लगन और क्षमता रखता था।

कालिया से सिम्मी की चुदाई देखने के बाद अब उसके दिमाग में यही वायरस घुस गया की वह किस तरह बड़े, तगड़े, काले लण्ड से छोटी नाजुक सख्त चूत वाली लड़कियों की चुदाई देखे। ऐसी चुदाई को अंग्रेजी में बीबीसी (मतलब बिग ब्लैक कॉक) के नाम से बोला जाता है। मतलब बड़े काले लण्ड से चुदाई।

इस तरह की चुदाई में लड़कियों की कराहटें और सिसकारियाँ सुन उसे जो उन्माद होता था वह अर्जुन को ओर्गास्म सा (आदमी को झड़ ने के समय या वीर्य स्खलन के समय मिलता है ऐसा) चरम का आनंद देता था। इंटरनेट पर चुदाई के वह दृश्य देख कर उसे जो आनंदातिरेक मिलता था वह खुद किसी औरत की चुदाई करने से भी नहीं मिलता था।

हालांकि अर्जुन शादी से पहले से ही काम में बड़ा व्यस्त रहता था पर अपना पुराना पागलपन नहीं भुला था। अर्जुन ने अपनी एक आईडी बना ली थी जिससे वह बड़े मोटे लंड वालों से या सुन्दर लड़कियों से चैट करना चाहता था और उनके निजी अनुभवों को जानना चाहता था। पर उसे कोई खासा अच्छा रिस्पांस नहीं मिला। यातो लड़के दिमाग चाटने वाले या फिर टाइम पास वाले ही मिलते थे।

अर्जुन बड़ा ही निराश हो गया। फिर अचानक उसके दिमाग में आईडिया आया की क्यों ना वह एक कोई लड़की के नाम की बनावटी आईडी बना कर देखे। जब अर्जुन ने किसी लड़की के नाम पर पहली आईडी बनाई तो उसे यकीन नहीं हुआ इतने जवाबों की भरमार शुरू हो गयी। बड़े तगड़े लण्ड वाले लड़के या मर्द लोग उसे उसके बारे में पूछने लगे। “तुम्हारी उम्र क्या है? तुम दिखने में कैसी लगती हो? तुम कहाँ रहती हो?” और इस तरह की और कहीं कहीं तो उससे भी कहीं और कयादा बीभत्स और सीधी चुदाई के प्रस्ताव आने लगे। ज्यादातर लड़के या मर्द उसकी तस्वीर मांगने लगे।

अब अर्जुन के लिए बड़ी समस्या हो गयी। वह अपनी तस्वीर तो देने से रहा। उसे ऐसी कोई तस्वीर देनी थी जो नेट पर से उठाई ना हो क्यूंकि आजकल लोग बड़े ही स्मार्ट हैं और आसानी से ऐसे जूठ को पकड़ सकते थे। कुछ देर सोच कर अर्जुन ने अपनी बहन सिम्मी की फोटो चिपका दी और किसी मन गढंत नाम से आईडी बना कर चैट करना शुरू कर दिया। यह सिलसिला शादी के बाद भी चलता रहा।

अर्जुन के पागलपन का मतलब यह कतई नहीं था की अर्जुन को औरत की चुदाई में आनद नहीं मिलता था, या वह नामर्द था। अर्जुन भी एक अच्छा खासा स्वस्थ मर्द था। उसका लण्ड भी अच्छा खासा था। शादी की सुहाग रात में अर्जुन ने आरती को खूब चोदा था। बेचारी आरती का कद छोटा और उसकी चूत भी नाजुक और छोटी सी थी। अर्जुन ने उसे वह आनंद दिया जिसकी आरती ने सचमें उम्मीद की थी।

कमल से पहली बार चुदाई कराने की आरती की उम्मीद चकनाचूर हो जाने पर आरती को कुछ हद तक निराशा या हल्का सा सदमा भी लगा था। पर अर्जुन की चुदाई से आरती बहुत खुश थी। अर्जुन भी आरती पर पागल था। आरती चुदाई के समय बड़ी आक्रमक हो जाती थी।

चूँकि आरती की चूत छोटी, नाजुक और सख्त थी, उसे चुदाई के दरम्यान अर्जुन के लण्ड के घुसने से और आगे पीछे होने से घर्षण का अद्भुत आनंद मिलता था। वही हाल अर्जुन का भी था। आरती को चोदने पर उसे भी गज़ब का आनंद मिलता था।

अर्जुन की लगन और कुशाग्रता के कारण अर्जुन का तकनिकी ठेकेदारी का काम बढ़ने लगा। अर्जुन की आर्थिक स्थिति और अच्छी होने लगी। अर्जुन ने एक अच्छी खासी कॉलोनी में फ्लैट खरीद लिया। कुछ समय बाद उसने अपने गाँव में ही एक ५० एकड़ जमीन भी खरीद ली जिसमें वह फार्म हाउस बनाने के सपने देखता था।

आरती शादी से बहुत खुश थी। उसे अपना खुदका घर और अर्जुन जैसा प्यार करने वाला पति मिला था। पर जैसे अक्सर होता है, शादी के समय बीतते रहते काम धंधे में अर्जुन की व्यस्तता बढ़ने लगी। शादी के एक साल के उपरांत अर्जुन का ध्यान या तो अपने काम के ऊपर और जब वह घर में होता तो इंटरनेट पर होता था।

इंटरनेट के इस युग में आप जहां भी जाओ, इंटरनेट आपके साथ ही रहता है। अर्जुन ने अच्छीखासी महँगी बड़ी गाडी (एस.यु.वी.) खरीद ली थी जिसमें वह राजकोट से अमदावाद, उदयपुर इत्यादि शहरों तक काम के सिलसिले में जाया करता था। पर उसे जब भी समय मिलता वह होटल में, कार में या प्रोजेक्ट साइट पर इंटरनेट में वही चुदाई के “दृश्यम” देखता रहता था।

पढ़ते रहिये, कहानी आगे जारी रहेगी!

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